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बड़े ही आश्चर्य की बात है की योग के सकारात्मक परिणामों का लोहा मान चुकी दुनिया, आज भी ईश्वर के
अस्तित्व पर शंका करती है! जबकि स्वयं भगवान शिव को ही पूरे ब्रह्माण्ड का पहला योगी अर्थात
“आदियोगी” माना जाता है।
हालांकि आपको भी यह जानकर आश्चर्य होगा की, योग संसार में, शिव को भगवान के रूप में नहीं देखा
जाता है, बल्कि पहले योगी, आदियोगी और पहले गुरु, आदि गुरु के रूप में देखा जाता है। आज ऐसी कोई
संस्कृति नहीं है, जो आदियोगी के योग विज्ञान से लाभान्वित न हुई हो।
केवल धर्म, विश्वास प्रणाली या दर्शन के रूप में नहीं, बल्कि विधियों के रूप में भी योग हर जगह फैला है।
यद्दपि समय के साथ, इसमें विकृति
यां उत्पन्न हुई हैं, लेकिन फिर भी, अनजाने में, दुनिया भर में लाखों
लोग योगाभ्यास कर रहे हैं।
योग प्रदाता शिव को महान योगी माना जाता है, जो पूरी तरह से अपने आप में लीन हैं। वह योगियों के
भगवान, और ऋषियों के योग शिक्षक माने जाते हैं।
15,000 साल पहले, आदियोगी, पहले योगी, ने योग के विज्ञान को अपने सात शिष्यों, सप्तर्षियों तक
पहुँचाया। सप्तर्षियों की दृढ़ता को देखकर आदियोगी ने उन्हें कुछ प्रारंभिक साधना दी। जिसके पश्चात् उन
सप्त ऋषियों ने योग को जन-जन तक पहुँचाया।
शिव सर्वोच्च गुरु हैं जो "परम वास्तविकता” के साथ अपने अंतरतम आत्म (आत्मान) की एकता को मौन
में सिखाते हैं।" योग का सिद्धांत और अभ्यास, विभिन्न शैलियों में, हिंदू धर्म की सभी प्रमुख परंपराओं का
हिस्सा रहा है, और शिव कई हिंदू योग ग्रंथों के संरक्षक या प्रवक्ता रहे हैं। इनमें योग के दर्शन और तकनीक
भी शामिल हैं।
शिव ब्रह्मांड के मूल आत्मा (स्वयं) हैं। शिव के कई उदार और भयावह चित्रण हैं। परोपकारी पहलुओं में,
उन्हें एक सर्वज्ञ योगी के रूप में दर्शाया गया है, जो कैलाश पर्वतपर एक तपस्वी जीवन जीते हैं, साथ ही
पत्नी पार्वती और उनके दो बच्चों, गणेश और कार्तिकेय के साथ वह एक गृहस्थ भी हैं। साथ ही अपने उग्र
पहलुओं में, उन्हें अक्सर राक्षसों का वध करते हुए दिखाया गया है।
तमिलनाडु के कोयंबटूर में शिव के आदियोगी स्वरूप को समर्पित एक 34 मीटर लंबी (112 फीट), और 25
मीटर चौड़ी (82 फीट) स्टील की मूर्ति स्थापित की गई है। इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness World
Records) द्वारा दुनिया में "सबसे बड़ी बस्ट स्कल्पचर ("largest bust sculpture)" के रूप में मान्यता
दी गई है। इसे सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा डिज़ाइन किया गया है, तथा इसका वजन लगभग 500 टन है।
आदियोगी शिव या शंकर को प्रथम योगी भी कहते हैं। इस प्रतिमा को योग के माध्यम से लोगों को
आंतरिक कल्याण के लिए प्रेरित करने के लिए स्थापित किया गया था। आदियोगी ईशा योग केंद्र में स्थित
हैं। इसकी ऊंचाई, 112 फीट, मोक्ष (मुक्ति) को प्राप्त करने की 112 संभावनाओं और मानव प्रणाली में 112
चक्रों का प्रतीक है, जिसका उल्लेख योगिक संस्कृति में किया गया है।
भारतीय पर्यटन मंत्रालय ने मूर्ति को अपने आधिकारिक अतुल्य भारत अभियान में शामिल किया है।
आदियोगी का उद्घाटन 24 फरवरी 2017 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महा शिवरात्रि के अवसर
पर किया था।
शिव को आदियोगी शिव के रूप में योग, ध्यान और कला का संरक्षक देवता माना जाता है। शिव एक
अखिल हिंदू देवता हैं, जो भारत, नेपाल, श्रीलंका और इंडोनेशिया (विशेषकर जावा और बाली में) में हिंदुओं
द्वारा व्यापक रूप से पूजनीय हैं।
हमारे मेरठ शहर और आदियोगी शिव के बीच का संबंध भी बेहद गहरा माना जाता है। मेरठ कैंट स्थित
औघड़नाथ मंदिर केवल देशभर में ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय है। शिवरात्रि के अवसर
पर लाखों कांवड़िये और शिव भक्त औघड़नाथ मंदिर में शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करते हैं। कांवड़िये
इस गंगा जल को हजारों किलोमीटर की कांवड़ यात्रा तय करके लाते हैं। दरअसल प्रतिवर्ष श्रावण मास में
लाखों की तादाद में कांवडिये सुदूर स्थानों से आकर गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर पदयात्रा करके अपने
गांव वापस लौटते हैं, इस यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से
अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है। धार्मिक आस्थाओं के साथ
सामाजिक सरोकारों से रची कांवड यात्रा वास्तव में जल संचय की अहमियत को उजागर करती है। कांवड
यात्रा की सार्थकता तभी है जब आप जल बचाकर और नदियों के पानी का उपयोग कर अपने खेत खलिहानों
की सिंचाई करें और अपने निवास स्थान पर पशु पक्षियों और पर्यावरण को पानी उपलब्ध कराएं तो प्रकृति
की तरह उदार शिव सहज ही प्रसन्न होंगे।
वर्ष 2019 में कम से कम 5 लाख कांवड़ियों ने मेरठ कैंट स्थित औघड़नाथ में शिवलिंग पर गंगा जल
चढ़ाया। महाशिवरात्रि के शुभवसर पर इस मंदिर की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता होती है, और सुरक्षाकर्मी उसी
के लिए परिसर में मौजूद रहते हैं। शहर के अधिकांश मंदिरों में शिव मंदिरों पर भक्तों का तांता लगा रहता
है। दिलचस्प बात यह भी है की बाबा औघड़नाथ मंदिर में मंगलआरती का वीडियो ऑनलाइन भी अपलोड
किया जाता है। वाट्सएप ग्रुप से जुड़े लोग विदेशों में भी रहते हैं और रोजाना बाबा के दर्शन कर कृतार्थ होते
हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/2HxPtZ0
https://bit.ly/326kyfR
https://bit.ly/3bMm37h
https://bit.ly/3C4amqf
https://en.wikipedia.org/wiki/Shiva#Yoga
https://en.wikipedia.org/wiki/Kanwar_Yatra
https://isha.sadhguru.org/mahashivratri/shiva/
चित्र संदर्भ
1. मेरठ के औघड़नाथ मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. सप्तऋषियों को योग शिक्षा देते शिव को दर्शाता चित्रण (youtube)
3. तमिलनाडु के कोयंबटूर में शिव के आदियोगी स्वरूप को समर्पित एक 34 मीटर लंबी (112 फीट), और 25 मीटर चौड़ी (82 फीट) स्टील की मूर्ति को दर्शाता चित्रण (youtube)
4. कांवड़ यात्रियों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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