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वर्तमान समय में प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या बन गया है, जो
हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर रहा है। आज हम चारों ओर से
प्लास्टिक से घिरे हुए हैं, किंतु एक समय था जब ऐसा नहीं था तथा प्लास्टिक को पशु-
व्युत्पन्न सामग्री के विकल्प के रूप में अपनाया गया। तो चलिए आज सिंथेटिक प्लास्टिक
के आविष्कार के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं तथा जानते हैं कि इन आविष्कारों ने चीजें
कैसे बदली।
जबकि हम यह सोचते हैं कि प्लास्टिक एक 20 वीं शताब्दी की सामग्री है,किंतु प्राकृतिक
प्लास्टिक जैसे कि सींग, कछुए का आवरण या शैल (Tortoise Shell),एम्बर (Amber),
रबर (Rubber) और शेलैक (Shellac) या लाख, प्राचीन काल से ही मौजूद हैं।जानवरों के
सींग गर्म करने पर पिघल जाते थे, जिससे पदकों से लेकर कटलरी और कई उद्देश्यों के लिए
इसका इस्तेमाल किया जाने लगा।
कंघी बनाने का उद्योग 19वीं सदी में सींग के सबसे बड़े
अनुप्रयोगों में से एक था। औद्योगीकृत वस्तुओं के उत्पादन के मद्देनजर 19वीं शताब्दी के
मध्य तक, कुछ पशु-व्युत्पन्न सामग्री तेजी से दुर्लभ होने लगी।पियानो कीज़ (Piano keys)
से लेकर बिलियर्ड बॉल्स (Billiard balls) तक की वस्तुओं में हाथीदांत का इस्तेमाल किया
जाता था, जिससे हाथी संकट की स्थिति का सामना कर रहे थे, तथा विलुप्त होने की कगार
पर थे।
आविष्कारकों ने जल्द ही इस पर्यावरणीय और आर्थिक समस्या से निपटने के प्रयास में नई
अर्ध-सिंथेटिक सामग्री का निर्माण करना शुरू किया, जो कॉर्क (Cork), खून और दूध जैसे
प्राकृतिक पदार्थों पर आधारित थे। इनमें से सबसे पहले सेल्यूलोज नाइट्रेट (Cellulose
nitrate) का इस्तेमाल किया गया, जिसे तैयार करने के लिए कपास के रेशे को नाइट्रिक
(Nitric) और सल्फ्यूरिक एसिड (Sulphuric acids) में घोला जाता है और फिर वनस्पति
तेल के साथ मिश्रित किया जाता है।इसके आविष्कारक कारीगर-सह-रसायनज्ञ अलेक्जेंडर
पार्क्स (Alexander Parkes) ने 1862 में पार्केसिन (Parkesine) के रूप में इस नई
सामग्री का पेटेंट कराया। इसे पहला निर्मित प्लास्टिक माना जाने लगा, जो हाथी दांत या
कछुए के शैल का एक सस्ता और रंगीन विकल्प था।इस नए प्लास्टिक ने कंघे और बिलियर्ड
बॉल जैसी वस्तुओं को कई लोगों के लिए सस्ता बना दिया था।
सेल्युलाइड का सबसे बड़ा सांस्कृतिक अनुप्रयोग सिनेमा फिल्म था।20वीं सदी में प्लास्टिक
उत्पादन में एक क्रांति आई,तथा सिंथेटिक प्लास्टिक का पूरी तरह से आगमन हुआ। 1907 में
बेल्जियम (Belgium) के रसायनज्ञ लियो बेकलैंड (Leo Baekeland) ने पहले पूर्ण
सिंथेटिक प्लास्टिक के निर्माण की शुरूआत की। उन्होंने बेकेलाइट (Bakelite) का आविष्कार
किया, जो पहला पूरी तरह से एक सिंथेटिक प्लास्टिक था, जिसका अर्थ है कि इसमें प्रकृति में
पाए जाने वाले कोई अणु नहीं थे।
बैकेलाइट न केवल एक अच्छा कुचालक था, बल्कि यह
टिकाऊ, ऊष्मा प्रतिरोधी भी था, और इसका यांत्रिक रूप से बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा
सकता था। उनके इस आविष्कार में दो रसायनों, फॉर्मलाडेहाइड (Formaldehyde) और
फिनोल (Phenol) का इस्तेमाल किया गया था।द्वितीय विश्व युद्ध के कारण संयुक्त राज्य
अमेरिका (United States) में प्लास्टिक उद्योग के एक बड़े विस्तार की आवश्यकता
महसूस हुई, क्योंकि यह सैन्य सफलता के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता था।प्लास्टिक ने
कई विकल्प प्रदान किए, जैसे 1935 में एक सिंथेटिक रेशम के रूप में वालेस कैरोथर्स
(Wallace Carothers) द्वारा आविष्कृत नायलॉन (Nylon) का उपयोग युद्ध के दौरान
पैराशूट, रस्सियों, बॉडी आर्मर, हेलमेट लाइनर आदि के लिए किया गया था।प्लेक्सीग्लस
(Plexiglas)ने विमान की खिड़कियों के लिए कांच का विकल्प प्रदान किया।द्वितीय विश्व
युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में प्लास्टिक उत्पादन में 300% की वृद्धि देखी
गई।युद्ध समाप्त होने के बाद भी प्लास्टिक उत्पादन में कमी नहीं आई। लेखक सूज़न
फ्रींकेल (Susan Freinkel) के अनुसार, "हर उत्पाद के रूप में और हर बाजार में प्लास्टिक
ने पारंपरिक सामग्रियों को चुनौती दी और जीत हासिल की, परिणामस्वरूप इन्होंने कारों में
स्टील, पैकेजिंग में कागज और कांच, और फर्नीचर में लकड़ी की जगह ले ली।" यह एक ऐसा
सस्ता, सुरक्षित और स्वच्छ पदार्थ बन गया जिसे मनुष्य अपनी इच्छानुसार आकार दे सकता
था।
हालांकि इसके बाद प्लास्टिक के दुष्प्रभाव देखे जाने लगे।1960 के दशक में महासागरों में
प्लास्टिक का मलबा पहली बार देखा गया था। रेचल कार्सन (Rachel Carson) की 1962
की पुस्तक, साइलेंट स्प्रिंग (Silent Spring), ने रासायनिक कीटनाशकों के खतरों को
उजागर किया। इस समय तक पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलने लगी थी, तथा
प्लास्टिक कचरे के बने रहने से पर्यवेक्षकों को परेशानी होने लगी।प्लास्टिक अब एक ऐसा
शब्द बन गया था,जिसका वर्णन करने के लिए सस्ता, कमजोर या नकली का इस्तेमाल किया
जाने लगा।1970 और 1980 के दशक में प्लास्टिक कचरे के बारे में चिंता बढ़ने के कारण
प्लास्टिक की प्रतिष्ठा और गिर गई। समाधान के रूप में प्लास्टिक उद्योग ने रीसाइक्लिंग
(Recycling) की पेशकश की। 1980 के दशक में प्लास्टिक उद्योग ने नगर पालिकाओं को
उनके अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों के हिस्से के रूप में पुनर्चक्रण योग्य सामग्रियों को इकट्ठा
करने और उन्हें संसाधित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
हालांकि अधिकांश प्लास्टिक अभी भी पर्यावरण में विभिन्न स्थानों पर बड़ी मात्रा में नजर
आता है।मानव स्वास्थ्य के लिए संभावित खतरे के बारे में बढ़ती चिंता के कारण प्लास्टिक
की प्रतिष्ठा को और नुकसान हुआ है। प्लास्टिकों में मौजूद रसायन हमारे भोजन, पानी और
शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जो हमारी शारीरिक क्रियाओं को बाधित करता है।भारत 3.6 लाख
मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें से केवल 50% का ही
पुनर्नवीनीकरण हो पाता है।
हाल ही में, भारत ने 1 जुलाई, 2022 से पूरे देश में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक की वस्तुओं
के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।इस कार्य
में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्यों कि यह प्लास्टिक के कारण
होने वाले प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार को विभिन्न सुझाव देता है।
साथ ही यह इससे सम्बंधित कई जानकारियां सरकार को प्रदान करता है, ताकि प्रभावी उपाय
किए जा सकें। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट (2019-20) में कहा गया था कि भारत
में सालाना 35 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है।भारत में, 2016 और
2018 के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम और 2021 के संशोधन में एकल-उपयोग वाले
प्लास्टिक पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सरकार द्वारा एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर
लगाया गया यह प्रतिबंध प्लास्टिक कचरे को कम करने में एक प्रभावी कदम हो सकता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3KXa88F
https://bit.ly/2Fu7AR9
https://bit.ly/3x4BzYL
चित्र संदर्भ
1. प्लास्टिक से निर्मित विविध घरेलू उत्पादों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्लास्टिक पेय की बोतल की ब्लो मोल्डिंग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. बेकेलाइट (Bakelite) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4.पैराशूट कपड़ा उत्पादन को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
5. प्लास्टिक प्रतिबंध को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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