Post Viewership from Post Date to 19-Apr-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3055 95 3150

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

स्वयं बिना भारत का दौरा किये, फ्रांसीसी डी एनवील ने बनाया 1752 में भारत का सटीक मानचित्र

मेरठ

 21-03-2022 10:00 AM
मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

वर्तमान समय में ऐसी कई सुविधाएं या तकनीकें विकसित हो चुकी हैं, जिसकी सहायता से किसी देश या क्षेत्र के मानचित्र को बहुत सटीक तरीके से बनाया जा सकता है। किंतु एक समय वह भी था, जब उतनी सुविधाएं मौजूद नहीं थी, लेकिन फिर भी ऐसे मानचित्र बनाए गए थे, जो बहुत सटीक थे। ऐसे कई यूरोपीय (European) मानचित्रकार हैं, जिन्होंने भारत के ऐतिहासिक प्राचीन मानचित्र बनाए। इन मानचित्रों ने धीरे-धीरे नक्शों में भारत की सटीक आकृति बनाने में मदद की। प्राचीन भारत का एक मानचित्र जीन बैप्टिस्ट बौर्गुइग्नन डी'एनविल (Jean Baptiste Bourguignon d'Anville) द्वारा भी बनाया गया था।जीन बैप्टिस्ट बौर्गुइग्नन डी'एनविल एक फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता और मानचित्रकार थे, जिन्हें मानचित्र-निर्माण के मानकों में सुधार करने के लिए जाना जाता है।
डी'एनविल का जन्म पेरिस (Paris) में 1697 में एक दर्जी के यहाँ हुआ था। उन्होंने पेरिस के एक प्रतिष्ठित कॉलेज डेस क्वात्रे-नेशंस (des Quatre-Nations) से मानचित्र निर्माण की मूल बातें सीखीं। डी'एनविल ने अपने मानचित्र निर्माण करियर की शुरुआत 1718 में की थी। केवल बाईस साल की उम्र में ही उन्हें राजा लुई XV (Louis XV)के लिए भूगोल का शिक्षक नामित किया गया था। कुछ वर्षों के भीतर, डी'एनविल को राजा के चचेरे भाई, ड्यूक डी'ऑरलियन्स (ducd’Orleans) से वार्षिक पेंशन मिलना शुरू हो गया था।डी'एनविल मानचित्र पर अप्रमाणित विवरणों को भरने के बजाय उसे वहां रिक्त छोड़ देते थे। इस ईमानदारी ने उन्हें अपने समकालीन मानचित्रकारों से अलग बनाया और उनके नक्शे यूरोप के भीतर बड़े पैमाने पर कॉपी किए गए थे, और यहां तक कि थॉमस जेफरसन (Thomas Jefferson) द्वारा लुईस (Lewis) और क्लार्क (Clark) अभियान की योजना बनाने में भी इस्तेमाल किए गए थे। 1750 से पहले, डी'एनविल अक्सर अमीर अभिजात वर्ग के संरक्षण का आनंद लेते हुए और समय की कमी के तहत कमीशन पर काम करते थे। नक्शा बनाना सुरक्षित या अत्यधिक लाभदायक पेशा नहीं था, क्यों कि कांस्य सेटिंग जैसी महंगी आपूर्ति के कारण, नक्शे बनाने की लागत अक्सर बहुत अधिक होती थी। 1750 के बाद डी'एनविल खुद को अच्छी तरह से स्थापित करने में सफल हुए और अपनी व्यक्तिगत परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर सके, जो अक्सर उनके जुनून और पुरातनता के लिए उनके प्यार के इर्द-गिर्द केंद्रित होती थी।
हालांकि डी'एनविल ने शायद ही कभी उन जगहों का दौरा किया हो, जहां के उन्होंने मानचित्र बनाए,लेकिन वह अपनी सटीकता के लिए पूरे यूरोप में प्रसिद्ध थे। अपने समय में, डी'एनविल कार्टोग्राफी (cartography) के लिए नई तकनीकों और वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग करने के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले व्यक्तियों में से एक थे।कम उम्र से ही डी'एनविल ने गिलाउम डेलिसले (Guillaume Delisle) द्वारा शुरू की गई फ्रांसीसी कार्टोग्राफी में सुधार जारी रखा, लेकिन वह एक प्रतिष्ठित शास्त्रीय विद्वान भी थे, और उनके कई संस्मरण और नक्शे प्राचीन और मध्यकालीन भूगोल से संबंधित हैं। उन्होंने अपनी पसंद में असाधारण निर्णय दिखाया और पिछले साक्ष्यों और जानकारियों का उपयोग करके खगोलीय रूप से निर्धारित स्थितियों के लिए जहां संभव हो वहां अपने माप को समायोजित किया। उनका पहला महत्वपूर्ण नक्शा चीन (China) का था, जिसे जेसुइट्स (Jesuits) के सर्वेक्षणों की मदद से तैयार किया गया था। इसे पहली बार 1735 में जारी किया गया था, बाद में इसे 1737 में नोवेल एटलस डे ला चाइन (Nouvel atlas de la Chine - "चीन का नया एटलस") के रूप में प्रकाशित किया गया।डी'एनविलके इटली (Italy) के नक्शे (1743) ने उस देश के स्वीकृत नक्शों में कई त्रुटियों को ठीक किया। उनके अन्य महत्वपूर्ण मानचित्रों में अफ्रीका (Africa) (1749), एशिया (Asia) (1751), भारत (1752) आदि मानचित्र शामिल हैं। अफ्रीका के समकालीन मानचित्र से, डी'एनविल ने आंतरिक रूप से की कई पारंपरिक और बड़े पैमाने पर कल्पित विशेषताओं को हटा दिया, और उनका प्रतिनिधित्व 19वीं शताब्दी के महान अन्वेषणों तक बना रहा। उनका एटलस जनरल, पहली बार 1743 में प्रकाशित हुआ था, जिसे अक्सर संशोधित किया गया था।
डी'एनविल को 1773 में फ्रांस के राजा का पहला भूगोलवेत्ता नियुक्त किया गया था।डी'एनविल ने सैनसन (Sanson), डे फेर (de Fer) और डेलिसल फैमिली (DeLisle family) जैसे महान फ्रांसीसी (French) मानचित्रकारों की परंपरा का पालन करते हुए,भारत आने वाले नए उपनिवेशवादियों से यहां की जानकारी एकत्र की।उनके भारत के नक्शे की सटीकता आश्चर्यजनक है, खासकर तब जब उनके द्वारा तैयार नक्शा वैज्ञानिक सर्वेक्षणों पर नहीं बनाया गया था।जब तक वे निश्चित नहीं हुए, तब तक उन्होंने मानचित्र पर किसी भी बिंदु या चीज को नहीं दर्शाया।उनके नक्शों पर मौजूद अलग-अलग खाली चरण इस बात का उदाहरण प्रदान करते हैं।डी'एनविल ने 18वीं सदी के भारत का बड़ा प्रारूप मानचित्र तैयार किया।यह नक्शा टॉलेमी (Ptolemy), तुर्की (Turkish) और भारतीय भौगोलिक क्षेत्रों और जेसुइट सर्वेक्षणों सहित कई स्रोतों की मदद से बनाया गया है, विशेष रूप से 1719 में बुचेट (Bouchet) का काम और 1734 में बौडियर (Boudier) की मदद से।यह नक्शा दक्षिणी भारत और तटरेखाओं का उत्कृष्ट विवरण दिखाता है, लेकिन आंतरिक उत्तरी भागों के लिए स्थानों के नामों का स्पष्ट अभाव है। इसमें गोवा के परिवेश और हुगली नदी के प्रवेश द्वार का एक अद्भुत विस्तृत चित्रण शामिल है।भारत के इस नक्शे में प्राचीन विषयों पर अन्य डी'एनविल मानचित्रों की तरह, कोई तारीख नहीं है। डी'एनविल ने ऐतिहासिक परिवर्तन के बजाय निरंतरता की मांग की, ताकि आधुनिक और प्राचीन दोनों क्षेत्रों के उनके नक्शों को विश्वसनीयता प्रदान की जा सके। उन्होंने इन प्राचीन मानचित्रों को बनाने के लिए अपनी प्रक्रियाओं और स्रोतों का विस्तृत विवरण लिखा और उन्हें मानचित्र के साथ प्रकाशित किया।

संदर्भ:
https://bit.ly/3w4ikyE
https://bit.ly/3JcX5OY
https://bit.ly/3t6iRye

चित्र सन्दर्भ

1. डी'एनविल द्वारा प्रकाशित 18वीं सदी के भारत का बड़ा प्रारूप मानचित्र। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. जीन बैप्टिस्ट बौर्गुइग्नन डी एनविल (Jean Baptiste Bourguignon ;Anville) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. D' Anville . के अनुसार एशिया और उसके द्वीप , के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
4. नोवेल एटलस डे ला चाइन (Nouvel atlas de la Chine - "चीन का नया एटलस") को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id