विश्व कपड़ा व्यापार पर चीन की ढीली पकड़ ने भारत के लिए एक दरवाजा खोल दिया है

मेरठ

 28-05-2022 09:14 AM
स्पर्शः रचना व कपड़े

व्यापार में, किसी एक का नुकसान, किसी दूसरे के लिए, एक शानदार अवसर कैसे हो सकता है, इस बात का एक प्रबल प्रमाण, हमें वर्तमान में भारतीय कपड़ा उद्योग की स्थिति को देखकर मिल सकता है! जहां हमारे पड़ोसी देश, चीन की वस्त्र उद्योग अर्थात, टेक्सटाइल पर ढीली पकड़, भारतीय टेक्सटाइल के लिए एक जबरदस्त अवसर हो सकती है।
कपड़ा उद्योग, देश में रोजगार के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, जहां अनुमानित 45 मिलियन लोग इस क्षेत्र से सीधे जुड़े हुए हैं। विश्व कपड़ा व्यापार पर चीन की ढीली पकड़ ने भारत के लिए, एक दरवाजा खोल दिया है। लेकिन भारतीय फर्मों में पैमाने की कमी है, और प्रमुख बाजारों तक उनकी पहुंच अभी भी सीमित है। साथ ही भारत की, श्रम और बिजली जैसी कारक लागत भी, बांग्लादेश और वियतनाम की तुलना में अधिक है, जिससे भारत का निर्यात अप्रतिस्पर्धी हो गया है। कुछ महीने पहले, एक बड़ा जर्मन ब्रांड, जो कई वर्षों से चीन से टी-शर्ट खरीद रहा था, वह तमिलनाडु के प्रसिद्ध टेक्सटाइल हब (Textile Hub) तिरुपुर में एक सप्लायर के पास पहुंचा। और जाँच पड़ताल के बाद कंपनी ने, वारसॉ इंटरनेशनल (Warsaw International) को इस वित्तीय वर्ष के लिए चार लाख पीस टी- शर्ट ऑर्डर करने का वादा किया। वारसॉ के प्रबंध निदेशक राजा शनमुघम का कहना है कि, ब्रांड ने संकेत दिया है कि, वह अपने कारोबार का एक हिस्सा चीन से दूर स्थानांतरित करना चाहता था, लेकिन ऐसा करने के कारणों पर चर्चा नहीं करना चाहता था।
“पिछले कुछ महीनों में, तिरुपुर स्थित कई आपूर्तिकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों से बढ़े हुए ऑर्डर देखे हैं, जिससे यह लगता है कि यह कम से कम आंशिक रूप से चीन पर उनकी कम निर्भरता के कारण हो रहा है। निराशाजनक रहे पिछले तीन वर्षों के बाद, भारत का कपड़ा निर्यात 2020-21 में $33 बिलियन की तुलना में 2021-22 में $44 बिलियन हो गया है, जो कुछ नए ऑर्डर और रिकॉर्ड उच्च कीमतों से उत्साहित है। 2018-19 और 2020-21 के बीच कपड़ा निर्यात 9.6% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से घटने के बाद से संख्या में उत्साह आया है। उदाहरण के लिए, पॉलिएस्टर निर्माता इंडोरामा सिंथेटिक्स (Indorama Synthetics) ने 2021-22 में ₹4,000 करोड़ (लगभग 515 मिलियन डॉलर) का अपना अब तक का सबसे अधिक कारोबार किया। दुनिया भर में, एक बड़ा भू-राजनीतिक बदलाव, विदेशी ग्राहक, श्रीलंका में आर्थिक संकट और चीन में ताजा कोविड लहर के आलोक ने, विश्व को आपूर्तिकर्ता आधार में विविधता लाने के और वैश्विक फर्मों को चीन के विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित किया है।
यूरोपियन यूनियन और अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में, बड़े पैमाने पर और शुल्क-मुक्त पहुंच के साथ वैश्विक कपड़ा व्यापार में पारंपरिक रूप से चीन का ही वर्चस्व रहा है। लेकिन महामारी ने इस वर्चस्व को तोड़ दिया है। जिसका प्रमुख कारण आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान, कथित मानवाधिकार उल्लंघन के कारण शिनजियांग प्रांत से दिसंबर 2021 में आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका का निर्णय हो सकता है। अन्य पश्चिमी बाजार भी 'चाइना प्लस वन (china plus one)' रणनीति को अमल में ला रहे हैं, जिसका उद्देश्य चीनी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर विशेष निर्भरता को कम करना और अधिक देशों के साथ व्यापार करना है।
यह चीन से दूर वैश्विक कपड़ा व्यापार व्यवस्था में अभूतपूर्व परिवर्तन को गति प्रदान कर सकता है। यह अवसर, रोजगार और आय उत्पन्न करने की सरकार की महत्वाकांक्षाओं के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कपड़ा उद्योग देश के रोजगार के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, जिसमें अनुमानित 45 मिलियन लोग सीधे इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जिसमें ग्रामीण आबादी और महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा (विशेष रूप से रेशम उत्पादन जैसी गतिविधियों में) शामिल है। विश्व स्तर पर और भारत में परिधान निर्माता, चीन और हांगकांग से, बटन का आयात करते हैं, जहां अधिक फैशनेबल लकड़ी या उत्कीर्ण वाले बटन बनाए जाते हैं। भारत मुख्य रूप से प्लास्टिक और नायलॉन के बटन बनाता है।
अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (Apparel Export Promotion Council) के पूर्व निदेशक, रवि किशोर के अनुसार यह भारत की बिखरी हुई और खंडित कपड़ा आपूर्ति श्रृंखला का प्रतीक है, जो शिपिंग लागत को बढ़ाता है, जो बदले में विनिर्माण के समय को जोड़ता है। इन सभी के परिणामस्वरूप उद्योग बांग्लादेश और वियतनाम के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। इस उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि, एक भारतीय निर्माता को 20,000-30,000 पीस का ऑर्डर शिप करने में 90-120 दिन लगते हैं। वही बांग्लादेश और वियतनाम में, जहां आपूर्ति श्रृंखला अधिक क्लस्टर है, इसमें 14-21 दिन ही लगते हैं। यही कारण है कि वियतनाम और बांग्लादेश कपड़ा निर्यात में केवल चीन से पीछे हैं, जबकि विश्व व्यापार संगठन की नवीनतम सांख्यिकी समीक्षा के अनुसार भारत पांचवें स्थान पर है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, 2016-17 के बाद से, भारत का निर्यात 2020-21 में 20 प्रतिशत गिरकर 29 बिलियन डॉलर हो गया है। वजीर एडवाइजर्स (Wazir Advisors) के अनुसार, पिछले एक साल में घरेलू बाजार 2020-21 में 30 प्रतिशत सिकुड़कर 75 बिलियन डॉलर हो गया है, और अनुमान है कि 2025-26 तक बाजार बढ़कर 190 बिलियन डॉलर हो जाएगा। अतः इस क्षेत्र में विकास जरूरी है, क्योंकि कपड़ा क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2-3 प्रतिशत, औद्योगिक उत्पादन में 7 प्रतिशत और निर्यात आय में 12 प्रतिशत का योगदान देता है, इसके अलावा लगभग 45 मिलियन लोगों को रोजगार भी देता है। वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने सितंबर में 10,683 करोड़ रुपये की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य मानव निर्मित फाइबर जैसे पॉलिएस्टर, और तकनीकी वस्त्रों जैसे कि स्पोर्ट्स वियर, मछली पकड़ने के जाल और सर्जिकल डिस्पोजेबल जैसे उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि करना है। इसके अंतर्गत निर्माता, कम से कम 100 करोड़ रुपये या कम से कम 300 करोड़ रुपये का निवेश करना चुन सकते हैं, और एक ऐसा कारोबार उत्पन्न कर सकते हैं जो उनके निवेश से कम से कम दोगुना हो।
लेकिन निर्माता दो कारणों से इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि, यह बहुत फायदेमंद होगा। सबसे पहले, इस योजना में केवल मानव निर्मित और तकनीकी वस्त्र शामिल हैं, जबकि परिधान कुल बाजार का लगभग 73 प्रतिशत है। यहां तक ​​कि कुछ प्रमुख मानव निर्मित वस्त्र भी शामिल नहीं हैं। दूसरा, योजना की वित्तीय आवश्यकताएं निषेधात्मक (prohibitive) हैं! सरकार की एक अन्य योजना पूरे भारत में सात मेगा एकीकृत टेक्सटाइल पार्क (Seven Mega Integrated Textile Park) बनाने की भी है। प्रत्येक में आधुनिक औद्योगिक बुनियादी ढांचा होगा और यह मूल्य श्रृंखला के विभिन्न हिस्सों को एक स्थान पर लाएगा, जिससे विनिर्माण समय और रसद लागत कम हो जाएगी। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो में जापानी कंपनी फास्ट रिटेलिंग (fast retailing) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, तदाशी यानई (tadashi yanai) से आग्रह किया कि वे वस्त्रों का विनिर्माण केंद्र (textile manufacturing center) बनने में भारत का साथ दें, और भारत की यात्रा करें। दोनों ने भारत के बढ़ते कपड़ा-परिधान बाजार और प्रदर्शन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत निवेश के अवसरों पर चर्चा की। उन्होंने भारत में विदेशी निवेशकों के लिए व्यापार करने में सुधार के लिए, भारत सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों पर भी चर्चा की, जिसमें औद्योगिक विकास, बुनियादी ढांचा, कराधान और श्रम शामिल हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3LMpMCJ
https://bit.ly/3z1NIzs
https://bit.ly/3lJZ6In

चित्र संदर्भ

1. भारतीय वस्त्र निर्माताओं को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. भारत में सूती वस्त्र उद्योग को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. भारत में कपडा बाजार को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
4. गारमेंट्स फैक्ट्री को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. फिलीपीन में कपडा फैक्ट्री को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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