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वैश्विक तनाव के बीच देश को जरूरत है, मेक इन इंडिया हथियारों की

मेरठ

 19-10-2022 11:02 AM
हथियार व खिलौने

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव से एक बड़ा सबक यह लिया जा सकता है की, भारत को जितनी जल्दी संभव हो सके “पूरी तरह से आत्मनिर्भर” बनना ही होगा। क्यों की युद्ध जैसे विषम हालातों में आप किसी मित्र देश के भरोसे नहीं बैठ सकते हैं। हालांकि भारत इस तथ्य को कई वर्षों पूर्व ही समझ गया और यही कारण है आज देश में भारत सरकार की "मेक इन इंडिया" जैसी पहल काफी कारगर साबित हो रही है, जिसका एक महत्वपूर्ण लक्ष्य भारत को हथियारों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना भी है।
हाल ही में कई रक्षा अधिकारियों ने खुलासा किया है कि देश को हथियारों की कमी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि सेना अब कार्यक्रम प्रतिबंधों के कारण महत्वपूर्ण उपकरणों का आयात नहीं कर सकती है। 2026 तक भारत को उच्च प्रदर्शन वाले हेलीकॉप्टरों और 2030 तक लड़ाकू जेट विमानों की गंभीर कमी का सामना करना पड़ सकता है। चीन के पूर्व राजदूत गौतम बंबावाले ने एक व्यापक साक्षात्कार में कहा भी है की भारत-चीन सीमा पर चल रहे तनाव से दोनों देशों के बीच संबंध समय के साथ खराब ही होंगे। चीन खुद को एशिया में पूर्व-प्रतिष्ठित महाशक्ति के रूप में देखा जाना चाहता है। इसलिए भारत को तेजी से आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करके इस अंतर को पाटने की आवश्यकता होगी। भारत और चीन ने हाल ही में PP-15 में सीमा विघटन की घोषणा की। हालांकि, देपसांग जैसे अन्य सीमावर्ती इलाकों में तनाव अभी भी बना हुआ है। चीन ने 2020 की गर्मियों में पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती भी की है। यह सीमा पर शांति बनाए रखने के कई समझौतों का स्पष्ट उल्लंघन था और जमीनी स्तर पर यथास्थिति को बदलने का प्रयास था। हालांकि इसके जवाब में भारतीय रक्षा बलों ने शानदार प्रतिक्रिया दी। चूंकि चीन एक पड़ोसी देश है, जिसके साथ हमारी एक लंबी, विवादित और अपरिभाषित सीमा है, इसलिए हमें राष्ट्र निर्माण और विकास में आगे बढ़ने के साथ-साथ अपने निर्णय में इसे भी शामिल करना होगा। विशेषज्ञों के अनुसार हमें अपनी रक्षा के लिए पर्याप्त रूप से सशस्त्र होने की आवश्यकता है, और इसलिए हमें अपने सकल घरेलू उत्पाद का बड़ा हिस्सा खुद को सशस्त्र करने पर खर्च करना होगा। हमें अपनी अधिकांश हथियार प्रणालियां भारत के भीतर ही बनानी होंगी। साथ ही, हमें अपनी अर्थव्यवस्था को 7-8 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ाना चाहिए ताकि भारत की व्यापक राष्ट्रीय शक्ति को बढ़ाया जा सके। यह भारत की रक्षा के साथ-साथ भारत को विकसित करने का सबसे अच्छा तरीका होगा। भारत की चीन पर अभी भी कुछ प्रमुख आर्थिक निर्भरताएं खासकर नवीकरणीय ऊर्जा और फार्मास्यूटिकल्स (pharmaceuticals) जैसे क्षेत्रों में हैं। भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बावजूद, व्यापार में वृद्धि जारी है। हालांकि चीन ने पहले ही भारत से अपने कुछ आयात को कम करना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए, कुछ ऑटो कंपोनेंट (auto component) हैं जिनका उपयोग चीनी कंपनियां भारत से आयात करती थीं। लेकिन पिछले दो वर्षों में उन्होंने अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्गठन किया है और भारत से अपने आयात को कम किया है। लेकिन भारत भी जल्द ही देश के भीतर अधिक सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (Pharmaceutical Ingredients (API) का निर्माण करेगा। इससे चीन से एपीआई के हमारे आयात में अगले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे गिरावट आएगी। ताइवान की फर्म फॉक्सकॉन (Foxconn) द्वारा हाल ही में की गई घोषणा कि वह वेदांता के साथ मिलकर गुजरात में सेमीकंडक्टर का निर्माण करेगी। ऐसी ही कई वजहें हैं, जिसके कारण नई दिल्ली ने स्थानीय उत्पादन और बंदूकें, मिसाइल, ड्रोन और बख्तरबंद वाहनों की डिलीवरी में तेजी लाने के लिए एक आपातकालीन खरीद की योजना बनाई है। सैन्य अधिकारियों के अनुसार सेना विरोधियों से खतरों को रोकने के लिए आवश्यक सैन्य उपकरणों में 300 करोड़ भारतीय रुपये ($ 38 मिलियन) की खरीद के लिए आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का आह्वान कर सकती है। साथ ही अति आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हथियारों को एक वर्ष के भीतर सेना में शामिल किया जाना जरूरी है। भारत के पास विभिन्न हथियार और उपकरण अभी भी विकास और परीक्षण चरणों में ही हैं। देश के पास अभी तक मौजूद हथियारों का एक उदाहरण त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (QRSAM) प्रणाली है। आरएसएएम ने पूर्ण-दर उत्पादन और तैनाती से पहले सिस्टम का मूल्यांकन करने के लिए उड़ान परीक्षणों की एक श्रृंखला पूरी की है। साथ ही नई दिल्ली अभी भी एक उन्नत रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर (Advanced Radio Frequency Seeker) से लैस अपनी ऊर्ध्वाधर लॉन्च छोटी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के परीक्षण के चरण में है। इसके अलावा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन देश के अर्जुन एमके 1ए मुख्य युद्धक टैंक पर आधारित एक मानव रहित जमीनी लड़ाकू वाहन भी विकसित कर रहा है। इस वर्ष, भूमि आधारित, नौसेना और वायु-आधारित प्रणालियों के लिए विकसित कई तकनीकों को अनुभव क्षेत्रों के (Closed Room Immersive Cinematic Experience) माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। प्रदर्शनी केंद्र में बाहरी प्रदर्शन, 18 बाहरी स्थैतिक प्रदर्शन (वास्तविक उत्पाद) भी प्रदर्शित किए जाएंगे। इनमें बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम (Border Surveillance System (BOSS), लेजर फेंस सिस्टम (Laser Fence System (LFS), आईआरडीई झांकी, ब्रह्मोस एयर वर्जन मिसाइल, ब्रह्मोस के लिए मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर (Mobile Autonomous Launcher (MAL), सीबीआरएन वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम (CBRN Water Purification System), कम्पोजिट हल के साथ एडवांस्ड कंपोजिट (Advanced Composites) भी शामिल हैं। इसके अलावा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) भी 18 से 22 अक्टूबर, 2022 तक गुजरात के गांधीनगर में आयोजित होने वाले DefExpo 2022 में विकसित रणनीतिक और सामरिक हथियार प्रणालियों, रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों सहित 430 उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित करेगा। एशिया के सबसे बड़े रक्षा आयोजन के 12 वें संस्करण में 'पाथ टू प्राइड' थीम पर प्रकाश डाला जाएगा। इसका उद्देश्य 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड (Make in India, Make for the world)' की कथा को भी आगे बढ़ाना है। समग्र आयोजन स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित, प्रोटोटाइप और उत्पादित भूमि, नौसेना, एयरो और होमलैंड सुरक्षा प्रणालियों तथा प्रौद्योगिकियों की एक श्रृंखला का प्रदर्शन करेगा। डीआरडीओ के नेतृत्व वाली इन सभी पहलों ने कई भारतीय उद्योगों, विशेष रूप से सिस्टम, रडार, सोनार, मिसाइल, विमान, आदि के क्षेत्रों में परिचालन की तैयारी को आगे बढ़ाया है।

सन्दर्भ
https://bit.ly/3CIKwsI
https://bit.ly/3CIyz65
https://bit.ly/3s5YLD4

चित्र संदर्भ
1. डीआरडीओ की मल्टी कैलिबर राइफल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. बंदूक चलाने की ट्रेनिंग लेती भारतीय महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. अग्नि-द्वितीय मिसाइल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. फॉक्सकॉन कारखाने में उत्पादन मंजिलों में से एक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. अर्जुन एमके 1ए मुख्य युद्धक टैंक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. भारतीय राजदूत के "मेक इन इंडिया" इवेंट में मुख्य भाषण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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