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जल, जीवन का पर्याय है! आपने "जल ही जीवन है" "जल है तो, कल है" जैसे लोकप्रिय कथन विभिन्न
स्थानों में पढ़े अथवा सुने जरूर होंगे! लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की वास्तव में धरातल पर "जल
संरक्षण मुहीम" की क्या स्थिति है?
स्वच्छ और सुरक्षित, जल आपूर्ति एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। UNICEF के एक
अनुमान के मुताबिक भारत में जलजनित बीमारियों (waterborne diseases) के इलाज पर, सालाना
लगभग 600 मिलियन अमरीकी डालर का आर्थिक बोझ पड़ता है। दुखद रूप से भारत में 50 प्रतिशत से भी
कम आबादी के पास सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल की पहुंच है।
फ्लोराइड और आर्सेनिक (fluoride and arsenic) जैसे रासायनिक संदूषण पानी के माध्यम से 1.96
मिलियन घरों में फ़ैल रहे है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में अतिरिक्त फ्लोराइड, 19 राज्यों
के लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है, जबकि समान रूप से , पश्चिम बंगाल में 15 मिलियन लोगों को
अधिक आर्सेनिक प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, भारत के 718 जिलों में से दो-तिहाई जिले
अत्यधिक पानी की कमी से जूझ रहे हैं, जहाँ जल सुरक्षा के लिए योजना की मौजूदा कमी एक प्रमुख चिंता
का विषय बनी हुई है।
भारत में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक भूजल की कमी की दर भी तेज़ी से बढ़ रही है। भारत, पिछले कुछ
दशकों में ड्रिलिंग (भूजल निकालने की प्रकिया) के प्रसार के कारण भूजल स्रोत का दुनिया का सबसे अधिक
उपयोगकर्ता के रूप में उभरा है। 30 मिलियन से अधिक पहुंच के साथ भूजल (भूमिगत जल), ग्रामीण क्षेत्रों
में 85 प्रतिशत पेयजल और शहरी क्षेत्रों में 48 प्रतिशत पानी की आवश्यकता की आपूर्ति करता है।
पेयजल की कमी से भारत में सीधे अथवा कई अन्य मायनों में भावी जोखिम सामने आ रहे हैं। उदाहरण के
तौर पर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कई किलोमीटर दूर से पानी लाने की समस्या के कारण, स्कूल में बच्चों
की उपस्थिति निरंतर कम हो रही है। परिणाम स्वरूप सूखा प्रभावित राज्यों में स्कूल छोड़ने की दर में 22
प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। करीब 54 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं - साथ ही कुछ किशोरियां - हर दिन
पानी प्राप्त करने में अनुमानित 35 मिनट खर्च करती हैं, जो एक वर्ष में 27 दिनों की मजदूरी के नुकसान के
बराबर है।
भूजल अदृश्य होता है, लेकिन इसका प्रभाव हर जगह दिखाई देता है। यह हमारे पैरों के नीचे, भूजल एक
छिपा हुआ खजाना है, जो हमारे जीवन को समृद्ध करता है।
भूजल जलभृतों (aquifers) में भूमिगत पाया जाने वाला पानी है, चट्टानों, रेत और बजरी के भूवैज्ञानिक
रूप, पानी को धारण कर सकते हैं।
कई क्षेत्रों में जहां बारिश और बर्फ से पुनर्भरण की तुलना में जलभृतों से अधिक पानी निकाला जाता है वहां
भूजल का अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है।
भूजल प्रदूषण भी एक विशेष समस्या है, जिससे उबरने में दशकों या सदियाँ भी लग सकती हैं। भूजल का
संरक्षण और स्थायी रूप से उपयोग करना जलवायु परिवर्तन के लिए जीवित रहने और बढ़ती आबादी की
जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय कदम होगा।
हमें भूजल को प्रदूषण से बचाना चाहिए और लोगों और ग्रह की जरूरतों को संतुलित करते हुए इसका सतत
उपयोग करना चाहिए। जल, स्वच्छता प्रणालियों, कृषि, उद्योग, पारिस्थितिक तंत्र और जलवायु परिवर्तन
अनुकूलन में भूजल की महत्वपूर्ण भूमिका सतत विकास नीति निर्माण में परिलक्षित होनी चाहिए।
भूजल या ताज़े पानी के संरक्षण हेतु विश्व तथा भारत सरकार द्वारा कई बड़े और अहम् कदम भी उठाए
गए हैं। जिसमें से एक है, हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाना!
दरअसल हमारे जीवन में ताजे और स्वच्छ पानी के महत्व को समझाने के लिए प्रतिवर्ष 22 मार्च को “विश्व
जल दिवस (world Water Day)” मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यह दिन न केवल पानी की उपयोगिता को समझाता है, बल्कि कुछ कम ज्ञात
तथ्यों के बारे में जागरूकता भी बढ़ाता है। उदाहरण के लिए, कम से कम 2.2 बिलियन लोगों, के पास पीने
योग्य, सुरक्षित पानी नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वर्ष 2050 तक, विश्व के 5.7 अरब लोग ऐसे क्षेत्रों में
रह सकते हैं, जहां साल में कम से कम एक महीने पानी की कमी होती है।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि विश्व जल दिवस के मुख्य फोकस क्षेत्रों में से एक " सतत विकास लक्ष्य 6:
2030 तक सभी के लिए पानी और स्वच्छता" की उपलब्धि की दिशा में काम करना भी है।
1992 में, रियो डी जनेरियो (Rio de Janeiro) में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
आयोजित हुआ। जिस दौरान UNGA ने 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में घोषित करने के लिए एक
प्रस्ताव पारित किया और अपनाया। यह दिन 1993 से मनाया जा रहा है और समय के साथ, नए समारोह
और कार्यक्रम इसका हिस्सा बन रहे हैं।
विश्व जल दिवस 2021 का, मुख्य विषय "जीवन में पानी के महत्व को समझाना", लोगों के लिए इसका
सही मूल्य समझाना और इस अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन को कैसे संरक्षित और संरक्षित किया जा सकता
है” यह समझाना था। विश्व जल दिवस का मुख्य फोकस सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 6: 2030 तक
सभी के लिए पानी और स्वच्छता की दिशा में कार्रवाई को प्रेरित करना है। इस वर्ष की थीम "भूजल,
अदृश्य को दृश्यमान बनाना" है
भारत में जल शक्ति मंत्रालय का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण व्यक्ति को पीने, खाना पकाने और अन्य घरेलू
बुनियादी जरूरतों के लिए स्थायी आधार पर पर्याप्त सुरक्षित पानी उपलब्ध कराना है। यह बुनियादी
आवश्यकता न्यूनतम जल गुणवत्ता मानकों को पूरा करती है और हर समय और सभी स्थितियों में आसानी
से सुलभ होनी चाहिए। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत, जल शक्ति मंत्रालय ने फरवरी 2018 में
"स्वजल" के नाम से एक परियोजना शुरू की है, जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पीने के पानी की स्थायी
पहुंच प्रदान करने के लिए एक मांग संचालित और समुदाय केंद्रित कार्यक्रम के रूप में तैयार किया गया है।
सामुदायिक नेतृत्व वाली पेयजल परियोजनाओं को 'स्वजल' से संबोधित किया जाता है, जिसका उद्देश्य
ग्रामीण जनता को एकीकृत तरीके से स्थायी और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है। प्रारंभ में "स्वजल"
योजना फरवरी 2018 में बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के छह राज्यों
में एक पायलट योजना के रूप में शुरू की गई थी। लेकिन सरकार का लक्ष्य इस योजना को 28 राज्यों में
फैले सभी 117 आकांक्षी जिलों में विस्तारित किया जाना है।
संदर्भ
https://bit.ly/3tAhY1b
https://bit.ly/3tAhUhS
https://uni.cf/3wE95FT
https://www.worldwaterday.org/learn
चित्र सन्दर्भ
1. कटोरे से पानी पीते बच्चे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. दूषित जल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. हैंड पंप से पानी भरते बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. खेत और उद्द्योग को सींचती पृथ्वी को दर्शाता एक चित्रण (pixabay)
5. पेयजल योजना को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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