Post Viewership from Post Date to 08-Jul-2022 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2369 14 2383

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

विश्व महासागर दिवस विशेष: 3 बिलियन से अधिक लोगों को चुकानी पड़ेगी, समुद्र से छेड़छाड़ की कीमत

मेरठ

 08-06-2022 08:07 AM
समुद्र

इंसानों ने अपनी सभ्यता के विकास का पूरा क्रम, धरती या भूमि पर ही पूरा किया! किंतु आपको जानकर हैरानी होगी की, आज भी दुनिया के तकरीबन तीन अरब से अधिक लोग, अपनी आजीविका के लिए समुद्र पर निर्भर हैं, जिनमें से अधिकांश लोग भारत जैसे विकासशील देशों में ही रहते हैं।
समुद्री तटरेखा लगभग 2.4 अरब लोगों (दुनिया की आबादी का लगभग 40%) का घर मानी जाती है, लेकिन विभिन्न प्राकृतिक क्षेत्रों की भांति ही, इंसानी गतिविधियों के कारण, तटीय और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र भी, भारी क्षरण का सामना कर रहा है! जो इन समुद्रों पर निर्भर समुदायों की भौतिक, आर्थिक और खाद्य सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है।
महासागर, हमारे ग्रह के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन समर्थन प्रणाली है, जिस पर हम सभी निर्भर हैं। लेकिन पानी के तापमान, समुद्र के स्तर में वृद्धि, अम्लीकरण, प्रदूषण, समुद्री संसाधनों का निरंतर दोहन, मछली के भंडार की कमी, प्रवाल भित्तियों के लगभग गायब होने और नाजुक पारिस्थितिक तंत्र के विनाश के साथ, ही , मानव गतिविधियों से यह शानदार समुद्र असमान रूप से प्रभावित हो रहे हैं। महासागर हमें वर्षा जल से लेकर, पीने के पानी तक, और हमारे भोजन, मौसम तथा ऑक्सीजन तक, उन सभी संसाधनों को प्रदान करने और विनियमित करने में एक अनिवार्य भूमिका निभाता है, जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए हमें अपने महासागरों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए और अधिक कोशिश करने की आवश्यकता है।
वैज्ञानिकों ने ऐसे कम से कम 30% समुद्री जल को, पूरी तरह या अत्यधिक संरक्षित अभयारण्यों के रूप में सुरक्षित करने का आह्वान किया है, जो मानव गतिविधियों जैसे बॉटम ट्रॉल फिशिंग और सीबेड माइनिंग (Bottom trawl fishing and seabed mining) से मुक्त होने चाहिए। ऐसा करके हम समुद्र को जलवायु परिवर्तन से लड़ने का मौका दे सकते हैं।
आज, विश्व का केवल 7% महासागर ही संरक्षित, और केवल 3% अत्यधिक संरक्षित है। इसके अलावा, उच्च समुद्र और गहरे समुद्र के क्षेत्रों में पूरी तरह से संरक्षित समुद्री क्षेत्रों को स्थापित करने के लिए कोई कानूनी तंत्र मौजूद नहीं है। प्राचीन महासागर के तल का अध्ययन करने से, इलेक्ट्रिक कारों और सौर पैनलों का उत्पादन करने के लिए आवश्यक खनिजों की खोज करने में मदद मिल सकती है।
जलवायु परिवर्तन को कम करने में महासागरीय और तटीय और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका की, अक्सर अनदेखी की जाती है। लेकिन समुद्री घास, नमक दलदल, मैंग्रोव (mangroves), और उनके संबंधित खाद्य जाले, समुद्री आवासों की रक्षा और पुनर्स्थापित करने तथा उष्णकटिबंधीय जंगलों की तुलना में, पांच गुना अधिक दरों पर, वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अलग कर सकते है। यही कारण है की बेहतर भविष्य के लिए, हमारी एकमात्र आशा अभूतपूर्व रूप से साहसिक महासागर संरक्षण प्रतिबद्धताओं को अपनाने में ही निहित है। जानकार मानते हैं की, वैश्विक महासागर के स्वास्थ्यऔर लचीलेपन को अधिकतम करने के लिए, कम से कम 30% समुद्रों को 2030 तक "अत्यधिक" और "पूरी तरह से" संरक्षित समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (Protected Marine Protected Areas (MPAs) के नेटवर्क क्षेत्रों के तौर पर चिन्हित किया जाना चाहिए। मनुष्यों का जीवन समुद्रों से जुड़ा हुआ है। हिंद महासागर, दक्षिण एशिया और उससे आगे के द्वीप, तटीय और अंतर्देशीय देशों के लिए जबरदस्त अवसर और कुछ चुनौतियां भी प्रदान करता है। चुनौतियां जैसे की, हिंद महासागर में हर साल 15 मिलियन टन तक प्लास्टिक कचरा बहाया जाता है, प्लास्टिक के एक ट्रिलियन टुकड़ों के साथ, उत्तरी प्रशांत के बाद हिंद महासागर, दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित महासागर माना जाता है। दक्षिण एशिया परियोजना के लिए, प्लास्टिक-मुक्त नदियों और समुद्रों का उद्देश्य, प्लास्टिक के लिए एक गोलाकार अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करना है, जो प्लास्टिक के कचरे को पर्यावरण में घुलने से रोक देगा। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने, समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने और समुद्री रास्तों को खुला और सुरक्षित रखने के लिए राज्यों के बीच, अधिक सहयोग वाली और संसाधन तथा तकनीकी क्षमता विषमताओं के लिए, एक सार्थक प्रणाली की आवश्यकता है। इस प्रणाली को दक्षिण एशिया के भीतर आर्थिक संपर्क को भी बढ़ाना चाहिए, और इस क्षेत्र को आगे के बाजारों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करनी चाहिए!
निस्संदेह, हिंद महासागर को बेहतर समग्र प्रबंधन की आवश्यकता है, जिसके लिए अन्य उपायों के साथ- साथ निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा सकता है:
● समुद्री पर्यावरण की रक्षा और प्रदूषण नियंत्रण!
● अवैध, असूचित और अनियमित मछली पकड़ने का प्रबंधन!
● तटीय जल में सरकार द्वारा दावा किए गए अनन्य आर्थिक क्षेत्रों में मछली और अन्य संसाधनों की रक्षा करना!
● मानव, नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी का मुकाबला करना!
● समुद्री डकैती और समुद्री आतंकवाद का मुकाबला करना!
● समुद्री अवरोध बिंदुओं पर ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा करना!
● बंदरगाह सुरक्षा का प्रबंधन और सुरक्षित कार्गो लोडिंग सुनिश्चित करना!
हालांकि अब सभी आठ दक्षिण एशियाई राष्ट्र, प्लास्टिक के कचरे को रोकने, इकट्ठा करने और ऊपर उठाने के लिए एक साथ आ रहे हैं। दक्षिण एशियाई देशों ने महासागर के प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन करने के लिए अलग -थलग परियोजनाएं विकसित की हैं। भारत के दक्षिणी राज्य केरल में मछुआरों को प्लास्टिक की थैलियों, तिनके, फ्लिप-फ्लॉप (flip flop) और उनके जाल में पकड़े गए अन्य प्लास्टिक कतरे को, रीसायकल (Recycle) करने के लिए भुगतान किया गया था। एक बार कटे हुए, प्लास्टिक को निर्माण कंपनियों को बेचा भी गया था, जिसका इस्तेमाल डामर सड़कों को मजबूत करने के लिए किया था। क्षेत्रीय सहयोग के साथ, केरल मछुआरों द्वारा सीखे गए सबक अन्य देशों को भी लाभान्वित कर सकते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3GY6I3Q
https://bit.ly/3Nq6dSs
https://bit.ly/3MjTFdT

चित्र संदर्भ
1. जाल में फंसे समुद्री जीव दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2.महासागर पर वैश्विक संचयी मानव प्रभाव को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
3. अत्यधिक मछली पकड़ने के परिणामस्वरूप टूना जैसी उच्च पोषी मछलियों को जेलिफ़िश जैसे निम्न पोषी जीवों द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है, को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
4. समुद्र में प्लास्टिक कचरे को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id