मिट्टी के बर्तनों को, इंसानों द्वारा बनाई गई पहली सिंथेटिक सामग्री (synthetic material) माना
जाता है। इंसानों ने हर युग और हर काल में, मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया है। यहां तक की, आज की
आधुनिक दुनिया में भी कई संदर्भों में मिट्टी के बर्तनों की प्रासंगिकता बिल्कुल भी कम नहीं हुई है। अपनी
प्रचुरता और स्थायित्व के कारण, मिट्टी के बर्तन, खुदाई के दौरान पुरातत्वविदों द्वारा पाई जाने वाली
सबसे सामान्य प्रकार की वस्तुओं में से एक है, और इसमें मानव अतीत के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान
करने की क्षमता है।
प्राचीन काल में आम लोगों के लिए मिट्टी के बर्तन महत्वपूर्ण सामग्री हुआ करते थे। हालांकि चीनी मिट्टी
के बर्तन तोड़े जा सकते हैं, लेकिन यह, जमीन में छोटे से टुकड़े के रूप में सैकड़ों वर्षों के बाद भी लगभग
अविनाशी (indestructible) रह सकते हैं। पहले के समय में, मिट्टी के बर्तन खाना पकाने, परोसने और
भोजन के भंडारण के लिए आवश्यक उपकरण होते थे, तथा मिट्टी के बर्तन कलात्मक अभिव्यक्ति का भी
साधन होते थे।
प्रागैतिहासिक काल के कुम्हार (Potter), अपने बर्तनों को विभिन्न विधियों से बनाते और सजाते थे। जब
मिट्टी के पात्र किसी साइट पर पाए जाते हैं, तो वे आमतौर पर छोटे, टूटे हुए टुकड़ो के रूप में होते हैं। कभी-
कभी जब किसी बर्तन का केवल एक हिस्सा ही बचा रहता है, तो पुरातत्वविद् बाकी के हिस्से का पुनर्निर्माण
स्वयं कर सकते हैं।
लगभग 2,800 साल पहले वुडलैंड (woodland) के समय में मिट्टी के बर्तनों की पहली उपस्थिति
महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इंगित करता है कि उस दौरान लोग अधिक गतिहीन (motionless) हो गए थे।
पहले लोग खाद्य सामग्री को एकत्र करने के लिए हल्के, पोर्टेबल त्वचा बैग (portable skin bag), पेड़ों या
नरकट की भीतरी छाल से बने बुने हुए कंटेनरों का इस्तेमाल करते थे। खानाबदोश शिकारी और भोजन
इकट्ठा करने वाले लोग, भारी, टूटने योग्य बर्तन नहीं ले जाना चाहते थे। मिट्टी के बर्तनों को नदियों के
किनारे या पहाड़ियों पर एकत्रित मिट्टी से बनाया जाता था। फायरिंग (firing) और सुखाने के दौरान
सिकुड़न और दरार को रोकने के लिए रेत, कुचल पत्थर, जमीन के मसल्स शेल (mussel shell), कुचली हुई
मिट्टी या पौधे के रेशों का प्रयोग किया जाता था।
मिट्टी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध, सस्ती और अनुकूलनीय होती है, जो इसे मानव शोषण के लिए सुविधाजनक
बनाती है। चूंकि प्रयोग करने योग्य मिट्टी व्यापक रूप से उपलब्ध होती थी, इसलिए दुनिया के कई हिस्सों
में अलग-अलग समय पर मिट्टी के बर्तनों का स्वतंत्र रूप से आविष्कार किया गया। मिट्टी के उपयोग के
सबसे पहले दर्ज साक्ष्य, मध्य और पश्चिमी यूरोप में पुरापाषाण काल (Palaeolithic) के समय के
माने जाते हैं, जहां कलात्मक अभिव्यक्ति के रूप में, मिट्टी की मूर्तियों को बनाया गया था। 30,000 साल
पहले, डोल्नी स्टोनिस ( “dolny stonic” चेक गणराज्य) के रूप में जानी जाने वाली साइट पर, कुचली गई
मैमथ हड्डी (crushed mammoth bone) की मिश्रित मिट्टी से बनी मूर्तियों से हम मिट्टी के साथ कुछ
प्रयोग के प्रमाण भी देख सकते हैं।
मिट्टी के बर्तनों के निर्माण का सबसे पुराना सबूत जापान में ओडाई यामामोटो (Odai Yamamoto in
Japan) नामक एक पुरातात्विक स्थल पर पाया गया है, जहां लगभग 16,500-14,920 साल पहले के एक
विशिष्ट पोत के टुकड़े पाए गए। इससे ज्ञात होता है की, जोमोन काल (Jomon Era) के गैर-कृषि लोग,
जापान में भोजन तैयार करने के लिए इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के बर्तनों का उत्पादन कर रहे थे, जो
लगभग 13,000 साल पहले विस्तृत रूप से सजाए भी गए थे।
प्रारंभ में, मिट्टी के बर्तनों को खुली आग में बनाया जाता था। हालांकि, प्रारंभिक नवपाषाण युग, लगभग
8,000 ईसा पूर्व के दौरान, अनाज के दाने और रोटी सेंकने के लिए उपयोग किए जाने वाले विशेष ओवन
(Oven) बनाए जा रहे थे, जिससे लोगों को गर्मी को नियंत्रित करने की अनुमति का भी पता चलता है।
ओवन के उपयोग ने मिट्टी के बर्तनों के विकास में नई संभावनाएं जोड़ीं। लगभग उसी समय, दक्षिण
अमेरिका के कुछ क्षेत्र भी मिट्टी के बर्तनों की तकनीक विकसित कर रहे थे।
सबसे पहले मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए खुली फायरिंग तकनीक (open firing techniques) का
इस्तेमाल किया गया था। इस पद्धति के माध्यम से, तापमान लगभग 600 से लगभग 800-900 डिग्री
सेल्सियस तक हो सकता है, जो अपेक्षाकृत कम तापमान होता है। 13,000 साल पहले जापानी जोमोन
मिट्टी के बर्तन और लगभग 10,000 साल पहले के मध्य नील मिस्र के बर्तन इस तकनीक का उपयोग
करके उत्पादित मिट्टी के बर्तनों के कुछ उदाहरण हैं।
मिट्टी के बर्तन बनाने का एक और तरीका, भट्ठे में मिट्टी के बर्तनों को जलना (kiln burning) भी है।
प्राचीन चीन में, फायरिंग तकनीकों ने लगभग 1300-1400 डिग्री सेल्सियस और कुछ मामलों में इससे भी
अधिक तापमान की अनुमति दी थी। इन तापमानों पर, मिट्टी के खनिज घटक पिघल जाते हैं, जिसके
परिणामस्वरूप एक पतली, पारभासी, सफेद विट्रिफाइड प्रकार का सिरेमिक (vitrified type ceramic)
प्राप्त होता है, जिसे चीनी मिट्टी के बर्तन के रूप में जाना जाता है।
कुछ मामलों में, मिट्टी के बर्तनों का समग्र रंग बिना वर्णक (character) के, केवल फायरिंग प्रक्रिया के
दौरान भट्ठी में तापमान और वायु प्रवाह में हेरफेर करके अपने प्राकृतिक लाल रंग से भूरे रंग में बदला जा
सकता है।
आज मिट्टी के बर्तनों की उम्र ज्ञात करने के लिए कई तकनीकें लागू की जा सकती हैं। मिट्टी के बर्तनों को
स्ट्रैटिग्राफिक अनुक्रम (stratigraphic sequence) के आधार पर दिनांकित किया जा सकता है। इसका
मतलब है कि खुदाई के दौरान, पुरातत्वविद् मिट्टी की विभिन्न परतों का अध्ययन करते हैं और विश्लेषण
करते हैं कि, उनमें पाई जाने वाली विभिन्न वस्तुएं एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं।
मिट्टी के बर्तनों का विश्लेषण, आकार, सतह का प्रकार, रंग, ड्राइंग पैटर्न (drawing pattern) और
सजावटी शैली जैसी कई विशेषताओं के आधार पर किया जा सकता है। ये सभी तत्व, प्रत्येक विशेष
संस्कृति और समाज के कलात्मक विकास को समझने में मदद कर सकते हैं, तथा विशेषज्ञों को मिट्टी के
बर्तनों के टुकड़ों की पहचान करने में भी सक्षम बनाते हैं।
चीन में एक गुफा में खुदाई करते हुए वैज्ञानिकों ने, अब तक मिले सबसे प्राचीन मिट्टी के बर्तनों का पता
लगाया। मिट्टी के बर्तनों के ये टुकड़े 19,000 से 20,000 साल पुराने माने जा रहे हैं, जिनका विश्लेषण
करके पाया गया की, हिमयुग के दौरान भी कुकवेयर (cookware) का इस्तेमाल किया गया था।
हालांकि
इसके बाद, बर्फ की विशाल चादरों ने पृथ्वी का अधिकांश भाग ढक लिया। इस अवधि के दौरान, लोगों को
जीवित रहने के लिए पर्याप्त भोजन खोजने में कठिनाई होती थी। वसा जैसी ऊर्जा का एक समृद्ध स्रोत
प्राप्त करना, अपेक्षाकृत दुर्लभ था। इसलिए खाना पकाना इस कारण भी महत्वपूर्ण होता था, क्योंकि गर्म
मांस और आलू जैसे स्टार्च वाले पौधों से अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। वैज्ञानिकों ने बताया की उस दौरान
लोगों ने चर्बी और मज्जा निकालने के लिए जानवरों की हड्डियों को उबाला होगा, क्यों की वे दोनों वसा से
भरपूर हैं। इन प्राचीन लोगों ने शराब बनाने के लिए भी बर्तनों का इस्तेमाल किया होगा।
पहले वैज्ञानिक सोचते थे कि, मिट्टी के बर्तनों का आविष्कार लोगों द्वारा खेती शुरू करने और स्थायी
गांवों में रहने के बाद हुआ था। हालांकि, पिछले दशक में, वैज्ञानिकों ने पूर्वी एशिया में खेती से पुराने बर्तन
और अन्य कंटेनरों का पता लगाया है। नए पाए गए टुकड़े मिट्टी के बर्तनों के आविष्कार को और भी आगे -
किसानों से 10,000 साल पीछे कर दिया है।
संदर्भ
https://bit.ly/3ww9Z5D
https://bit.ly/3Me6tDm
https://bit.ly/3N9aNns
https://bit.ly/3NeLiBj
चित्र संदर्भ
1 प्राचीन ग्रीस नवपाषाण मिट्टी के बर्तनों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्राचीन कुम्हारों को दर्शाता एक चित्रण (lookandlearn)
3. मिट्टी के बर्तन बनाने वाली मोकी भारतीय महिला को दर्शाता एक चित्रण (
Public Domain Collections - GetArchive)
4. नवपाषाण मिट्टी के बर्तनों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मिट्टी के बर्तन, लेबेना, क्रेते, 3000-2100 ई.पू को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.