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आइए जानते है कैसे बिजली की आपूर्ति कुछ पक्षियों के लिए खतरा है ?

मेरठ

 09-12-2022 11:15 AM
पंछीयाँ

हजारों स्थानीय और प्रवासी पक्षी, जो विदेशों से देशांतर गमन करते है, अपने बच्चों का पालन करने तथा सर्दियां थोड़े गरम मौसम अथवा अनुकूल स्थान में बिताने के लिए भारत के विभिन्न पक्षी अभयारण्यों में आते हैं। परंतु आज भारत के विभिन्न पक्षी अभयारण्य, जो इन पक्षियों का घर है, क्षेत्र विकास परियोजनाओं के कारण खतरे में हैं। हाल ही में, बड़ी संख्या में वन्यजीवों को एक अभयारण्य से जाने वाले बिजली के तारों के संपर्क में आने के कारण असामयिक मौत का शिकार बनना पड़ा है।और कई पर्यावरणविद इस बात से बहुत नाराज है।
एक ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard),जो कि भारत का मुख्य रूप से, एक सबसे अधिक लुप्तप्राय पक्षी है, एक दिन जैसलमेर में एक बिजली आपूर्ति की तार की चपेट में आने से मारा गया, और यह पिछले दो वर्षों में एक ही स्थान पर इस तरह की दूसरी घटना है। इस वर्ष की शुरुआत में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने देश की संसद को सूचित किया था कि संपूर्ण देश में केवल लगभग 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड बचे हैं, जिनमें राजस्थान में 128 पक्षी और गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 10 से भी कम पक्षी शामिल हैं।चूंकि इन पक्षियों को सामने की दृष्टि कम होती है, वे उनके आगे की बिजली की तारों का पता नहीं लगा सकते हैं। इसलिए, बिजली आपूर्ति के तार इन पक्षियों के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान के अनुमान के अनुसार, प्रतिवर्ष लगभग 18 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी बिजली की तारों से टकराने के कारण मर जाते हैं। वर्तमान में बिजली की तारे, कुछ बचे हुए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए सबसे महत्वपूर्ण खतरा बनी हुई हैं।
गुजरात के कच्छ जिले के अब्दासा क्षेत्र में, एक वन्यजीव संरक्षण NGO संस्था, कॉर्बेट फाउंडेशन, के आंकड़ों के अनुसार, बिजली के तारों के साथ टकराव के कारण लगभग 30,000 पक्षियों के मरने का अनुमान है। दूसरी ओर, भारतीय वन्यजीव संस्थान के एक अध्ययन के अनुसार, राजस्थान के थार क्षेत्र में लगभग 1,00,000 पक्षी प्रतिवर्ष बिजली की तारों से टकराने के कारण मर जाते हैं।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे एक मामले में बिजली के तारों के कारण होने वाली पक्षियों की लगातार मृत्यु पर भी विचार किया जा रहा है। अप्रैल 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात (कच्छ सहित) और राजस्थान के ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के प्राथमिक और संभावित आवास में संरक्षण के लिए बिजली के तारों को भूमिगत करने का आदेश जारी किया और सभी बिजली के तारों पर बर्ड डायवर्टर (Bird Divertor) लगाने का निर्देश दिया भी दिया था। न केवल राजस्थान और गुजरात बल्कि उत्तर प्रदेश की कीथम झील और पक्षी अभयारण्य में भी ऐसी कई घटनाएं जिनमें पक्षी बिजली की तारों के संपर्क में आने से अपनी जान गवा बैठे हैं, की खबरें सामने आई है। दुखद बात तो यह है कि उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी सारस क्रेन (Sarus Cranes ) भी इन घटनाओं का शिकार हो रहा है।परंतु फिर भी, बिजली लाइनों को स्थानांतरित करने के लिए उत्तर प्रदेश. वन विभाग और उत्तर प्रदेश विद्युत विभाग, यू.पी. पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड,को नियमित रूप से याद दिलाने केबाद भी , अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप कई प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई है। इसकेअतिरिक्त , ग्वालियर रोड को यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए बनाया जा रहा उत्तरी बाईपास अभयारण्य में आने वाले पक्षियों के लिए खतरा पैदा करने के लिए बाध्य है, क्योंकि यह अभयारण्य के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र के भीतर बनाया जा रहा है।
एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने कहा कि,“बिजली विभाग को जल्द से जल्द बिजली के तारों को दूसरी जगह स्थापित करने या अंडरग्राउंड करने की याद दिलाने की आवश्यकता है।” एक बार 2012-13 केसमय , कच्छ के खादिर क्षेत्र में राजहंस (flamingo) की रक्षा के लिए, गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने, 66 किलोवोल्ट बिजली की लाइनें 10 किलोमीटर तक भूमिगत बिछाईं थी,जो एक अच्छा कदम था। और इस बात पर कि बिजली की तारे भूमिगत होनी चाहिए या नहीं, एक सार्वजनिक बहस हो रही है। परंतु इस बहस में कई प्राइवेट कंपनियों ने यह भी कहा था कि यदि बिजली की लाइनें भूमिगत होती है तो उनकी परियोजनाएं आर्थिक रूप से असफल होगी। जबकि इस समस्या का एक मात्र हल बिजली संचरण के तरीके को भूमिगत विद्युत लाइनों में बदलना ही है।
खुशी की बात यह है कि, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पक्षियों की सुरक्षा के मामले में कदम उठाने की श्रृंखला में, गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार भूमिगत बिजली लाइनें बिछाने का काम शुरू कर दिया है।साथ ही,अप्रैल 2022 में गुजरात सरकार के ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल विभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एक एफिडिवेट के अनुसार, गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने 18,000 बर्ड डायवर्टर की खरीदी के लिए प्रक्रिया भी शुरू की है। यह पृथ्वी सिर्फ मनुष्य की ही नहीं बल्कि सभी प्राणियों एवं पक्षियों की भी है।और चूंकि हमारी गतिविधियों के कारण उनकी मौत हो रही है, तो हमें यह समझने कि अत्यंत आवश्यकता है कि उनकी सुरक्षा हमारे ही हाथों में है।और यदि हम उनकी सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं तो हमें वे अवश्य उठाने चाहिए।

संदर्भ–

https://bit.ly/3Fby5b8
https://bit.ly/3XIHPRo
https://bit.ly/3UhNRFN

चित्र संदर्भ
1. बिजली की तारों में बैठी चिड़िया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. बिजली की तार में कतार से बैठी चिड़ियों को दर्शाता एक चित्रण (Pexels)
3. मृत पड़ी गौरैया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. हाई टेंशन बिजली की तारों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. बिजली के पोल और पक्षियों को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)

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