City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1311 | 697 | 2008 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
मत्स्यपालन देश में आर्थिक रूप से पिछड़े अंतर्देशीय एवं समुद्री आबादी के एक बड़े वर्ग के लिए आजीविका का एक मुख्य स्रोत है। यह उपलब्ध जल स्रोतों के उपयोग के लिए प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता के माध्यम से संभव हो सका है।और यही कारण है कि यह वर्तमान में आय और रोजगार निर्माण का एक शक्तिशाली साधन बन गया है। इसी प्रकार भारतीय झींगा, विश्व की प्रमुख व्यावसायिक झींगा प्रजातियों में से एक है। विश्व में झींगा का कुल उत्पादन लगभग 6 मिलियन टन है, जिनमें से लगभग 3.4 मिलियन टन मत्स्य पालन द्वारा और 2.4 टन जलीय कृषि द्वारा होता है। संपूर्ण विश्व में अमेरिका के बाद भारत का झींगा उत्पादन में दूसरा स्थान है। वहीं ताजे पानी की झींगा का भारत में कुल कठोर खोल वाले मत्स्य जीव के उत्पादन में 90% हिस्सा है। हालाँकि, झींगा पालन या खेती भारत और अन्य एशियाई देशों में पुराने समय से की जाती रही है, लेकिन इन्हें अब तक मत्स्य पालन के रूप में अधिकांश रूप से नकारा गया है। अधिकांश झींगों को सीधे उनके प्राकृतिक वातावरण से पकड़ा जाता है, जिनमें बड़े पैमाने पर अपरिपक्व झींगे शामिल होते हैं। हाल ही में, झींगा की खेती ने अतीत की तुलना में कृषक समुदायों के वित्तीय लाभ में सुधार किया है, जिसने किसानों को कृषि की तुलना में झींगा पालन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। झींगा पालन प्रारंभ होने के बाद से ही किसानों की घरेलू निर्माण शैली और उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री में सुधार हुआ है। झींगा किसानों द्वारा चावल की खेती को छोड़ झींगा पालन में जाने के पीछे लवणता और कम चावल उत्पादन को प्रमुख कारण बताया है। आय के आधार पर, झींगा उत्पादन के बाद लगभग 72% किसान संतुष्ट दिखाई दिए हैं । झींगा उत्पादन के ‘लाभप्रदता और दैनिक मछली की मांग’ सकारात्मक प्रभाव थे, जबकि चारे की कमी और नष्ट हो रही वनस्पति को झींगा पालन के नकारात्मक प्रभावों के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। पशुधन और घरेलू मुर्गी पालन में गिरावट को बढ़ती झींगा पालन गतिविधियों से भी जोड़ा जा सकता है। झींगा पालन ने किसानों की आय स्तर को 26% से बढ़ाकर 36% करने में सहायता की है। हालांकि, 78% किसानों ने दृढ़ता से सहमति व्यक्त की कि चावल की खेती की तुलना में झींगा पालन अधिक लाभदायक था, जबकि 60% ने विशेष रूप से बेहतर उत्पादन के लिए मीठे पानी की मछली पालन पर झींगा पालन को प्राथमिकता दी।
ताजे पानी की झींगा (मैक्रोब्रैकियम माल्कोमसोनी (Macrobrachium Malcolmsonii) दूसरे स्थान पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली झींगा की प्रजाति है तथा ये बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली भारतीय नदियों में पाये जाते हैं। इनकी कृषि ‘एकल’ ‘Monoculture’ और ‘बहुशस्यल’ ‘Polyculture’ दोनों ही प्रकार से की जाती है। एकल कृषि के द्वारा 8 महीने में 750-1,500 किलोग्राम झींगे/हेक्टेयर का उत्पादन स्तर प्राप्त किया जाता है। इसकेअतिरिक्त , यह भारतीय ‘मेजर कार्प’ (Major Carps) और ‘चीनी कार्प’ (Chinese carps) के साथ-साथ बहुशस्यल के लिए एक अनुकूल प्रजाति है, जो एक वर्ष में 400 किलोग्राम झींगे और 3000 किलोग्राम कार्प/हेक्टेयर का उत्पादन कर सकती है। चूंकि इस प्रजाति की व्यावसायिक खेती के लिए बीज की आवश्यकता प्राकृतिक संसाधनों से पूरी नहीं होती है, , इसलिए वर्ष भर आपूर्ति के लिए नियंत्रित परिस्थितियों में बड़े पैमाने पर अंडों का उत्पादन अत्यंत महत्वपूर्ण है। अंडों के उत्पादन के निरंतर संचालन के लिए ब्रूडस्टॉक (Broodstock) और बेरीड (Berried) मादा आवश्यक घटक हैं। कृषि-जलवायु स्थितियों के आधार पर, प्रजातियों की परिपक्वता प्रकृति में बहुत भिन्न होती है। गंगा, हुगली और महानदी नदी प्रणालियों में, प्रजातियों की परिपक्वता और प्रजनन मई से शुरू होता है और अक्टूबर के अंत तक जारी रहता है। जबकि गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों में यह अप्रैल से शुरू होता है और नवंबर तक जारी रहता है। अगस्त से सितंबर तक इनकी कुल जनसंख्या में बेरी वाली मादाओं का अनुपात अधिक पाया जाता है और इस अवधि के दौरान ये अच्छी मात्रा में अंडे (8000-80,000) देती हैं। झींगे एक मौसम में 3-4 बार तक प्रजनन करते हैं।
अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए जलीय कृषि किसानों को झींगा की खेती के साथ-साथ समुद्री बासा की खेती पर भी विचार करना चाहिए, जिससे झींगा की खेती की भांति अच्छा लाभ प्राप्त होता है। विशेषज्ञों द्वारा किसानों को एक और प्रकार की मछली पालन ‘नील तिलापिया’ मछली पालनका सुझाव दिया गया , क्योंकि इसमें उत्पादन और लाभ काफी अच्छे हैं।साथ ही किसानों द्वारा अपनी जलीय कृषि परियोजनाओं के लिए सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने के लिए फार्म स्थापित करने से पहले अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए इससे उन्हें अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकता है। व्यवसायिक रूप से झींगा पालन का कार्य छोटे व बड़े दोनों तरह के जल क्षेत्रों में सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
झींगे की खेती से झींगे पालने वाले समुदायों की जीवनशैली में सामाजिक-आर्थिक सुधार आया है।इस संदर्भ में बांग्लादेश का उदाहरण विकासशील और अविकसित देशों में सीमांत और आर्थिक रूप से संकटग्रस्त तटीय समुदायों के लिए बहुत कुछ सीखने वाला है।बांग्लादेश को पांचवें सबसे बड़े जलीय कृषि-उत्पादक राष्ट्र के रूप में स्थान दिया गया है। जलीय कृषि उद्योग ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका के साथ तेजी से विकास दिखाया है, जो बांग्लादेश में कपड़ों के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यात उद्योग बन गया है। वहीं संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme) और खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) द्वारा बताया गया है कि लगभग 2.1 लाख हेक्टेयर भूमि झींगा पालन के अंतर्गत सुनिश्चित की गई है।
जिनमें से 93,799 झींगा ‘फार्म बगदा’ (खारे पानी के झींगे) हैं, और गोल्डा (मीठे पानी के झींगे) 67,644 फार्मों में पाले जाते हैं।पहले, खारे पानी के झींगा पालन का क्षेत्र 128,274 हेक्टेयर था, जबकि मीठे पानी के झींगे की खेती 28,411 हेक्टेयर हो गई है।यह बांग्लादेश में झींगा की खेती के कुल क्षेत्र का लगभग 80% प्रतिनिधित्व करता है। दक्षिणी बांग्लादेश में, हजारों किसानों द्वारा अपने गैर-लाभकारी धान के खेतों को 'घेर' (विशिष्ट झींगा खेतों के लिए स्थानीय नाम) में बदल दिया गया है ताकि एक लाभदायक झींगा पालन का अभ्यास शुरू किया जा सके।घेर चावल के खेतों को संशोधित करके झींगा की खेती के लिए बनाया गया एक घेरा होता है। इस संशोधन में, अंदर पर्याप्त गहरी नहर की खुदाई करके उच्च तटबंधों के निर्माण पर जोर दिया गया है, और तटबंधों की परिधि शुष्क मौसम के समय पानी के प्रवेश की सुविधा प्रदान करती है। वाणिज्यिक रूप से झींगा पालन 1970 के दशक में शुरू हुई और आने वाले दशकों में मौलिक रूप से विस्तारित हुई। झींगा पालन बांग्लादेश में तटीय आबादी के आर्थिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
चराई और चारे की खेती के लिए घटती भूमि के साथ, झींगा पालन ने बांग्लादेश में तटीय क्षेत्रों में पशुधन और कुक्कुट पालन के साथ-साथ वृक्ष उत्पादन के स्वरूप में भारी बदलाव लाए हैं।झींगा पालन के बाद गाय और बकरियां नहीं रखने वालों की संख्या क्रमश: 14% से बढ़कर 68% और 10%-40% हो गई। जिससे गायों और बकरियों के पालन-पोषण की प्रथाओं में भारी गिरावट का संकेत मिलता है।पशुधन पालन प्रथाओं में इस बड़े पैमाने पर क्रांति ने संभावित आर्थिक शोधन-क्षमता की ओर इशारा किया है। पेड़ों की संख्या को धन के रूप में भी माना जाता है जिसका उपयोग आपातकाल के समय किया जा सकता है। झींगा पालन के बाद पेड़ों और कुक्कुट पक्षियों की उपस्थिति और पालन में काफी गिरावट देखी गई है, और इसका कारण स्पष्ट है।पेड़ शिकारी और पक्षियों को बसेरा स्थल प्रदान करते हैं, जबकि बदलती जलवायु परिस्थितियों और खारे पानी की घुसपैठ के कारण मुर्गी पालन लाभदायक नहीं हो सकता था।
इसकेअतिरिक्त , लवणता के बढ़ते स्तर से पेड़ों और पौधों को उगाने के लिए मिट्टी की उपयुक्तता से समझौता किया जा सकता था। हालांकि पिछले अध्ययनों से पता चलता है कि झींगा के खेतों का विस्तार करने के लिए झींगा पालन से पेड़ के उत्पादन में कमी आती है।जिससे पशुओं के लिए चारे की कमी होना स्वभाविक हो सकता है। साथ ही बढ़ती झींगा पालन से मछली की दैनिक मांगऔर भूमि के मूल्य में वृद्धि हुई जिसके फलस्वरूप किसानों कीदैनिक आय में वृद्धि हुई। हालांकि, कुछ किसानों का कहना था कि घेर से होने वाली दैनिक आय कुछ हद तक अन्य कारकों पर भी निर्भर करती है।सकारात्मक प्रभावों में से अंतिम प्रभाव यह है कि झींगा पालन में चावल की खेती की तुलना में कम श्रम की आवश्यकता होती है। कई लोगों का मानना था कि झींगा पालन में चावल की खेती की तुलना में अधिक समय लगता है। वहीं झींगा पालन के दुष्प्रभावों में से एक वनस्पतियों का भारी मात्रा में नष्ट होना काफी चिंताजनक है। अंत में, झींगा पालन तटीय क्षेत्रों में वंचित और गरीब समुदायों के लिए एक लाभदायक उद्यम बन सकता है। गरीब कृषक समुदायों के पास झींगा पालन के लाभों को प्राप्त करने और विकासशील देशों में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान करने का सुनहरा अवसर है। इसलिए, इस आकर्षक व्यवसाय से बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए हितधारकों को समस्याओं को दूर करने में सहायता देने के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी जाती है।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3OVi2S0
https://bit.ly/3OY6vkT
https://bit.ly/3XRDOds
चित्र संदर्भ
1. झींगा पालकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. एकत्र किये गए झींगों को दर्शाता एक चित्रण (Hippopx.)
3. ताजे पानी की झींगा (मैक्रोब्रैकियम माल्कोमसोनी) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. महिला के हाथ में झींगों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. बिक्री हेतु रखे गए झींगों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. मछली पकड़ते मछुआरों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.