Post Viewership from Post Date to 27-Dec-2022 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
52210 52210

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

प्रदूषण और कोहरा मिलकर बड़ा रहे है, हमारे शहरों में अँधेरा

मेरठ

 26-11-2022 10:53 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

हमें ऐसी खबरें अक्सर सुनाई पड़ती है की, जिनमें एक साथ दर्जनों या कई बार सैकड़ों गाड़ियों के आपस में टकराने की सूचना मिलती है। ऐसा आमतौर पर सड़कों में कम दृश्यता (Visibility) के कारण होता है। हालांकि साल दर साल सर्दियों में पड़ने वाले कोहरे की सघनता तेज़ी से घट रही है, लेकिन धुंध बढ़ रही है।
दिसंबर और जनवरी में घना कोहरा रेल, हवाई और सार्वजनिक परिवहन को गंभीर रूप से बाधित करता है और जमीनी दृश्यता को काफी प्रभावित करता है, जिससे लाखों लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। वायु प्रदूषण, लगातार और व्यापक कोहरे को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (आईआईटी-बी) और यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (University of Petroleum and Energy Studies), देहरादून द्वारा 'अर्बन हीट आइलैंड ओवर दिल्ली पंचेज होल इन वाइडएस्प्रेड फॉग इन द इंडो-गंगेटिक प्लेन्स (Urban Heat Island Over Delhi Punches Hole in Widespread Fog in the Indo-Gangetic Plains)' नामक पेपर को जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल (Journal of Geophysical Research Letters) में प्रकाशित किया गया था। दो सदस्यीय टीम ने दिल्ली में फॉग होल (Fog Holes) की 90 से अधिक घटनाएं दर्ज की, जहां ग्रामीण परिवेश की तुलना में शहर में कोहरे की घटनाओं में 50% से अधिक की कमी आई है। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि 'फॉग होल' की भौगोलिक सीमा किसी शहर की आबादी के साथ अत्यधिक सहसंबद्ध है। शहर की आबादी जितनी बड़ी होगी, फॉग होल भी उतना ही बड़ा होगा। शोधकर्ताओं ने कहा कि दिल्ली में भूमि की सतह का तापमान इसके ग्रामीण परिवेश की तुलना में लगभग चार से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है, उनके अनुसार शहरी द्वीपों की गर्मी सुबह के समय कोहरे की परत के आधार को जला देती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और नेपाल की सीमा से लगे तराई क्षेत्रों में सबसे अधिक कोहरे की आवृत्ति पाई गई। उत्तर प्रदेश और बिहार में आवृत्ति दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक थी। अर्बन हीट आइलैंड (Urban Heat Island) एक ऐसी परिघटना है, जिस दौरान हरित क्षेत्र में गिरावट, तेजी से शहरीकरण, ऊर्जा-गहन गतिविधियों और कंक्रीट संरचनाओं के परिणामस्वरूप गर्मी पृथ्वी की सतह के निकट ही फंस जाती है। उदाहरण के लिए, दिल्ली के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी वनस्पति आवरण शहर की तुलना में 65% से अधिक है। “सापेक्ष आर्द्रता, जो कोहरा बनने का एक प्रमुख कारक है वह लगभग 95% होनी चाहिए। जब शहरी गर्म द्वीप प्रभाव के कारण सतह के तापमान में वृद्धि होती है, तो सापेक्षिक आर्द्रता में कमी होती है जो कोहरे की बूंदों के निर्माण के लिए अनुकूल नहीं होती है। 2000 से 2016 तक, शहर में 55 दिनों तक कोहरा दर्ज किया गया। हालांकि 2000 से 2016 तक आईजीपी (IGP) में कोहरे की आवृत्ति में 20% की वृद्धि हुई है, इसी अवधि के दौरान फॉग होल घटना के कारण दिल्ली में कोहरे में कोई वृद्धि नहीं हुई थी।
अमृतसर, जालंधर, पटियाला, लुधियाना और लाहौर में कोहरे के आवरण में 17% से 36% की गिरावट देखी गई। इन पांच शहरों में 24 से 32 दिनों तक फॉग होल रहा। कोहरा एक महत्वपूर्ण जलवायु विशेषता है क्योंकि यह स्थानीय वनस्पति और मौसम को प्रभावित करता है। लेकिन प्रदूषकों के साथ मिश्रित कोहरा समस्याएं भी पैदा करता है। इसलिए कोहरे, वायु प्रदूषण और शहरीकरण के बीच के संबंधों को बेहतर ढंग से समझने के लिए मूल्यांकन किया जाना चाहिए। आज हम ऐसी स्थिति में है जहां वायु प्रदूषण से धुंध बढ़ रही है लेकिन शहरीकरण कोहरे में कमी कर रहा है। जैसे-जैसे और अधिक शहरीकरण होगा, हम कोहरा नहीं देख पाएंगे। मेरठ समेत देशभर में घने कोहरे का दौर फिर से आ रहा है, जिससे हर सर्दियों की तरह इस बार भी ट्रेन सेवाओं के गंभीर रूप से बाधित होने का खतरा है, जिससे यात्रियों को बहुत असुविधा होती है। घने कोहरे के कारण चालकों को सुरक्षा के लिहाज से ट्रेन की गति को 15 किमी प्रति घंटे तक धीमा करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप चार से 22 घंटे के बीच की देरी हो जाती है।
साल दर साल सर्दियों में सेवाओं में बड़े पैमाने पर व्यवधान से घबराए रेलवे ने कोहरे से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इन कदमों में एक ट्रेन सुरक्षा चेतावनी प्रणाली (TPWS), एक ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (TCAS), और डीजल चालकों के लिए एक टेरेन इमेजिंग “Terrain Imaging” (त्रि-नेत्रा) प्रणाली शामिल है, जिसमें दृश्यता में सुधार के लिए नवीनतम एलईडी फॉग लाइट है ताकि ड्राइवर सामान्य गति बनाए रखें। हालाँकि, पटाखों का उपयोग अभी भी प्रचलन में है। चूंकि कोहरे के कारण चालक सिग्नल नहीं देख पाते हैं, इसलिए स्टेशन के आगे ट्रैक पर पटाखे रखे जाते हैं। जब ट्रेन पटाखों के ऊपर से गुजरती है तो वे फट जाते हैं और चालकों को सचेत करते हैं कि एक स्टेशन आ रहा है। यूरोपीय प्रणाली पर आधारित टीपीडब्ल्यूएस, और स्वदेशी रूप से विकसित टीसीएएस ड्राइवर को कैब सिग्नलिंग सिस्टम (Cab Signaling System) के माध्यम से अपने केबिन में सिग्नल देखने में सक्षम बनाता है। घने कोहरे या भारी बारिश में भी ड्राइवर अपने केबिन में सिग्नल आसानी से देख लेता है और उसी हिसाब से स्पीड बनाए रखता है।

संदर्भ
https://bit.ly/3Etcdqg
https://go.nature.com/3tWqd71
https://bit.ly/3u1conX

चित्र संदर्भ
1. घने कोहरे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. दिल्ली के कोहरे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. शहरों के गर्म तापमान को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. घनी धुंध के बीच राष्ट्रपति भवन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. कैब सिग्नलिंग सिस्टम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id