City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2768 | 12 | 2780 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
भारतीय संस्कृति के दर्शन में मृत्यु को पूर्णतः नकारात्मक नहीं माना गया है। यहां मृत्यु एवं मोक्ष बड़ी ही निकटता से जुड़े हुए हैं। मोक्ष अर्थात सभी सांसारिक दुखों से मुक्ति। सनातन धर्म में मुक्ति की सुंदरता इस तथ्य में निहित है की, यहां पर मृत्यु प्रदान करने वाली “माता काली” को देवी के रूप में पूजा जाता है।
माँ काली का वर्णन पहली बार अथर्ववेद में मिलता है, जो 1200 से 1000 ईसा पूर्व के बीच प्रकाशित भजनों और मंत्रों का संग्रह है। साथ ही उन्हें 600 सी.ई के आसपास देवी माहात्म्य में एक “युद्ध के मैदान की देवी” के रूप में दिखाया गया हैं, जो मां दुर्गा के क्रोध का प्रतीक हैं। इसमें उनका भयानक पहलू दर्शाया गया है, जहां उन्हें कंकाल की माला पहने, काले रंग, जानवरों की खाल पहने हुए और एक खट्वांग पहने हुए दर्शाया गया है। माँ काली से जुड़े अन्य ग्रंथ उनकी शुरुआत को भगवान शिव से जोड़ते हैं। लिंग पुराण (500 से 1000 सी.ई) वर्णन करता है कि कैसे भगवान शिव अपनी पत्नी देवी पार्वती से राक्षस दारुक को पराजित करने के लिए कहते हैं, जिसे केवल एक महिला ही मार सकती थी। जिसके पश्चात माता पार्वती, भगवान शिव के साथ विलीन हो जाती हैं, और काली के रूप में प्रकट होती हैं।
किंतु इसके बाद उनका भयानक दिखने वाला स्वरूप बेकाबू हो जाता है और आखिरकार उनका क्रोध भगवान शिव के हस्तक्षेप करने पर ही शांत होता है। मां काली को अक्सर भगवान शिव से जोड़ा जाता है। उनके नाम का अर्थ ही "काल का स्त्री रूप" होता है, जो शिव का एक विशेष नाम है। उन्हें भगवान शिव की शक्ति और उनकी पत्नी के रूप में माना जाता है। वह कई पुराणों में भगवान शिव के साथ निकटता से जुड़ी हुई है। किंतु जब वह शिव के अलावा अन्य लेखों में दिखाई देती है, तो वह मां पार्वती के विपरीत भूमिका निभाती है। अर्थात एक ओर जहाँ मां पार्वती भगवान शिव को शांत करती हैं और उनकी विनाशकारी प्रवृत्तियों को शांत करती हैं, वहीं माँ काली सक्रिय रूप से उन्हें उत्तेजित और प्रोत्साहित करती हैं।
अपनी प्रारंभिक उपस्थिति में, मां काली अक्सर युद्ध के मैदानों में हिंसक प्रयासों से जुड़ी थीं। राक्षस रक्तबीज के साथ अपनी एक पौराणिक लड़ाई में, माँ दुर्गा एक ऐसी स्थिति से निपटने के लिए प्रकट हुई, जो सभी लोकों के लिए बड़े ही संकट की स्थिति थी। दरअसल धार्मिक मान्यता के अनुसार आज से लाखों वर्ष पूर्व रक्तबीज नाम का एक दानव पैदा हुआ था, जिसके शरीर से लहू की एक बूंद भी धरती पर गिरती तो उससे नया रक्तबीज जन्म ले लेता था। इससे रक्तबीज को हराना बेहद मुश्किल हो गया। लेकिन माता पार्वती ने महाकाली का रुप धारण कर रक्तबीज का भी वध कर दिया। उन्होंने रक्तबीज के रक्त की प्रत्येक बूंद को जमीन पर गिरने से पहले ही पी लिया। इस कहानी में मां काली का आह्वान तब किया जाता है, जब निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता होती है।
मां काली को वैदिक, रूढ़िवादी या हिंदू परंपरा में पहले से ही अच्छी तरह से एकीकृत किया गया था। अर्थात उन्होंने तंत्र विद्या के साथ भी समानांतर संबंध विकसित किये। तांत्रिक शिक्षाएं प्राचीन जादुई कहानियों और लोक प्रथाओं का एक संग्रह है जो वैदिक परंपरा के साथ आज भी मौजूद हैं। काली के नाम का एक अर्थ "समय की शक्ति" भी है। इस पहलू में उन्हें अंतरिक्ष एवं समय की बाधाओं से बाहर खड़ा माना जाता है, अर्थात उनमें कोई स्थायी गुण नहीं है तथा वह ब्रह्मांड के बनने से पहले भी अस्तित्व में थी और ब्रह्मांड के समाप्त होने के बाद भी मौजूद रहेगी।
रंग, प्रकाश, अच्छाई और बुराई जैसी भौतिक दुनिया की सीमाएं माँ काली पर लागू नहीं होती हैं। वह स्वयं प्रकृति माँ अर्थात मौलिकता, रचनात्मकता, पोषण करने वाली और बदले में भक्षण करने वाली, लेकिन अंततः प्रेमपूर्ण और परोपकारिता का प्रतीक मानी गई है। अच्छाई के इस पहलू में उन्हें “काली माँ” या “दिव्य माँ” के रूप में जाना जाता है, और लाखों हिंदू इस रूप में ही उनकी पूजा करते हैं। तांत्रिक ध्यान में, काली की दोहरी प्रकृति अभ्यासियों को एक साथ जीवन की सुंदरता और मृत्यु की वास्तविकता का सामना करने के लिए प्रेरित करती है।
आमतौर पर माता काली को भयावह प्रतीत होने वाली स्त्री के रूप में दर्शाया जाता था, लेकिन सत्रहवीं शताब्दी में माँ काली की छवि को उत्तर पश्चिम भारत के तांत्रिक बंगाली कवियों से एक बड़ा बदलाव प्राप्त हुआ। दरअसल अब उनकी छवि मे वह भयानक लाल आंखों के साथ क्रोध नहीं था, बल्कि अब उन्हें कोमल मुस्कान, आकर्षक गहने और मनभावन नीले रंग के साथ कामुक, मातृ, युवा और सुंदरता के प्रतीक के रूप में चित्रित किया जाने लगा। हालांकि उनकी इस छवि में हथियार दिखाना और सिर काटना जारी रहा, लेकिन अब उनके दो दाहिने हाथ निर्भयता और आशीर्वाद की मुद्राओं वाले सुखदायक इशारे करने लगे।
वर्तमान में उनकी छवि उनके दोहरेपन को दर्शाती है। हालांकि माँ काली को मृत्यु एवं हत्या करने वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है, लेकिन अब वह आकर्षक रूप से मुस्कुराती हैं। उनकी उभरी हुई लाल जीभ विनय (एक बंगाली परंपरा) और उसकी खून की प्यास, दोनों का संकेत देती है। उनके बिखरे बाल अनर्गल रक्त वासना और वैकल्पिक रूप से जीवन को घेरने वाली मृत्यु के आध्यात्मिक रहस्य का संकेत देते हैं। उनकी तीन आंखें सर्वज्ञता का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनकी नग्नता, कामुकता और पवित्रता का एक साथ प्रतिनिधित्व करती है।
कटे हुए सिरों का हार और कटे हुए हाथों की कमर उनके क्रोध का प्रतीक है, लेकिन यह रचनात्मक शक्ति, कर्म और संचित कर्मों के बंधन से विच्छेद के लिए तांत्रिक रूपक भी हैं।
माता की तलवार उच्च ज्ञान का प्रतीक है, गले में लटके कटे हुए सिर मानव अहंकार का प्रतीक है जिसे जीवन और पुनर्जन्म के चक्र से बाहर निकलने के लिए अलग किया जाना चाहिए। 20 वीं और 21 वीं सदी में, कई पश्चिमी नारीवादी विद्वानों ने काली को महिला सशक्तिकरण के शुभंकर के रूप में अपनाया है और पितृसत्तात्मक नियंत्रण के विरोध और मातृसत्तात्मक स्वर्ण युग के प्रतीक के रूप में भी उनका राजनीतिकरण किया है। यद्यपि भारत में वर्ष के कुछ नयत दिवसों में माता काली की पूजा विशेष तौर पर की जाती है, लेकिन दीपावली के शुभ अवसर पर माता लक्ष्मी के साथ-साथ उनकी भी पूजा आराधना की जाती है।
वहीं दिवाली के इस बेहद शुभ अवसर पर भैंसाली मैदान में हमारे मेरठ के उत्पाद - मिट्टी के बर्तन, कपड़े, तोरण द्वार आदि का बड़ा बाजार लगता है । इस दौरान गणेश वंदना, मयूरी नृत्य, रागिनी गायन आदि कार्यक्रम लोगों का मन मोह लेते हैं। मेले में डायनासोर पार्क (Dinosaur Park), झूला, विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ, खेलकूद आदि की सुविधा भी उपलब्ध हैं। इस वर्ष दीपावली मेला तीन नवंबर तक चलेगा। मेले में हर दिन सांस्कृतिक गतिविधियां होंगी। आप भी सपरिवार जाकर मेरठ के इस शानदार मेले का लुफ्त उठा सकते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3DjwIX0
https://bit.ly/2QR82tl
चित्र संदर्भ
1. मां काली के सौम्य स्वरूप को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. भगवान शिव पर पैर रखे हुए माता काली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. छिन्नमस्ता, काली पूजा पंडाल, चेतला, दक्षिण कोलकाता को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. माँ काली के भयभीत और उग्र रूप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. माँ काली के स्वरूप को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.