बढ़ते शहरीकरण के समय में भारत के महानगरों या शहरी क्षेत्रों में ध्यान देने योग्य व अति
आवश्यक चर्चा का विषय है अग्नि सुरक्षा। आजकल शहरों में लगने वाली भीषण आग से कोई भी
व्यक्ति अनजान नहीं है। ऐसी ही हालात मेरठ शहर में भी देखने को मिले, जब मेरठ के सबसे बड़े
शॉपिंग मॉल में से एक पीवीएस मॉल (PVS Mall) में आग लग गई, 16 तारीख की वह रात मेरठ
शहर के लिए भीषण आग की रात थी। गुरुवार की देर रात को फायर ब्रिगेड (fire brigade) को
फोन आया की पीवीएस मॉल में आग लग गई, उस समय सिनेमाघरों में आखिरी फिल्म शो चल रहे
थे, इसलिए मॉल के अंदर 600 से अधिक लोग थे। लोगों को निकालने और आग बुझाने के लिए
फायर ब्रिगेड और पुलिस की गाड़ियां वहां पहुंचीं। पुलिस और अग्निशामक दल अपना काम कर ही
रहे थे कि उन्हें दिल्ली-मेरठ राजमार्ग पर सबसे बड़े बैंक्वेट हॉल (banquet halls) में से एक ग्रैंड-5
रिसॉर्ट (Grand-5 resort) में एक और आग लगने की सूचना मिली। मुख्य अग्निशमन अधिकारी
(सीएफओ) (Chief fire officer (CFO)) संतोष राय ने बताया कि मॉल में आग बुझाने के लिए
10,000 लीटर पानी का इस्तेमाल किया गया और बैंक्वेट हॉल में लगी आग पर काबू पाने के लिए
फायर ब्रिगेड की आठ गाड़ियों को लगाया गया था। मॉल या बैंक्वेट हॉल में कोई भी घायल नहीं
हुआ। ऐसा माना जा रहा है कि मॉल में आग शार्ट सर्किट के कारण लगी, वहीं दूसरी ओर यह
आशंका जताई जा रही है कि बैंक्वेट हॉल में आग बारात में जलाए जाने वाले पटाखों के कारण लगी।
शुक्रवार को मेरठ-बागपत रोड में साउथ इंडियन बैंक (South Indian Bank) के बगल में भी एक
एटीएम (ATM) में आग लगने की सूचना मिली, जिसके बाद अग्निशामक दल आग बुझाने में लग
गए और बैंक कर्मियों को बचा लिया गया।
भारत के शहर पर्याप्त दर से बढ़ रहे हैं, लेकिन हम जैसे-जैसे नए शहरों का निर्माण और पुराने शहरों
का विस्तार कर रहे हैं, हमें इन शहरी स्थानों को बनाने वाली आवश्यक विशेषताओं को भी ध्यान में
रखने की आवश्यकता है। शहरी और ग्रामीण आवासों में अग्नि सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है,
इसलिए देश के नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी के लिए उपकरणों और बुनियादी ढांचों में निरंतर
निवेश होना चाहिए। यह आवश्यक है कि देश भर में अग्नि सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक
होनी चाहिए, खासकर मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे घनी आबादी वाले शहरी समूहों में। हमें भविष्य
में किसी आपदा के घटित होने की प्रतीक्षा करने के बजाय वर्तमान में सक्रिय होने की आवश्यकता
है। पिछले कुछ समय में मुंबई को कई अग्नि त्रासदियों का सामना करना पड़ा है।
दिसंबर 2018 में
कमला मिल्स (Kamala Mills) में लगी आग में 14 लोगों की जान चली गई थी और कुछ दिनों
बाद ईएसआईसी कामगार अस्पताल (ESIC Kamgar Hospital) में आग लगने से आठ और
लोगों की जान गई थी। इन आग के दौरान कई चीजें गलत हुईं थीं, जैसे रेस्टोरेंट के पास हुक्का
लाइसेंस (hookah licenses) नहीं था, निकासी मार्ग स्पष्ट रूप से चिह्नित नहीं किए गए थे,
फिक्स्ड फायर सिस्टम (fixed fire system) काम नहीं कर रहा था, अस्पताल अपने अग्नि सुरक्षा
परीक्षण में विफल रहा था, स्प्रिंकलर सिस्टम (sprinkler system) काम नहीं कर रहा था और
ज्वलनशील सामग्री के कारण आग तेजी से बढ़ रही थी। इन भीषण हादसों ने मुंबई सहित पूरे भारत
में अग्नि सुरक्षा के मुद्दों के बारे में बातचीत के लिए प्रेरित किया। मुंबई दुनिया का दूसरा सबसे
घना शहर है और यह दुनिया की सबसे बड़ी मलिन बस्तियों में से एक है। इसकी लगभग 50%
आबादी शहर में पाई जाने वाली झुग्गी बस्तियों में रहती है। पूरे मुंबई में अत्यधिक जनसंख्या घनत्व
और झुग्गियों में भीड़भाड़ के कारण, आपातकालीन सेवाओं का सड़कों पर नेविगेट कर पाना
चुनौतीपूर्ण है। झुग्गी बस्तियों में रहने और काम करने वालों की सेवा के लिए उपयुक्त उपकरणों की
कमी के कारण फायर ब्रिगेड पर्याप्त रूप से तैयार नहीं है। शहर की बढ़ती ऊंची इमारतों की स्थिति
भी गंभीर होती जा रही है। शहर में इमारतें 100 मंजिलों के निशान के करीब पहुंच रही हैं, जबकि
मुंबई फायर ब्रिगेड के पास सबसे ऊंची सीढ़ी केवल 30 मंजिलों तक ही है, जिससे मौजूदा पंप केवल
30 फीट यानी करीब 9 से 10 मंजिल तक ही पानी प्रोजेक्ट कर सकते हैं, ऐसे में किसी भी बिल्डिंग
में बड़े पैमाने पर आग लगना विनाशकारी साबित हो सकता है।
दुनिया भर में हर साल आग से या जलने से संबंधित चोटों के कारण मरने वाले लोगों की संख्या
180,000 से अधिक है। इसमें से 95% से अधिक मौतें या चोटें निम्न और मध्यम आय वाले देशों
में होती हैं, जहां तेजी से बढ़ते शहरीकरण के अनुपात में जोखिम भी बढ़ रहा है। आग के निवारण
और शमन से संबंधित अल्प योजनाओं, आधारिक संरचनाओं और निर्माण प्रथाओं के कारण आगलगने और फैलने तथा आग से भरे जोखिमों की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है। आग के घातक
प्रभावों को कम नहीं किया जा सकता है, लेकिन अग्नि जोखिम में कमी के लिए अग्नि शमन
क्षमता, शिक्षा और प्रशिक्षण को मजबूत करने के लिए स्पष्ट संस्थागत उपायों की आवश्यकता है।
भवन और अग्नि विनियमन के माध्यम से अनुभूत दृष्टिकोणों में उपयुक्त सक्षम कानून शामिल हैं,
जिसमें अच्छी तरह से डिजाइन और कार्यान्वित भवन तथा अग्नि नियम, और भवन अग्नि सुरक्षा
योजना की समीक्षा तथा निर्माण निरीक्षण करने की पर्याप्त क्षमता शामिल है, लेकिन इस चुनौती से
निपटने के लिए केवल औपचारिक विनियमन ही काफी नहीं है।
ऐसी अनौपचारिक बस्तियां जहां विश्व
की अनुमानित 25% शहरी आबादी रहती है, ख़ास तौर पर उच्च जनसंख्या घनत्व, अत्यधिक
भीड़भाड़, अति दहनशील निर्माण सामग्री और पानी के बुनियादी ढांचे जैसे कई कारकों की कमी के
कारण जोखिम में होते हैं और अक्सर औपचारिक विनियामक सीमा से बाहर होते हैं। शहरी आग
जनहानि और क्षति के अलावा हजारों लोगों को विस्थापित भी कर सकती है। अग्नि सुरक्षा भवन
विनियमन की एक ऐसी ऐतिहासिक आधारशिला है, जो सुरक्षित और सुलभ भवनों के लिए शमन को
संबोधित करने के लिए विकसित हो रही है। इस तरह के सुरक्षा उपायों के मूल्यों को गंभीर जोखिमों
से भी प्रबलित किया जाता है। आने वाले समय में, आकार में उल्लेखनीय रूप से बढ़ने वाले शहरों
को संबोधित करने के लिए एक नीति की आवश्यकता है। इसके माध्यम से शहरों को फायर स्टेशनों
(fire stations), फायर हाइड्रेंट (fire hydrants) और फायर लेन/पार्किंग (fire lanes/parking)
स्थलों के लिए भौतिक स्थान आरक्षित करने की आवश्यकता होनी चाहिए। ऐसा करने से यह
सुनिश्चित होगा कि यदि आग या आपदा की स्थिति उत्पन्न होती है तो वहां तक पहुँच आसानी से
उपलब्ध होगी।
संदर्भ:
https://bit.ly/3OBgSuA
https://bit.ly/3rJT6Cz
https://bit.ly/3vMcRuO
चित्र संदर्भ
1 जलती हुई ईमारत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. दमकल कर्मियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. एक जलती ईमारत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. कर्चोरेम-फायर स्टेशन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. फायर हाइड्रेंट (fire hydrants) को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
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