हमारे रामपुर से होकर निकलने वाली कोसी नदी को बिहार का श्राप क्यों कहा जाता है?

नदियाँ और नहरें
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हमारे रामपुर से होकर निकलने वाली कोसी नदी को बिहार का श्राप क्यों कहा जाता है?

नदिया, जलधारा के रूप में देश के हजारों एकड़ में फैले कृषि क्षेत्र और उन पर निर्भर, लाखों किसानों का भरण पोषण करती हैं! यह न केवल खेतों को सींचती हैं, बल्कि अपने साथ ससाधनों का खजाना भी बहा कर लाती हैं, जो की फसल को और भी अधिक उपजाऊ बना देता है। लेकिन कई बार नदियां मानवीय और प्राकृतिक कारणों से, ठीक इसके विपरीत भी काम करती हैं, और किसानों की लहराती फसल के साथ-साथ उनके जीवन को भी पूरी तरह से चौपट भी कर सकती हैं। जिसका एक ठोस प्रमाण हमारे रामपुर से होकरनिकलने वाली "कोसी नदी" है, इतिहास में इस नदी के कारण कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी वजह से कोसी को "बिहार का अभिशाप" भी कहा जाता है! कोसी या कोशी नदी का उद्गम नेपाल में हिमालय क्षेत्र से होता है, और यह बिहार में भीम नगर के रास्ते से भारत प्रज्वल में दाखिल होती है। कोसी नदी 720 किमी (450 मील) लंबी है, तथा तिब्बत, नेपाल और बिहार में लगभग 74,500 किमी 2 (28,800 वर्ग मील) के क्षेत्र में बहती है। पिछले 200 वर्षों के दौरान नदी ने अपना मार्ग पूर्व से पश्चिम की ओर 133 किमी (83 मील) से अधिक स्थानांतरित कर लिया है।
नदी बेसिन लकीरों (basin ridges) से घिरी हुई है, जो इसे उत्तर में यारलुंग त्सांगपो नदी (Yarlung Tsangpo River) , पश्चिम में गंडकी और पूर्व में महानंदा से अलग करती है। कोसी नदी भारत-नेपाल सीमा के उत्तर में लगभग 48 किमी (30 मील) उत्तर में महाभारत रेंज में प्रमुख सहायक नदियों से जुड़ती है।
काठमांडू से एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए जाने वाले रास्ते में, कोसी की चार सहायक नदियाँ मिलती है, और यह विश्व के ऊँचाई पर स्थित ग्लेशियरों (हिमनदों) से जल लेती हैं। यह भीमनगर के निकट भारतीय सीमा में दाखिल होती है। इसके बाद दक्षिण की ओर 260 किमी चलकर कटरिया,कुर्सेला के पास गंगा के साथ संगम करती है, जिसे त्रिमोहिनी संगम के नाम से जाना जाता है। कोसी नदी को "बिहार का शोक या श्राप" के रूप में जाना जाता है, क्योंकि कोसी नदी पर आने वाली वार्षिक बाढ़ से लगभग 21,000 किमी 2 (8,100 वर्ग मील) उपजाऊ कृषि भूमि प्रभावित होती है, जिससे ग्रामीणअर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित होती है। 18 अगस्त 2008 को, नेपाल के कुसाहा में नदी के तटबंध के टूटने से लगभग 2.7 मिलियन लोग प्रभावित हुए, जिससे नेपाल और भारत के कई जिले जलमग्न हो गए। सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में सुपौल , अररिया , सहरसा , मधेपुरा , पूर्णिया , कटिहार , खगड़िया के कुछ हिस्से और भागलपुर के उत्तरी हिस्सों के साथ साथ ही नेपाल के आसपास के क्षेत्र भी शामिल थे। भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने पूर्णिया से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में राहत सामग्री गिराई, जहां करीब 20 लाख लोग फंसे हुए थे। इस आपदा के कारण हुई, मृत्यु या विनाश की भयावहता का अनुमान लगाना कठिन था, क्योंकि प्रभावित क्षेत्र अत्यधिक दुर्गम थे। कोसी नदी के प्रकोप से बचने के लिए आठ जिलों में कम से कम 2.5 मिलियन लोगों ने अपना घर छोड़ दिया, और 650 किमी (400 मील) भूभाग पूरी तरह से जलमग्न हो गया। उस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया था।
प्राकृतिक जटिलताओं के कारण कोसी नदी, इंजीनियरों और नीति निर्माताओं के लिए एक पहेली बनी हुई है। कोसी के किनारे रहने वालों के लिए संकट का सबसे बड़ा कारण, पिछले 54 वर्षों में जमा हुआ 1,082 मिलियन टन गाद “silt” (महीन रेत, मिट्टी, या अन्य सामग्री, जिसे बहते हुए पानी द्वारा स्थानांतरित किया जाता है और तलछट के रूप में जमा किया जाता है।) हो सकता है।
आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) में पृथ्वी विज्ञान के प्रोफेसर राजीव सिन्हा के अनुसार तटबंध के बाद की अवधि के दौरान छत्र और बीरपुर के बीच जमा हुए तलछट का कुल द्रव्यमान लगभग 1,082 मिलियन टन हो सकता है। कोसी के दोनों किनारों पर तटबंधों के निर्माण का कार्य 1955-56 में पूरा हुआ, और उसके बाद की अवधि को तटबंध के बाद की अवधि कहा जाता है। दरअसल "गाद के कारण नदी के तल का स्तर बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप, नदी का प्राकृतिक अनुदैर्ध्य (natural longitudinal) या सीधा मार्ग गड़बड़ा जाता है। इसलिए, नदी एक पार्श्व पथ “side path” (बाएं या दाएं) खोजती है। परिणामस्वरूप, नदियां अपना रास्ता परिवर्तन कर लेती है। उसके द्वारा बनाए गए नए रास्ते से तटबंध टूटते है, और तटबंधों के टूटने से बाढ़ आती है!
'बिहार की कोसी नदी में “गाद का स्कोपिंग अध्ययन (scoping study of silt)' शीर्षक वाले अध्ययन में भी उपग्रह चित्रों का उपयोग करके, गाद के पैमाने का पता लगाने की कोशिश की गई। प्रोफेसर सिन्हा और उनकी टीम ने 1972 से, हर साल के उपलब्ध चित्रों का अध्ययन किया और पाया कि चतरा-बीरपुर धारा के साथ तलछट का जमाव 742 मिलियन टन (आयतन के मामले में 280 मिलियन क्यूबिक मीटर) और बीरपुर-बलतरा के साथ 1,590 मिलियन टन था।
उनकी टीम ने पूरे नदी खंड को 37 पहुंच (reaches) में विभाजित करके गाद संग्रह के हॉटस्पॉट की भी पहचान की। उनमें से ज्यादातर बिहार के सुपुअल और मधुबनी जिलों के बीच स्थित हैं। “कोसी गाद में महीन से लेकर अति महीन रेत होती है और इसमें क्वार्ट्ज (quartz) और महत्वपूर्ण मात्रा में मस्कोवाइट अभ्रक (muscovite mica) का प्रभुत्व होता है। एक अध्ययन में पाया गया है, कि गाद का उपयोग सड़क निर्माण में बैकफिल सामग्री (backfill material) के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा, इमारतों के निर्माण में उपयोग होने वाली, पक्की ईंटों के निर्माण के लिए ड्रेज्ड सामग्री (dredged material) को कच्चे माल के रूप में प्रतिस्थापित किया जा सकता है। ड्रेज्ड तलछट, का उपयोग पोर्टलैंड सीमेंट के निर्माण के लिए कच्चे माल के प्रतिस्थापन के रूप में भी किया जा सकता है। इतना ही नहीं, गाद का उपयोग औद्योगिक गतिविधियों से अशांत और दूषित भूमि को पुनः प्राप्त करने और उसकी प्राकृतिक स्थिति को बहाल करने के लिए भी किया जा सकता है। अतः यह स्पष्ट है की, यदि हर वर्ष आनेवाली भयावह बाढ़ से बचना है, तो कोसी नदी की समय-समय पर सफाई करना अति आवश्यक है! इस तर्क को मद्देनज़र रखते हुए “नमामि गंगे” अभियान के स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत एसएसजे विवि (सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा, उत्तराखंड में एक आवासीय सह संबद्ध विश्वविद्यालय है।) के छात्र-छात्राओं ने कोसी नदी में स्वच्छता अभियान चलाया।
इस अवसर पर नदी की सफाई के संदर्भ में वक्ताओं ने कहा कि, गंगा, कोसी एवं उसकी सहायक नदियों का संरक्षण करना एवं उन्हें प्रदूषण मुक्त रखना अति आवश्यक है, तथा यह केवल सरकार का ही नहीं बल्कि आम नागरिकों का भी नैतिक कर्तव्य है।

संदर्भ
https://bit.ly/3uqBEFh
https://bit.ly/3xg7oyH
https://en.wikipedia.org/wiki/Kosi_River

चित्र संदर्भ
1. बिहार बाढ़ में सहायता करती NDRF को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. कोसी नदी की सात हिमालयी सहायक नदियों में से एक दूध कोशी को दर्शाता एक अन्य चित्रण (wikimedia)
3. कोसी नदी पर आने वाली वार्षिक बाढ़ से लगभग 21,000 किमी 2 (8,100 वर्ग मील) उपजाऊ कृषि भूमि प्रभावित होती है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित होती है। को दर्शाता एक अन्य चित्रण (flickr)
4. सहरसा के पास नवभाटा में कोसी तटबंध पर जमा गाद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. कोसी नदी उत्तराखंड को दर्शाता एक चित्रण (TOI)