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हिंदू पौराणिक कथाओं में, मत्स्य अवतार को भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है। प्राचीन
ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु सत्य युग के दौरान जीवित प्राणियों को एक महान बाढ़ से बचाने के
लिए मछली के रूप में प्रकट हुए, यह कथा नोह्स आर्क (Noah’s Ark) की बाइबिल (Biblical) कहानी के
साथ समानताएं दिखाती हैं।महान बाढ़ का उल्लेख सतपथ ब्राह्मण जैसे ग्रंथों में किया गया है, जिसमें
मत्स्य अवतार पवित्र और प्रथम व्यक्ति, मनु को बचाने के लिए प्रकट होते हैं, और उन्हें एक महान
नाव बनाने की सलाह देते हैं।मत्स्य पुराण के अनुसार, द्रविड़ के राजा, सत्यव्रत, जिन्हें बाद में मनु के
नाम से जाना जाता था, एक नदी में अपने हाथ धो रहे थे, जब एक मछली उनके हाथों में तैर कर
आती है और उनसे अपनी जान बचाने की गुहार लगाती है।मछली पर दया दिखाकर राजा सत्यव्रत
उसे अपने साथ ले गए। अपने राजभवन में आकर उन्होंने मछली को एक छोटे पात्र में रखा, लेकिन
कुछ ही दिनों में मछली बड़ी हो गई और वह पात्र छोटा हो गया। तभी राजा ने मछली के लिए एक
अन्य बड़ा पात्र मँगवाया और कुछ समय बाद जब वह पात्र भी छोटा हो गया तो मछली को कुएं में
डाला गया। और जब कुआँ भी लगातार बढ़ती मछली के लिए अपर्याप्त साबित हुआ, तो राजा ने उसे
एक जलाशय में रखा, जो सतह से ऊपर और जमीन पर दो योजन (16 मील) की ऊंचाई पर, और
एक योजन ( 8 मील) चौड़ाई में था।जैसे-जैसे मछली और अधिक बढ़ने लगी, राजा को मछली को
एक नदी में डालना पड़ा, और जब नदी भी अपर्याप्त साबित हुई, तो उन्होंने उसे समुद्र में रख दिया,
जिसके बाद मछली ने महान महासागर के विशाल विस्तार को लगभग भर दिया। यह तब था जब
भगवान विष्णु ने स्वयं को प्रकट करते हुए राजा को एक विनाशकारी जलप्रलय की सूचना दी जो
बहुत जल्द आने वाली थी। तब राजा ने एक विशाल नाव का निर्माण किया, जिसमें उनके परिवार,
सप्तर्षि, नौ प्रकार के बीज, और जानवरों को जलप्रलय के समाप्त होने के बाद फिर से पृथ्वी को
बसाने के लिए रखा गया था। प्रलय के समय, भगवान विष्णु एक सींग वाली मछली के रूप में प्रकट
हुए और वासुकी नाग एक रस्सी के रूप में प्रकट हुए, जिनकी सहायता से राजा ने नाव को मछली के
सींग पर बांध दिया।नौबंधन नामक हिमवत की सबसे ऊंची चोटी के शीर्ष पर जलप्रलय के बाद नाव
खड़ी हो गई थी।प्रलय के बाद, मनु के परिवार और सात ऋषियों ने पृथ्वी को फिर से बसाया।
यह कथा अन्य बाढ़ मिथकों जैसे गिलगमेश बाढ़ मिथक और उत्पत्ति बाढ़ कथा के समान है।इन बाढ़
की कहानियों की जड़ें विज्ञान में भी महत्वपूर्ण हैं। जियोमाइथोलॉजी (Geomythology) इस बात का
अध्ययन है कि ये कहानियां और भूविज्ञान कैसे प्रतिच्छेद कर सकते हैं। बाढ़ की कहानियां
भूवैज्ञानिक घटनाओं जैसे ज्वालामुखी, भूकंप, बाढ़, जीवाश्म और परिदृश्य की अन्य प्राकृतिक
विशेषताओं की व्याख्या कर सकती हैं।
# ईसाई धर्म
जूदेई-ईसाई (Judeo-Christian) बाढ़ की कहानी में, भगवान मानव जाति के पापों से क्रोधित हो गए।
उन्होंने अपने वफादार सेवक, नूह (Noah) से कहा, कि वह अपने परिवार के लिए काफी बड़ा जहाज़
बना ले (जिसमें आठ लोग; उसकी पत्नी, उसके तीन बेटे और उनकी पत्नियाँ)और पृथ्वी पर हर प्राणी
में से दो आ सकें। इसके बाद परमेश्वर के द्वारा बताया गया जल प्रलय हुआ, जिसमें जहाज में मौजूद
लोगों के अलावा पृथ्वी पर मौजूद सभी चीजें नष्ट हो गई। बाढ़ के बाद, जहाज एक पहाड़ की चोटी पर
पहुँच जाता है, यह विवरण विभिन्न संस्कृतियों में कई कहानियों में दोहराया जाता है।यह वास्तव में
पानी की अपार गहराई को दर्शाने के एक प्रयास में दिखाया गया था, कि पानी पहाड़ों से भी ऊंचा था।
नूह और उसका परिवार ही जीवित मनुष्य थे और संभवतः वर्तमान मानव जाति के मूल हैं।कुरान में
भी यही कथा दिखाई देती है: अल्लाह ने नूह को जहाज बनाने के लिए कहा, बाढ़ आई और फिर नूह
से दुनिया फिर से शुरू हुई।
# प्राचीन मेसोपोटामिया
शायद सबसे पुरानी बाढ़ की कहानी, मनुष्य को ज्ञात सबसे शुरुआती कहानियों में से एक, 12 तख्तों
पर लिखी द एपिक ऑफ गिलगमेश (The Epic of Gilgamesh) पर दर्ज है। कविता के अनुसार गिलगमेश
एक सुमेरियन (Sumerian) राजा था जिसने 126 वर्षों तक राज्य किया। एक मित्र की मृत्यु के बाद,
गिलगमेश ने अमरता की खोज शुरू की और उत्नापिष्टम (Utnapishtim) नाम के एक अमर व्यक्ति
से मिले, जिसकी कहानी नूह की कहानी से काफी मिलती-जुलती है।जाहिरा तौर पर, उत्नापिष्टम को
जीवन के संरक्षक नामक एक जहाज के निर्माण और "महान बाढ़" से बचने के बाद अमरता प्रदान
की गई थी। नूह की तरह, उत्नापिष्टम ने मानव जाति को बचाने के लिए अपने सभी रिश्तेदारों और
सभी प्रजातियों के जीवों को अपने जहाज पर सवार कर पहाड़ में चले गए।कुछ संस्कृतियों की बाढ़
की कहानियाँ नूह की कहानी से थोड़ी ही मिलती-जुलती हैं। वे विशाल नाव और क्रोधित परमेश्वर के
विषयों को बनाए रखते हैं, लेकिन उनकी पुन: आबादी की कहानियां बेतहाशा भिन्न हैं।
# एज़्टेक (Aztec)
एज़्टेक बाढ़ की कहानी नूह की कहानी के साथ कुछ मौलिक कथानक मोड़ के साथ समानताएं साझा
करती है। इस कहानी में, टिटलाकाउन (Titlacauan) ने नोट (Noet) नाम के व्यक्ति और उसकी पत्नी
नेना (Nena) को आने वाली बाढ़ की चेतावनी दी। नोट और नेना ने एक सरू के पेड़ को खोखला कर
दिया, और टिटलाकाउन ने उन्हें यह कहते हुए अंदर बंद कर दिया कि वे केवल एक-एक मक्का खा
सकते हैं।यह कहानी इसके बाद अन्य कहानियों से भिन्न होती है।पृथ्वी पर बाढ़ आ गई, लेकिन लोग
मारे नहीं गए, बल्कि उन्हें मछली में बदल दिया गया। बाढ़ के बाद, नोट और नेना ने टिटलाकाउन की
अवज्ञा की और मछली खा ली। तो टिटलाकाउन ने उन्हें कुत्तों में बदल दिया।हालांकि कहानी दुनिया
के दुबारा से शुरू होने के साथ समाप्त होती है; अनिवार्य रूप से इसमें अधिक मछलियों और कुत्तों की
आबादी को दर्शाया गया है।
# यूनानियों
ज़ीउस (Zeus), देवताओं के राजा, मानव आबादी, या पेलसगिअन्स (Pelasgian) से नाखुश थे।ज़ीउस ने
प्रोमेथियस (Prometheus) के बेटे ड्यूकालियन (Deucalion) से कहा कि वह अपने और अपनी पत्नी,
पायरा (Pyrrha) के लिए एक जहाज का निर्माण करें। नौ दिनों की बाढ़ के बाद, दुनिया नष्ट हो गई,
और जहाज परनासस (Parnassus) पर्वत की चोटी पर जा पहुंचा। जब पानी कम हो गया, तो
ड्यूकालियन और उसकी पत्नी ने ज़ीउस को यह जानने के लिए कुर्बानी दी कि पृथ्वी को फिर से कैसे
बनाया जाए। ज़ीउस ने उन्हें अपने कंधों पर पत्थर फेंकने के लिए कहा। ड्यूकालियन द्वारा फेंके गए
पत्थर पुरुष बन गए, और पायरा के पीछे फेंके गए पत्थर महिलाएं बन गईं।हालांकि यह एक प्रकार से
जादुई लगता है, लेकिन इसने यह दर्शाया है कि पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ।
वहीं एशियाई बाढ़ की कहानियां कुछ प्राथमिक विषयों को बरकरार रखती हैं लेकिन कहीं अधिक
जटिल हैं। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि एशियाई बाढ़ की कहानियों में, मनुष्य न केवल जहाज
बनाने वाले और बचे हुए हैं, उनके पास अन्य संस्कृतियों की तुलना में कहीं अधिक शक्तियां और
नियंत्रण को दर्शाया गया है। जैसा कि हम मनु की कहानी में भी देख चुके हैं। ऐसे ही अन्य
एशियाई बाढ़ की कहानियों में भी एक नजर डालते हैं: # बौद्धधर्म
बौद्ध धर्म में “समुद्र-वनिजा जातक” नामक एक विस्तृत बाढ़ की कहानी मौजूद है। एक भारतीय गाँव
में बेईमान बढ़ई के 1000 परिवार रहते थे। ये बढ़ई लोगों से कहते थे कि वे घर से लेकर कुर्सियों
तक कुछ भी बना सकते हैं और पैसे ले लेते थे, लेकिन कभी भी कोई समान नहीं देते या काम को
नहीं करते थे। इस वजह से, वे आश्चर्यजनक रूप से गाँव में तिरस्कृत थे और उन्हें रहने के लिए
एक नया स्थान खोजने की आवश्यकता पड़ गई।उन्होंने एक जहाज बनाया और तब तक जहाज को
चलाते रहे, जब तक उन्हें एक अन्य स्थान न मिल जाएं, तभी उन्हें एक सुंदर द्वीप मिला। द्वीप में
एक आदमी रहता था और उसने बढ़ई का रहने के लिए स्वागत किया, और बताया कि द्वीप में खाने
के लिए सब कुछ मौजूद है और वे एक आरामदायक जीवन व्यतीत कर सकते हैं, लेकिन द्वीप में
आत्माएं रहती हैं। आत्मा का एकमात्र नियम यह था कि हर बार जब मनुष्य को शौच या पेशाब
करने की आवश्यकता होती है, तो उन्हें एक गड्ढा खोदने और समाप्त होने पर उसे ढकने की
आवश्यकता होती है। आत्माएं अपने द्वीप को साफ रखना चाहती थीं और उन्हें कौन दोषी ठहरा
सकता है।बढ़ई द्वीप में प्रवेश करने की खुशी में मनोरंजन करने लगे और वे मनोरंजन में इतने खो
गए कि वे नियम को भूल गए और नियम का उल्लंघन कर दिया। जिसके परिणामस्वरूप आत्माओं
ने उन्हें वहाँ से भगाने के लिए एक चेतावनी दी कि कुछ दिनों में द्वीप में बाढ़ आएगी और वे सभी
वहाँ से चले जाएं। लेकिन एक आत्मा ने उन्हें अच्छा सबक सिखाने के लिए बोल दिया कि कोई बाढ़
नहीं आएगी तुम लोग अपना मनोरंजन जारी रखो। इस पर बढ़ई के दो मुख्य, एक समझदार और
एक बेवकूफ बहस करने लगे। समझदार मुख्य अपने साथियों को लेकर द्वीप से नाव में बैठकर चला
गया और बेवकूफ मुख्य अपने साथियों के साथ वहाँ बैठकर मनोरंजन करते रहे और आत्माओं के
अनुसार जब द्वीप में बाढ़ आई तो वे बाढ़ के साथ बह गए। इस कहानी में सबसे दिलचस्प यह था
कि बाढ़ केवल एक द्वीप तक सीमित थी, संपूर्ण विश्व में नहीं। और इसमें एक जहाज को दर्शाया
गया है, लेकिन मानव आबादी को दुबारा बढ़ाने की आवश्यकता को नहीं दर्शाया गया है, क्योंकि बाढ़
से कुछ ही लोग मरे थे। और यह एकमात्र बाढ़ की कहानी हो सकती है जिसका शारीरिक कार्यों से
घनिष्ठ संबंध है।
बाढ़ की कहानियां कई संस्कृतियों में व्याप्त हैं और कई अभिलेखों में आश्चर्यजनक समानताएं भी
देखी जा सकती हैं। ऐसा मान सकते हैं कि क्या पता इनमें से कुछ कहानियाँ वास्तविक घटनाओं पर
आधारित हों। भूवैज्ञानिकों द्वारा भी पिछले हिमयुग के अंत में लगभग 7,000 साल पहले मध्य पूर्व
में एक विशाल बाढ़ की संभावनाओं को प्रस्तावित किया है। उस समय, काला सागर (Black Sea)
एक मीठे पानी की झील थी जो खेतों से घिरी हुई थी।परिकल्पना यह है कि यूरोपीय (European)
ग्लेशियर पिघल गए और भूमध्य सागर नियाग्रा फॉल्स (Niagra Falls) से 200 गुना अधिक बल के
साथ बह गया।बाढ़ का पानी अविश्वसनीय रूप से इतना तेज था कि सब कुछ अपने साथ बह ले
गया। ऐसे भौतिक प्रमाण भी मौजूद हैं जो इस सिद्धांत का समर्थन करते हैं, जिसमें काला सागर के
नीचे पाषाण युग की संरचनाएं भी शामिल हैं।अन्य सिद्धांतों में सूनामी (Tsunami) शामिल हैं और
धूमकेतु को भी बाढ़ का कारण बताया गया है।
लेकिन सवाल यह उत्पन्न होता है कि क्या अब ऐसे विशाल बाढ़ के आने कि संभावनाएं मौजूद हैं?
पेड़ों की कटाई, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और समुद्र का बढ़ता जलस्तर यही संकेत देता है कि हम
स्वयं ही एक नई बाढ़ की कहानी को बनाने के लिए रास्ता खोद रहे हैं।
संदर्भ :-
https://to.pbs.org/3PQkzvS
https://bit.ly/3wy7PDg
चित्र संदर्भ
1. मत्स्य अवतार एवं नोह्स आर्क के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. प्रलय के दौरान मनु और सात ऋषियों ने पृथ्वी को फिर से बसाया। को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. नोह्स आर्क के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (Free SVG)
5. उत्नापिष्टम (Utnapishtim) की कहानी को दर्शाता एक चित्रण (
Store norske leksikon)
6. बटिटलाकाउन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. डी ज़ोंडव्लोएड वैन ड्यूकालियन (De zondvloed van Deucalion) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. जातक कथा के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. बाढ़ के कारण मानवता के विनाश को दर्शाता एक चित्रण (lookandlearn)
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