Post Viewership from Post Date to 26-Oct-2022 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
866 7 873

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भारतीय संस्कृति में दीपावली एवं अन्य धार्मिक पर्वों पर पवित्र दिये का महत्व

मेरठ

 21-10-2022 10:46 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

प्रभु श्री राम के अयोध्या आगमन की ख़ुशी में धूम-धाम से मनाए जाने वाले लोकप्रिय त्यौहार, दीपावली को “रौशनी का पर्व”भी कहा जाता है। क्यों-की इस दौरान देश के प्रत्येक हिंदू परिवार में घरों को दीपों और जगमगाती लड़ियों से रोशन कर देने की पुरानी परंपरा है। मुख्य दीपावली की रात अमावस्या होने के बावजूद पूरा देश रंग-बिरंगी रौशनी से जगमगा उठता है। और यही त्योहार सनातन धर्म में दिये अर्थात दीपक की महत्ता को बहुत अधिक बड़ा देता है।
भारतीय संस्कृति में दीयों का महत्व ऐसा है कि उन्हें घरों और मंदिरों में हर रोज सुबह और शाम की प्रार्थना में जलाया जाता है। बिना दीये जलाए कोई भी शुभ कार्यक्रम अधूरा माना जाता है। वास्तव में दीपक जलाने का गहरा आध्यात्मिक महत्व भी है। सभी समारोहों, दैनिक पूजा अनुष्ठानों, शुभ कार्यों, धार्मिक अवसरों के साथ-साथ नए उपक्रमों की शुरुआत भी दीप प्रज्ज्वलन से होती है।
मान्यता है की दीपक का प्रकाश अज्ञान को नष्ट करता है, धन, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है तथा हमें ज्ञान का प्रकाश प्रदान करता है। साथ ही दिया अच्छाई, सौभाग्य, पवित्रता और शक्ति का भी प्रतीक होता है। एक विचारधारा के अनुसार दीपक में तेल मानव मन में गंदगी, जैसे लालच, घृणा, वासना, ईर्ष्या आदि के समान है। बाती बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कपास 'आत्मा' या स्वयं का प्रतीक होती है। इसलिए दीप प्रज्ज्वलित करना यह दर्शाता है कि प्रबुद्ध होने के लिए, सभी भौतिकवादी विचारों से छुटकारा पाना जरूरी है।"
तमसो मा ज्योतिर्गमय से अंधकार से प्रकाश की यात्रा को संदर्भित किया जाता है। दिये पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल और स्थायी होते हैं, क्योंकि इन्हें आसानी से पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है। पर्यावरण के अनुकूल और स्थायी विकल्प बनाकर अपने पर्यावरण की रक्षा करने की एक समुदाय संचालित पहल के रूप में हम पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठा सकते हैं।
दिया जलाने के लिए विभिन्न प्रकार के तेलों का उपयोग किया जा सकता है। जिसमें गाय का घी, तिल का तेल, नीम का तेल, अरंडी का तेल साथ ही सरसों का तेल, सदियों से भारतीय उपमहाद्वीप में दीयों को जलाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
अधिकांश भारतीय भाषाओं में दीपक को "ज्योति" कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब हम दीप जलाकर देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, तो हमें अपार समृद्धि से भरपूर फल मिलता है। विवाहित महिलाओं या विवाह योग्य उम्र की लड़कियों को हमेशा दिया जलाके अपने परिवार के कल्याण के लिए प्रार्थना करने, अच्छे लड़के से शादी के लिए प्रार्थना करने एवं मातृत्व की प्रार्थना करने की सलाह दी जाती है। मान्यता है की देवी राजराजेश्वरी दीपक में ही निवास करती हैं । दीपक का दर्शन अति गहरा है। हम दुख को दूर भगाने के लिए दीप जलाते हैं और खुशी का स्वागत खुली बांहों से करते हैं। ज्ञान प्राप्त करने और अज्ञान को दूर भगाने के लिए हम दीपलक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं।
दीपक के आध्यात्मिक अर्थ:
१.दीपक का निचला भाग: (कमल आसन): भगवान ब्रह्मा
२. दीपक का मध्य: भगवान वेंकटेश्वर
३. जिस भाग में तेल/घी भरा जाता है: रुद्रान
४. जिस भाग में बाती बैठती है: भगवान महेश्वर
५. बाती का अंत: सदाशिव
६. घी/तेल: नाथमी
एक दीपक के 5 चेहरे उन 5 गुणों को दर्शाते हैं जो एक महिला में होने चाहिए:
१. स्नेह
२. बुद्धिमत्ता
३. दृढता
४. धैर्य
५. सावधानी
जिस भाग में तेल भरा होता है वह स्त्री के मन का संकेत करता है। जब आप दिया जलाते हैं, तो स्त्री के सभी पांच गुणों को प्रमुखता मिलती है। दीपक जलाने के दिशानिर्देश:
१. जब आप आरती के दौरान दीपक दिखाते हैं, तो दीपक को पैर से सिर तक "ओम" के रूप में कम से कम तीन बार घुमाएं।
२. दीपक जलाने के लिए घी/तेल या तेल और घी का मिश्रण इस्तेमाल किया जा सकता है।
३. दीपक हमेशा एक अच्छा शगुन होता है, अगर कोई आपको दीपक देता है, तो उसे पूरे दिल से स्वीकार करें। यदि दीपक टिमटिमाता है, तो यह एक शुभ संकेत है।
. कम से कम हर शुक्रवार को देवी मां के सामने तेल तक दीपक जलाएं।
५. कार्तिक मास के दौरान घरों के सामने दीपक जलाना बहुत शक्तिशाली माना जाता है।
६. दीपक पर हमेशा सिंदूर और चंदन का तिलक लगाएं।
७. दीप को पुष्प अर्पित करें। भारत में तेल के दीयों को दिया, दिवा, दीपम, दीप आदि कहा जाता है। साथ ही अग्नि तत्व का भी बहुत महत्व है, क्यों की वैदिक अनुष्ठानों में अग्नि को शुद्ध ऊर्जा बताया गया है। अधिकांश हिंदू घरों में, दिया या तेल का दीपक जलाना एक नियमित अनुष्ठान है, खासकर दैनिक पूजा के दौरान। घर में तुलसी के पौधे के पास, पूजा वेदी में शाम के समय तेल के दीपक भी जलाए जाते हैं जो एक प्राचीन अनुष्ठान है। यह वास्तु और परिवार के सभी सदस्यों के चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच बनाने के लिए किया जाता है, जो शाम के समय पैदा होने वाली नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षित रहता है।
प्राचीन काल में, लोग शाम के समय तेल के दीपक जलाते थे और "शुभम करोति" श्लोक का पाठ करते थे:
शुभं करोति कल्याणंआरोग्यं धनसंपदाम्।
शत्रुबुद्धिविनाशय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।

अर्थ: हे दीपक की लौ, आप शुभ और कल्याण, स्वास्थ्य और धन प्रदान करते हो। आप शत्रुओं की बुद्धि का भी नाश करते हो। इसलिए मैं आपको नमन करता हूं।
दीपज्यो ति:परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दन: ।
दीपो हरतुमेपं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।

अर्थ: तेल के दीपक से निकलने वाला प्रकाश वास्तव में, परब्रह्म का एक रूप है, एक तेल का दीपक परमेश्वर है, जो दुनिया में दुःख को दूर करता है। हे दीपक, मुझे पापों से मुक्त करो। मैं आपको नमन करता हूं। दीप प्रज्ज्वलन का गहरा आध्यात्मिक अर्थ भी है। प्राचीन काल में, जब बिजली नहीं थी, भारत के घरों में प्रकाश के स्रोत के रूप में दिया जलाया जाता था और इसे घर में पूजा वेदियों में भी जलाया जाता था। अग्नि 5 तत्वों में से एक है और इसे शुद्ध माना जाता है, इसलिए, जब दिया जलाया जाता है तो यह नकारात्मक ऊर्जाओं को परिवर्तित करके ऊर्जाओं को शुद्ध करता है। वेदी में घर पर तेल का दीपक जलाना, हमें याद दिलाता है कि ईश्वर ही एकमात्र सत्य है। ज्योति उस ज्ञान का प्रतीक है जो मन के अंधकार को दूर करती है और हमारे मार्ग को प्रकाशित करती है। दिया की लौ हमारी आत्मा, आत्माप्रकाश या आत्मा के प्रकाश का प्रतिनिधित्व करती है।
दिया जलाने पर जो ऊर्जा पैदा होती है, वह ईश्वर से बेहतर तरीके से जुड़ने और उनसे संवाद करने में मदद करती है आप अपनी पसंद के अनुसार दैनिक पूजा के लिए एक या दो दीये जला सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक दिया के लिए दो बत्ती का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे दीपक उपलब्ध हैं जिनमें एक से अधिक बाती रखने की सुविधा है, जैसे पंचमुखी दिया जिसमें पांच बत्ती के लिए 5 चेहरे होते हैं। दिया सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। इसे उचित लैम्प होल्डर (lamp holder) पर रखना चाहिए। घरों में पारंपरिक रूप से पीतल, चांदी और मिट्टी के लैंप का इस्तेमाल किया जाता है। दीपक की लौ के लिए सबसे अच्छी दिशा पूर्व और उत्तर या उत्तर पूर्व होती है, क्योंकि इस दिशा में अग्नि तत्व है। पूर्वमुखी तेल के दीपक अच्छे स्वास्थ्य, शांति और दीर्घायु के अग्रदूत होते हैं। इसे विघ्नों, दुखों को दूर करने वाला भी कहा जाता है। जब आप तेल का दीपक जलाते हैं और उत्तर दिशा की ओर मुंह करते हैं, तो यह सौभाग्य, धन और चारों ओर सफलता को आमंत्रित करता है। दीपावली एक ऐसा त्योहार है जब पूरा भारत असंख्य दीपों की भूमि में बदल जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, हर घर और हर दिल को जोड़ता है। दीपावली के त्योहार का गहरा आध्यात्मिक अर्थ है, वहीं इसका अनिवार्य रूप से अर्थ है आंतरिक प्रकाश की जागरूकता। एक तरह से यह आंतरिक प्रकाश के जागरण और जागरूकता का उत्सव है, जिसमें अंधकार को दूर करने और जीवन में सभी बाधाओं को दूर करने की शक्ति है। दीपावली का शाब्दिक अर्थ है रौशनी की एक पंक्ति या सरणी। यह कार्तिक मास (अक्टूबर - नवंबर) के अंधेरे आधे हिस्से में तेरहवें / चौदहवें दिन मनाई जाती है। इस दिन हमें दुख, गरीबी और बीमारी को दूर करने के लिए सुख का दीपक, समृद्धि का दीपक और ज्ञान का दीपक जलाया जाता है।

संदर्भ
https://bit.ly/3gabPV8
https://bit.ly/3MEWEPT
https://bit.ly/3TwPzDn
https://bit.ly/3VCJrLt

चित्र संदर्भ

1. सुंदर दीयों को सजाती महिला को दर्शाता एक चित्रण (needpix)
2. दिवाली के दौरान जलाये गए दिये को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. रंगोली में सजाए गए दीयों को दर्शाता को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. माता सरस्वती एवं बाल गणेश के समक्ष जलाए गए दीपकों को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
5. पवित्र सेब के ऊपर जलाये गए दीपक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. पंच मुखी दीपक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id