City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1139 | 101 | 1240 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
एक समय था जब गौरैया भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की अलार्म घड़ी हुआ करती थी। सुबह
की मीठी नीदं इस नन्ही सी चिड़िया की चहचहाट से खुला करती थी। साथ ही घर के बारमदे में,
नुक्कड़ों में, बस और रेलवे स्टेशनों की छतों तथा मिट्टी की दीवारों में गौरैया आमतौर पर दिख ही
जाया करती थी। मनुष्यों के साथ गौरैया लगभग 10,000 वर्षों से सहजीवी के रूप में रह रही है।
लेकिन पिछले कुछ ही दशकों में, भारत के शहरी क्षेत्रों में इसकी आबादी में इतनी भारी कमी आई है
कि गौरैया आज भारतीय शहरों में एक दुर्लभ पक्षी बन गई है।
इनटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (The International Union for
Conservation of Nature) ने 2002 में अपनी घटती आबादी के कारण "लुप्तप्राय" प्रजातियों
की सूची में घरेलु गौरेया (पासर डोमेस्टिकस) house sparrow (Passar domesticus) को भी
शामिल किया। केवल पिछले दो दशकों में ही भारत में इसका अस्तित्व इस स्तर तक खतरे में आ
गया की दिल्ली में गौरैया की आबादी की स्थिति का पता लगाने के लिए 2007 में एक विशेष
अध्ययन शुरू किया गया था। स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स (State of India's Birds) 2020 के
अनुसार,पासर डोमेस्टिकस को एक बहुत बड़ी वितरण रेंज वाली प्रजाति माना जाता है। हालांकि
ग्लोबल रेड लिस्ट (global red list) के अनुसार इसे 'कम से कम चिंता' के रूप में चिह्नित किया
गया है, लेकिन इसकी उपस्थिति का हमारी नाजुक पारिस्थितिकी पर सीधा असर पड़ता है।
घरेलू चिड़ियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 20 मार्च के दिन 'विश्व गौरैया दिवस'
मनाया जाता है। हमारा आधुनिक, शहरी जीवन, गौरैया की विलुप्ति का प्राथमिक कारण माना
जाता है। साथ ही पेड़ों की कटाई, घरों में वेंटिलेटर का अभाव, कंक्रीट के ढांचे के बीच चूजों को
खिलाने के लिए कीड़े की अनुपलब्धता, मोबाइल टावरों से विकिरण, ऊंची इमारतों पर कांच के
पैनल, ध्वनि प्रदूषण और घरों में कीटनाशकों का उपयोग करने जैसे कई मानवजनित दोष, गौरैयों
की घटती आबादी के कुछ प्रमुख कारण हैं।
"गौरैया कीटभक्षी होती हैं, लेकिन वे अनाज पर भी प्रमुखता से निर्भर रहती हैं। किंतु धान के खेतों,
गोदामों और चावल मिलों वाली खाद्य श्रृंखला के टूटने से गौरैया शहरी स्थानों से भी गायब हो गई।
भारत में गौरैयों की पांच प्रजातियां पाई जाती हैं। पांच में से केवल एक प्रजाति प्रवासी मानी जाती
है। सबसे प्रचुर और व्यापक पासर डोमेस्टिकस है।
यूरोप और पश्चिमी एशिया में प्राचीन साहित्य और धार्मिक ग्रंथों के कई कार्यों में गौरैया का
उल्लेख किया गया है। प्राचीन मिस्र की कला में गौरैयों का बहुत ही कम प्रतिनिधित्व किया जाता
है, लेकिन मिस्र की चित्रलिपि घरेलू गौरैया पर आधारित है। जानकार बताते हैं की "नेस्ट बॉक्स, बर्ड
फीडर (nest box, bird feeder), देशी पौधे लगाकर और रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के
उपयोग को कम करके गौरैया को बचाया जा सकता है। गौरैयों की घटती आबादी के बारे में
जागरूकता फैलाना जरूरी है। आज लोग अपने घरों में इनके घोसलों के लिए छोटे छेद भी नहीं
छोड़ते। यह भी इनके विलुप्त होने का प्रमुख कारण है।
साथ ही किचन गार्डन और खेतों में कीटनाशकों की भारी मात्रा के उपयोग से अकशेरुकी जीवों या
कीड़ों का ह्रास होता है। नवजात गौरैयों के जीवित रहने में यह छोटे कीड़े बहुत महत्वपूर्ण भूमिका
निभाते हैं।
आज अनाज का कम रिसाव, बेहतर भंडारण, गौरैयों को खिलाने की प्रथा में गिरावट, उल्लुओं और
बिल्लियों द्वारा शिकार में वृद्धि और कबूतरों सहित अन्य प्रजातियों द्वारा भोजन के लिए
प्रतिस्पर्धा ने भी गौरैयों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है।
इन नन्हें पक्षियों के संरक्षण के लिए हमें युवाओं के दिमाग में यह विचार पैदा करना होगा कि हर
जीव को इस ग्रह पर रहने का समान अधिकार है और पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका निभाने का
अधिकार भी है। नासिक स्थित भारतीय संरक्षणवादी मोहम्मद दिलावर और कई पक्षी प्रेमियों ने
नासिक और भारत के अन्य हिस्सों में घरेलू गौरैया के संरक्षण के लिए अभियान चलाया है।
यद्यपि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गौरैया की आबादी देश के कुछ शहरों में बढ़ती दिख रही
है, हालांकि उनकी आबादी का बड़ा हिस्सा अब भारतीय गांवों में पाया जाता है। साथ ही, IUCN ने
2018 के दौरान अपनी "कम से कम चिंता" प्रजातियों में घरेलू गौरैयों को भी शामिल किया।
इसलिए यह पुष्टि की जा सकती है कि घरेलू गौरैया की आबादी फिर से बढ़ रही है। यह पक्षी
प्रेमियों, गैर-लाभकारी संस्थाओं और सरकारी संगठनों के संयुक्त प्रयास के कारण हो सकता है।
साथ ही हजारों वर्षों से हमारे साथ रहने वाली नन्ही चिड़िया को बचाना प्रारंग के सभी पाठकों
की भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है!
संदर्भ
https://bit.ly/3vCa88F
https://bit.ly/3IGh6Nw
https://bit.ly/3sH4aS6
https://hindupad.com/sparrow/
चित्र संदर्भ
1. पेड़ की डाल पर बैठी गौरैया को दर्शाता एक चित्रण (Orange)
2. सफेद गले वाली गौरैया को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. मृत गौरैया को दर्शाता चित्रण (flickr)
4. गौरैया के घोंसले घर को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.