दोआब के इलाके में बसा मेरठ अपनी उपजाऊ जमीन की वजह से कृषि के लिए जाना जाता था लेकिन आज यहाँ पर प्रदुषण और निर्वनीकरण की वजह से कृषि एवं पेड़ पौधों की संख्या में काफी गिरावट हुई है। अब यहाँ ज्यादा तौर पर विदेशी फूलों की बागवानी और उनका व्यापार किया जाता है। कुछ साल पहले मेरठ और आस पास के इलाकों में बहुत सारे आम के बगीचे हुआ करते थे। आम के साथ-साथ अमरुद के पेड़ भी थे। अमरुद में हल्का पिला, गुलाबी और सफ़ेद नाशपाती ये फल पायें जाते थे। नारंगी, सतालू, सेब, जामुन, अनार और विविध प्रकार के बेर भी यहाँ पर मिलते थे। आज आम, अमरुद और बेर की बागवानी को मेरठ में जिलास्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही आंवला और पपीते की भी बागवानी की जा रही है। कुछ साल बाद आम और दुसरे फलों के बाग़ अनुपयुक्त हो जाते हैं इसीलिए उनको वापस व्यवहार्य बनाने के लिए सरकार ने सी.आई.एस.एच (सेंट्रल इंस्टिट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल होर्टीकल्चर) लखनऊ के जरिये एक कायाकल्प तकनीक बनाई है। 1. सी डेप मेरठ 2007 2. एम एस एम ई, मेरठ 3. डिस्ट्रिक्ट गज़ेटियर ऑफ़ द यूनाइटेड प्रोविन्सेस ऑफ़ आग्रा एंड औध: हेन्री रिवेन नेविल, 1904 4. उत्तर प्रदेश डिस्ट्रिक्ट गज़ेटियर, मेरठ 1965
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