मेरठ का भारत के इतिहास में एक प्रतिष्ठित स्थान रहा है। भारत की आजादी की पहली क्रांति 1857 में यहां महान बेटों द्वारा शुरू किया गया था। यह मिट्टी महाभारत काल में एक महत्वपूर्ण स्थान बना कर रखा था। मेरठ की भूमि अत्यन्त उर्वर है जो की कई नस्लों के वृक्षों के लिये उपयुक्त है। मेरठ जिले का कुल वन क्षेत्र है 21,314 हेक्टेयर है। पेड़ जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शुरुआती दौर से ही, पेड़ों ने हमें दो जीवन के महत्वपूर्ण तत्व भोजन और ऑक्सीजन प्रस्तुत किया है। पेड़ों ने अपने पर्यावरण में अमूल्य योगदान दिया है हवा की गुणवत्ता, जलवायु सुधार, जल का सुद्धीकरण, जल संरक्षण, मिट्टी के संरक्षण, और वन्य जीवन का समर्थन करना आदि वृक्ष हवा को भी सन्तुलित करते हैं, तापमान और गर्मी की तीव्रता को कम करने का भी कार्य करते हैं। पेड़ों का महत्त्व पारिस्थितिक, सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से असाधारण है। पृथ्वी के स्थलीय जैव विविधता के कम से कम (मिलेनियम पारिस्थितिकी तंत्र आकलन, 2005), 80% उभयचर, 75% पक्षी का समर्थन करना और 68% स्तनपायी प्रजातियों (2009) पेड़ और वन पारिस्थितिक तंत्र एक व्यापक श्रेणी प्रदान करते हैं। वृक्षों के उत्पादन से लोगों को लाभकारी लकड़ी, ईंधन की लकड़ी और फाइबर, और पारिस्थितिक तंत्र स्वच्छ पानी, बाढ़ संरक्षण जैसी सेवाएं और वाटरशेड से मिट्टी की कटाव की रोकथाम पर्दान करते हैं, साथ ही उच्च सांस्कृतिक और आध्यात्मिक होने के नाते कुल मान (मिलेनियम पारिस्थितिकी तंत्र आकलन, 2005; यूएनईपी, 2009) करीब 1.6 अरब लोग अपनी आजीविका के लिए सीधे पेड़ों पर निर्भर रहें (विश्व बैंक, 2004), और वन उद्योग प्रति वर्ष $468 बिलियन का योगदान वैश्विक अर्थव्यवस्था (एफएओ, 2011) को प्रदान करता है। फलों के पेड़ की प्रजातियों का योगदान पोषण संबंधी समस्याओं पर काबू पाने के लिये महत्वपूर्ण है। ग्रामीण समुदायों के लिए आय के स्रोत के रूप में फलदायी वृक्षों का एक अहम योगदान है। वन में नुकसान और गिरावट मानव द्वारा की गयी गतिविधि से उत्पन्न पारिस्थितिकी तंत्र में समस्यायें वैश्विक जैव विविधता में एक बड़ी समस्या के रूप में निकल कर सामने आयी है। इनके कुछ प्रमुख कारण हैं- जनसंख्या में विष्फोट निकासी विकास, खनन, शहरीकरण और औद्योगिक विकास आदि ये सभी पेड़ के नुकसान में योगदान करते हैं। मेरठ में वृक्ष प्रजातियों के संरक्षण एक प्रमुख आवश्यक बिन्दु है। वर्तमान काल में वैश्विक स्तर पर लगभग 7,800 वृक्ष प्रजातियां वर्तमान में विलुप्तता के करार पर हैं। (ओल्डफील्ड,1998; न्यूटन और ओल्डफील्ड, 2008)। 1. सर्वे ऑन ट्रीज़ इन मेरठ डिस्ट्रिक्ट, उत्तर प्रदेश, भारत, डॉ. यशवन्त राय,
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