मेरठ कांस्पीरेसी केस विश्वविख्यात है। मार्च 1929 में ब्रिटिश सरकार ने 33 वामपंथी श्रम संघवादियों को रेल हड़ताल करवाने के जुर्म में गिरफ्तार कर उनपर झूठा मुक़दमा चलाया जो 1933 तक चला। एस.ए.डांगे, मुज्ज़र्फर अहमद, शौकत उस्मानी, मित्रा, झाबवाला, देसाई, जोगलेकर, निम्बकर इन के साथ फिलिप स्प्राट, बेंजामिन ब्राडले और हचिन्सन यह अंग्रेज़ भी इस केस के तहत गिरफ्तार हुए। ब्रिटिश सरकार को लग रहा था की कम्युनिस्ट इंटरनेशनल पार्टी का प्रभाव बढ़ रहा था जिसकी वजह से भारत की कॉलोनी उनके हाथ से जा सकती थी। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के प्रचार और सोशलिस्ट-कम्युनिस्ट विचारों के प्रसार पर रोक लगाने के लिए ब्रिटिश राज ने इस कांस्पीरेसी केस का सहारा लिया मगर प्रभाव कम होना तो दूर इस मुकदमे की वजह से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया का अस्तित्व भारत में और मजबूत हो गया क्योंकि सभी गिरफ्तार कैदियों ने खास कर डांगे इन्होने अपनी विचारधारा को सबके सामने रखने के लिए कोर्ट का एक मंच सरीखा इस्तेमाल किया। इस मेरठ कांस्पीरेसी केस के चर्चे बाहरी देशों तक भी पोहोंचे जिस वक़्त रेड मेगाफ़ोन्स इस नाट्यकला समूह ने इस वाकये पर मेरठ इस नाम का एक पथनाट्य बनाया। जिमी मिलर उर्फ़ एवन मैककोल और एड्डी फ्रो इन्होने रेड मेगाफ़ोन्स ये पथनाट्य समूह शुरू किया था। नार्थ वेस्ट लंदन स्थित हैमर और सिकल ग्रुप लिखित मेरठ इस नाटिका को रेड मेगाफ़ोन्स ने पथनाट्य के रूप में प्रस्तुत किया। यह सामूहिक घोषणा की शैली में मेरठ के भारतीय रेल हड़ताल के कर्ता-धर्ता को दिए गए निर्दय जेल सजा मुद्दे के इर्द-गिर्द बुना गया था। अजिटप्रॉप मतलब कम्युनिस्ट राजनैतिक प्रचार का इस्तेमाल कर इस नाटक में उस वक़्त के जेल एवं बाकि दृश्यों का निर्माण किया गया था। तीन अभिनेता 3-4 लकड़ी के डंडे अपने सामने खड़े पकड़कर रहते थे और बाकि के अभिनेता कुछ डंडे इन खढे डंडों के सामने आढे रखते थे जिससे जेल की सलाखों का दृश्य निर्माण होता था। फिर इन सलाखों से अपने हाथ बाहर निकाल मेरठ के उन कैदियों के प्रति अंतर्राष्ट्रीय एकता का आवाहन करते थे। इस नाटिका का पहला प्रदर्शन त्राफ्फोर्ड रोड, सालफोर्ड के गोदी फाटक के सामने हुआ था। नाट्यकला इस तरीके से किसीभी राजनैतिक गतिविधियों को अधोरेखित कर भौगोलिक कक्षाओं से परे जनसामन्य तक पहुंचाने का बहुत महत्वपूर्ण कार्य करती है। प्रस्तुत चित्र उन सभी लोगों का है जो इस केस के तहत गिरफ्तार हुए थे। 1. https://en.wikipedia.org/wiki/Meerut_Conspiracy_Case 2. म्युटिनी इन मेरठ जेल (द लेबर मंथली, वॉल्यूम 12, अक्टूबर 1930) मार्क्सिस्ट इन्टरनेट आर्काइव 2009 https://www.marxists.org/history/international/comintern/sections/britain/periodicals/labour_monthly/1930/10/meerut.htm 3. डब्लू.सी.एम.एल वर्किंग क्लास मूवमेंट लाइब्रेरी https://wcml.org.uk/maccoll/theatre/the-red-megaphones/ 4. द मेरठ कांस्पीरेसी केस अप्रैल 2016 http://cpiml.org/library/communist-movement-in-india/introduction-communist-movement-in-india/the-meerut-conspiracy-case/ 5. मेरठ कांस्पीरेसी केस (1929): एड. शैलेन दासगुप्ता https://archive.org/stream/in.ernet.dli.2015.461842/2015.461842.Meerut-Conspiracy_djvu.txt
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.