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यूक्रेन में व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) द्वारा "विशेष सैन्य अभियान" शुरू करने के
बाद से ही, रूस को कई देशों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेन के आग्रह
के बावजूद एक ओर जहाँ, कोई भी देश सीधे तौर पर उसे हथियारों और सैन्य सहायता देने
से बच रहा है, लेकिन वहीँ रूस को कमजोर करने के लिए कई देशों ने रूस पर प्रतिबंधों की
बौछार कर दी हैं। जिसके नकारात्मक परिणाम यह आएं हैं की, रूस अब पूरी दुनिया में
सर्वाधिक प्रतिबंधों वाला देश बन चुका है!
प्रतिबंध का मतलब किसी एक देश या देशों के समूह द्वारा किसी दूसरे पर लगाया गया
आर्थिक या वित्तीय दंड होता है। प्रतिबंधों को अक्सर किसी देश की अर्थव्यवस्था या प्रमुख
राजनेताओं या व्यक्तिगत नागरिकों के वित्त को नुकसान पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया
जाता है।
कई पश्चिमी देशों ने रूस के केंद्रीय बैंक की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय
डॉलर के भंडार में $ 630 बिलियन तक पहुंचने की उसकी क्षमता सीमित हो गई है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने रूस पर प्रतिबंधों का पहला प्रहार किया।
इन प्रतिबंधों में रूस द्वारा मान्यता प्राप्त अलग-अलग क्षेत्रों में किसी भी नए निवेश पर
रोक लगाना शामिल है। साथ ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से क्षेत्रों से आयात या निर्यात, पुन:
निर्यात, माल, सेवाओं या प्रौद्योगिकी की बिक्री या आपूर्ति भी निषिद्ध हो गई है। अमेरिका
ने ओटक्रिटी, नोविकॉम, सोवोकॉम (Otkriti, Novicom, Sovocom) जैसे रूसी वित्तीय
संस्थानों पर भी प्रतिबंध लगाए गए। जिनके पास तकरीबन 80 अरब डॉलर की संयुक्त
संपत्ति है। साथ ही अमेरिका ने 13 रूसी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों को उनके देश में
पैसा जुटाने पर भी प्रतिबंधित लगा दिया है, जिसमें ऊर्जा की दिग्गज कंपनी गज़प्रोम
(Gazprom) और इसके दो सबसे बड़े बैंक द सेर्बैंक और वीटीबी बैंक (Sberbank and VTB
Bank) शामिल हैं।
अमेरिका ने रूस के सबसे शक्तिशाली नागरिकों जैसे पुतिन, विदेश मंत्री
लावरोव और रूसी राष्ट्रपति के कुछ करीबी अरबपतियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इसके
अलावा, रूसी विमानों के अपने हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने पर भी प्रतिबंध लग चुका है।
अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय संघ (The European Union) ने भी रूस पर प्रतिबधों की
लंबी सूची तैयार की हैं। जिसके अंतर्गत रूसी राजनेताओं और अधिकारियों को भी काली
सूची (blacklisted) में डाल दिया गया है। यूरोपीय संघ ने अपने सभी हवाई क्षेत्र और हवाई
अड्डों में रूसी विमानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा, उसने यूरोपीय संघ के
स्टॉक एक्सचेंजों (stock exchanges) में सूचीबद्ध होने वाली रूसी कंपनियों के शेयरों को
भी रोक दिया है। यूरोपीय संघ ने रूस से कंप्यूटर, दूरसंचार, अर्धचालक और विमानन भागों
वाले सामानों के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों की सूची में यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) भी
शामिल हो गया है, जिसने पांच रूसी बैंकों - बैंक रोसिया, ब्लैक सी बैंक, जेनबैंक, आईएस
बैंक और प्रोम्सवाज़बैंक (Bank Rossia, Black Sea Bank, GenBank, IS Bank and
Promsvazbank) पर प्रतिबंधों की घोषणा की है।
अमेरिका सहित ब्रिटेन ने भी तीन उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (high-net-worth
individuals) और रूसी प्रधान मंत्री व्लादिमीर पुतिन के सहयोगियों - गेनेडी टिमचेंको
(Gennady Timchenko) और अरबपति इगोर और बोरिस रोटेनबर्ग (Boris
Rotenberg) पर भी प्रतिबंध लगाए हैं।
ब्रिटेन के साथ ही जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ (Olaf Scholz) ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 प्राकृतिक
गैस पाइपलाइन (Nord Stream 2 natural gas pipeline) के लिए प्रमाणन प्रक्रिया को
निलंबित कर दिया, जो सीधे जर्मनी के माध्यम से रूसी गैस लाइन को यूरोप से जोड़ती है।
इसी क्रम में जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा (Fumio Kishida) ने घोषणा की कि
उनकी सरकार यूक्रेन में रूस के कार्यों पर प्रतिबंध लगा रही है। इन प्रतिबंधों में, जापान में
रूसी बांड जारी करने पर रोक लगाना और कुछ रूसी व्यक्तियों की संपत्ति को फ्रीज करना
शामिल है। कनाडा सरकार कनाडा के लोगों को लुहान्स्क और डोनेट्स्क (Luhansk and
Donetsk) के साथ सभी वित्तीय लेन-देन प्रतिबंधित कर रही है, जिसे डोनबास क्षेत्र
(Donbass region) भी कहा जाता है। 2010 में ईरान और 2013 में उत्तर कोरिया पर लगाए
गए उपायों के बाद से रूस पर लगाएं गए यह प्रतिबंध सबसे कठोर हैं।
रूस जनसंख्या के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और दुनिया का सबसे बड़ा
देश है, जिसके खिलाफ इस तरह के कड़े प्रतिबंध लागू किए गए हैं। पश्चिमी नेताओं को
उम्मीद हैं कि यह प्रतिबंध रूसी अर्थव्यवस्था को पर्याप्त नुकसान पहुंचाएंगे ताकि संघर्ष को
कम करने में मदद मिल सके।
रूसी वित्तीय प्रणाली के लिए सबसे शक्तिशाली झटका सेंट्रल बैंक ऑफ रूस Central Bank
of Russia (CBR) पर प्रतिबंध लगाना है, जो घरेलू विदेशी मुद्रा बाजार में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाता है। सीबीआर के पास 640 अरब डॉलर का विशाल विदेशी मुद्रा भंडार है और
यह पारंपरिक रूप से रूबल विनिमय दर (ruble exchange rate) के स्तर को नियंत्रित
करता है। G7 देशों में CBR की संपत्ति और खातों को फ्रीज करने का मतलब है कि उसके
पास रूस में $127bn के सोने के भंडार और $70bn के रॅन्मिन्बी रिजर्व (Renminbi
Reserve) के पास बचा है। हालांकि घरेलू विदेशी मुद्रा बाजार में स्थिरता बनाए रखने की
दृष्टि से दोनों ही बेकार हैं।
यूरोपीय संघ और अमेरिका ने कई रूसी बैंकों और प्रमुख कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।
इसके परिणामस्वरूप रूस का सबसे बड़ा बैंक, Sberbank प्रभावित होगा, जिसके पास
बैंकिंग प्रणाली की संपत्ति का 33 प्रतिशत हिस्सा है, जो अपने भुगतान करने में असमर्थ
होगा।
इसके अलावा, अमेरिका ने 13 प्रमुख रूसी कंपनियों और बैंकों को अपने पूंजी बाजार तक
पहुंचने से रोक दिया और अमेरिकी निवेशकों को अपने प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकशों और
द्वितीयक बाजार में रूसी सरकारी बांड के नए मुद्दों को खरीदने से प्रतिबंधित कर दिया।
G7 देशों ने कई रूसी बैंकों को SWIFT सिस्टम से भी बाहर करने का भी फैसला किया है।
हालांकि बैंकों को स्विफ्ट प्रणाली से अलग करने से विदेशी मुद्रा भुगतान करने की उनकी
क्षमता सीमित नहीं होती है। यह केवल भुगतान को धीमा करता है और उन्हें अधिक महंगा
बनाता है।
हालांकि इन प्रतिबंधों का असर केवल रूस पर ही नहीं बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी
पड़ेगा।रूस विश्व बाजार में कच्चे माल के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। इसी समय,
रूसी अर्थव्यवस्था उपभोक्ता वस्तुओं, प्रौद्योगिकी और निवेश उपकरणों का एक
महत्वपूर्ण आयातक है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय भुगतान महत्वपूर्ण हैं। सबसे बड़े बैंकों को
ग्राहक भुगतान करने से डिस्कनेक्ट करने से माल का प्रवाह बाधित होगा, उपभोक्ता बाजार
में घाटा जमा होगा और मुद्रास्फीति में तेजी आएगी। कुछ कंपनियाँ जिनका व्यवसाय रूस
में माल आयात करना या रूस में आयातित माल बेचना है, दिवालिया हो सकती हैं। औसत
रूसी नागरिक इसके लिए कीमत चुकाएंगे, क्योंकि इससे वास्तविक घरेलू आय कम हो
जाती है। अतः हमेशा की तरह महंगाई का असर गरीबों पर पड़ेगा।
यह प्रतिबंध रूस के प्रौद्योगिकी, उपकरण और घटकों के पश्चिमी निर्यात को भी प्रतिबंधित
कर रहे हैं, जो मशीनरी, उपकरण और तकनीकी वस्तुओं के रूसी आयात को प्रभावित कर
सकते हैं। ये प्रतिबंध रूसी अर्थव्यवस्था के तकनीकी स्तर को गंभीर रूप से प्रभावित करेंगे।
रूस परंपरागत रूप से उन्नत तकनीक का आयातक रहा है, जिसका उपयोग वैक्यूम क्लीनर
से लेकर परमाणु-संचालित आइसब्रेकर जहाजों (vacuum cleaners to nuclear-
powered icebreaker ships) तक सभी प्रकार के तकनीकी रूप से जटिल उत्पादों में
किया जाता है। यदि प्रतिबंध लागू रहे तो रूस में कई सैन्य उत्पादों का उत्पादन असंभव हो
जायेगा।
फोर्ड, वोल्वो, जगुआर, हुंडई, बीएमडब्ल्यू और टोयोटा जैसी कार कंपनियों ने घोषणा की है
कि वे भी रूस में अपना उत्पादन या रूस को कारों की आपूर्ति बंद कर देंगी। रूसी
अर्थव्यवस्था के एक क्षेत्र पर विमानन, निर्यात प्रतिबंधों का विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।
मुद्रास्फीति, में कमी के साथ-साथ विशेष रूप से कारों, सेलफोन, लैपटॉप और पैकेज्ड दवाओं
(packaged medicines) जैसे आयातित सामानों में तेजी आने की संभावना है। दुनिया
भर की कंपनियां रूस से निवेश और संचालन वापस ले रही रही हैं। हाई फ़्रीक्वेंसी
इकोनॉमिक्स के मुख्य अर्थशास्त्री कार्ल बी वेनबर्ग (Carl B. Weinberg, chief
economist at High Frequency Economics) ने इस सप्ताह लिखा था कि प्रतिबंध
"रूस की अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली को नष्ट करने के लिए काफी गंभीर हैं, यह कुछ
ऐसा होगा जो हमने इतिहास में कभी नहीं देखा।
हालांकि रूस के समान ही भारत ने भी अपने इतिहास में कई गंभीर प्रतिबंधों को झेला है,
लेकिन कुछ मामलों को छोड़कर भारत ने ऐतिहासिक रूप से और बड़े पैमाने पर अलग-
अलग देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन नहीं किया है।
संदर्भ
https://bit.ly/3hPC80o
https://bit.ly/3pMwLDp
https://nyti.ms/3hWUCvO
https://bit.ly/3MBzkCg
चित्र संदर्भ
1. प्रतिबंध बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (TheLeaflet)
2. प्रतिबंध के पोस्टर लिए नागरिकों को दर्शाता चित्रण (Rappler)
3. यूरोपियन यूनियन के झंडे को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
4. सेंट्रल बैंक ऑफ रूस को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
5. swift प्रतिबन्ध के पोस्टर लिए नागरिकों को दर्शाता चित्रण (The Washington Post)
6. तकनीक को संदर्भित करता एक चित्रण (Deepstrat)
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