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आज दुनिया अराजकता, युद्ध, महामारी और बेरोज़गारी के भारी संकट से एक साथ जूझ रही है! ऐसे संकट
न केवल हमारी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे भीतरी
संसार अर्थात हमारे मन को भी घबराहट और तनाव से भर देते हैं।
ऐसे में भारत के प्राचीन योग शिक्षा बेहतरीन उपाय के तौर पर उभरकर आती हैं। योग शिक्षा के चमत्कारों
में, 1970 में निर्मला श्रीवास्तव द्वारा परिकल्पित योग का एक अपेक्षाकृत नया लेकिन लोकप्रिय रूप
"सहज योग" परिकल्पित किया गया, जो आज के अनिश्चित माहौल में आत्मिक शांति को बहाल कर
सकता है।
सहज योग की स्थापना भारत के भौगोलिक केंद्र छिंदवाड़ा के एक कस्बे में वसंत विषुव के दिन ठीक बारह
बजे 21 मार्च, 1923 को पैदा हुए एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु, एचएच श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा की
गई थी। उनके माता-पिता श्री पी.के साल्वे और श्रीमती कॉर्नेलिया साल्वे, शाही शालिवाहन वंश के प्रत्यक्ष
वंशज थे और उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके पिता, महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी, भारत की संविधान सभा के सदस्य और उन्होंने स्वतंत्र
भारत का पहला संविधान लिखने में मदद की।
निर्मला श्रीवास्तव को उनके अनुयायियों द्वारा परम पावन श्री माताजी निर्मला देवी या "माँ" के रूप में
जाना जाता है, जिन्हें सहज योगी भी कहा जाता है।
सहज योग ध्यान के दौरान, सत्य के साधक कुंडलिनी जागरण द्वारा निर्मित आत्म-साक्षात्कार की स्थिति
का अनुभव करते हैं और इसके साथ उन्हें विचारहीन जागरूकता या मानसिक मौन का अनुभव होता है। श्री
माताजी ने सहज योग को अन्य सभी धर्मों को एकीकृत करने वाला शुद्ध, सार्वभौमिक धर्म बताया गया है।
संस्कृत में 'सहज' शब्द के दो घटक हैं: 'सह' 'साथ' है और 'ज' 'जन्म' है। बौद्ध धर्म का एक शब्दकोश सहज
का शाब्दिक अनुवाद "जन्मजात" के रूप में देता है और इसे "ज्ञान (बोधि) या पवित्रता की प्राकृतिक
उपस्थिति" के रूप में परिभाषित करता है।
सहज योगियों द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक के अनुसार, सहज योग का अर्थ है "सहज और आपके साथ
जन्म लेना" अर्थात कुंडलिनी हमारे भीतर पैदा होती है और बिना किसी प्रयास के सहज रूप से जागृत की
जा सकती है।
सहज योग शुरू करने से पहले, श्री माताजी ने आध्यात्मिक उपचारक (spiritual healer) के रूप में ख्याति
अर्जित की। वर्ष 1970 में भक्तों के एक छोटे समूह के साथ, उन्होंने भारत में सहज योग का अपना संदेश
फैलाना शुरू किया। वर्ष 80 के दशक के मध्य तक उत्तरी अमेरिका में पहुँचते-पहुँचते यह आंदोलन पूरे यूरोप
में फैल गया।
सहज योगियों का दावा है कि सहज योग अन्य योग / ध्यान से अलग है, क्योंकि यह क्रिया तकनीकों या
आसनों के प्रदर्शन के बजाय कुंडलिनी जागरण के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार के साथ शुरू होती है।
सहज योग की शिक्षाएँ, प्रथाएँ और मान्यताएँ मुख्य रूप से हिंदू-आधारित हैं, जिसमें रहस्यमय परंपराओं
के तत्वों के साथ-साथ भारत के स्थानीय रीति-रिवाज भी शामिल हैं। हालांकि इसमें ईसाई मूल के अच्छाई
और बुराई के बीच की शाश्वत लड़ाई जैसे महत्त्वपूर्ण तत्व भी निहित हैं।
सहज योग ध्यान, जीवन में हमारे सामने आने वाली कई समस्याओं का एक अनूठा समाधान है। सहज
योगी मानते हैं कि सहज योग भावनात्मक कल्याण और आत्मा में सुधार करके तनाव को पूरी तरह से ठीक
कर देता है।
सहज ध्यान की अवस्था के दौरान आप जो आंतरिक शांति का अनुभव करते हैं, यह आपके भावनात्मक
लचीलेपन को बढ़ाता है, ताकि आप अभी और लंबे समय तक तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं का प्रभावी ढंग
से सामना कर सकें। सहज योग संतुलन और कल्याण की भावना को बहाल करने और आत्म-सम्मान में
सुधार करने में मदद करता है। इसके माध्यम से आप अपने ध्यान को स्व-विनियमित करने और वर्तमान
क्षण पर जिज्ञासा, खुलेपन और स्वीकृति के साथ ध्यान केंद्रित करने की क्षमता विकसित कर सकते हैं।
इसे करने के बाद आपको अनुभव होगा की आप अपने विचारों, भावनाओं और संवेदनाओं की उनके मूल
रूप में निरीक्षण और निगरानी कर रहे हैं। साथ सहज योग करने के बाद आपके संचार कौशल में सुधार
होता है और स्वयं तथा दूसरों दोनों के लिए आपकी करुणा और सहानुभूति बढ़ जाती है।
सहज योगियों के अनुसार, इसके माध्यम से आप अपने दिमाग के साथ-साथ दूसरों के दिमाग में ऊर्जा के
प्रवाह और सूचना दोनों के अभ्यस्त हो जाते हैं। आपके रिश्ते सुधरते हैं, तथा आपकी रचनात्मकता, फोकस,
उत्पादकता और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।
परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने 5 मई 1970 को कुंडलिनी जागरण की इस प्रक्रिया को आत्म-
साक्षात्कार कहा और तब से दुनिया भर के साधकों को आत्म-साक्षात्कार प्रदान किया है। उनके अनुयाइयों
अनुसार सहज योग ध्यान के माध्यम से कुंडलिनी जागरण ने दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को
बदल दिया क्योंकि उन्होंने दुनिया भर के साधकों को आत्म-साक्षात्कार सुनिश्चित करने के लिए
महाद्वीपों की यात्रा की।
मानव जाति के विकास के लिए उनकी दृढ़ता और समर्पण ही था कि आज उनके शिष्य सभी प्रमुख देशों के
लगभग हर बड़े शहर में हैं।
यदि हमारे मेरठ वासी भी सहज योग के मार्ग पर चलकर इस अद्भुद आध्यात्मिक शांति का अनुभव करना
चाहते हैं तो, गाँव डबका दिल्ली-हरिद्वार बाईपास रोड मेरठ के सामने शिव शक्ति पेट्रोल पंप के पीछे सहज
योग मंदिर की यात्रा कर सकते हैं और सहजता से इस योगिक शांति की पराकाष्ठा को अनुभव कर सकते
हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3MQn7Kd
https://bit.ly/3IaojUV
https://bit.ly/3u5OFmh
https://en.wikipedia.org/wiki/Sahaja_Yoga
चित्र सन्दर्भ
1. निर्मला श्रीवास्तव (उर्फ श्री माताजी निर्मला देवी) एवं सभी चक्र और चक्रसर्प को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. निर्मला श्रीवास्तव (उर्फ श्री माताजी निर्मला देवी) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कुंडलिनी अनुप्रस्थ सूक्ष्म शरीर चैनलों का भारतीय तांत्रिक चित्रण (wikimedia)
4. 2011 में निर्मला श्रीवास्तव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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