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ऋग्वेद में सोम का कई बार उल्लेख किया गया है, मुख्य रूप से तीन तरह से – एक देवता के रूप में, एक पौधे के रूप में और एक पौधे से बने पेय के रूप में। इसे यजुर्वेद में अनुष्ठान समारोहों के भाग के रूप में और सामवेद में साम मंत्रों के भाग के रूप में स्थान मिला है। उपनिषदों में भी इसे स्थान मिलता है। इन सभी ग्रंथों में इसे असाधारण माना गया है। हालांकि, ‘सोम क्या है ?’ इस पर विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ का मानना है कि यह पौराणिक कथाओं का हिस्सा था। कुछ अन्य लोगों का मानना है कि यह ऋग्वैदिक कवियों के मन में एक धुंधली स्मृति, एक “पवित्र रूपक” था। फिर भी कुछ अन्य लोगों का मानना है कि यह अनुष्ठानों में प्रयुक्त होने वाला एक मनो-सक्रिय पदार्थ है। ऋग्वेद में भी सोम-रस का एक पेय के रूप में उल्लेख है।
सोम की तुलना निरंतर अग्नि और सूर्य से भी की जाती है।समय-समय पर सोम की द्रव्य प्रकृति की तुलना वर्षा से भी की जाती है। ऋग्वैदिक कवि सोम को “स्तंभ” और “आकाश का मुख्य आधार” भी मानते हैं। इसी के साथ ऋग्वेद इसके मनो-सक्रिय गुणों की ओर इशारा भी करता है।भारत ही नही बल्कि विश्व की विभिन्न संस्कृतियों में सोम को महत्त्वपूर्ण माना जाता था। परंतु क्या सोम एक पौधा हो सकता है? यदि हां, तो पौधे का सबसे दिलचस्प हिस्सा यह है कि कोई भी इसे पहचान नहीं पाया है। या यह एक अमनिता मस्कारिया मशरूम या कवक था ? और इसका विभिन्न धर्मों में क्या महत्व था ?आइए जानते हैं इसके बारे में
•साइबेरियाई धर्म (Siberian Religions):
साइबेरिया के स्वदेशी लोगों की पूर्व-ईसाई धार्मिक परंपराओं में अमनिता मस्कारिया(Amanita muscaria) का अक्सर उपयोग किया जाता था। एक एंथोजेन(एक साइकोएक्टिव पदार्थ) के रूप में इसका उपयोग जाना जाता था ।यह रूसी सुदूर पूर्व और पश्चिमी साइबेरिया में फैला हुआ था, हालांकि पूरे महाद्वीप में इसका उपयोग अलग-अलग था। पश्चिम में, इसका उपयोग केवल शमां या जादूगर जैसी आकृतियों के अभ्यास तक ही सीमित था। अमनिता मस्कारिया के मनो-सक्रिय घटक ने उन्हें ट्रान्स-जैसी अवस्थाओं को प्राप्त करने की अनुमति दी जो पहले केवल नृत्य और ढोल बजाने के माध्यम से ही पाई जा सकती थी। इसके विपरीत, पूर्वी साइबेरिया में, अमनिता मस्कारिया के प्रभाव का उपयोग केवल धार्मिक संस्कारों के लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए था और – इसका उपयोग मनोरंजक रूप से भी किया जाता था।
•कोर्यक(Koryaks):
कोर्यक लोककथाओं के अनुसार, अमनिता मस्कारिया मशरूम बिग रेवेन, जो मानव जाति का पहला शमां और कारणीय शुरुआत था, का एक “पवित्र उपहार” था। माना जाता है कि बड़े कौए ने मशरूम की ताकत का पता तब लगाया जब उसने एक व्हेल को पकड़ लिया था, लेकिन वह उसे वापस समुद्र में डालना चाहता था। बिग रेवेन ने परिणामी मशरूम को खा लिया और इसके साथ ही उसमें व्हेल को वापस समुद्र में फेंकने की ताकत आ गई।
•सेल्टिक ड्र्यूड्स(Celtic Druids):
माना जाता है कि सेल्टिक ड्र्यूड्स पूर्व-ईसाई धार्मिक परंपराओं और अनुष्ठानों में अमानिता मस्कारिया का उपयोग करते थे । उनके द्वारा इसे विषाक्त माना जाता था, इसीलिए वे इसे विशेष रूप से मतिभ्रम के लिए खाते थे। वे मशरूम और उसके जीव को प्राचीन मानते थे, और यह भी मानते थे कि इसे खाने, दर्शन करने और मतिभ्रम का अनुभव करने के माध्यम से, कोई भी इसके कुछ प्राचीन ज्ञान प्राप्त कर सकता है और ब्रह्मांड के साथ सीधे संचार कर सकता है।
•आधुनिक भारत के प्राचीन आर्य लोग:
आधुनिक भारत के प्राचीन आर्य लोगों के पास सोम नामक एक दवा थी । ‘आर. गॉर्डन वासन’ ने सुझाव दिया था कि सोमा अमनिता मस्कारिया मशरूम हो सकता है।वेदों के अनुसार, पूजा के दौरान पुजारियों द्वारा सोम को ग्रहण किया जाता था। पहले इसमें पानी मिलाया जाता था और फिर पत्थरों से पीसा जाता था। फिर इसे और अधिक पानी, शहद, या जौ के साथ मिलाया जाता था, तत्पश्चात याजकों द्वारा इसे पिया जाता था ।
•ग्रीक (Greeks):
डायोनिसियन पंथ के लोग “परमानंद” उद्देश्यों के लिए सोम का उपभोग किया करते थे, मुख्य रूप से इसके नशे के प्रभाव और नींद का आनंद लेने के लिए। यदि वासन की आर्यों के लिए सोम की पिछली पहचान सही है, तो हम यह भी मान सकते हैं कि यूनानियों के लिए सोम एक ही था - अमनिता मस्कारिया।
•वाइकिंग (vikings):
जनश्रुति के अनुसार शातिर वाइकिंग योद्धा जिन्हें “बर्सकर्स” के रूप में जाना जाता है, युद्ध से पहले अमनिता मस्कारिया खाते थे, जिससे इसके प्रभाव उन्हें ‘लड़ाई में क्रूरता’ करवाते थे। “अधिक ताकत” की इसकी कहानी बिग रेवेन की कोर्यक लोककथाओं से मिलती जुलती है।
आदिम धर्म में मशरूम का गहरा महत्व कुछ बीस साल पहले तक नहीं देखा गया था, जब तक कि श्री आर गॉर्डन वासन (Mr. Wasson), एक अमेरिकी बैंकर और उनकी रूसी मूल की पत्नी वेलेंटीना (Valentina) ने पहली बार इस पर ध्यान दिया।
श्री वासन(Mr. Wasson), जो एक शोधकर्ता थे, ने सोम नामक आर्यों के नशीले मतिभ्रम का अध्ययन किया। उन्होंने यह प्रस्तावित किया कि साइकोएक्टिव फ्लाई एगारिक (Fly agaric) अर्थात अमनिता मस्कारिया (Amanita muscaria) मशरूम पर आधारित था।
वासन के काम ने धर्म की उत्पत्ति के बारे में हमारी समझ को बदलने में मदद की। उनके शोध से पहले, यह व्यापक रूप से माना जाता था कि सोम से जुड़े हुए आर्यों के वैदिक संस्कार मादक पेय पदार्थों पर आधारित थे जो मद्यपान करते थे। श्री वासन ने सबसे पहले सुझाव दिया था कि सोम द्वारा निर्मित दैवीय परमानंद ‘एन्थोजेनिक’ था, एक ऐसा शब्द जिसे उन्होंने अधिक लोकप्रिय लेकिन अपवित्र लेबल ‘साइकेडेलिक’(psychedelic) से बचने के लिए उत्पन्न किया था। हालांकि, यह साइकोएक्टिव ड्रग के दुरुपयोग और इससे जुड़ी फूल-शक्ति वाली जीवन शैली के विपरीत बाद में उत्पन्न हुई सार्वजनिक प्रतिक्रिया को नहीं रोक सका। हालांकि, साइलोसाइबिन (Psilocybin) को एक दवा के रूप में घोषित किया गया था परंतु इससे जुड़े कलंक के कारण, यौगिक पर अनुसंधान को आज तक न्यूनतम रखा गया था।
जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में एक अध्ययन ने अब पुष्टि की है कि “श्री वासन हमेशा से क्या उपदेश देते रहे हैं” सही है । अध्ययन के अनुसार साइकेडेलिक मशरूम लेने वाले स्वयंसेवकों के पास ‘रहस्यमय’ अनुभव थे। कई स्वयं सेवकों ने परीक्षण के महीनों के बाद खुशी की गहन भावना महसूस करने की सूचना दी। Psilocybin चेतना की अवस्थाओं को बदलने के लिए ज्यादातर मस्तिष्क के सेरोटोनिन रिसेप्टर्स(Serotonin Receptors) पर काम करता दिखाई दिया।
लगभग दो-तिहाई स्वयंसेवकों ने कहा कि उन्होंने "पर्याप्त व्यक्तिगत अर्थ" के साथ "रहस्यमय अनुभव" प्राप्त किया। एक-तिहाई ने साइलोसाइबिन अनुभव को "अपने या अपने जीवन का सबसे आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण अनुभव" के रूप में व्यक्त किया, और अन्य 38% ने अनुभव को अपने 'शीर्ष पांच' सबसे आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण क्षणों में रखा।
परिवार के सदस्यों और दोस्तों से टेलीफोन पर संपर्क करने एवं कथित तौर पर दावों की पुष्टि होने के बाद शोधकर्ताओं ने 'भ्रमपूर्ण व्यवहार' को खारिज कर दिया। अध्ययन ने मतिभ्रम के एक गहरे पक्ष की भी सूचना दी। लगभग 30% उम्मीदवारों में तीव्र भय या चिंता की अवधि थी कि, , यदि दवा किसी अन्य प्रकार की परिस्थितियों में दी गई हो, तो आसानी से आतंक और खतरनाक व्यवहार में वृद्धि हो सकती है ।”
संदर्भ–
https://bit.ly/3u5keNc
https://bit.ly/3ifVRtA
https://bit.ly/3u55T3s
https://bit.ly/3UbOb97
चित्र संदर्भ
1. ऋग्वेद में सोम का कई बार उल्लेख किया गया है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. मशरूम के परिपक्व होने के तीन चरणों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. अमनिता मस्कारिया वर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. लाल मशरूम की पच्चीकारी, उत्तरी इटली में एक्विलेया के ईसाई बेसिलिका में पाई गई, जो 330 ईस्वी से पहले की है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. अमनिता मस्कारिया को दर्शाता एक चित्रण (look&learn)
6. चार जहरीले पौधे: क्राउफुट (रानुनकुलस एल्पेस्ट्रिस), फ्लाई एगारिक फंगस (अमनिटा मस्कारिया), फॉक्सग्लोव (डिजिटैलिस पुरपुरिया) और हेलेबोर (हेलबोरस नाइजर) को दर्शाता एक चित्रण (look&learn)
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