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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हाल ही में रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) पर हमला किया
है। इस हमले के कारण यूक्रेन की आर्थिक स्थिति में जहां भारी गिरावट आई है, वहीं बड़ी
संख्या में नागरिकों और सैन्य कर्मियों की जानें भी जा रही हैं।इस युद्ध के कारण दुनिया
भर के लोग किसी न किसी तरह से प्रभावित होंगे।यूक्रेन में बढ़ते तनाव के बीच लोगों को
कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें विभिन्न धर्मों सहित हिंदू धर्म के लोग
भी शामिल हैं।इस बीच इस्कॉन (ISKCON) यानी कृष्ण चेतना के लिए अंतर्राष्ट्रीय सोसायटी(International Society for Krishna Consciousness) ने पूर्वी यूरोपीय (European) देशों में
जरूरतमंद लोगों के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए हैं। तो आइए आज इस लेख के जरिए
यूक्रेन में हिंदू धर्म और इस्कॉन की व्यापकता और इसके इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त
करें।
यूक्रेन में हिंदू धर्म की बात करें तो यहां हिंदू धर्म एक अल्पसंख्यक धर्म है। यहां हिंदू धर्म
का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से इस्कॉन और ब्रह्माकुमारियों द्वारा किया गया है।रज़ुमकोव
(Razumkov) केंद्र द्वारा 2016 के सर्वेक्षण के अनुसार, डोनबास (0.6%) और पूर्वी यूक्रेन
(0.3%) में थोड़ा अधिक अनुपात के साथ हिंदू धर्म में विश्वास करने वाले लोग यूक्रेन की
आबादी का 0.2% हिस्सा बनाते हैं।रज़ुमकोव केंद्र द्वारा 2018 के सर्वेक्षण के अनुसार,
पश्चिमी यूक्रेन में थोड़ा अधिक अनुपात (0.2%) और अन्य क्षेत्रों में 0.1% से कम के साथ
हिंदुओं के प्रतिशत में 0.1% की कमी आई है।
यूक्रेन में हिंदू धर्म के शुरूआत की बात करें, तो भारत के बारे में संक्षिप्त पाठ्य साक्ष्य
यूक्रेन में पुराने रूस या कीवान (Kyivan) लिखित स्मारकों जैसे,द वर्ड ऑन लॉ (The Word on
Law) और ब्लिस बाय इलारियन (Bliss by Illarion) में दिखाई देते हैं। उनमें एक दूर देश की
छवि दिखाई देती है, जो वास्तविक और ऐतिहासिक तो नहीं है, लेकिन पौराणिक और
आदर्शवादी है। भारत को पवित्र "रखमानस" (rakhmanas) की चमत्कारी भूमि के रूप में दर्शाया
गया है (जाहिर तौर पर जो ब्राह्मणों को संदर्भित करता है)। इसके अलावा भारत को एक
ऐसा देश माना गया है, जो पृथ्वी पर किसी स्वर्ग के जैसा है। यहां उन्नीसवीं और बीसवीं
शताब्दी की शुरुआत में खोजे गए निष्कर्षों के व्यक्तिगत उदाहरण भी हैं जो भारतीय मूल के
माने जाते हैं। जैसे यहां गरुड़ पर सवार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कांस्य प्रतिमा है,
जो नौवीं और चौदहवीं शताब्दी के बीच की मानी जाती है)। यह कलाकृति 1908 में पोल्टावा
(Poltava) के पास मिली थी।सोलहवीं शताब्दी के यूक्रेनी स्रोतों से यह ज्ञात होता है कि ल्वीव
(Lviv) व्यापारियों ने भारत के साथ व्यापार किया, लेकिन हिंदू धर्म के बारे में कोई साक्ष्य नहीं
मिला है। एक भारतीय मध्ययुगीन पाठ का एक यूक्रेनी संस्करण, द स्टोरी अबाउट द सेवन
सेज (The Story About the Seven Sages), 1660 का है। यूक्रेन में पहले बौद्धों का उल्लेख
1897 में रूसी साम्राज्य की पहली व्यापक जनगणना में किया गया है, हालांकि इसमें किसी
भी हिंदू का उल्लेख नहीं किया गया है। यूक्रेन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से
इस्कॉन और ब्रह्माकुमारियों द्वारा किया गया था।1980 के दशक की शुरुआत के बाद
एच.जी कृष्ण क्षेत्र प्रभु केनेथ आर वाल्पे (H.G. Krishna Ksetra Prabhu Kenneth R. Valpey) की
1998 से शुरू हुई यात्राओं के बाद एचएच प्रभाविष्णु स्वामी और एचएच निरंजन स्वामी
पहले संन्यासी बन गए।इस्कॉन ने 1990 में कानूनी रूप से किताबें छापना शुरू किया। पहली
यूक्रेनी भाषा की किताबों का अनुवाद 1990-1991 में व्यासदेव दास और जाम्बवती दासी
द्वारा किया गया था।इस्कॉन को 1990 में तत्कालीन सोवियत शासन के दौरान यूक्रेन में
पंजीकृत किया गया था।1 जनवरी 2006 तक, 29 कृष्ण चेतना समुदायों को यूक्रेन में
पंजीकृत किया गया थाIइसमें 30 से अधिक धर्मार्थ मिशन (उदाहरण के लिए, "जीवन के लिए
भोजन") शामिल हैं,और एक स्कूल का निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया है। यहां इस्कॉन
के 60 शिक्षण केंद्र और 15 कृष्ण मंदिर हैं। यह अनुमान है कि यूक्रेन में इस्कॉन के 450
छात्र, 8,000 सक्रिय अनुयायी, 300 से अधिक पादरी और लगभग 40,000 अनुयायी हैं। यहां
योग भी लोकप्रियता हासिल कर रहा है।सहज योग, यूक्रेन का वासुदेव योग संघ और यूक्रेन
का अष्टांग योग क्लब यूक्रेन में योग सिखाने वाले कुछ संगठन हैं। यहां हरे कृष्ण भक्त हर
पार्टी में इस्कॉन के लिए काम करते हैं।
जहां यूक्रेन में इस समय स्थिति अत्यधिक खराब चल रही है, वहीं इस्कॉन ने पूर्वी यूरोपीय
देशों में जरूरतमंद लोगों के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए हैं तथा यूक्रेन में मौजूद सभी
इस्कॉन मंदिर जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए तैयार हैं। इनके द्वारा जहां लोगों को आश्रय
दिया गया है, वहीं भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति भी की जा रही है।अतीत में
भी, चेचनीया (Chechnya) युद्ध के दौरान, भक्तों ने संकट में पड़े लोगों की सेवा की, विशेषकर
वृद्ध लोगों की, जो अपने फ्लैटों में फंसे हुए थे और उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं
था। अपनी जान जोखिम में डालकर, इस्कॉन भक्त लोगों तक पहुंचे,कई चेचनीया युद्ध के
दौरान सेवा करते हुए मारे भी गए हैं। इन कठिन समय के दौरान भी वही भावना है और
भक्त काम कर रहे हैं कि वे यूक्रेन में युद्ध क्षेत्रों में फंसे लोगों की सबसे अच्छी सेवा कैसे
कर सकते हैं। इस्कॉन ने यूक्रेन में 54 से अधिक मंदिरों के कपाट खोले हैं, तथा वह युद्ध में
फंसे लोगों के बचाव में आया है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3sFS8se
https://bit.ly/3K4B6K6
https://bit.ly/3pzVhaW
https://bit.ly/35KZ2U2
https://bit.ly/3Kvn0ll
चित्र संदर्भ
1. इस्कॉन ने पूर्वी यूरोपीय देशों में जरूरतमंद लोगों के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए हैं तथा यूक्रेन में मौजूद सभी इस्कॉन मंदिर जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए तैयार हैं, जिसको दर्शाता चित्रण (flickr)
2. बोस्टन, मैसाचुसेट्स की सड़कों के माध्यम से हरे कृष्ण रथ-यात्रा को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. सेंट्रल न्यू जर्सी का इस्कॉन (ISKCON) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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