भारत में विभिन्न स्थान पर अलग प्रकार की जैव विविधितता पायी जाती है। वर्तमान काल में मेरठ की जैव विविधितता में कई बदलाव आयी हैं। मेरठ के हिमालय के अत्यधिक पास होने के कारण यहाँ की जैव विविधितता में हिमालयी व मैदानी दोनो प्रकार के जीव पाये जाते हैं। जैसा की अब मेरठ जंगल नही रहा परन्तु पुराने मिले तथ्यों के आधार पर यहाँ के जैव विविधितता को बाँटा जा सकता है। मैदानी भाग के जीवों में गाय, भैंस, जंगली सुअर, शेर, बाघ आदि आते हैं परन्तु हिमालयी जैव विविधितता मैदानी जैव विविधितता से भिन्न होती है। हिमालयी जैव विविधितता को निम्नलिखित रूप से देखा जा सकता है- जैव विविधितता में सर्व प्रथम यदि पंछियों को देखा जाये तो हिमालय पंछी जगत अत्यन्त महत्वपूर्ण है। हिमालय में आमतौर पर पाए जाने वाले पक्षियों में कस्तूरिका, थिरथिरा विभिन्न प्रजातियों की मैना, गंगरा और चौघ आदि शामिल हैं। यहाँ कुछ मांसखोर पंछी भी पाये जाते हैं जिनमें दाढ़ीदार गिद्ध, काले कानों वाली चील और हिमालयी ग्रिफ़ोन आदि आते हैं। हिमालयी पंछियों का संसार अत्यन्त रोचक है तथा यह प्रदर्शित करता है कि किस प्रकार से विभिन्न प्रकार के जीव एक विशिष्ट समय के लिये बने हैं। मेरठ से लेकर भारत में अन्य इलाकों में पाये जाने वाले गिद्ध और हिमालयी क्षेत्र के गिद्ध दो अलग वातावरण में बसने हेतु बने हैं। हिमालय क्षेत्र के जीव प्राथमिक रूप से उष्णकटिबंधीय वनों में पाया जाने वाला पशु जीवन है और अनुपूरक रूप से ऊँचे क्षेत्रों में व्याप्त उपोष्ण, पर्वतीय और शीतोष्ण परिस्थितियों तथा शुष्क पश्चिमी क्षेत्रों के लिए अनुकूलित हुए जंतु हैं। लेकिन पश्चिमी हिमालय में पशु जीवन भूमध्य सागरीय, इथियोपियाई और तुर्कमेनियाई क्षेत्रों से ज़्यादा निकटता प्रदर्शित करता है। विभिन्न जीवाश्मों की प्राप्ति यहाँ के जैव विविधितता का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रस्तुत करता है। शिवालिक पर्वत श्रृँखला से प्राप्त विभिन्न जानवर जो की अब अफ्रिका में पाये जाते थे का यहाँ पाया जाना हिमालय क्षेत्र में हुये बदलाव को प्रदर्शित करता है तथा यहाँ का जीव जीवन भूमध्य सागरीय, इथियोपियाई और तुर्कमेनियाई क्षेत्रों से अत्यन्त जोड़ खाता प्रतीत होता है। हिमालयी क्षेत्र, तराई और इसकी तलहटी में हाथी, पहाड़ी भैंसा और गैंडा आदि पाये जाते हैं। एक समय हिमालय के समूचे तराई क्षेत्र में भारतीय गैंडे की बहुतायत थी लेकिन अब ये विलुप्त होने के कगार पर हैं। कस्तूरी मृग और कश्मीरी मृग या हंगुल भी लुप्तप्राय हैं। हिमालय का काला भालू, मेघवर्णी तेंदुआ, लंगूर और विडाल परिवार की प्रजातियाँ हिमालय के जंगलों में पाए जाने वाले कुछ अन्य जानवर हैं। हिमालयी बकरी और तहर जैसे मृग भी इनमें पाए जाते हैं। वृक्ष रेखा से ऊपर की ऊँचाई पर कभी-कभार हिम तेंदुआ, भूरे भालू, लाल पांडा और तिब्बती याक देखे जा सकते हैं। इनके अलावा हिमालय क्षेत्र में शरीश्रृपों की भी एक लम्बी फेहरिस्त पायी जाती है। यह काफी हद तक सम्भव है कि तेंदुआ, हाथी, गैंडा, जंगली भैंसा आदि मेरठ के जमीन पर एक समय निवास किया करते थें। 1. https://goo.gl/iCghm4 2. http://bharatdiscovery.org/india/ हिमालय_का_प्राणी_जीवन 3. https://goo.gl/ByNfGD
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