भारत और पशु-पक्षियों का संबंध काफी रोचक रहा है: हड्डपा संस्कृति से लेकर पौराणिक कथाओं के जटायु तक और विष्णु वाहन गरुड़ से लेकर राम को रावण के साथ लडाई में जाते वक़्त दिखने वाले नीलकंठ तक। बहुत से पुराने मंदिरों पर हमे बन्दर और तोते के साथ खेलने वाली अप्सराएं देखने मिलती है। प्लिनी प्राचीन रोम के लेखक ने लिखा था की भारत से बहुत सारे पक्षी और प्राणी रोम में सर्कस में रखने के लिए निर्यात किये जाते थे जिस वजह से रोम का सोना भारत को भारी मात्रा में मिल रहा था और रोम का दिवाला निकल रहा था। पानेम एट सिरसेंसेज : ब्रेड (खाना) और सर्कस (मनोरंजन) ये कहावत इससे ही शुरू हुई। इन सबसे हमे पता चलता है की भारत में पशु-पक्षी की विविधता बड़े संख्या में थी और प्राणीपालन भी। गंगा यमुना दोआब में बसे मेरठ में हमे विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी देखने मिलते हैं। यहाँ पर पक्षियों की कुल मिलाकर 300-400 प्रजातियाँ है मगर उनमे से कई आज विलुप्तता की कगार पर हैं। बर्डलाइफ इंटरनेशनल (2001) के रिपोर्ट के अनुसार भारत में पक्षियों की 52 प्रजातियां हैं जिसमे से कुल 14 सिर्फ उत्तर प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी सारस भी इस फेहरिस्त में शामिल है जो मेरठ में पाया जाता है। सोन चिरैया, क्रौंच, पनडुब्बी पक्षी, टिटिहरी, इंडियन स्किम्मर, सफ़ेद गिद्ध, लाल सिर वाला गिद्ध, भारतीय गिद्ध, बंगाल का गिद्ध, चील, धनेश, बाज, अलेक्सान्द्रिन पाराकीट, पिली छाती वाला बन्टिंग इत्यादि उन मेरठ की लुप्तप्राय प्रजातियों में से हैं। 2011-12 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुछ विद्यार्थियों द्वारा मेरठ में पक्षियों का एक सर्वेक्षण किया गया था। उसमे उन्होंने मेरठ में इन पक्षियों को बचाने के लिए क्या किया जा सकता है उसका अभ्यास किया है। 509 एएससी बटालियन मेरठ वॉरियर्स ने 2012 में बर्ड्स ऑफ़ मेरठ यह किताब प्रदर्शित की ताकि मेरठ के सभी निवासियों को मेरठ के पक्षी विश्व का ज्ञान हो और वे इनको विलुप्त होने से बचा सकें। 1. http://avibase.bsc-eoc.org/checklist.jsp?region=INggupme&list=howardmoore 2. आर्मी मूव्स इन टू सेव बर्ड्स ऑफ़ मेरठ: संदीप राय, द इकनोमिक टाइम्स, 2012 3. अविफौना ऑफ़ सीसीएस यूनिवर्सिटी कैंपस, मेरठ, उत्तर प्रदेश: निशा राणा, रोहित पांडे और संजय भारद्वाज, 2013 4. अ पिक्टोरिअल गाइड टू द बर्ड्स ऑफ़ द इंडियन सबकॉनटीनेंट: सलीम अली और एस. डीलन रिप्ले
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