City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1334 | 916 | 2250 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
वर्तमान में पूरी दुनिया महामारी, युद्ध और जलवायु परिवर्तन जैसी अधिकांशतः नकारात्मक परिस्थितियों से जूझ रही है। किंतु इसी बीच भारत को प्रकृति के संरक्षण के संदर्भ में एक सकारात्मक और राहत पहुँचाने वाली उपलब्धि हासिल हुई है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, भारत ने पिछले एक दशक में अपने वन क्षेत्र की वृद्धि में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 2021 में देश का कुल वन आवरण क्षेत्र 7,13,789 वर्ग किमी था, जो 2011 की तुलना में 3.14 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, जिससे यह वन क्षेत्र के हिसाब से दुनिया का दसवां सबसे बड़ा देश बन गया। वनावरण भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24% क्षेत्र घेरते हैं, जो 2020 में दुनिया के कुल वन क्षेत्र का 2% है।
शीर्ष दस देशों में, जो कि पूरी दुनिया के वन क्षेत्र का 66% हिस्सा बनाते हैं, ब्राजील, पेरू, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो (Democratic Republic of Congo), और रूस के कुल भौगोलिक क्षेत्र का कम से कम आधा हिस्सा वनों से आच्छादित है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत ने पिछले एक दशक में अपने वन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। भारत 2010 और 2020 के बीच वन क्षेत्र में औसत वार्षिक शुद्ध लाभ के साथ दुनिया में तीसरे स्थान पर है, और इस अवधि के दौरान भारत ने हर साल औसतन 266,000 हेक्टेयर अतिरिक्त वन क्षेत्र जोड़ा है।
वन आच्छादन एक हेक्टेयर (लगभग 2.5 एकड़) से बड़ी किसी भी भूमि को संदर्भित करता है, जिसमें कम से कम 10% वृक्ष चंदवा घनत्व (Canopy Density) होता है। इसमें दर्ज वनों के साथ-साथ अन्य क्षेत्र जैसे बाग, बांस के बागान और ताड़ के पेड़ भी शामिल हो सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जमीन का मालिक कौन है या उसकी कानूनी स्थिति क्या है।
इस वृद्धि ने भारत के भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत 2011 में 21.05% से बढ़ाकर 2021 में 21.71% कर दिया है। इस वृद्धि में बहुत घने जंगलों का मुख्य योगदान रहा है, जिसमें 2011 और 2021 के बीच 19.54% की वृद्धि देखी गई थी। खुले जंगल (10-40 प्रतिशत के बीच वृक्ष छत्र घनत्व वाली सभी भूमि) में भी 6.71 प्रतिशत का सुधार हुआ है, जबकि मध्यम घने जंगल (40-70 प्रतिशत के बीच वृक्ष छत्र घनत्व वाली सभी भूमि) में 2011 और 2021 के बीच 4.32 प्रतिशत की गिरावट आई है।
राज्यों में, 2021 में भारत में सबसे बड़ा वन आवरण क्षेत्र मध्य प्रदेश (कुल का 11% ) का था। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (9%), छत्तीसगढ़ (8%), ओडिशा (7%), और महाराष्ट्र (7%) का स्थान रहा।
कुल भौगोलिक क्षेत्र के सापेक्ष वन आवरण क्षेत्र के प्रतिशत के संदर्भ में, भारत के शीर्ष पांच राज्य मिजोरम (85%), अरुणाचल प्रदेश (79%), मेघालय (76%), मणिपुर (74%), और नागालैंड (74%) थे।
अरुणाचल प्रदेश भी बहुत घने जंगल के मामले में शीर्ष राज्य था, जो 2021 में भारत के कुल 21% वनावरण के लिए जिम्मेदार था। इसके बाद महाराष्ट्र (9%), ओडिशा (7%), छत्तीसगढ़ (7%), और मध्य प्रदेश (7%) का स्थान था। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ ने मिलकर 2021 में भारत के मध्यम घने जंगल का 11% हिस्सा लिया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि मध्य प्रदेश में 2021 में भारत के मध्यम घने जंगल का 12 प्रतिशत हिस्सा है, इसके बाद ओडिशा (8 प्रतिशत), महाराष्ट्र (7 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (5 प्रतिशत) और असम (5 प्रतिशत) का स्थान है।
repeat2011-21 में भारत के कुल वन आवरण क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि बहुत घने वन आवरण क्षेत्र में देखी गई है, जो इस अवधि के दौरान लगभग 20% बढ़ गया है ।
इस अवधि के दौरान खुले वन क्षेत्र में भी 7% का सुधार हुआ। लेकिन इस वृद्धि के बावजूद हमें आगे चलकर वन तथा वृक्षावरण में और अधिक सुधार करने की आवश्यकता है। सामाजिक वानिकी भी इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हालांकि 2021 के लिए भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट को वनों की गणना के अपने तरीकों के लिए आलोचना का सामना भी करना पड़ा है, क्योंकि 2019 से 2021 तक वन आवरण में कई वृद्धि पारंपरिक वन क्षेत्रों के बाहर भी पाई गई थी और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और बागों के कारण हुई थी।
संदर्भ
https://bit.ly/3hJ8PjL
https://bit.ly/3WDPak8
चित्र संदर्भ
1. हिमांचल प्रदेश के जंगल को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. 2015 तक भारतीय वन आवरण मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. उत्तराखंड में जंगल से ढकी पहाड़ियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जंगल से ढके भारत के उत्तरी सेंटिनल द्वीप की एक उपग्रह छवि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.