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दुनिया भर में वन्यजीव संरक्षण के लिए एरियल ड्रोन (Aerial drones), इन्फ्रा-रेड कैमरे (infra-red cameras), रीयल-टाइम मॉनिटरिंग डिवाइस (real-time monitoring devices), आरएफआईडी टैग (RFID tags) और निगरानी के लिए जीपीएस (GPS ) का भू-स्थानों पर उपयोग किया जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पारंपरिक तरीकों को सुविधाजनक बनाने, संघर्षों को दूर करने, परिदृश्य परिवर्तन और अवैध गतिविधियों को सचेत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और वनपालों (rangers) के अवैध शिकार विरोधी गश्त से लेकर विभिन्न प्रजातियों की निगरानी तक के महत्वपूर्ण कार्यों में सहयोग करके हम्पबैक व्हेल (Humpback Whales), कोआला (Koalas) और हिम तेंदुए(Snow Leopard) जैसी प्रजातियों की रक्षा करने में मदद कर रहा है। कई देशों में विभिन्न संरक्षण चुनौतियों का समाधान करने के लिए इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है, और इसका परिणाम काफी असाधारण रहा है।
यद्यपि भारत में विभिन्न परियोजनाओं में एआई का लाभ उठाया जा रहा है, किंतु इनका प्रयोग अभी भी बहुत प्रारंभिक स्तर पर किया जा रहा है । उदाहरण के लिए, कर्नाटक वन विभाग के पास एआई का उपयोग करने वाले 24 आवेदन हैं। वन सीमाओं पर वन विभाग की एक परियोजना "वन सीमाओं के भू-स्थानिक डेटाबेस" में एआई का उपयोग करके एक वर्ष में 375 अलर्ट (Alert) प्राप्त हुए हैं।
एआई के उपयोग के बारे में विस्तार से बताते हुए, वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “हमने अधिसूचित वन सीमा को डिजिटल कर दिया है। सार्वजनिक डोमेन (domain) में उपलब्ध उपग्रह छवियों का उपयोग करके एक एल्गोरिदम (algorithm )( निर्देशों का एक ऐसा समूह जिसके द्वारा विशेष समस्या का क्रमशः हल किया जाता है ) एक महीने के भीतर किसी भी क्षेत्र विशेष में हुए बदलाव की पहचान करता है। एआई मॉडल वन आवरण (forest cover) में किसी भी बदलाव की पहचान करता है और चेतावनी (alert) जारी करता है। चेतावनी पर कार्रवाई करते हुए, जमीनी कर्मचारी (ground staff) एक पेड़ की कटाई चाहे वह कटाई स्वीकृत हो या अवैध, भूस्खलन या अतिक्रमण की तस्वीरों के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया देता है, फिर चाहे यह एक गलत चेतावनी ही क्यों ना हो। जब भी कोई अलार्म बजता है तो कार्रवाई की लगभग 80 प्रतिशत रिपोर्ट दर्ज करनी होती है। इसलिए एआई वन विभाग को उनके कार्य में मदद करने के लिए तीसरी आंख की तरह काम कर रहा है।”
एक गैर सरकारी संगठन वन्यजीव संरक्षण सोसायटी (Wildlife Conservation Society (WCS)), ने वन्यजीव अपराध और गतिविधियों से संबंधित दो परियोजनाओं में एआई का लाभ उठाया है। डब्ल्यूसीएस में डेटा वैज्ञानिक अनुश्री कर्वे कहती हैं, “वन्यजीव अपराध अक्सर क्षेत्रीय भाषाओं में संग्रहित होते हैं, जिससे वन्यजीव अपराध डेटा की पहुंच सीमित हो जाती है। कानून प्रवर्तन एजेंसियों (Law Enforcement Agencies (LEA)) तक वन्यजीव अपराध की जानकारी की पहुंच बढ़ाने के लिए, ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके, दो परियोजनाओं में एआई का लाभ उठाया गया है।
मुंबई स्थित एक अन्य गैर सरकारी संगठन, वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट (Wildlife Conservation Trust (WCT)) भी मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए एआई का उपयोग कर रहा है। डब्ल्यूसीटी और गूगल रिसर्च इंडिया (Google Research India) की एआई लैब ने एक एआई मॉडल तैयार किया है, जो महाराष्ट्र के चंद्रपुर में ब्रम्हपुरी वन प्रभाग में मानव-वन्यजीव संघर्ष की भविष्यवाणी करने में मदद करेगा, जिसमें एक बड़ा बाघ-प्रभाव वाला परिदृश्य और मानव आबादी घनत्व है, जिससे कई संघर्ष होते हैं।
ब्रिटिश कोलंबिया (British Columbia) तट पर नाइट इनलेट (Knight Inlet) के पास एक दूरस्थ वर्षावन को दर्जनों सावधानी से रखे गए कैमरों से सुसज्जित किया गया है। इन कैमरों का उपयोग BearID प्रोजेक्ट नामक एक शोध पहल द्वारा किया जा रहा है। यदि जंगल में कोई हलचल होती है, तो उपकरणों में रिकॉर्डिंग (Recording) शुरू हो जाती है, तत्पश्चात यथोचित रूप से उस परिवेश की जाँच की जाती है। फुटेज को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) द्वारा विश्लेषण के लिए कंप्यूटर पर भेजा जाता है। जब एक अकेली आकृति दृश्य में भटकती है, तो उपकरणों में से एक रिकॉर्डिंग शुरू कर देता है। एल्गोरिथ्म (algorithm) उस जीव की आंखों और नाक पर लॉक (lock) लगा देता है, उसके चेहरे की तुलना उन जीवों के डेटाबेस (database) से करता है जो अक्सर क्षेत्र में आते हैं। कुछ ही क्षणों में, यह ज्ञात मादा भालू F016 के रूप में उसकी पहचान करता है।
सिस्टम (system) के संचालक पहले से ही F016 से परिचित हैं। वे उसे फ्लोरा (Flore) कहते हैं। वे जानते हैं कि वह कहाँ रहती है, उसे क्या खाना पसंद है। वह एक माँ है और उसका परिवार इन भागों में रहता है।
पिछले कुछ वर्षों में, कैमरे या लिडार स्कैनर (LiDAR scanners) से लैस ड्रोन (drones) जीवविज्ञानी जानवरों की आबादी का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने या पौधों का सर्वेक्षण करने के लिए पसंदीदा उपकरण बन गए हैं। कनाडा की कुछ कंपनियाँ जैसे कि फ्लैश फ़ॉरेस्ट (Flash Forest), उनका उपयोग क्षेत्रों को मैप करने और जंगल की आग के बाद पेड़ों को फिर से लगाने के लिए कर रही हैं। और उनका उपयोग हवा के साथ साथ पानी में भी किया जा रहा है। पिछले साल, पर्यावरण संगठन वाइल्डएड (WildAid) और बीसी-आधारित ओपनओशन रोबोटिक्स (B.C.–based Open Ocean Robotics) ने हवाई शहर के पास एक हंपबैक व्हेल रिजर्व (humpback whale reserve) में अवैध मछली पकड़ने की निगरानी के लिए ड्रोन से लैस एक मानव रहित छोटी नाव का परीक्षण किया। यह नाव 25 दिनों तक गश्त पर रही। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड, कनाडा (World Wildlife Fund, Canada) की सीईओ मेगन लेस्ली (Megan Leslie) का कहना है कि “कुछ नई तकनीकों की उपलब्धता और सामर्थ्य ने इन अमूल्य जानवरों को गैर-लाभकारी संस्थाओं की पहुंच में ला दिया है।”
ड्रोन (drones), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) और सैटेलाइट डेटा (satellite data) जैसी प्रौद्योगिकियां पर्यावरण संगठनों को उस प्रकार के आंकड़ों को इकट्ठा करने में सक्षम बना रही हैं, पहले जिसको एकत्रित करने में बड़े संसाधनों का उपयोग करना होता था। अपने वालरस फ्रॉम स्पेस प्रोजेक्ट (Walrus From Space project) के साथ, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (WWF) ने 11,000 से अधिक आभासी वन्यजीव को लक्ष्य करने के स्थानों का (spotters) का एक वैश्विक नेटवर्क बनाया है।जब इन स्थानों पर लगे कैमरे किसी वालरस को देखते हैं तो वे ध्रुवीय क्षेत्रों (Polar regions ) की उपग्रह छवियों को डाउनलोड (download) कर लेते हैं ।
इसका उद्देश्य वालरस की आबादी के आकार का अनुमान लगाना और उन स्थानों की पहचान करना है जहां वे इकट्ठा होते हैं और उन्हें शिपिंग द्वारा गड़बड़ी से बचाने की आवश्यकता होती है। संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा के लिए अधिक सक्रिय तकनीकों का उपयोग करने के लिए भी इनका प्रयोग किया जा रहा है।
यह सारी तकनीक संरक्षणवादियों के माध्यम से बड़ी मात्रा में जानकारी प्रदान कर रही है। साथ ही यह उन पलों को भी साझा करती है जो हमारे ग्रह के प्राकृतिक आश्चर्य को उजागर करते हैं।
संदर्भ:
https://wwf.to/3h3rvKH
https://bit.ly/3Fsd3W3
https://bit.ly/3UyifMm
चित्र संदर्भ
1. बादाम खाती गिलहरी और रोबोट को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. AI रोबोट को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. ऊंचाई पर उड़ते ड्रोन को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
4. कैमरे या लिडार स्कैनर (LiDAR scanners) से लैस ड्रोन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. ड्रोन से देखने पर हाथियों के झुण्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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