Post Viewership from Post Date to 17-Dec-2022 (31st)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1305 241 1546

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भारत में एंटीबायोटिक अपनी प्रतिरोध क्षमता क्यों खो रही हैं?

मेरठ

 16-11-2022 11:43 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

सत्तर साल पहले, जब हमारे पास एंटीबायोटिक्स नहीं थे, तब जीवाणु संक्रमण के कारण एक साधारण चोट या घाव से भी इंसान की मौत हो सकती थी। लेकिन फिर एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) के विकास ने सब बदल दिया। एंटीबायोटिक्स ऐसी उल्लेखनीय दवाओं के रूप में उभरी जो हमें नुकसान पहुँचाए बिना हमारे शरीर में हानिकार बबैक्टीरिया या जैविक जीवों को मारने में सक्षम होती हैं। लेकिन जिस प्रकार किसी भी चीज की अति हमेशा हानिकारक साबित होती है, ठीक उसी प्रकार आवश्यकता से अधिक एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग ने भी इंसानों के समक्ष कई नई समस्याएं खड़ी कर दी।
लोगों में यह भ्रम व्यापक रूप से फैला है की छींक और सर्दी से राहत पाने के लिए एंटीबायोटिक्स बेहद आवश्यक है, और इस प्रकार हमने वर्षों से सामूहिक रूप से एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग किया है। वास्तव में एंटीबायोटिक दवाओं का अनावश्यक रूप से उपयोग करने से हमें अनावश्यक दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। हर बार जब हम एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करते हैं, तब हम कुछ सुपरबग्स-बैक्टीरिया (Superbug-Bacteria) को पनपने का मौका दे देते हैं, जो एंटीबायोटिक के साथ भी जीवित रहने की क्षमता विकसित कर लेते हैं। इस प्रकार समय के साथ, बैक्टीरिया की पूरी आबादी एक प्रकार से सुपरबग्स बन जाती है, और इसलिए अधिकांश एंटीबायोटिक्स अब उन पर काम ही नहीं करते हैं।
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ क्षेत्रों के 114 देशों के डेटा की सूचना दी गई थी। हर देश और क्षेत्र में, प्रतिरोध एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है, लेकिन उन देशों में यह और भी बदतर है जहां एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं लगाये गए हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के बारे में जो बात परेशान करने वाली थी, वह यह थी कि भारत जैसे महत्वपूर्ण देशों से प्रतिरोध के बहुत कम आंकड़े उपलब्ध थे। हमारे पास प्रतिरोध दर पर मानकीकृत राष्ट्रीय डेटा उपलब्ध नहीं है, और जो कुछ भी हम जानते हैं वह अस्पतालों और समुदायों की कुछ रिपोर्टों से ही आता है। देश भर में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बढ़ रहा है। 2005 से 2009 के बीच एंटीबायोटिक्स की 40 फीसदी ज्यादा यूनिट बेची गईं। नई पीढ़ीक की सेफलोस्पोरिन (Cephalosporins) जैसी शक्तिशाली दवाएं बिना किसी स्पष्ट कारण के कहीं अधिक बार बेची जाती हैं (2005 और 2009 के बीच, सेफलोस्पोरिन की बिक्री में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई।) एंटीबायोटिक्स का उपयोग पशुओं में भी किया जाता है और एंटीबायोटिक प्रतिरोध का एक महत्वपूर्ण अनुपात जानवरों में इसके उपयोग के कारण भी बढ़ रहा है। भारत पशु खाद्य उत्पादों का एक बड़ा निर्यातक है और 2009 में 160,000 पशुओं के जीवाणु संक्रमण से प्रभावित होने की सूचना मिली थी। जानवरों में एंटीबायोटिक का उपयोग संक्रमण के इलाज के लिए, उप-चिकित्सीय स्तरों का उपयोग करके विकास को बढ़ावा देने के लिए, और रोग को रोकने के लिए रोगनिरोधी उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
पशु चिकित्सा क्षेत्रों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध का स्तर काफ़ी उच्च है। जानवरों में प्रतिरोधी बैक्टीरिया पशु उत्पादों की खपत, कच्चे मांस उत्पादों के संपर्क में आने और जानवरों और मनुष्यों के बीच सीधे संपर्क के हस्तांतरण के मुख्य तरीकों के साथ कई तरीकों से मनुष्यों में भी फैल सकता है। हालाँकि वर्तमान भारतीय कानून जानवरों में एंटीबायोटिक के उपयोग को विनियमित करते हैं, लेकिन नए कानून और मौजूदा कानूनों के मजबूत प्रवर्तन, जानवरों और इंसानों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रसार को धीमा कर सकते हैं। 1 जनवरी और 31 दिसंबर, 2021 के बीच किए गए एक डेटा विश्लेषण ने दवा प्रतिरोधी रोगजनकों में निरंतर वृद्धि की ओर इशारा किया, जिसके परिणामस्वरूप उपलब्ध दवाओं के साथ कुछ संक्रमणों का इलाज करना मुश्किल हो गया। यदि सुधारात्मक उपाय तुरंत नहीं किए गए तो "एंटीबायोटिक प्रतिरोध में निकट भविष्य में एक महामारी का रूप लेने की क्षमता है।
हाल ही में आईसीएमआर (ICMR – Indian Council of Medical Research) की स्टडी रिपोर्ट जारी की गई, जिसके के अनुसार, इमिपेनेम (Imipenem) , जिसका उपयोग बैक्टीरिया ई कोलाई (Bacteria e-Coli) के कारण होने वाले संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है, का प्रतिरोध 2016 में 14% से बढ़कर 2021 में 36% हो गया है। विशिष्ट एंटीबायोटिक दवाओं के लिए बैक्टीरिया की संवेदनशीलता में कमी की प्रवृत्ति भी क्लेबसिएला निमोनिया (Klebsiella pneumonia) के साथ देखी गई क्योंकि यह 2016 में 65% से घटकर 2020 में 45% और 2021 में 43% हो गई। आईसीएमआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि मीनोसाइक्लिन (minocycline) के लिए एक ही बैक्टीरिया की संवेदनशीलता 50% के करीब है, जिससे यह एसिनेटोबैक्टर बाउमानी (Acinetobacter baumannii) के लिए कोलिस्टिन (Colistin) के बाद सबसे अतिसंवेदनशील एंटीबायोटिक बन जाता है। कुछ सबसे मजबूत एंटीबायोटिक दवाओं का नियमित उपयोग, केवल सबसे चरम मामलों में ही किया जाना चाहिए, क्यों की ऐसा न हो कि अत्यधिक उपयोग से उनके प्रति प्रतिरोध और भी अधिक बढ़ जाए। इसके परिणाम पूरी दुनिया में महसूस किए जाएंगे, क्योंकि मजबूत एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध जीवों के बीच फैला हुआ है।
ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (Bureau of Investigative Journalism) के एक अध्ययन में पाया गया है कि, अंतिम उपाय के एंटीबायोटिक के रूप में वर्णित, सैकड़ों टन कोलिस्टिन को जानवरों, मुख्य रूप से मुर्गियों के फार्मों में नियमित उपचार के लिए भारत भेजा गया है। यह खोज चिंताजनक है क्योंकि इस तरह की शक्तिशाली दवाओं के उपयोग से दुनिया भर के फार्म जानवरों में प्रतिरोध बढ़ सकता है। कोलिस्टिन को निमोनिया सहित गंभीर बीमारियों से बचाव की अंतिम पंक्तियों में से एक माना जाता है, जिसका इलाज अन्य दवाओं से नहीं किया जा सकता है। इन दवाओं के बिना पिछली सदी में आमतौर पर इलाज योग्य बीमारियां एक बार फिर से घातक हो जाएंगी।

संदर्भ
https://bit.ly/3A7Nbvq
https://bit.ly/3hyuFpD
https://bit.ly/3TBs4IK

चित्र संदर्भ
1. एंटीबायोटिक प्रतिरोध को दर्शाता एक चित्रण (Creazilla)
2. एंटीबायोटिक दवाइयों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. भारत में एक मेडिकल स्टोर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. चिकित्सा परीक्षण को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. कोलिस्टिन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id