Post Viewership from Post Date to 13-Oct-2022 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3140 10 3150

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

पैगंबर मुहम्मद के जीवन पर लिखी गई हैं, कई मावलिद कविताएं

मेरठ

 08-10-2022 10:32 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

इस्लाम धर्म में अनेकों त्योहारों का आयोजन किया जाता है, जिनमें से मीलाद उन-नबी या मावलिद या मौलूद भी एक है।इस शब्द का भाषाई अर्थ “जन्म का समय या स्थान” है। यह शब्द किसी के भी जन्म को संदर्भित कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो महिला हो या जानवर। हालाँकि, इस्लामी परंपरा में, मावलिद पैगंबर मुहम्मद के जन्म को संदर्भित करता है, जो आमतौर पर 12 वीं रबी अल-अव्वल को मनाया जाता है। इस्लाम में मावलिद मुख्य रूप से कविता की एक शैली को भी संदर्भित करता है,जो पैगंबर मुहम्मद के जन्म की अवधि और घटनाओं पर केंद्रित है।कविता की यह शैली सीरह (Seerah) की साहित्यिक श्रेणी के अंतर्गत आती है, जो पैगंबर के महान जीवन की घटनाओं से संबंधित है। पूरे इतिहास में, कई विद्वानों और कवियों ने पैगंबर को याद रखने और सभाओं में उनकी प्रशंसा करने के लिए पैगंबर के जन्म के बारे में विस्तार से लिखा है, विशेष रूप से काव्यात्मक रूप का उपयोग करते हुए। चाहे सुदूर पश्चिम मोरक्को (Morocco) में हो या पूर्व में इंडोनेशिया (Indonesia) में, मावलिद सभाएं एक समान रूप से आयोजित की जाती हैं, जिसमें कुरान का पठन, मावलिद कविताओं का गायन, भोजन साझा करने जैसी गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। कई जगहों पर, ये सभाएँ न केवल 12वें रबी-अल- अव्वल पर आयोजित की जाती हैं, बल्कि साप्ताहिक आधार पर, विशेषकर मघरिब के बाद गुरुवार की रात को भी आयोजित की जाती हैं।तारिम, यमन (Tarim, Yemen) में, बड़ी संख्या में मस्जिदों और निजी घरों में दैनिक आधार पर मौलिद सभाएं आयोजित की जाती हैं। यहां मौलिद को मुख्य रूप से खुशी के समय पढ़ा जाता है, साथ ही किसी ऐसे व्यक्ति की याद में, जिसे गुजरे हुए काफी लंबा समय हो चुका है।
मावलिद या मौलिद अल-नबावी के गीतों में पैगंबर की प्रशंसा और चमत्कारों का संयोजन देखने को मिलता है। इन विशिष्ट कविताओं को मावलीदियात (mawlidiyyāt) कहा जाता है। ऐसी कई कविताएं हैं,जो मूल रूप से पैगंबर के साथी काब बी ज़ुहैर(Kaʿb b. Zuhayr) के प्रसिद्ध बनत सुआद (BānatSu‘ād) पर आधारित हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कविताएं अल-बसूरी (al-Būsīrī), अल-बुर्दा (al-Burda) है। पूर्व-इस्लामी समय में,पूरे अरब में कविताएं प्रमुख कला मानी जाती थी। प्रत्येक जनजाति ने अपने महानतम कवि को उच्च सम्मान प्रदान किया। एक कवि के शब्दों में इतनी शक्ति होती थी, कि वे किसी युद्ध को भड़का सकते थे या समाप्त कर सकते थे।
ये कवि मुख्य रूप से किसी व्यक्ति विशेष की प्रशंसा करने या व्यंग्य करने के लिए कविताओं का निर्माण करते थे। अक्सर ये कविताएं बिना किसी तैयारी के, किसी मौके पर उसी समय बनाई जाती थी, तथा दर्शक उन्हें सुनकर अपने विजेता को चुनते थे। कविताओं को इतना उच्च सम्मान दिया जाता था कि, सात कविताएँ, जिन्हें मुअल्लाकत (काबा की दीवारों पर 'निलंबित' - the suspended ones’ on walls of the Ka‘bah) के रूप में जाना जाता है,को उनकी वाक्पटुता और महिमा के लिए विशिष्ट रूप से सम्मानित किया जाने लगा। ऐसी कविताएं अरबी, कुर्द और तुर्की सहित कई अन्य भाषाओं में लिखी गई हैं। इन कविताओं में पैगंबर मुहम्मद के जीवन की सच्ची कहानियां हैं।उनके जीवन पर लिखे गए अध्यायों में पैगंबर मुहम्मद के पूर्वज,मुहम्मद की अवधारणा,मुहम्मद का जन्म,हलीमा का परिचय,बेडौंस (Bedouins) में युवा मुहम्मद का जीवन,मुहम्मद का अनाथपन,अबू तालिब के भतीजे की पहली कारवां यात्रा,मुहम्मद और खदीजा के बीच विवाह की व्यवस्था,अल-इसरा,अल-मिरदज, या स्वर्ग के लिए उदगम, अल-हिरा, पहला रहस्योद्घाटन, इस्लाम में पहला धर्मान्तरण,हिजरा, पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु आदि शामिल हैं।इन्हें केवल समारोहों के दौरान पढ़ा जाता है, हालांकि मावलिद को मनाने के कई अलग-अलग तरीके हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं, कि मावलिद को मनाने वाले लोग कहां से हैं। पैगंबर के एक और साथी जिन्होंने पैगंबर के जीवन पर कविताएं लिखीं, वे थे हसन बिन थाबित। उन्हें पैगंबर के कवि के रूप में जाना जाता था।हसन की सबसे प्रसिद्ध कविता, जिसमें पैगंबर के जन्म का उल्लेख किया गया है, में लिखा गया है कि–
'मेरी आंखों ने तुमसे ज्यादा खूबसूरत इंसान नहीं देखा,
तुमसे ज्यादा खूबसूरत इंसान को किसी औरत ने जन्म नहीं दिया,
आप बिना किसी कमजोरी और दोष के बनाए गए हैं,
आप वैसे ही बनाए गए हैं जैसा आप बनाना चाहते थे।
पैगंबर के जन्म और प्रारंभिक जीवन के बारे में शायद सबसे प्रसिद्ध कविता इमाम अल- बरजानजी की थी, जिनके उन्नीस अध्यायों में 355 छंद मौजूद हैं।यह पूरे मुस्लिम जगत में गाया जाता है, और विशेष रूप से अफ्रीका (Africa) के एक बड़े हिस्से में प्रसिद्ध है।एक और प्रसिद्ध कविता, जिसके बारे में कुछ लोग कहते हैं कि यह दुनिया के इतिहास में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली कविता है, वह है शेख अल-बुसैरी की“क़सीदा बर्दाह”(Qasidah Burdah) जिसे बुर्दा (Burda)कहा जाता है।
मुस्लिम दुनिया में आज भी मावलिद कविताएँ लिखी जा रही हैं। हाल के वर्षों में जिस कविता ने प्रसिद्धि और स्वीकृति प्राप्त की है, वह है 'दीया' अल-लामी (‘Diya’ al- Laami)।

संदर्भ:
https://bit.ly/3SvnDQ5
https://bit.ly/3CvZ0xa
https://bit.ly/3C9gM7V

चित्र संदर्भ
1. मौलिद-अल-नबी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. इस्लामिक प्रतीक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इस्लामिक लेखन पुस्तकों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. दीया अल-लामी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • मेरठ की ऐतिहासिक गंगा नहर प्रणाली, शहर को रौशन और पोषित कर रही है!
    नदियाँ

     18-09-2024 09:18 AM


  • क्यों होती हैं एक ही पौधे में विविध रंगों या पैटर्नों की पत्तियां ?
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:16 AM


  • आइए जानें, स्थलीय ग्रहों एवं इनके और हमारी पृथ्वी के बीच की समानताओं के बारे में
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:34 AM


  • आइए, जानें महासागरों से जुड़े कुछ सबसे बड़े रहस्यों को
    समुद्र

     15-09-2024 09:27 AM


  • हिंदी दिवस विशेष: प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण पर आधारित, ज्ञानी.ए आई है, अत्यंत उपयुक्त
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:21 AM


  • एस आई जैसी मानक प्रणाली के बिना, मेरठ की दुकानों के तराज़ू, किसी काम के नहीं रहते!
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:10 AM


  • वर्षामापी से होता है, मेरठ में होने वाली, 795 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा का मापन
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:25 AM


  • परफ़्यूमों में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक रसायन डाल सकते हैं मानव शरीर पर दुष्प्रभाव
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:17 AM


  • मध्यकालीन युग से लेकर आधुनिक युग तक, कैसा रहा भूमि पर फ़सल उगाने का सफ़र ?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:32 AM


  • पेट्रोलियम के महत्वपूर्ण स्रोत हैं नमक के गुंबद
    खनिज

     09-09-2024 09:43 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id