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ब्लास्ट फिशिंग से होता न सिर्फ मछुआरे की जान को जोखिम, बल्कि जल जीवों को भी भारी नुकसान

मेरठ

 27-06-2022 09:25 AM
मछलियाँ व उभयचर

ब्लास्ट फिशिंग (Blast fishing) या डायनामाइट फिशिंग (dynamite fishing) एक विनाशकारी मछली पकड़ने का अभ्यास है, जिसमें आसानी से पकड़ने के लिए मछली को अचेत करने या मारने के लिए विस्फोटकों का उपयोग किया जाता है। यह अवैध अभ्यास अक्सर आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत विनाशकारी होता है , विस्फोट अक्सर अंतर्निहित आवास (जैसे प्रवाल भित्तियों (coral reefs)) को नष्ट कर देता है जो मछली का आवास का कार्य करता है।जलाशय में डायनामाइट के विस्फोट से केवल मछली ही नहीं मरती बल्कि उससे जुड़ा सारा पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित होता है। पानी और बाहर का पर्यावरण प्रदूषित होता है।
पानी में रहने वाले अन्य जीव-जंतु नष्ट हो जाते हैं। इससे नदी या जलाशय के पानी में जहर घुल जाता है। आसपास के लोग और मवेशी यह पानी पीते हैं। अगर इस जहरीले पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है तो मिट्टी के मित्र जीवों को खतरा हो सकता है। भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। हालांकि दुनिया के कुछ हिस्सों में यह प्रथा गैरकानूनी है, परन्तु आज भी कई देशों में व्यापक रूप से फैली हुई है, यहां तक की भारत के कई हिस्सों में आज भी ब्लास्ट फिशिंग का उपयोग कर मछलियां पकड़ी जा रही हैं। जीरा (Jeera) नदी में डायनामाइट और अन्य विस्फोटकों के इस्तेमाल से बड़े पैमाने पर मछली पकड़ना सुबरनापुर जिले के लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। रिपोर्ट के अनुसार मछली पकड़ने का यह खतरनाक और अवैध विस्फोटकों का उपयोग, नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। ब्लास्ट फिशिंग नदी के किनारे जलीय जानवरों और पौधों के विनाश में अत्यधिक योगदान दे रहा है। मछली पकड़ने के ऐसे तरीके जलीय वन्यजीवों के आवासों को नष्ट कर देते हैं, जानवरों को अंधाधुंध मारते हैं। इसके अलावा, इसने स्थानीय मछुआरों की आजीविका को प्रभावित किया है जो आजीविका के लिए जीरा और महानदी नदी पर निर्भर हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ असामाजिक तत्व स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद अवैध रूप से विस्फोटों को मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। एक स्थानीय मछुआरे ने आरोप लगाया कि बेलगाम विस्फोट न केवल नदी में जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर रहे हैं बल्कि इससे वो नदी के पानी को भी प्रदूषित कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र के हजारों मछुआरे समुदाय की आजीविका को गंभीर झटका लगा है और लोगो के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है।
जीरा नदी विभिन्न प्रकार की मछलियों का घर है। भारी मात्रा में मछलियां पकड़ने के लिए माफिया गिरोह बीयर की बोतलों में विस्फोटक भरकर ब्लास्टिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि अवैध होने के बावजूद, कोई कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई जाती है। एक स्थानीय मछुआरे ने कहा, मछली पकड़ना हमारी जीवन रेखा है, लेकिन अवैध विस्फोट ने हमारी आजीविका को इतना प्रभावित किया है कि हमारे बच्चे आय की तलाश में राज्य से बाहर जाने को मजबूर हैं। नदियों में मछली पकड़ने के लिए यह अवैध विस्फोट एक दंडनीय अपराध है। विस्फोट से उत्पन्न पानी के नीचे की शॉकवेव्स (shock waves )मछली को अचेत कर देती हैं और उनके तैरने वाले मूत्राशय के फटने का कारण बनती हैं। मछली की एक छोटी मात्रा सतह पर तैरती है, लेकिन अधिकांश समुद्र तल पर डूब जाती है। विस्फोट अंधाधुंध रूप से बड़ी संख्या में मछलियों और आसपास के अन्य समुद्री जीवों को मारते हैं और भौतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं या नष्ट कर सकते हैं, जिसमें प्रवाल भित्तियों का व्यापक नुकसान भी शामिल है।
जगत सिंह पुर के पद्मपुर, सहदाबेदी और इरासामा ब्लॉक के तटीय क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों के पास समुद्र में ब्लास्ट फिशिंग की व्यापक प्रथा चिंता का विषय बनी हुई हैं। पद्मपुर पंचायत के सरपंच केशव चरण पात्र ने कहा कि पुरी जिले के नोलियासाही और अस्टारंग के मछुआरे नावों पर इस क्षेत्र में आते हैं और मछली पकड़ने के लिए पानी में विस्फोटक फेंकते हैं। विस्फोट के परिणामस्वरूप अन्य समुद्री प्रजातियों को भी नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि यह प्रथा सर्दियों के मौसम में प्रचलित है जब समुद्र का पानी स्थिर होता है और ज्वार की लहरें नहीं होती हैं। रिपोर्टों के अनुसार, सिंगापुर स्थित एक जहाज को 1995 में सियाली के समुद्र तट पर एक दुर्घटना का सामना करना पड़ा था। जहाज के डूबने के बाद, इसके ऊपरी हिस्से से मलबा हटा दिया गया था, जबकि निचला हिस्सा समुद्र के तल पर गिर गया था, जो समुद्र के किनारे से मुश्किल से 300 मीटर दूर था।
पोत का यह हिस्सा अब कई समुद्री प्रजातियों और मछलियों का घर है जैसे सीर फिश (Seer Fish), बांगडा (Bangda), ब्लैक एंड व्हाइट पॉमफ्रेट (black and white Pomfret), स्मॉल ट्रेवली (Small Trevally), इंडियन मैकेरल (Indian Mackerel), स्क्विड (Squid), डॉटेड स्कैड (dotted Scad), केकड़ा (crab), झींगा (prawn) और कई अन्य। कई मछुआरे जहाज के अवशेषों को निशाना बनाते हैं, जहां मछलियां शरण लेती हैं। विशेष रूप से, नोलियासाही के लोग इस विस्फोट विधि का उपयोग टनों मछलियों को आसानी से पकड़ने के लिए करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले 15 से 20 वर्षों से मछुआरे मछली पकड़ने के लिए इस अवैध तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मछुआरे समुदायों और अधिकारियों के बीच सांठगांठ के कारण वन और मत्स्य विभाग इस अवैध प्रथा को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। इस बीच, पर्यावरणविदों ने ब्लास्ट फिशिंग को समाप्त करने का आह्वान किया है जो अवैध है और ओडिशा मरीन फिशिंग रेगुलेशन एक्ट (Odisha Marine Fishing Regulation Act) का उल्लंघन करता है। यह विधि विनाशकारी है और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर इसका अप्रत्याशित प्रभाव पड़ता है।
शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि ब्लास्ट फिशिंग जैसी विनाशकारी मछली पकड़ने की प्रथाओं से बड़ी मछलियों की प्रजातियों के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं। पूर्वी अफ्रीकी तटों (east african coast) पर जहां पहले शार्क (shark) मछली को आसानी से देखा जा सकता था, ब्लास्ट फिशिंग की वजह से अब देखना दुर्लभ हो गया है, अब लगभग 150 साइटों को देखने पर केवल एक शार्क देखने को मिलती है, जो हमारे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सही नहीं है। दूसरी गंभीर समस्या ब्लास्ट फिशिंग प्रथाएं कोरल रीफ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक हैं। उड़ाई गई प्रवालभित्तियाँ मलबे के ढेरों से अधिक कुछ नहीं हैं। ब्लास्ट फिशिंग कैल्शियम कार्बोनेट से बने कोरल कंकाल को नष्ट कर देता है। इंडो-पैसिफिक में, ब्लास्ट फिशिंग की प्रथा प्रवालभित्तियों के क्षरण का मुख्य कारण है। नतीजतन, कमजोर मलबे के ढेर बनते हैं और मछलियों का आवास कम हो जाता है। ब्लास्ट फिशिंग से नष्ट हुई प्रवाल भित्तियों से मछली कीप्रजातियों में गिरावट आती है। यह अवैध प्रथा न केवल मछलियों को मारती हैं बल्कि मूंगा चट्टानों को भी नष्ट कर देती हैं, जिससे असंतुलित मूंगा मलबे का निर्माण होता है। निरंतर हो रहे ये विस्फोट इन जैवविविध पारिस्थितिक तंत्रों को निरंतर अस्थिर मलबे में बदलते जा रहे है। कई देशों में ब्लास्ट फिशिंग को लेकर कई नियम कानून हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह से लागू नहीं किया जाता हैं । आज महत्वपूर्ण है की अवैध मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों का प्रभावी प्रबंधन हो और सख्ती से नियमों का पालन हो।

संदर्भ:
https://bit.ly/3OuCHM1
https://s.si.edu/3QHiL9W
https://bit.ly/3y8g4Hf

चित्र संदर्भ
1. सैकड़ों की सांख्या में मृत मछलियों को दर्शाता एक चित्रण (USA Today)
2. अंडरवाटर ब्लास्टको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. फिशिंग नाव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. ब्लास्ट फिशिंग के लिए तैयार किए जा रहे विस्फोटक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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