मेरठ में 51.1% कुल जनसंख्या गाँव में रहती है। पुरे ज़िले में 72.9% जमीन कृषि के लिए इस्तेमाल की जाती है तथा 50% किसानों के पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। कृषि करने के लिए तथा उसे पूरक मवेशियों का स्थान है। हल जोतने के लिए, दूध और दुग्धजन्य पदार्थ का स्त्रोत, गोबर का खाद तथा उर्जा निर्माण, इन सभी के लिए हमे मवेशियों की जरुरत होती है। इन प्राणियों के साथ मानव का रिश्ता हमेशा से सहजीवी रहा है और इसी कारण शायद मानव ने इन्हें पालतू बनाया। मवेशी-पालन कृषि क्षेत्र का अविभाज्य हिस्सा है और मनुष्य-हित के लिए महतवपूर्ण। मेरठ गज़ेटियर के अनुसार हिस्सार, हरयाणा से अच्छी नस्ल के बैल खरीदते थे जिस वजह से उस वक़्त मेरठ में मवेशियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ था। गज़ेटियरकार हेनरी नेविल ने ये टिपण्णी की है इस कारण 1875 के मुकाबले 1901-04 में मवेशियों की क़ीमत 75% बढ़ गयी थी। हल चलाने वाले बैलों की क़ीमत 25 रुपये से 125 रुपये य ज्यादा थी तथा बोझा ढोने वाले बैलों की क़ीमत 80 रुपये से 200 रुपये के बीच थी। भैंसों की क़ीमत 30 रुपये से लेकर 100 रुपये तक थी और गाय की क़ीमत 15 रुपये से 50 रुपये तक थी। आज मेरठ में कुल 414.65 लाख मवेशी हैं जिसमे से मात्र 173.82 लाख में प्रजनन करने की क्षमता है। इनमे से भी मात्र 117.81 लाख (68%) दुधारू हैं। सी डेप 2007 के रिपोर्ट के अनुसार सन 1997 की तुलना में सन 2003 में मवेशियों की कुल संख्या में 7.32% घटौती हुई है, संकरीत मवेशियों में 22.38% और देशी मवेशियों में 5.55%। गोजातीय प्रजातियों में जैसे भैंस इनकी कुल संख्या में लेकिन 6.29% इजाफा हुआ है जैसे भैंस की संख्या में 20.63%। सूअर की संख्या में 27.15% कमी आयी है। इस घटती संख्या को रोकने तथा इन मवेशियों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने बहुत सी योजनाएं बनायीं है। इन योजनाओं के तहत मवेशियों को संतुलित आहार मिले इस कारण पशुभोजन के लिए चारा किस प्रकार का हो से लेकर उनके जननिक उन्नयन के लिए कृत्रिम वीर्यरोपण केंद्र भी बनवाये जा रहें हैं। प्रस्तुत चित्र मेरठ की मवेशियों के हैं। 1.डिस्ट्रिक्ट गज़ेटियर ऑफ़ द यूनाइटेड प्रोविन्सेस ऑफ़ आग्रा एंड औध: हेनरी नेविल, 1904 2.सी डेप मेरठ 2007 3.डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट मेरठ 2016
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