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भारत में अत्यंत प्राचीन काल से ही हो रहा है पुलों का निर्माण

मेरठ

 11-01-2023 12:13 PM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

खाइयों, नदी-नालों, रेल लाइनों आदि के ऊपर आर-पार जाने हेतु बनाई गई वह वास्तु रचना जिस पर से होकर मनुष्य और गाड़ियाँ इधर से उधर आते-जाते हैं, वह पुल कहलाता हैं। जिसे अंग्रेजी में Bridge भी कहा जाता है। यह लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं। पुल एक निर्माण नहीं है, बल्कि यह एक अवधारणा है, जमीन के बड़े हिस्से या पानी के विशाल द्रव्यमान को पार करने और दो दूर के बिंदुओं को जोड़ने की अवधारणा, अंततः यह उनके बीच की दूरी को कम करता है।
युगों से ही भारत में पुलों का निर्माण किया जा रहा है। आपको बता दें कि भारतीय महाकाव्य साहित्य ‘रामायण’ अयोध्या के राजा श्री राम की सेना द्वारा भारत से श्रीलंका तक निर्मित पौराणिक पुल का विवरण प्रदान करता है। कौटिल्य जैसे महान विद्वान ने मौर्य वंश द्वारा निर्मित पुलों का उल्लेख अपने अर्थशास्त्र में किया है। युद्धों के दौरान मुगलों ने भारत में प्रमुख नदियों पर कई पुलों का निर्माण किया। जालीदार बाँस और लोहे की जंजीरों से लटकते हुए पुलों का उपयोग लगभग चौथी शताब्दी से दिखाई देने लग गया था।
स्तूप, पगोडा और तोरी के अग्रदूत, का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में किया गया था। 200-400 ईसवी में चट्टानों को काटकर इस क्षेत्र में सीडीनुमा कुएं बनाए गए थे । इसके बाद, धानक (550-625 ईसवी) में कुओं का निर्माण और भीनमाल (850-950 CE) में सीढ़ीदार तालाबों का निर्माण किया गया था। सबसे पहले पुलों को प्रकृति के द्वारा बनाया गया माना जाता था, किंतु मनुष्यों द्वारा बनाए गए सबसे पहले पुल लकड़ी के लठ्ठो या तख्तों और अंत में पत्थरों के बने हुए थे। प्राचीन भारत से ही लोग नदी किनारे, नदियों के बहाव के साथ आए पेड़ों की मदद से नदी पार करते थे। घुमक्कड़ कबीला एक ऐसा कबीला था, जिसने सबसे पहले जानबूझकर एक पेड़ को पानी की धारा पर गिराकर सबसे पहले पुल बनाया था। भारत के कई भागों में मुड़ी हुई बेलो और लताओं के पुल पाए गए हैं ,जिनसे पता चलता है कि पेड़ों की लताओं एवं बेलो से पुलों का निर्माण किया जाता था। लकड़ी के पुल सबसे प्राचीन है इन्हीं प्राचीन पुलों को ध्यान में रखकर आगे चलकर बड़े-बड़े पुलों का निर्माण हुआ है। यहां तक कि बंदरों को कई लताओं में झूलते देख, समांतर केबलों को जोड़कर क्रॉस टुकड़ों के साथ पुलों के रूप में निर्माण करने के लिए विचार के रूप में कार्य किया गया।
इसके बाद यह हाथ से पकड़ने वाली पुल की रस्सी के रूप में साबित हुई जिसके कारण सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण हुआ। बीम, आर्च और सस्पेंशन (beam, arch, and suspension) पुल के इन तीनों प्रकारों को ध्यान में रखकर प्राचीन काल से ही पुल बनाए गए हैं, जिनसे इंजीनियरों और बिल्डरों ने ट्रस (truss), कैंटिलीवर (cantilever), केबल-स्टे (cable-stayed),टाई-आर्क (tied-arch) और मूवेबल स्पैन moveable spans जैसे विभिन्न संयोजनों को प्राप्त किया।18 वीं शताब्दी के दौरान पुलों के डिजाइन में कई नवाचार हुए और पुल प्रौद्योगिकी में एक बड़ी सफलता 1779 के दौरान इंग्लैंड में कोलब्रुकडेल में आयरन ब्रिज  (Iron Bridge in Coalbrookdale) के निर्माण के साथ आई, जिसमें पहली बार कच्चा लोहा का उपयोग किया गया था। औद्योगिक क्रांति के साथ, स्टील, जिसमें उच्च तन्यता ताकत है, ने बड़े भार का समर्थन करने के लिए बड़े पुलों के निर्माण के लिए लोहे को बदल दिया, और बाद में विभिन्न आकृतियों के वेल्डेड संरचनात्मक पुलों का निर्माण किया गया। भारत में ‘आधुनिक पुलों का इतिहास’ और ‘निर्माण की शुरुआत’ निश्चित रूप से सिंधु नदी के पार अटॉक ब्रिज (Attock Bridge) से शुरू होती है।पंजाब नॉर्दर्न स्टेट रेलवे को पेशावर (वर्तमान में पाकिस्तान में) और सीमांत तक ले जाने वाला यह पुल एक अद्भुत था। 1883 में इंजीनियर गिलफोर्ड मोल्सवर्थ (Guilford Molesworth) द्वारा डिजाइन किया गया यह पुल दो डेक पर बनाया गया था, जिनमें ऊपर रेलवे क्रॉसिंग और नीचे ग्रैंड ट्रंक रोड थी।
भारतीय पुलों के इतिहास के क्रमिक विकास को आगे ब्रिटिश काल के दौरान बने सुक्कुर में सिंधु नदी पर शानदार लैंसडाउन ब्रिज के साथ चित्रित किया जा सकता है। उस समय के महान पुल-निर्माताओं में से एक सर अलेक्जेंडर रेंडेल (Sir Alexander Rendel) द्वारा इसे डिजाइन किया गया था। कुछ भारतीय रेलवे पुलों का निर्माण लकड़ी के ऊँचे चबूतरे पर किया गया था, जैसे वे जो ट्रेन को शिमला तक ले जाते थे और जो रोमन एक्वाडक्ट्स से मिलते-जुलते थे, जिनमें चिनाई वाली मेहराबों की कतारें थीं। ब्रिटिश राज के तहत भारतीय पुलों का इतिहास देशी आबादी के साथ बढ़ रहा था। अंतिम समूह में, सबसे अधिक परिचित निस्संदेह कलकत्ता में हुगली नदी पर हावड़ा ब्रिज था। ह्यूबर्ट शर्ली-स्मिथ( Hubert Shirley-Smith) द्वारा डिजाइन किया गया, हावड़ा ब्रिज 1943 में बनकर तैयार हुआ था, जो दो मिलियन लोगों के शहर में नदी के पार एकमात्र पुल के रूप में नावों के पुल की जगह लेता था। वर्तमान में भारत में भूपेन हजारिका सेतु, दिवांग रिवर ब्रिज, महात्मा गांधी सेतु ,बांद्रा-वर्ली सी लिंक, विक्रमशिला सेतु एवं मुंगेर गंगा ब्रिज आदि, पुल महत्वपूर्ण पुलों की सूची में शामिल हैं।

संदर्भ
https://reut.rs/3GlKDw3
https://bit.ly/3jWfZBY
https://bit.ly/2YkWma3
https://bit.ly/3ilw1Vw
shorturl.at/aGJO0

चित्र संदर्भ
1. लक्ष्मण झूले को दर्शाता एक चित्रण (maxpixel)
2. राम सेतू को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. महानवमी मंच पुष्करिणी बावड़ी, के लिए 15 वीं सदी के जलसेतु को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. सिंधु नदी के ऊपर 1880 में बनाए गए पुल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. अटक में सिंधु नदी पर मजबूत उत्तर पश्चिमी रेलवे पुल को दर्शाता एक चित्रण (picryl)

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