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कोविड -19 (Covid-19)घने, शहरी क्षेत्रों को अपनी चमक खोने पर मजबूर कर रहेहैं और लोगों को
अपनी जीवन शैली पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रहेहैं। कुछशहरों से उपनगरोंमें वापस जा
रहे हैं, अन्य बागवानी कर रहे हैं, और अधिकांश ने घर के समीप रहने के कारण गाड़ी चलाना बंद कर
दिया है। विश्व भर में, महामारी लोगों को अधिक आत्मनिर्भर भविष्य पर विचार करने के लिए
मजबूर कर रही हैऔर अचानक ग्रिड (Grid) से बाहर रहना इतना अनुचित नहीं लगताहै।ऑफ-द-ग्रिड
(Off-the-grid) या ऑफ-ग्रिड (Off-grid) इमारतों की एक विशेषता है और एक या अधिक सार्वजनिक
उपयोगिताओं पर निर्भरता के बिना स्वतंत्र तरीके से रचित की गई जीवन शैली है।
शब्द "ऑफ-द-ग्रिड" पारंपरिक रूप से विद्युत ग्रिड से जुड़ा नहीं होने का उल्लेख करता है, लेकिन
इसमें पानी, गैस और सीवर सिस्टम (Sewer system) जैसी अन्य उपयोगिताओं को भी शामिल किया
जा सकता है।ऑफ-द-ग्रिड जीवन शैली से इमारतों और लोगों को आत्मनिर्भर होने की अनुमति
मिलती है, जो उन स्थानोंके लिए भी फायदेमंद है जहां सामान्य उपयोगिताएं नहीं पहुंच सकती हैं तथा
यह जीवन शैली प्रायः पर्यावरण प्रेमियों और उन लोगों के लिएहै जो जीवन जीने की लागत को कम
करना चाहते हैं।आमतौर पर, एक ऑफ-ग्रिड इमारत को स्वयं के लिए ऊर्जा और पीने योग्य पानी की
आपूर्ति करने के साथ-साथ भोजनऔर अपशिष्ट जल का प्रबंधन करने में सक्षम होना चाहिए।विद्युत
बिजली और दाहक के लिए ऊर्जा अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर (विशेष रूप से फोटोवोल्टिक
(Photovoltaics) के साथ), पवन, या सूक्ष्म हाइड्रो (Hydro) के साथ स्थल पर उत्पन्न की जा सकती
है।ऊर्जा के अतिरिक्त रूपों में बायोमास (Biomass) शामिल है, आमतौर पर लकड़ी, अपशिष्ट और मद्य
ईंधन और भू-तापीय ऊर्जा के रूप में, जो इमारतों में नियमित अंतरंग वायु वातावरण के लिए
भूमिगत तापमान में अंतर का उपयोग करता है।ग्रिड से जुड़ी इमारतें बिजली संयंत्रों से बिजली प्राप्त
करती हैं, जो मुख्य रूप से प्राकृतिक संसाधनों जैसे कोयला और प्राकृतिक गैस को बिजली में बदलने
के लिए ऊर्जा के रूप में उपयोग करती हैं।
हाल ही में जारी एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत की लगभग 87%आबादी के पास ग्रिड-
आधारित बिजली है, जबकि 13% या तो बिजली और प्रकाश व्यवस्था के लिए ऑफ-ग्रिड स्रोतों का
उपयोग करते हैं याबिना बिजली के जीवन यापन करते हैं।यह सर्वेक्षण रॉकफेलर फाउंडेशन
(Rockefeller Foundation) और नीति आयोग के सहयोग से स्मार्ट पावर इंडिया (Smart Power India)
द्वारा किया गया था। विवरण'इलेक्ट्रिसिटी एक्सेस इन इंडिया बेंचमार्किंग डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटीज
अक्टूबर 2020 (Electricity Access in India Benchmarking Distribution Utilities October 2020)' बिजली
की पहुंच की वर्तमान स्थिति को समझने के लिए किए गए एक अध्ययन के निष्कर्षों का खुलासा
करता है।गैर-ग्रिड स्रोतों का उपयोग करने वाले सभी ग्राहकों में से अधिकांश (62%) कृषि ग्राहक
हैं।वर्तमान समय में केवल 4% घरों में ग्रिड-आधारित बिजली तक पहुंच नहीं है,जबकि कृषि ग्राहकों
(48%) के एक महत्वपूर्ण अनुपात के पास ग्रिड-आधारित बिजली तक पहुंच नहीं है।हालांकि भारत
द्वारा अपने सभी इच्छुक परिवारों के लिए 100% संयोजन दर हासिल कर ली है, लेकिन नियमित
रूप से पर्याप्त गुणवत्ता की विश्वसनीय बिजली उपलब्ध कराना भारतीय बिजली क्षेत्र के लिए एक
सतत चुनौतीबनी हुई है।अध्ययन के अनुसार, 92% ग्राहकों ने अपने परिसर के 50 मीटर के भीतर
बिजली के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता की सूचना दी।वहीं कृषि श्रेणी के तहत, रिपोर्ट (Report) की
गई उपलब्धता दर लगभग 75% थी। अध्ययन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि असंबद्ध
वाणिज्यिक ग्राहकों में से लगभग आधे ने कहा कि इसका मुख्य कारण खर्च उठाने में असक्षम थे।
इसके अलावा, 43% असंबद्ध संस्थागत ग्राहकोंद्वारा बताया गया कि उन्हें या तो एक संयोजन देने
से इनकार कर दिया गया था यावे अभी भी अपने आवेदन के उत्तर की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जैसा कि
हम सभी जानते हैं कि ग्रिड बिजली सस्ती नहीं होती है और न ही बिजली की कीमत उतनी सरल है
जितनी आप मानते हैं।जबकि भारत में ग्रिड के माध्यम से 24x7 ऊर्जा पहुंच अभी भी एक दूर का
सपना है,वहींमहामारी ने सौर लैंप (Solar Lamp - जो विश्वसनीय शक्ति के बिना उन लोगों की
मदद करते हैं।) जैसे ऑफ-ग्रिड उत्पादों की बिक्री को भी कम कर दिया गया है।2019 की दूसरी
छमाही की तुलना में 2020 की पहली छमाही में भारत में ऑफ-ग्रिड सौर उत्पादों की बिक्री में 50%
की गिरावट आई है।ग्लोबल ऑफ-ग्रिड लाइटिंग एसोसिएशन (Global Off-grid Lighting
Association) द्वारा प्रकाशित नवीनतम विवरण में कहा गया है कि 2019 की पहली छमाही की
तुलना में बिक्री भी 59% कम थी। जनवरी और जून 2020 के बीच ऑफ-ग्रिड सौर संबंधी लगभग
391,000 यूनिट्स (Units) की बिक्री की गई।
दिल्ली, मुंबई और कलकत्ता जैसे भारतीय शहर विदेश से सबसे अधिक आगंतुकों को आकर्षित करते
हैं, लेकिन देश की 75 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। हालांकि परंपरा ग्रामीण भारत में जीवित है,
भारतीय गांव भी सतत जीवन में प्रयोग के केंद्र के रूप में उभरे हैं।प्रेरणा और नवोन्मेष की तलाश में
आने वाले या शहरी जीवन की रौनक से बस एक विराम की तलाश करने वाले आगंतुक भारत के
संपन्न पर्यावरण-गांवों की यात्रा कर सकते हैं, जहां से हम सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय समस्याओं
केआधारभूत समाधान के बारे में जान सकते हैं।
1. अरना झरना (जोधपुर, राजस्थान) यह समुदाय रेगिस्तानी वनस्पतियों और जीवों के लिए एक
अभयारण्य के रूप में कार्य करता है। हालांकि इस गाँव में अधिकतर ग्रामीण समुदाय रहते हैं किन्तु
विदेशी आगंतुकों के लिए भी यहां आवास और स्थानीय भोजन भी उपलब्ध हैं।
2. ऑरोविले (Auroville)और साधना वन (पुडुचेरी, तमिलनाडु) इस इको गाँव (Eco Village) की स्थापना
1968 में एक फ्रांसीसी (French) प्रवासी-मीरा अल्फासा (भक्तों को "द मदर" के रूप में जानी जाती है)
द्वारा की गई थी, जो भारतीय नव युग के दार्शनिक श्री अरबिंदो की लंबे समय के आध्यात्मिक साथी
रही थीं । वर्तमान में यहाँ दुनिया भर के लगभग 2,500 निवासियों का घर है।
3. गोवर्धन इको विलेज (पालघर, महाराष्ट्र) मुंबई से सत्तर मील उत्तर में, यह इको-आश्रम पश्चिमी घाट की
तलहटी, भारत की निचली तलहटी में स्थित है। इस्कॉन (ISKCON) द्वारा संचालित - भारत के बाहर
हरे कृष्ण आंदोलन के रूप प्रचलित है, यहाँ से पर्यावरण संरक्षण संबंधी कई गतिविधियां चलाई जाती
हैं।
4. केडिया गांव (जमुई, बिहार) 2014 में, ग्रीनपीस इंडिया (Greenpeace India) द्वारा बिहारी गांव को एक
पर्यावरण-कृषि समुदाय के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से विकसित किया गया, और आज यह
गांव पूरी तरह से रासायनिक मुक्त है। ग्रामीण प्राकृतिक सामग्री से अपने स्वयं के कीटनाशक और
उर्वरक बनाते हैं, और प्रत्येक घर में एक बायोगैस संयंत्र पाया जाता है।
5. शाम-ए-सरहद गांव (भुज, गुजरात) यह गाँव विशेष तौर पर पारंपरिक मिट्टी-ईंट, फूस के घरों का
उपयोग करता है, और विभिन्न कार्यशालाओं की व्यवस्था भी करता है।
अनगिनत फायदों के साथ ही ग्रिड से बाहर होने के कुछ नुकसान भी हैं। जैसे जंगलों के निकट
जानवरों का खतरा और कई इलाकों में पानी की कमी, समाज से पूरी तरह कट जाना, अति आवश्यक
स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव इत्यादि। दीर्घ स्तर पर स्थायी, आवासीय वास्तुकला के लिए भारी मात्रा
में धन, शारीरिक श्रम और समय की आवश्यकता होती है। और हालांकि कोरोनोवायरस (Coronavirus)
ने सैकड़ों हजारों लोगों को घर से काम करने के लिए विवश किया है, कई लोगों के पास ग्रिड से
बाहरया शहरों से बाहर रहने के लिए नौकरी का लचीलापनमौजूद नहीं है।वहीं आत्मनिर्भर इमारतों का
चयन करने के लिए वास्तुकला उद्योग में एक मौलिक बदलाव की आवश्यकता होगी, साथ ही साथ
सरकारी खरीदऔर प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके, और अधिक सरलता से रहने के लिए सुलभ
आवास का समर्थन और वित्त पोषण करने की दिशा में एक बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक प्रवृत्ति की
आवश्यकता होती है।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3nAvDBS
https://bit.ly/3Ac9Llr
https://bit.ly/3KpbQPt
https://bit.ly/3AdFJOe
https://bit.ly/3qGuieH
https://bit.ly/3FJB4ER
चित्र संदर्भ
1. ऑफ ग्रिड हाउस के सामने सोलर पीवी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. पिरामिड ऑफ ग्रिड हाउस को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. ऑफ़ ग्रिड शैली में मुर्गीपालन और खेती को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4 .एकांत में ऑफ ग्रिड हाउस को दर्शाता एक चित्रण (
Geograph Britain and Ireland)
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