Post Viewership from Post Date to 15-Oct-2022 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3847 12 3859

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

देश के तनाव मुक्त भविष्य के लिए जरूरी है कि बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना

मेरठ

 10-10-2022 10:17 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

जब भी कोई वृक्ष सूखता है या उसे कोई रोग पकड़ता है, तो माली उसकी जड़ो में पानी तथा दवाई डालते हैं और इसका सकारात्मक परिणाम हमें पूरे वृक्ष में नज़र आता है। प्रकृति का यह बहुत बड़ा नियम है और यह नियम हम इंसानों पर भी लागू होता है। जहां यदि हमें युवाओं या वयस्कों में मानसिक तनाव या रोग को दूर करना है, तो हमें अपनी जड़ों अर्थात बच्चों को शिक्षित एवं जागरूक करना पड़ेगा, जहां माली का काम हमारे प्रतिभावान शिक्षक करेंगे।
बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता प्रदान करने के पीछे कुछ सामान्य कारक परीक्षा की तैयारी, परीक्षा में बैठने से जुड़ी चिंता, परिणाम की प्रतीक्षा और साथियों तथा माता-पिता का दबाव है। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (National Council of Educational Research and Training (NCERT) ने इसे ध्यान में रखते हुए सिफारिश की है कि सभी स्कूल बच्चों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार पैनल स्थापित करे। यह दिशानिर्देश, परिषद द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के मद्देनजर आया, जिसने संकेत दिया था कि अधिकांश छात्र परीक्षा के तनाव और साथियों के दबाव से पीड़ित थे।
छात्र साल में 200 से 230 दिनों यानी अपने जागने के दिनों के लगभग आधे घंटे स्कूल में बिताते हैं। "स्कूल बच्चों के लिए ज्ञान का सबसे प्रमुख स्रोत है, इस प्रकार छात्रों के लिए एक सुरक्षित और आरामदायक वातावरण सुनिश्चित करना स्कूल की जिम्मेदारी बन जाती है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी शामिल होना चाहिए।
एनसीईआरटी के निर्देश की सराहना करते हुए, फोर्टिस अस्पताल बेंगलुरु की बाल और किशोर मनोचिकित्सा सलाहकार, डॉ मेघा महाजन का तर्क है की: “यह स्कूल स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम तैयार करने में मदद करेगा और न केवल मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करेगा बल्कि इसकी शुरुआती पहचान और हस्तक्षेप में भी मदद करेगा। इस तरह के पैनल विभिन्न दृष्टिकोणों से स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का आकलन करने में भी मदद कर सकते हैं।”
महामारी से पहले भी, सर्वांगीण उत्कृष्टता प्राप्त करने के बढ़ते दबाव के कारण बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही थीं। महामारी के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित वे बच्चे थे, जिन्हें पहले से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं या जिन्हें शैक्षणिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। शिक्षाविदों का कहना है कि स्कूलों को नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित करने और बच्चों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है। "मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शिक्षकों को लगाव, अलगाव, संचार, चिंता, आचरण, अत्यधिक इंटरनेट उपयोग, अति सक्रियता, बौद्धिक अक्षमता और सीखने की अक्षमता से संबंधित महत्वपूर्ण समस्याओं की पहचान करने में मदद करने के लिए आयोजित किया जाना चाहिए।"
एनसीईआरटी के दिशानिर्देश इन मुद्दों को हल करने में प्रभावी हो सकते हैं। अतः इसके प्रयासों में सभी हितधारकों-प्राचार्य, शिक्षकों, माता-पिता, छात्रों और यहां तक ​​कि स्कूल के पूर्व छात्रों को भी शामिल किया जाना चाहिए। माता-पिता और शिक्षकों को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों, व्यवहार और चिंता की समस्याओं तथा बच्चों के बीच विकास संबंधी कठिनाइयों के शुरुआती संकेतों को पहचानने में सक्षम होना चाहिए। "वह बच्चों के बीच लचीलापन बनाने तथा चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को संभालने में सक्षम होते हैं।
स्कूलों को बच्चों की भावनाओं को समझने पर जोर देना चाहिए। बच्चों को खुले दिमाग से सुनना चाहिए। बच्चों को एक परामर्शदाता, एक वरिष्ठ, या यहां तक कि एक स्वयंसेवक के साथ बातचीत करने के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए, जो उन्हें एक धैर्यवान और सहानुभूतिपूर्ण सलाह एवं समाधान प्रदान कर सकते हैं।
स्कूल छात्रों के लिए व्यावहारिक और परियोजना-आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित कर सकते हैं, होमवर्क कम कर सकते हैं और बच्चों को स्कूल में ही असाइनमेंट पूरा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। साथ ही वे खेल और पाठ्येतर गतिविधियों के साथ-साथ बुनियादी विश्राम अभ्यास, माइंडफुलनेस तकनीक (mindfulness techniques) को भी इसमें शामिल कर सकते हैं, और बच्चों को उनकी भावनाओं को प्रबंधित करने, उनकी समस्याओं को हल करने और विफलताओं से निपटने के तरीके सिखाने के लिए कक्षाओं में जीवन-कौशल अभ्यास करा सकते हैं।
स्कूल मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (School Mental Health Program (SMHP) को दुनिया भर में स्कूल जाने वाले बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार की कुंजी के रूप में मान्यता दी गई है। लेकिन दुर्भाग्य से, भारत में एसएमएचपी की बुरी तरह उपेक्षा की गई है। देश भर में सभी स्कूली बच्चों (ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से) को कवर करने वाला कोई व्यापक एसएमएचपी नहीं है। कुछ छिटपुट गतिविधियां जो होती हैं वे प्रशंसनीय हैं, लेकिन उनके पास भी दीर्घकालिक दृष्टिकोण की कमी है। भारत में एसएमएचपी की इस तरह की उपेक्षा के प्रमुख कारण एक संचालन निकाय की कमी, खराब अंतरक्षेत्रीय समन्वय और न्यूनतम हितधारकों की भागीदारी हो सकती है। भारत को, किसी भी अन्य देश की तरह, मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन, रोकथाम और शीघ्र हस्तक्षेप (पीपीईआई) के मॉडल पर देशव्यापी एसएमएचपी को लागू करने की आवश्यकता है। स्कूल मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एसएमएचपी) बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक लचीलापन और तनाव सहनशीलता जैसी क्षमताओं को मजबूत करता है। इसके अलावा, यह महत्वपूर्ण मोड़ पर मनोवैज्ञानिक समस्याओं वाले बच्चों की मदद करता है ताकि उनके प्रारंभिक वर्ष इन समस्याओं से प्रभावित न हों।
शिक्षण विधियों में बदलाव के साथ, देश में शिक्षण की भूमिका व्यापक हो गई है। यह अब केवल सैद्धांतिक और व्यावहारिक शिक्षा से संबंधित नहीं है, बल्कि उन्हें विद्यार्थियों में स्वस्थ आदतें और महामारी-उपयुक्त व्यवहार भी विकसित करना होगा। शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य एक छात्र के शैक्षणिक विकास में सबसे बड़े कारकों में से एक है, क्योंकि शिक्षकों और छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य आपस में जुड़ा हुआ है, इस प्रकार उनके सीखने और परिणामों को सीधे प्रभावित करता है।
हम हमेशा छात्रों के तनाव और उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करते हैं, लेकिन हम इस पर कभी गौर नहीं करते कि शिक्षक अपने मानसिक तनाव से कैसे निपट रहे हैं और इस समस्या को दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है। शिक्षकों और प्रशासकों दोनों को भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करनी चाहिए और उन्हें भावनाओं को सही ढंग से समझने की क्षमता का निर्माण करना चाहिए। दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2022 के माध्यम से हमें मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा और सुधार के प्रयासों से अवगत कराया जायेगा। आज स्कूल बेहद प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। माता-पिता की उम्मीदें आसमान छू रही हैं और स्कूल प्रबंधन चाहता है कि शिक्षक सभी मोर्चों पर बेहतर प्रदर्शन करें, ताकि स्कूल उच्च रैंक प्राप्त कर सके और माता-पिता की पहली पसंद बन सके। "इस पूरे चक्र में, शिक्षकों को आमतौर पर जवाबदेह ठहराया जाता है।” शिक्षक इन चुनौतियों को पूरा करने के कठोर दबाव में हैं, और परिणामस्वरूप, अत्यधिक तनाव का अनुभव करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार "सबसे पहले, स्कूलों को एक ऐसी संस्कृति का निर्माण करना चाहिए, जहां उच्च उम्मीदों के बावजूद, शिक्षक अपने काम से उपलब्धि और खुशी की भावना महसूस कर सके।

संदर्भ
https://bit.ly/3BZTP6W
https://bit.ly/3V1F0d4
https://bit.ly/3LSmwHM

चित्र संदर्भ
1. बच्चों की जाँच करते चिकित्सकों को दर्शाता एक चित्रण को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. एक कक्षा में बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
3. अभिभावकों के साथ पढाई करते बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मध्याहन भोजन करते बच्चे को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
5. बच्चों के साथ खेलती अध्यापिका को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id