भारत में क्यों बढ़ रही है वैकल्पिक ईंधन समर्थित वाहनों की मांग?

मेरठ

 27-05-2022 09:21 AM
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

हाल के वर्षों में, कई कारणों से भारत में डीजल और पैट्रोल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखी गई है! इन बड़ी हुई कीमतों ने, न केवल आम जनता और सरकार को परेशान कर दिया है, बल्कि यह बड़ी हुई कीमतें कई वाहन निर्माताओं के लिए भी, गले की फांस बन गई है! क्यों की इससे उनके वाहनों की बिक्री में भी अच्छी खासी कमी देखी जा रही है, और यही कारण है की, कई वाहन निर्माता कंपनियां ऐसी गाड़ियों का बढ़-चढ़कर उत्पादन करने लगी हैं, जो बहुईंधन अर्थात एक से अधिक वैकल्पिक ईंधन स्रोतों (alternative fuel sources) के साथ चलने में सक्षम हैं।
कच्चे तेल के आयात बिलों में वृद्धि ने भारत सरकार को इथेनॉल और बायोडीजल (Ethanol and Biodiesel) जैसे अन्य वैकल्पिक ईंधन स्रोतों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है। FY2021 के तिमाही अपडेट के अनुसार, आपूर्ति श्रृंखलाओं में महामारी प्रेरित व्यवधान के कारण बड़े झटके के बावजूद भारत की बायोडीजल बाजार की मांग 0.17 मिलियन टन थी। रिपोर्ट ने 2030 तक 8.60 प्रतिशत सीएजीआर (CAGR) की स्वस्थ वृद्धि की भविष्यवाणी भी की, जिसमें अनुमानित मांग 0.26 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है। जैव ईंधन पर 2019 की राष्ट्रीय नीति और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के, पुन: उपयोग किए गए कुकिंग ऑयल (RUCO) परियोजना की शुरुआत ने, इस क्षेत्र में स्थापित खिलाड़ियों और नए स्टार्टअप्स को भी समान रूप से प्रोत्साहित किया है। 2040 तक भारत की प्राथमिक ऊर्जा मांग दोगुनी होने के साथ, बायोडीजल जैसे वैकल्पिक ईंधन का उपयोग भी बढ़ना तय है। ये ईंधन पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में भी मदद करते हैं, क्योंकि इनसे निकला अंतिम उत्पाद औसतन 95 प्रतिशत कार्बन मुक्त (carbon free) होता है। बायोडीजल जैसे वैकल्पिक ईंधन के उत्पादन के लिए, खाना पकाने के तेल (cooking oil), पशु वसा, आयातित कच्चे वनस्पति तेल और जटरोफा के बीज (jatropha seeds) का उपयोग किया जाता है।
भारत के शहरों में और उसके आसपास, प्रत्येक 10+ लाख आबादी के लिए, हम 30,000 किलोग्राम इस्तेमाल किए गए खाना पकाने के तेल का उपयोग बायोडीजल बनाने के लिए कर सकते है। 2019 से, Aris Bioenergy ने महाराष्ट्र में ही 16,00,000 (लाख) किलोग्राम UCO को परिवर्तित किया है। 'सरकार का लक्ष्य वाहनों में इस्तेमाल होने वाले सामान्य डीजल में बायोडीजल के 5 प्रतिशत से अधिक मिश्रण का लक्ष्य है। यह अवधारणा जर्मनी जैसे यूरोपीय देशों में सिद्ध हो चुकी है, जहां डीजल और पेट्रोल के B5, B10 और B20 मिश्रणों का उपयोग किया जा रहा है। बायोडीजल जैसे टिकाऊ ईंधन को कई रूपों में उनके जीवाश्म समकक्षों के साथ मिश्रित किया जा सकता है। वे परिवहन, और रेलवे से लेकर विमानन तक एक क्लीनर दहन चक्र (cleaner combustion cycle) चलाने में मदद करते हैं, और इंजन को नुकसान भी नहीं पहुंचाते हैं। COVID-19 महामारी और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण दुनिया भर में अनिश्चित और अस्थिर वातावरण की दृढ़ता के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अचानक उछाल आया है। पेट्रोलियम और योजना मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि, भारत सरकार अपनी जरूरत का करीब 80 से 85 फीसदी ऊर्जा अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार से आयात करती है। इस प्रकार, कच्चे तेल की कीमतों में कोई भी बदलाव, तेल पर निर्भर देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार से कच्चे तेल के आयात पर खर्च किए गए धन के संदर्भ में डेटा का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि, वर्ष 2021-2022 (1 अप्रैल 2021-31 मार्च 2022) के दौरान भारत का आयात बिल लगभग 110 से 120 बिलियन अमरीकी डालर था।
हालांकि इस बीच सभी भारतियों की यह जिम्मेदारी बनती है की हम, केवल परेशानियां गिनाने के बजाय इस राष्ट्रीय समस्या को हल करने के लिए रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की अपनी जिम्मेदारियों से परिचित हों। सभी को एक साथ बैठना चाहिए, विचार-मंथन करना चाहिए और भारत सरकार को इस संदर्भ में अल्पकालिक और दीर्घकालिक व्यावहारिक समाधान सुझाना चाहिए। इसका एक बेहतर दीर्घकालिक समाधान, वैकल्पिक ईंधन वाहनों पर स्विच करना हो सकता है। एक वैकल्पिक ईंधन वाहन एक ऐसा वाहन होता है जो डीजल, पेट्रोल और गैसोलीन जैसे पारंपरिक पेट्रोलियम- आधारित उत्पादों के बजाय, वैकल्पिक ईंधन से चलता है। ये वैकल्पिक ईंधन वाहन बायो डीजल, बिजली, हाइड्रोजन गैस, प्राकृतिक गैस, प्रोपेन और अन्य उभरते ईंधन पर आधारित हो सकते हैं। पारंपरिक वाहनों को हाइड्रोकार्बन आधारित बिजली स्रोत की तुलना में, विभिन्न ऊर्जा पर चलाने के लिए संशोधित किया जा सकता है। ऐसी दर्जनों वैकल्पिक ईंधन प्रौद्योगिकियां (alternative fuel technologies) या तो उत्पादन में हैं, या विकास के प्रारंभिक चरण में हैं, जिनका उपयोग निकट भविष्य में उन्नत प्रौद्योगिकी वाणिज्यिक वाहनों में वैकल्पिक ईंधन के रूप में किया जाएगा।
उनमें से प्रमुख बैटरी से चलने वाले विद्युत वाहन (Battery powered electric vehicles (BEVs), हाइड्रोजन आधारित कारें और हाइब्रिड वाहन हैं। बैटरी पैक के अलावा, बिजली को सुपर कैपेसिटर (super capacitor) में भी स्टोर किया जा सकता है, जिसे नियमित अंतराल पर चार्ज किया जा सकता है। हाइड्रोजन चालित कार में, हाइड्रोजन गैस का उपयोग वाहन को गति और शक्ति प्रदान करने के लिए प्राथमिक स्रोत के रूप में किया जाता है। इन कारों में आमतौर पर दो मोड में हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता था। पहला दहन मोड में, हाइड्रोजन को इंजन के अंदर जलाया जाता है, जो मूल रूप से पारंपरिक गैसोलीन-आधारित इंजनों के समान होता है। दूसरा ईंधन-सेल आधारित रूपांतरण विधि में, मोटर को शक्ति प्रदान करने के लिए हाइड्रोजन ईंधन को बिजली में परिवर्तित किया जाता है। साथ ही हाइड्रोजन- एनओएक्स सूक्ष्म मिश्रण (Hydrogen-NOx micromixture) का उपयोग करके शुष्क दहन भी संभव है। ये वाहन पर्यावरण प्रदूषण, चलने की लागत और मूल्य वृद्धि से संबंधित मुद्दों को भी हल कर देते हैं। इसलिए, भारत में ऑटोमोबाइल निर्माताओं के लिए विभिन्न स्वच्छ वैकल्पिक वाहनों और उन्नत बिजली प्रणालियों को विकसित करना सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है। साथ ही भारत को एक वैश्विक बाजार के रूप में देख रही, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय ऑटोमोबाइल निर्माण कंपनियां भी, हरित ऊर्जा आवश्यकताओं से संबंधित समस्या को दूर करने पर बहुत ध्यान दे रही हैं। इस प्रकार, दुनिया भर में निर्माण कंपनियां प्लग- इन इलेक्ट्रिक यात्री कारों (plug-in electric passenger cars) और हल्के उपयोगिता वाहनों को विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।
केंद्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्री ने आने वाले पांच वर्षों में इलेक्ट्रिक और वैकल्पिक ईंधन वाहनों को अपनाने के लिए एक इष्टतम रणनीति व्यक्त की है। उनके अनुसार, आने वाले पांच वर्षों में वैकल्पिक वाहनों की बिक्री बढ़ेगी। साथ ही NHAI राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ हर 40 किलोमीटर के अंतराल पर 560 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेगा। लेकिन ऑटोमोबाइल उद्योग में पेट्रोलियम प्रभुत्व की बेड़ियों को तोड़ने के लिए, भारत सरकार को छोटी और लंबी अवधि के आधार पर एक साहसी रणनीति अपनाने की जरूरत है।
यह सच है कि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार से लगभग 80 से 85 प्रतिशत कच्चे तेल के आयात पर बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च करती है। इसलिए, वाहनों में पेट्रोल, डीजल और घरों में रसोई गैस की विवेकपूर्ण खपत नितांत आवश्यक है। भारत सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों को बचाने के प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए। सरकार को डीजल/पेट्रोल वाहनों की तुलना में बहुत कम लागत पर वैकल्पिक ईंधन वाहनों के निर्माण के लिए एक औद्योगिक आधार बनाना चाहिए। भारतीय उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रिक वाहन अभी भी बहुत महंगे' हैं। कच्चे तेल के बाजार में हालिया उथल-पुथल के साथ, ऑटो उद्योग में हितधारकों ने वैकल्पिक ईंधन विकल्प के रूप में प्राकृतिक गैस वाहनों (Natural Gas Vehicles (NGVs) के लिए पिच करना शुरू कर दिया है।
एनआरआई (NRI) के अनुसार, वित्त वर्ष 2012 में पीवी की बिक्री के साथ सीएनजी वाहन की बिक्री 55% बढ़कर 2,65,383 इकाई हो गई। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के 5 राज्यों में लगभग 98% सीएनजी उपयोग केंद्रित है। एनआरआई कंसल्टिंग एंड सॉल्यूशंस (NRI Consulting And Solutions) के मुताबिक, भारी मात्रा में और अनुकूल परिस्थितियां भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार भारत में NGV को व्यापक रूप से अपनाने का अवसर देती है। ऐसे में सरकार, उद्योग और सीजीडी कंपनियों (CGD companies) को भविष्य में भारत के एनजीवी बाजार को गति देने हेतु मिलकर काम करना चाहिए।

संदर्भ
https://bit.ly/3MM4RkL
https://bit.ly/3MP8Rka
https://bit.ly/3wUUSnL

चित्र संदर्भ
1  टाटा ACE सी एन जी ट्रक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. जैव ईंधन उत्पादन 1975-2005 (इथेनॉल और बायोडीजल) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3.तैयार बायोडीजल के ड्रम को सील करते हुए एक स्थानीय राष्ट्रीय कर्मचारी को दर्शाता एक चित्रण (GetArchive)
4. मैरीसविले में इथेनॉल / बी5 बायोडीजल को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. हाइड्रोजन संयंत्र को दर्शाता एक चित्रण (PROCESS Worldwide)
6. भारत के तेल संतुलन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

RECENT POST

  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • vfrnhh
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 12:41 PM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM


  • मेरठ क्षेत्र में किसानों की सेवा करती हैं, ऊपरी गंगा व पूर्वी यमुना नहरें
    नदियाँ

     18-12-2024 09:26 AM


  • विभिन्न पक्षी प्रजातियों के लिए, एक महत्वपूर्ण आवास है हस्तिनापुर अभयारण्य की आर्द्रभूमि
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:29 AM


  • डीज़ल जनरेटरों के उपयोग पर, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के क्या हैं नए दिशानिर्देश ?
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:33 AM


  • आइए देखें, लैटिन अमेरिकी क्रिसमस गीतों से संबंधित कुछ चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:46 AM


  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए, बिजली बचाने के कारगर उपायों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id