City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1608 | 914 | 2522 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय के शासनकाल को बड़ौदा के गठन और समृद्धि का युग माना जा
सकता है। उन्होंने शिक्षा, खेल, संगीत और नृत्य को संरक्षण देने के साथ-साथ कलाकारों और चित्रकारों
को भी संरक्षण दिया। इनमें से एक राजा रवि वर्मा थे जो त्रावणकोर से आए थे और कुछ वर्षों के लिए
गायकवाड़ के शाही चित्रकार बने।
सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय (जन्म श्रीमंत गोपालराव गायकवाड़; 11 मार्च 1863 – 6 फरवरी 1939)
1875 से 1939 तक बड़ौदा राज्य के महाराजा थे, और उन्हें अपने शासन के दौरान अपने राज्य में
सुधार के लिए याद किया जाता है। सयाजीराव तृतीय सभी सुधारवादी गतिविधियों और दूरदर्शी
दृष्टिकोण के अलावा, कला, वास्तुकला और सांस्कृतिक गतिविधियों जैसे संगीत और रंगमंच के संरक्षक
थे। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से कला क्षेत्र में संरक्षण में संपूर्ण बदलाव, सयाजीराव के कला संग्रह और
उनकी पारखीता में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
उनके आर्थिक विकास की पहल में एक रेलमार्ग की स्थापना और 1908 में बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of
Baroda) की स्थापना शामिल थी, जो अभी भी मौजूद है और गुजराती डायस्पोरा के समर्थन में विदेशों में
कई परिचालनों के साथ भारत के अग्रणी बैंकों में से एक है। दावा किया जाता है कि 1895 में महाराजा
ने एस. बी. तलपड़े (S. B. Talpade) द्वारा निर्मित एक मानवरहित विमान की सफल उड़ान देखी थी, जो
राइट बंधुओं (Wright brothers) के आसमान में उड़ान भरने से आठ साल पहले हुआ था।
18वीं सदी उथल-पुथल का दौर था, लेकिन इसी दौर से बड़ौदा के सांस्कृतिक जीवन में मराठा तत्व प्रमुख
हो गए। गायकवाड़ दरबार अपने स्वयं के सांस्कृतिक प्रभाव के साथ बढ़ रहा था । शासकों की भावना ने
विभिन्न खेल गतिविधियों जैसे कुश्ती, घुड़दौड़ और ‘हाथी और भैंसों’ की लड़ाई की नींव रखी। बड़ौदा
राज्य में मनोरंजन के कई अन्य रूप आम हो रहे थे और इन गतिविधियों का चित्रण शाही दरबार के
लिए बनाए गए चित्रों में पाया जाता है। संगीत, नृत्य और पेंटिंग भी सांस्कृतिक रुचि के क्षेत्र बन रहे थे।
सयाजीराव तृतीय के संरक्षण में बड़ौदा में शास्त्रीय संगीत की एक समृद्ध परंपरा विकसित हो रही थी,
और नसीरखान, मौलबख्श, अल्लादिया खान आदि जैसे संगीतकारों को बड़ौदा दरबार में शास्त्रीय संगीत
के विकास के लिए आमंत्रित किया गया था ।
सयाजीराव तृतीय के शासनकाल के दौरान भारतीय शास्त्रीय संगीत का स्कूल 1886 में शुरू किया गया
था और प्रो. मौलबख्श इसके प्रमुख बने। 1916 में बड़ौदा में अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन आयोजित
किया गया था। सम्मेलन में भाग लेने के लिए सौराष्ट्र और गुजरात के प्रसिद्ध कलाकारों के साथ-साथ
उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय संगीतकारों को आमंत्रित किया गया था। इस सम्मेलन में पंडित
वाडीलाल, दयाभाई शिवराम, खान रहमतखां, फैज मोहम्मद खान, पंडित ओंकारनाथ ठाकुर, पंडित
भातखंडे आदि ने भाग लिया. उन्होंने योग्य संगीतकारों को, न केवल दरबारी रत्न के रूप में, बल्कि राज्य
की सेवाएं प्रदान करके संरक्षण दिया । उन्होंने संगीत के स्कूल की स्थापना की और राज्य के लोगों को
मुफ्त संगीत की शिक्षा देने के लिए उस्ताद फैयाज खान और मौलबख्श जैसे प्रख्यात संगीतकारों को
नियुक्त किया। नाटक के क्षेत्र में, बड़ौदा में नाट्यशालाओ में विशेष सुविधाएं दी जाती थीं जो नए नाटकों
के प्रदर्शन को प्रोत्साहित करती थीं। ‘गुजराती देशी नाटक समाज और मराठी बाल गंधर्व नाटक
मंडली’ (The Gujarati Deshi Natak Samaj and Marathi Bal Gandharva Natak Mandali) ने
बड़ौदा संरक्षण का लाभ उठाया और पहली बार बड़ौदा में कई नए नाटक प्रस्तुत किए।
दृश्य कला के क्षेत्र में, सयाजीराव ने न केवल गायकवाड़ दरबार के बल्कि राज्य के लिए कई चित्रकारों, मूर्तिकारों और
वास्तुकारों को राज्य सेवाओं में आमंत्रित किया। गायकवाड़ परिवार के चित्रों के अलावा, शहर के सौंदर्यीकरण के
साथ-साथ कार्यात्मक वास्तुकला के लिए इन कलाकारों और वास्तुकारों को कई सार्वजनिक कार्य परियोजनाएं सौंपी
गईं। बड़ौदा का कलाभवन तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था और
बढ़ईगीरी, केलिको छपाई (calico printing), रंगाई, आदि में पाठ्यक्रमों की पेशकश की गई थी।
बाद में फोटोग्राफी और वास्तुकला को पाठ्यक्रम में जोड़ने के लिए सयाजीराव ने मार्च 1890 में एक
आदेश पारित किया ।
बड़ौदा संरक्षण ने प्रसिद्ध कलाकार राजा रवि वर्मा के उज्ज्वल भविष्य बनाने में एक महान भूमिका निभाई और न
केवल रियासतों के महाराजाओं के बीच, बल्कि रईसों, प्रमुख नागरिकों और यहां तक कि मध्यम वर्ग के लोगों के
बीच भी उनकी प्रसिद्धि बढ़ाई।
जब 1881 में, बड़ौदा के ब्रिटिश रेजिडेंट माधव राव ने सैय्याजी राव तृतीय के छायाचित्र को चित्रित करने
के लिए रवि वर्मा को आमंत्रित करने का फैसला किया, बड़ौदा में, रवि वर्मा का एक विशेष अतिथि के
रूप में स्वागत किया गया और उन्हें सभी सुविधाएं प्रदान की गईं। गायकवाड़ के विभिन्न कार्यों ने उन्हें
बहुत प्रसिद्धि दिलाई। भारत के विभिन्न देशी राज्यों में उनकी सेवाओं की माँग की गई । बाद में उन्हें
अपने राज्यों में सचित्र कला इतिहास को पुनर्जीवित करने के लिए भावनगर, पुड्डुकोट्टई, मैसूर, बीकानेर
और जयपुर में आमंत्रित किया गया।
महाराजा चित्रकार के काम से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें एक प्रसारकक्ष ( Studio) उपहार में
दिया। यह स्टूडियो लक्ष्मी विलास पैलेस के भीतर ही स्थित है। यहां रहने के दौरान उन्होंने लक्ष्मी
विलास पैलेस को दो दर्जन बड़े चित्रफलक ( Canvas) प्रदान किए। ये प्रमुख रूप से महाभारत और
रामायण के विषयों पर आधारित थे। यहीं पर उन्होंने ‘नल और दमयंती’, ‘राधा और माधव’, ‘अर्जुन और
सुभद्रा’, ‘भरत, शांतनु और गंगा’ जैसे कई चित्रों का निर्माण किया गया।
इनमें से कई चित्र ‘बड़ौदा संग्रहालय’ और ‘महाराजा फतेह सिंह संग्रहालय’ में प्रदर्शित हैं। रियासत के
समर्थन से वे भारतीय कलाकारों की नई पीढ़ी के पहले व्यक्ति बन गए जिन्होंने अखिल भारतीय स्तर
पर चित्रों को क्रियान्वित करने में क्षेत्रीय बाधाओं को पार किया।
शिक्षा के महान संरक्षक और विश्वासी के रूप में सयाजीराव ने हर स्तर पर शिक्षा को प्रोत्साहित किया। शैक्षिक
गतिविधियों को बढ़ावा देने की दृष्टि से कला को देखने में उनका दृष्टिकोण आधुनिक था। सयाजीराव उच्च शिक्षा
और कला के क्षेत्र में संग्रहालय की भूमिका के प्रति सचेत थे। ललित कलाओं को विकसित करने का
विचार सयाजीराव ने 1906-07 में व्यक्त किया था। इसके लिए एक चित्रकला और मूर्तिकला गैलरी भी
विकसित की गई थी।
इस प्रकार सयाजीराव की व्यक्तिगत निधि से संस्कृति और सामाजिक केंद्र के रूप में संग्रहालय की
स्थापना, नागरिक मानवतावाद के संदर्भ में उनकी भूमिका के साथ-साथ शैक्षिक प्रस्तुति की उनकी
रणनीतियों का प्रमाण है।
संदर्भ
shorturl.at/egX15
shorturl.at/ADFIV
चित्र संदर्भ
1. सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय और राजा रवि वर्मा की एक कलाकृति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय में सयाजीराव गायकवाड़ III की मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. लक्ष्मी विलास पैलेस बड़ौदा (वडोदरा) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. "सयाजीराव गायकवाड़ III", 1881 में बड़ौदा के महाराजा के रूप में उनके अभिषेक के अवसर पर। संग्रहालय के कैटलॉग की यह पेंटिंग राजा रवि वर्मा की है। को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. बड़ौदा संग्रहालय और पिक्चर गैलरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.