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प्राचीन भारत की आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली आज भी पूरी दुनिया में एक बेहद चर्चित विषय है।
1500 ईसा पूर्व की भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिखित उल्लेखों में शरीर, मन और आत्मा से
संबंधित स्तर पर नारियल के तेल का वर्णन मिलता है। नारियल के पेड़ के कई अनुप्रयोगों का
मानव जाति विशेषतौर पर भारत के विकास एवं आर्थिक वृद्धि में अहम योगदान रहा है, जिसमें से
नारियल का तेल हमेशा से ही सबसे महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों में से एक रहा है।
विश्व में नारियल तेल का इतिहास 4000 साल पुराना माना जाता है। नारियल का तेल पीढ़ी दर
पीढ़ी लाखों लोगों के आहार में वसा का मुख्य स्रोत रहा है। यह नारियल के पेड़ (कोकोस न्यूसीफेरा
“cocos nucifera”) में लगे पके हुए नारियल के गूदे या सार से निकाला जाता है।
नारियल तेल बेहद उष्णता सुचालक होता है इसलिए इसे खाना पकाने एवं तलने का एक उत्कृष्ट
तेल माना जाता है। इसका धूम्र बिंदु लगभग 360 °F (180 °C) होता है। इसकी स्थिरता की वजह से
इसका ऑक्सीकरण भी धीमी गति से होता है, जिससे यह जल्दी बासी नहीं होता और उच्च संतृप्त
वसा तत्व की वजह से दो वर्षों तक टिक सकता है।
नारियल के तेल का उपयोग दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, भारतीय उपमहाद्वीप, माले,
माइक्रोनेशिया और पोलिनेशिया के कई क्षेत्रों में किया जाता है। 1500BC से संस्कृत आधारित
भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा ने शरीर, मन और आत्मा से संबंधित लगभग हर क्षेत्र में नारियल के
तेल के उपयोग का दस्तावेजीकरण किया है। शुरुआती यूरोपीय खोजकर्ताओं में से एक, कैप्टन
कुक (Captain Cook) ने उल्लेख किया है कि, कैसे नारियल का तेल प्रशांत क्षेत्रों में संपन्न
समुदायों का अहम हिस्सा बन गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ताज़े हरे नारियल का पानी ड्रिप के रूप में काम करता था और
संबद्ध सैनिकों की जान बचाता था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, नारियल तेल का व्यावसायिक
रूप से विपणन किया गया तथा इसे इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका में क्रमशः 'मार्जरीन' और
'नारियल मक्खन' (Margarine and Coconut Butter) के रूप में बेचा गया। हालांकि यह लंबे
समय से उपयोग किया जाता रहा है, किन्तु 1954 में नारियल का तेल, अन्य तेलों की तुलना में
अधिक पौष्टिक के रूप में लोकप्रिय हो गया। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि नारियल का तेल, इससे
पहले की कई शताब्दियों तक, इसकी संतृप्त वसा सामग्री के कारण अच्छी गुणवत्ता में प्राप्त नहीं
हुआ था।
अध्ययनों ने, यह साबित कर दिया है कि नारियल के तेल में पाया जाने वाला मध्यम-श्रृंखला फैटी
एसिड (Fatty Acids), अपने संरचनात्मक श्रृंगार के मामले में स्तन के दूध के काफी करीब होता
है। यही कारण है कि नारियल के तेल का प्रयोग बेबी फॉर्मूला, एनर्जी बार और स्पोर्ट्स ड्रिंक (Baby
Formula, Energy Bars and Sports Drinks) में भी किया जाता है, जहां इसे आमतौर पर
एमसीटी के रूप में जाना जाता है। एमसीटी फैटी एसिड (MCT Fatty Acids), विभिन्न तेलों में
अन्य वसा प्रकारों की तुलना में अच्छे पाचन गुण प्रदर्शित करते हैं।
नारियल का तेल गीली या सूखी प्रक्रिया (wet or dry process) से निकाला जा सकता है। अधिक
सरलता से (लेकिन शायद कम प्रभावी रूप से), प्राप्त करने के लिए इसके गूदे या अंदर के सफ़ेद
हिस्से को उबलते पानी, सूरज या धीमी आग के माध्यम से गर्म करके तेल का उत्पादन किया जा
सकता है। गीली प्रक्रिया में सूखे खोपरा (सूखे नारियल की गुठली, जिससे तेल प्राप्त होता है।) के
बजाय कच्चे नारियल से निकाले गए नारियल के दूध का उपयोग किया जाता है। नारियल के दूध
में मौजूद प्रोटीन तेल और पानी का इमल्शन बनाते हैं। तेल को साफ़ करने के लिए इमल्शन को
तोड़ना अधिक समस्याग्रस्त साबित होता है। यह लंबे समय तक उबालकर किया जाता था, लेकिन
यह एक फीका पड़ा हुआ तेल पैदा करता है और किफायती भी नहीं है।
आधुनिक तकनीकें ठंड, गर्मी, एसिड, लवण, एंजाइम, इलेक्ट्रोलिसिस, शॉक वेव्स, स्टीम
डिस्टिलेशन (Enzymes, Electrolysis, Shock Waves, Steam Distillation) या उसके कुछ
संयोजन सहित सेंट्रीफ्यूज (centrifuge) और पूर्व-उपचार का उपयोग करती हैं। कई विविधताओं
और प्रौद्योगिकियों के बावजूद, सूखे प्रसंस्करण के साथ खराब होने और कीटों के कारण होने वाले
नुकसान को ध्यान में रखते हुए, 10-15% कम उपज के कारण गीला प्रसंस्करण शुष्क प्रसंस्करण
की तुलना में कम व्यवहार्य है।
गीली प्रक्रियाओं के लिए भी उपकरण और ऊर्जा के निवेश की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया से
लातिक (नारियल का दही) भी बनता है, जिसका उपयोग फिलिपिनो डेसर्ट में गार्निशिंग
(Garnishing in Filipino Desserts) के रूप में किया जाता है।
नारियल की उचित कटाई (एक नारियल की उम्र 2 से 20 महीने तक हो सकती है), तेल बनाने की
प्रक्रिया की प्रभावकारिता में महत्वपूर्ण अंतर लाती है। तेल की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए अन्य
प्रक्रियाओं में 6% से कम नमी वाले खोपरा का उपयोग करना, तेल की नमी को 0.2% से कम
रखना, तेल को 130–150 °C (266–302 °F) तक गर्म करना और नमक या साइट्रिक एसिड मिलाना
शामिल है।
वर्जिन नारियल तेल (Virgin Coconut Oil) को ताजे नारियल के दूध, गूदे या अवशेषों से बनाया
जा सकता है। ताजे गूदे से इसे बनाने में या तो गीला-मिलिंग या अवशेषों को सुखाना और तेल
निकालने के लिए एक स्क्रू प्रेस का उपयोग किया जाता है। नारियल के दूध से तेल बनाने में
नारियल को कद्दूकस करके पानी के साथ मिलाकर तेल को निचोडा जाता है। दूध को 36-48 घंटों
के लिए किण्वित किया जा सकता है, तेल निकाला जा सकता है, और किसी भी शेष तेल को
निकालने के लिए क्रीम को गर्म किया जा सकता है। तीसरे विकल्प में तेल को अन्य तरल पदार्थों से
अलग करने के लिए अपकेंद्रित्र का उपयोग करना शामिल है। नारियल के दूध के उत्पादन से बचे
सूखे अवशेषों से भी नारियल का तेल निकाला जा सकता है।
2018 में, नारियल तेल का वेश्विक उत्पादन 3.3 मिलियन टन था, जिसका नेतृत्व फिलीपींस और
इंडोनेशिया कर रहे थे, जो कुल मिलाकर दुनिया का 67% था। नारियल के तेल का एशिया में एक
लंबा इतिहास रहा है, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जहां इसके पौधे प्रचुर मात्रा में पाए जाते
हैं, तथा जहां इसका उपयोग खाना पकाने के लिए किया जाता है।
यह श्रीलंकाई व्यंजनों में प्रयोग किया जाने वाला पसंदीदा तेल है, जहां इसका उपयोग नमकीन और
मीठे दोनों तरह के व्यंजनों में तलने के लिए किया जाता है। यह थाईलैंड और केरल के व्यंजनों में
भी प्रमुख भूमिका निभाता है।
पश्चिमी देशों में इसे अपेक्षाकृत एक तेल के रूप में हाल ही में पेश किया गया। नारियल के तेल का
उपयोग आमतौर पर पके हुए माल, पेस्ट्री और सॉस में किया जाता है। इसका प्रयोग कभी-कभी
पॉपकॉर्न को पॉप करने के लिए भी किया जाता है।
नारियल तेल का परीक्षण डीजल इंजन ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए बायोडीजल के
फीडस्टॉक के रूप में उपयोग के लिए भी किया गया है। इस तरह, इसे डीजल इंजन का उपयोग
करने वाले बिजली जनरेटर और परिवहन पर लागू किया जा सकता है। ईंधन के रूप में शुद्ध
वनस्पति तेल का उपयोग करने के लिए तेल को वेहेनस्टेफ़न मानक (weihenstephan
standard) को पूरा करना पड़ता है। 2 सितंबर को एशियाई प्रशांत नारियल समुदाय (APCC) के
गठन के उपलक्ष्य तथा नारियल के उपयोग और महत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष विश्व
नारियल दिवस भी मनाया जाता है। APCC का मुख्यालय जकार्ता, इंडोनेशिया में है और भारत
सहित सभी प्रमुख नारियल उत्पादक देश APCC के सदस्य हैं।
फिलीपींस, वानुअतु, समोआ और कई अन्य उष्णकटिबंधीय द्वीप देश ऑटोमोबाइल, ट्रक और
बसों को चलाने के लिए और बिजली जनरेटर के लिए वैकल्पिक ईंधन स्रोत के रूप में नारियल के
तेल का उपयोग करते हैं। प्रशांत के द्वीपों में बिजली उत्पादन के लिए ईंधन के रूप में नारियल तेल
की क्षमता पर और शोध किया जा रहा है, हालांकि आज तक ऐसा प्रतीत होता है कि श्रम की लागत
और आपूर्ति बाधाओं के कारण यह ईंधन स्रोत के रूप में उपयोगी नहीं है। ट्रांसफॉर्मर तेल के रूप में
उपयोग के लिए भी नारियल तेल का परीक्षण किया गया है।
भारत और श्रीलंका में नारियल की भूसी के उत्पादों, कॉयर (coir), से संबंधित औद्योगिक
गतिविधियां नारियल किसानों और अन्य लोगों को आय तथा रोजगार प्रदान करती हैं। केरल,
भारत में, कॉयर उद्योग लगभग आधे मिलियन लोगों की आजीविका सुरक्षा को सुनिश्चित करता,
जिसमें प्रमुखतः महिला श्रमिक शामिल हैं। केरल में किसान और निजी प्रसंस्करणकर्ता दोनों ही
कॉयर उद्योग से जुड़े हैं।
भारत के कुछ हिस्सों में झाड़ू और टूथपिक (toothpick) बनाने के लिए नारियल के पत्तों की मध्य-
पसलियों का व्यावसायिक स्तर पर उपयोग किया जा रहा है। भारत में, विशेष रूप से शहरों और
अन्य नगरपालिका क्षेत्रों में नियमित रूप से सफाई के काम के लिए नारियल के पत्तों की मध्य-
पसलियों से बने झाड़ू की मांग बढ़ रही है। साथ ही नारियल चीनी का उत्पादन भी देश में एक
पारंपरिक प्रसंस्करण गतिविधि है। अपने बहुमुखी गुणों के कारण नारियल कई देशों में ग्रामीण
आबादी के एक बड़े हिस्से को अतिरिक्त आय और रोजगार प्रदान कर सकता है।
संदर्भ
https://bit.ly/3Kwnxo8
https://bit.ly/3AqtePS
चित्र संदर्भ
1. नारियल तेल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. फिलीपींस में नारियल उपचार तेल के प्रसंस्करण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. नारियल पानी को दर्शाता एक चित्रण (pixels)
4. नारियल को छीलती महिला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. नारियल तेल निकालने की मशीन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. बहलीना, फिलीपींस की एक पारंपरिक नारियल शराब (ट्यूब) है जो नारियल के रस और मैंग्रोव छाल के अर्क से किण्वित होती है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. श्रीलंका में नारियल की भूसी से रेशे, कॉयर निकालने को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. नारियल के रेशे से गलीचा बनाने को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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