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इस्लाम धर्म में अनेकों त्योहारों का आयोजन किया जाता है, जिनमें से मीलाद उन-नबी या
मावलिद या मौलूद भी एक है।इस शब्द का भाषाई अर्थ “जन्म का समय या स्थान” है।
यह शब्द किसी के भी जन्म को संदर्भित कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो महिला हो या
जानवर। हालाँकि, इस्लामी परंपरा में, मावलिद पैगंबर मुहम्मद के जन्म को संदर्भित करता
है, जो आमतौर पर 12 वीं रबी अल-अव्वल को मनाया जाता है। इस्लाम में मावलिद मुख्य
रूप से कविता की एक शैली को भी संदर्भित करता है,जो पैगंबर मुहम्मद के जन्म की अवधि
और घटनाओं पर केंद्रित है।कविता की यह शैली सीरह (Seerah) की साहित्यिक श्रेणी के
अंतर्गत आती है, जो पैगंबर के महान जीवन की घटनाओं से संबंधित है।
पूरे इतिहास में, कई विद्वानों और कवियों ने पैगंबर को याद रखने और सभाओं में उनकी
प्रशंसा करने के लिए पैगंबर के जन्म के बारे में विस्तार से लिखा है, विशेष रूप से
काव्यात्मक रूप का उपयोग करते हुए। चाहे सुदूर पश्चिम मोरक्को (Morocco) में हो या
पूर्व में इंडोनेशिया (Indonesia) में, मावलिद सभाएं एक समान रूप से आयोजित की जाती
हैं, जिसमें कुरान का पठन, मावलिद कविताओं का गायन, भोजन साझा करने जैसी
गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। कई जगहों पर, ये सभाएँ न केवल 12वें रबी-अल-
अव्वल पर आयोजित की जाती हैं, बल्कि साप्ताहिक आधार पर, विशेषकर मघरिब के बाद
गुरुवार की रात को भी आयोजित की जाती हैं।तारिम, यमन (Tarim, Yemen) में, बड़ी
संख्या में मस्जिदों और निजी घरों में दैनिक आधार पर मौलिद सभाएं आयोजित की जाती
हैं। यहां मौलिद को मुख्य रूप से खुशी के समय पढ़ा जाता है, साथ ही किसी ऐसे व्यक्ति
की याद में, जिसे गुजरे हुए काफी लंबा समय हो चुका है।
मावलिद या मौलिद अल-नबावी के गीतों में पैगंबर की प्रशंसा और चमत्कारों का संयोजन
देखने को मिलता है। इन विशिष्ट कविताओं को मावलीदियात (mawlidiyyāt) कहा जाता
है। ऐसी कई कविताएं हैं,जो मूल रूप से पैगंबर के साथी काब बी ज़ुहैर(Kaʿb b. Zuhayr)
के प्रसिद्ध बनत सुआद (BānatSu‘ād) पर आधारित हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कविताएं
अल-बसूरी (al-Būsīrī), अल-बुर्दा (al-Burda) है।
पूर्व-इस्लामी समय में,पूरे अरब में कविताएं प्रमुख कला मानी जाती थी। प्रत्येक जनजाति ने
अपने महानतम कवि को उच्च सम्मान प्रदान किया। एक कवि के शब्दों में इतनी शक्ति
होती थी, कि वे किसी युद्ध को भड़का सकते थे या समाप्त कर सकते थे।
ये कवि मुख्य
रूप से किसी व्यक्ति विशेष की प्रशंसा करने या व्यंग्य करने के लिए कविताओं का निर्माण
करते थे। अक्सर ये कविताएं बिना किसी तैयारी के, किसी मौके पर उसी समय बनाई जाती
थी, तथा दर्शक उन्हें सुनकर अपने विजेता को चुनते थे। कविताओं को इतना उच्च सम्मान
दिया जाता था कि, सात कविताएँ, जिन्हें मुअल्लाकत (काबा की दीवारों पर 'निलंबित' - the
suspended ones’ on walls of the Ka‘bah) के रूप में जाना जाता है,को उनकी
वाक्पटुता और महिमा के लिए विशिष्ट रूप से सम्मानित किया जाने लगा। ऐसी कविताएं
अरबी, कुर्द और तुर्की सहित कई अन्य भाषाओं में लिखी गई हैं। इन कविताओं में पैगंबर
मुहम्मद के जीवन की सच्ची कहानियां हैं।उनके जीवन पर लिखे गए अध्यायों में पैगंबर
मुहम्मद के पूर्वज,मुहम्मद की अवधारणा,मुहम्मद का जन्म,हलीमा का परिचय,बेडौंस
(Bedouins) में युवा मुहम्मद का जीवन,मुहम्मद का अनाथपन,अबू तालिब के भतीजे की
पहली कारवां यात्रा,मुहम्मद और खदीजा के बीच विवाह की व्यवस्था,अल-इसरा,अल-मिरदज,
या स्वर्ग के लिए उदगम, अल-हिरा, पहला रहस्योद्घाटन, इस्लाम में पहला
धर्मान्तरण,हिजरा, पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु आदि शामिल हैं।इन्हें केवल समारोहों के दौरान
पढ़ा जाता है, हालांकि मावलिद को मनाने के कई अलग-अलग तरीके हैं, जो इस बात पर
निर्भर करते हैं, कि मावलिद को मनाने वाले लोग कहां से हैं।
पैगंबर के एक और साथी जिन्होंने पैगंबर के जीवन पर कविताएं लिखीं, वे थे हसन बिन
थाबित। उन्हें पैगंबर के कवि के रूप में जाना जाता था।हसन की सबसे प्रसिद्ध कविता,
जिसमें पैगंबर के जन्म का उल्लेख किया गया है, में लिखा गया है कि–
'मेरी आंखों ने तुमसे ज्यादा खूबसूरत इंसान नहीं देखा,
तुमसे ज्यादा खूबसूरत इंसान को किसी औरत ने जन्म नहीं दिया,
आप बिना किसी कमजोरी और दोष के बनाए गए हैं,
आप वैसे ही बनाए गए हैं जैसा आप बनाना चाहते थे।
पैगंबर के जन्म और प्रारंभिक जीवन के बारे में शायद सबसे प्रसिद्ध कविता इमाम अल-
बरजानजी की थी, जिनके उन्नीस अध्यायों में 355 छंद मौजूद हैं।यह पूरे मुस्लिम जगत में
गाया जाता है, और विशेष रूप से अफ्रीका (Africa) के एक बड़े हिस्से में प्रसिद्ध है।एक
और प्रसिद्ध कविता, जिसके बारे में कुछ लोग कहते हैं कि यह दुनिया के इतिहास में सबसे
अधिक पढ़ी जाने वाली कविता है, वह है शेख अल-बुसैरी की“क़सीदा बर्दाह”(Qasidah
Burdah) जिसे बुर्दा (Burda)कहा जाता है।
मुस्लिम दुनिया में आज भी मावलिद कविताएँ लिखी जा रही हैं। हाल के वर्षों में जिस
कविता ने प्रसिद्धि और स्वीकृति प्राप्त की है, वह है 'दीया' अल-लामी (‘Diya’ al-
Laami)।
संदर्भ:
https://bit.ly/3SvnDQ5
https://bit.ly/3CvZ0xa
https://bit.ly/3C9gM7V
चित्र संदर्भ
1. मौलिद-अल-नबी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. इस्लामिक प्रतीक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इस्लामिक लेखन पुस्तकों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. दीया अल-लामी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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