वैश्विक विवादों के बीच बढ़ रही है भारतीय किसानों की आय

मेरठ

 25-04-2022 10:48 AM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

हर समस्या अपने साथ समाधान के साथ-साथ, एक संभावना भी लेकर आती है! इस बात का जीता-जागता प्रमाण, पिछले दो महीनों से चल रहे रूस और यूक्रेन विवाद के बीच देखने को मिला है, जहां एक ओर इस युद्ध में दोनों देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं इस बीच भारत जैसे कृषि प्रधान देशों से अनाज की बढ़ती हुई मांग ने, किसानों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं। चलिए जानते हैं की ऐसा कैसे संभव हो पा रहा है?
विशेषज्ञ मान रहे हैं की, इस साल भारत में कृषि आय में सुधार होने की संभावना है। क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध से आपूर्ति श्रृंखला की कमी के बीच, उच्च मुद्रास्फीति (high inflation) से किसानों को अपनी फसलों के लिए अच्छे खासे दाम मिल सकते है। सीपीआई, डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति प्रिंट (CPI, WPI inflation print) में परिलक्षित हुआ है, की इस विवाद के बीच गेहूं, अनाज, दूध और खाद्य तेल जैसे कई खाद्य पदार्थों की कीमतों में पिछले दो वर्षों में सराहनीय उछाल आया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Center for Monitoring Indian Economy (CMIE) के अनुसार, "प्राथमिक खाद्य वस्तुओं का थोक मूल्य सूचकांक (wholesale price index) पिछले तीन वर्षों के दौरान समग्र डब्ल्यूपीआई (WPI) की तुलना में 25-30 प्रतिशत अधिक देखा गया है।"
“मार्च 2022 में, “14.9 प्रतिशत किसान-परिवारों के अनुसार उनकी आय एक साल पहले की तुलना में बेहतर थी!, वहीँ 23.2 प्रतिशत ने कहा कि उनकी आय बदतर थी, शेष किसानों ने अपनी आय को पिछले वर्षों की आय के समतुल्य बताया। अर्थशास्त्री, 2022 में, बेहतर कृषि आय को लेकर उत्साहित हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि, काला सागर (Black Sea) क्षेत्र में चल रहे संघर्ष के कारण किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य), सामान्य मानसून और उच्च खाद्य कीमतों से काफी लाभ होगा। इसके अलावा, वर्तमान में चल रहे भू-राजनीतिक तनावों और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के बीच, अंतर्निहित मूल्य दबाव (underlying price pressure) के कारण समग्र कीमतों में तेजी आने की संभावना है।
जानकार मान रहे हैं की, “2022 में, भारत बंपर गेहूं की फसल के साथ, लगातार पांचवें वर्ष रिकॉर्ड स्थापित करेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक कीमतों को उस बिंदु तक बढ़ा दिया है, जहां वे अपने पिछले वर्ष के स्तर से दोगुने पर खड़े हैं। सीएमआईई (CMIE) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि, बंपर फसलों की बढ़ती कीमतों और व्यापार की अनुकूल शर्तों से किसानों को फायदा हुआ है।
सीएमआईई के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में कृषि क्षेत्र ने 1.1 करोड़ नए रोजगार जोड़े हैं, जबकि शेष अर्थव्यवस्था ने 1.5 करोड़ रोजगार गंवाए हैं। पिछले दो वर्षों में समग्र सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की हिस्सेदारी में भी सुधार हुआ है और यह क्षेत्र COVID-19 महामारी से प्रभावित होने के बावजूद लचीला बना हुआ है। हालांकि 24 मार्च, 2022 को, कृषि की "अनुदान की मांग (Demand for Grants (2022-23)" की रिपोर्ट एक निराशाजनक परिदृश्य को चित्रित करती है। रिपोर्ट के अनुसार “विभाग द्वारा दिए गए जवाब से यह प्रतीत होता है कि ,विभाग अपने वादे के अनुसार किसानों की आय को दोगुना करने में सक्षम नहीं हो पाया है। उदाहरण के तौर पर मध्य प्रदेश के लिए यह समग्र आय औसतन ₹7,068 से घटकर ₹4,895 हो गई है, नागालैंड के लिए यह ₹11,428 से घटकर ₹9,877 हो गई है और ओडिशा के लिए यह ₹5,274 से घटकर ₹5,112 हो गई है। “यह सब तब हुआ है जब, देश की मासिक कृषि घरेलू आय (Monthly Agricultural Household Income), ₹8059 से बढ़कर ₹10,218 हो गई है।
2015-16 में एक किसान परिवार की औसत मासिक आय ₹8,059 थी। किसानों की आय को दोगुना करने का सुझाव देने हेतु, 2017 में गठित, अशोक दलवई की अध्यक्षता वाली समिति (DFI समिति) द्वारा एक्सट्रपलेशन (extrapolation) किया गया था। इसमें कहा गया कि, किसानों की आय 7 साल (2015-16 से 2022-23 तक) के लिए दोगुना करने के लिए, सालाना 10.4 की दर से बढ़ाने की जरूरत है। 2018-19 में किसान परिवारों की आय ₹10,218 थी। दुनिया में पुर्णतः विकसित और मुक्त अर्थव्यवस्थाएं, जैसे अमेरिका, यूके, अन्य ओईसीडी देश (OECD countries) और 12 विकासशील देश, किसानों की मदद के लिए कृषि सब्सिडी में अरबों डॉलर खर्च करते हैं।
हालांकि भारत इस सूची का हिस्सा नहीं है, क्योंकि, चूंकि यह देश प्रत्यक्ष भुगतान और इनपुट सब्सिडी (सिंचाई जल, बिजली और उर्वरक) में हर साल कृषि सब्सिडी पर $ 11 बिलियन से अधिक खर्च करते है, लेकिन इन सब्सिडी को "नकारात्मक बाजार मूल्य समर्थन (negative market price support)" द्वारा दबाया जाता है, यानी जटिल नियमों और व्यापार नीति के कारण किसानों पर अप्रत्यक्ष रूप से 77 अरब डॉलर (किसानों के लिए शुद्ध नुकसान) का कर लगाया जाता है।

संदर्भ
https://bit.ly/38ivxKd
https://bit.ly/3K79vYd
https://bit.ly/3vaG7w8

चित्र संदर्भ
1  खेतों में काम करते भारतीय किसानों को दर्शाता एक चित्रण (pixahive)
2. भारत के कृषि उत्पादन के विकास को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारत में प्रमुख फसल क्षेत्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पुरानी दिल्ली के खारी बावली में एक स्टोर पर मसालों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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