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यदि दो भारतीय लोग यादृच्छिक रूप से मिलते हैं, तो इस बात की केवल 36% संभावना है
कि वे एक-दूसरे से बात कर सकेंगे और एक-दूसरे को समझ सकेंगे। पांच में से केवल एक
भारतीय द्विभाषी है, जिसका अर्थ है कि वे दो भाषाओं में बातचीत कर सकते हैं,और यह
जरूरी नहीं है कि वे उन भाषाओं में पढ़ने और लिखने में सक्षम हों। केवल 7% लोग तीन
या अधिक भाषाएं जानते हैं। उत्तर प्रदेश में 97% से अधिक लोग हिंदी बोल सकते हैं और
लगभग 7% आबादी अंग्रेजी बोल सकती है,जो कि 1.2 करोड़ लोग हैं। बहुभाषावाद को ध्यान
में रखते हुए राज्य में मुख्य रूप से 4 भाषाएं बोली जाती हैं, जिनमें हिंदी (97.4%), उर्दू
(7.3%), अंग्रेजी (6.42%) और संस्कृत (0.62%) शामिल है। हिंदी बोलने वालों में सबसे
आम अन्य भाषा अंग्रेजी थी,क्योंकि 6.4% हिंदी बोलने वाले अपनी दूसरी या तीसरी भाषा के
रूप में अंग्रेजी में बातचीत करने में सक्षम थे।
उत्तर प्रदेश में पंजाबी 7,35,107 (0.37%)
भाषी आबादी में 74% लोग अपनी दूसरी भाषा के रूप में हिंदी बोलते हैं जो दूसरी भाषा के
रूप में हिंदी का सबसे बड़ा अंश है।भारत की जनगणना आपको देश के बारे में बहुत कुछ
बता सकती है, लेकिन अगर आप जानना चाहते हैं कि भारत में कितनी भाषाएं बोली जातीहैं, तो आपको इसकी जानकारी कहीं और से लेनी होगी। इसका प्रमुख कारण यह है, कि
जनगणना ने केवल उन्हीं भाषाओं को सूचीबद्ध किया है,जिन्हें 10,000 से अधिक लोगों द्वारा
मातृभाषा के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।दस साल का आधिकारिक सर्वेक्षण केवल मातृभाषा
पर ही केंद्रित है।
यह स्थिति भाषाई अल्पसंख्यकों को अदृश्य बनाती है।जनगणना 2011 की
भाषा रिपोर्ट जून 2018 में जारी की गई थी, जिसमें 22 अनुसूचित भाषाओं (संविधान की
आठवीं अनुसूची में शामिल) और अंग्रेजी, तुलु और खासी सहित 99 गैर-अनुसूचित भाषाओं को
बोलने वालों की संख्या सूचीबद्ध की गयी थी।लगभग 528 मिलियन लोगों या 44% आबादी ने
हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में सूचीबद्ध किया, जबकि एक चौथाई से अधिक आबादी ने
अन्य शीर्ष अनुसूचित भाषाओं - बंगाली, मराठी, तेलुगु और तमिल –को अपनी मातृभाषा के
रूप में सूचीबद्ध किया।
लगभग 96.7% आबादी ने 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक को
अपनी मातृभाषा के रूप में सूचीबद्ध किया और 3.1% ने गैर-अनुसूचित भाषाओं में से एक
भाषा को सूचीबद्ध किया। हालाँकि, 0.2% जनसंख्या द्वारा सूचीबद्ध मातृभाषाओं को "अन्य
भाषाओं" के अंतर्गत रखा गया था।ये लगभग 20 लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाएँ
हैं।भाषाओं के लिए 10,000 वक्ताओं की आवश्यकता बहुत ही समस्याग्रस्त स्थिति है, जो
संकटग्रस्त भाषाओं के लिए और भी खतरनाक स्थिति उत्पन्न करती है।संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक,
वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के अनुसार, भारत में 197 संकटग्रस्त भाषाएँ हैं, जो दुनिया
में सबसे अधिक हैं।इनमें निहाली, एक ऐसी भाषा है, जिसके मध्य भारत में कथित तौर पर
2,000-2,500 वक्ता हैं, और अरुणाचल प्रदेश में म्रा (Mra)भाषा को बोलने वाले लगभग 350
लोग हैं,लेकिन इन्हें जनगणना में नहीं दिखाया गया है।जनगणना को लोगों की केवल
मातृभाषा के बजाय विभिन्न भाषाओं में प्रवीणता के स्तर पर विचार करना चाहिए।किसी एक
भाषा को राष्ट्र की मानकीकृत भाषा के रूप में नामित करने के बजाय,अन्य क्षेत्रीय भाषाओं
के विकास में निवेश करना आवश्यक है,जिससे बहुभाषावाद के माध्यम से भारत की
बहुसंस्कृतिवाद को संरक्षित किया जा सकेगा।“कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी”
एक ऐसा कथन है, जो भारत की भाषाई विविधता को अच्छी तरह से दर्शाता है।2001 की
जनगणना ने इस बहुलता के केवल एक अंश को दिखाया है।
हमारा देश 780 भाषाओं और
66 विभिन्न लिपियों का घर है। इस विशाल विविधता को देखते हुए, एक राज्य द्वारा एक
भाषा का विशेषाधिकार अन्य समान रूप से योग्य भाषाओं के लिए बहुत बड़ा नुकसान है।
किसी क्षेत्र या देश के द्विभाषी या बहुभाषी होने के अनेकों लाभ हैं। शोध बताते हैं कि
द्विभाषी या बहुभाषी होने के व्यापक संज्ञानात्मक लाभ हैं और यह उम्र बढ़ने के प्रभावों को
भी कम कर सकता है। इन अध्ययनों के अनुसार एक से अधिक भाषा बोलने से न केवल
भाषाई और संचार कौशल में सुधार होता है बल्कि मस्तिष्क पर भी इसका व्यापक
सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।संज्ञानात्मक लाभों के अलावा, अध्ययनों से पता चला है कि कई
भाषाएं बोलने के सामाजिक और सांस्कृतिक लाभ भी हैं। एक क्षेत्र या देश बहुभाषी तब बन
जाता है, जब विभिन्न कारणों के चलते लोग अन्य क्षेत्रों से उस विशेष क्षेत्र में आकर बसने
लगते हैं, तथा विभिन्न भाषाओं को अपनी पहली और दूसरी भाषा के रूप में चुनते हैं।
एथनोलॉग (Ethnologue) जो कि विश्व की ज्ञात भाषाओं की सूची है, के अनुसार पापुआ न्यू
गिनी (Papua New Guinea) 839 से अधिक जीवित भाषाओं के साथ सबसे बहुभाषी देश
है।साइट ने देशों और क्षेत्रों को उनकी सीमाओं के भीतर पहली भाषा के रूप में बोली जाने
वाली भाषाओं की संख्या के आधार पर उन्हें रैंक दिया है।
इस सूची में जहां पापुआ न्यू
गिनी पहले स्थान पर है, वहीं 707 भाषाओं के साथ इंडोनेशिया (Indonesia) तथा 526
भाषाओं के साथ नाइजीरिया (Nigeria) का क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान है। इसी प्रकार
इसके बाद 454 भाषाओं के साथ भारत, 422 भाषाओं के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका
(United States),300 भाषाओं के साथ चीन (China),289 भाषाओं के साथ मेक्सिको
(Mexico),281 भाषाओं के साथ कैमरून (Cameroon),245 भाषाओं के साथ ऑस्ट्रेलिया
(Australia), 229 भाषाओं के साथ ब्राजील (Brazil) का स्थान है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3JEKML2
https://bit.ly/3sYIPSU
https://bit.ly/3v1NLZR
चित्र संदर्भ
1. भावार्थ सहित संस्कृत के श्लोक को दर्शाता चित्रण (youtube)
2. राजभाषा के अनुसार भारतीय राज्य को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. हिंदी भाषा को समर्थित प्रारंग (मेरठ) के मुख्य पृष्ठ को दर्शाता चित्रण (prarang)