Post Viewership from Post Date to 03-Jan-2022 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1985 99 2084

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

औद्योगिक क्रांति का सबसे बड़ा आविष्कार, वॉशिंग मशीन

मेरठ

 29-12-2021 03:41 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

दुनियाभर के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए कुछ बेहतरीन आविष्कारों ने न केवल घरेलू और कामकाजी औरतों को काम के दौरान आने वाली परेशानियों को दूर किया, बल्कि उनका समय भी बचाया। जिससे उन्होंने अपना बचा हुआ समय दूसरे कामों या अपने पसंदीदा शौकों को पूरा करने में बिताया। इस संदर्भ में हम कपड़े धोने वाली वाशिंग मशीन (Washing Machine) को एक क्रन्तिकारी आविष्कार कहें, तो इसमें कोई भी अतिशियोक्ति नहीं होगी। पहले के समय में लोगों को कपड़े धोने और सुखाने के लिए पंप, कुएँ, नदी या झरने के पास ले जाना पड़ता था। कपड़े धोने के लिए पानी हाथ से ले जाया जाता है, पानी को आग पर गरम किया जाता, फिर टब में डाला जाता और फिर धोया, रगड़ा और निचोड़ा जाता है। धोने के बाद, भिगोने वाले गीले कपड़े एक रोल में बन जाते हैं और पानी निकालने के लिए उन्हें हाथ से घुमाया जाता हैं। पूरी प्रक्रिया में अक्सर पूरे दिन की कड़ी मेहनत, साथ ही सुखाने और इस्त्री करने का अतिरिक्त समय लगता है। 2010 तक विश्व की सात अरब की आबादी में से लगभग पाँच अरब लोग अभी भी अपने कपड़े ऐसे ही धोते हैं। लेकिन वॉशिंग मशीन इस संदर्भ में एक क्रांतिकारी उपकरण साबित हुई।
वॉशिंग मशीन एक ऐसा उपकरण है, जो मैले और गंदे कपड़े धोती है। इसमें एक बैरल होता है, जिसमें कपड़े रखे जाते हैं। इस बैरल को पानी से भर दिया जाता है और फिर पानी को कपड़ों से गंदगी हटाने के लिए बहुत तेज़ी से घुमाया जाता है। अधिकांश वाशिंग मशीन इस प्रकार बनाई जाती हैं, ताकि मशीन में डिटर्जेंट (तरल पदार्थ या पाउडर) डाला जा सके। सेमी-ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन (Semi-automatic washing machines) में कपड़ों को सुखाने और धोने के लिए अलग-अलग खंड होते हैं। इन वाशिंग मशीनों को अक्सर सेमी-मैनुअल (semi-manual) भी कहा जाता है। क्योंकि यहाँ आपको मैन्युअल (manual) रूप से कपड़े धोने के टब में डालने होते हैं, अपने कपड़े के आकार और संख्या अनुसार पानी और डिटर्जेंट डालना होता है और एक बार धुलाई समाप्त हो जाने के बाद, आपको फिर से ड्रायर में सुखाने के लिए धोए गए कपड़ों को मैन्युअल रूप से रखना होता है। इसी क्रम में अन्य स्वचालित वाशिंग मशीन भी होती है जिसका उपयोग करना आसान है। इसमें कपड़ों को धोने, घुमाने और सुखाने के लिए केवल एक खंड होता है। एक बार जब आप पूरी तरह से स्वचालित वाशिंग मशीन में कपड़े डालते हैं, तो यह स्वचालित रूप से आवश्यक मात्रा में पानी, डिटर्जेंट लेता है और केवल एक बटन दबाने के साथ आपको धुले और सूखे कपड़े प्रदान करता है। यह दो प्रकार - टॉप लोडिंग और फ़्रंट लोडिंग (Top loading and front loading) वाशिंग मशीन हो सकती हैं। टॉप लोडिंग में ऊपर से कपडे डालने पड़ते, हैं और फ्रंट लोडिंग वॉशिंग मशीन में सामने की तरफ एक दरवाजा होता है। धोए जाने वाले कपड़ों को अंदर रखना पड़ता है और बैरल में पानी भरने से पहले दरवाजा बंद कर देना चाहिए। हालांकि अभी भी वाशिंग मशीन का सही आविष्कारक ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐसे कई व्यक्ति हैं जिन्हें इस घरेलू उपकरण के प्रवर्तक के रूप में जिम्मेदार ठहराया गया है। इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि 16वीं शताब्दी से ही वाशिंग मशीन का उपयोग किया जाने लगा था। कई व्यक्तियों ने वाशिंग मशीन के डिजाइन और विकास में योगदान दिया है। वाशिंग मशीन के तहत वर्गीकृत सबसे पहला पेटेंट इंग्लैंड में 1691 का माना जाता है। 1767 में, जर्मन वैज्ञानिक जैकब क्रिश्चियन शेफ़र (German scientist Jakob Christian Schaefer) ने वॉशिंग मशीन का आविष्कार किया। रोटेटिंग ड्रम वॉशिंग मशीन (rotating drum washing machine) के लिए पहला पेटेंट 1782 में हेनरी सिडगियर (Henry Sidgear) द्वारा जारी किया गया था। एडवर्ड बीथम (Edward Beetham) ने 1790 के शुरुआती वर्षों में इंग्लैंड में कई 'पेटेंट वाशिंग मिल्स (Patent Washing Mills)' का सफलतापूर्वक विपणन और बिक्री की। 1797 में शेफ़र की वॉशिंग मशीन के तीन दशक बाद, कपड़े धोने की सुविधा के लिए स्क्रब बोर्ड (scrub board) बनाया गया था। 1851 में, जेम्स किंग (James King) ने एक वॉशिंग मशीन के लिए एक पेटेंट जारी किया जिसमें एक ड्रम था। यह उपकरण आधुनिक समय की वाशिंग मशीन का सबसे पुराना करीबी माना गया है। 1850 के दशक में किंग की ड्रम फिटेड वॉशिंग मशीन में सुधार किए गए। 1861 में, जेम्स किंग ने अपनी ड्रम मशीन में एक रिंगर (ringer) शामिल किया। इस समय, निर्मित वाशिंग मशीन मुख्य रूप से व्यावसायिक उपयोग के लिए थीं। वे या तो बहुत से लोगों के लिए बहुत महंगे थे, या कपड़े धोने की सफाई के लिए घर में काम करने के लिए बहुत बोझिल थे। घरेलू उपयोग के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई पहली मशीन इंडियाना में विलियम ब्लैकस्टोन (Indiana by William Blackstone) द्वारा बनाई गई थी। उन्होंने 1874 में उपहार के रूप में अपनी पत्नी के लिए मशीन बनाई। बिजली से चलने वाली वाशिंग मशीन 18वीं सदी की शुरुआत में बाज़ार में आईं। पहली मशीन का नाम (The Thor) रखा गया था। इसका आविष्कार, फिशर (Fisher) द्वारा वर्ष 1901 में किया गया था। इसमें एक इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा संचालित गैल्वेनाइज्ड टब (galvanized tub) दी गई थी। उसी वर्ष, लकड़ी के ड्रमों की जगह धातु के ड्रमों ने ले ली। हर्ले मशीन (Hurley Machine) कंपनी ने 1908 में फिशर के प्रोटोटाइप का उपयोग करते हुए सबसे पहले इलेक्ट्रिक वाशिंग मशीन (electric washing machine) का निर्माण किया। इस उपकरण के लिए एक पेटेंट 9 अगस्त, 1910 को जारी किया गया था। वर्तमान के बाज़ार में वाशिंग मशीन के विभिन्न रूप उपलब्ध हैं। कुछ सबसे प्रमुख निर्माताओं में एलजी, बॉश और सैमसंग (LG, Bosch and Samsung) शामिल हैं। हालांकि इन आधुनिक मशीनों में से प्रत्येक में अद्वितीय पेटेंट विशेषताएँ हैं। वाशिंग मशीन में प्रदर्शन अब कोई समस्या नहीं है जैसा कि शुरुआती उपकरणों के मामले में था। आज की वाशिंग मशीन डिजाइन मुख्य रूप से अधिक दक्षता और ऊर्जा और पानी की कम खपत पर केंद्रित है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद समाज में कई बदलाव हुए, लेकिन घरेलू वाशिंग मशीन के आगमन से कुछ अधिक उल्लेखनीय थे, जो कई परिवारों के जीवन को मौलिक रूप से बदलने वाला था। आंकड़े बताते हैं कि 87 फीसदी लोगों को अपने लिए सही वॉशिंग मशीन चुनने में मुश्किल होती है। इतने सारे ब्रांडों की उपस्थिति, उनमें से प्रत्येक के कई मॉडल, विभिन्न प्रौद्योगिकियाँ और विभिन्न प्रकार की विशेषताएँ; ये सभी कारक सर्वश्रेष्ठ को छांटना और भी चुनौतीपूर्ण बना देते हैं। 'परफेक्ट' वॉशिंग मशीन पर शोध करते समय आपके मन में बहुत सारे सवाल उठते होंगे। जैसे एक वॉशिंग मशीन कितना पानी इस्तेमाल करती है? 'या' फ्रंट लोड वॉशिंग मशीन लीटर में कितना पानी इस्तेमाल करती है? 'या' टॉप लोड वॉशिंग मशीन में पानी की खपत कितनी है? ' आपको यह समझने से पूर्व यह जानने की जरूरत है कि अलग-अलग वाशिंग मशीनों के लिए लीटर में पानी की खपत अलग-अलग होती है। यह इस्तेमाल किए गए मॉडल और तकनीक जैसे कारकों के साथ बदलता रहता है। उदाहरण के लिए, अर्ध या पूरी तरह से स्वचालित, एक टॉप-लोडर या एक फ्रंट-लोडर वाशिंग मशीन के लिए पानी की खपत अलग है।
फ्रंट लोड और टॉप लोड वाशिंग मशीन में पानी की खपत।
1. फ्रंट लोड वाशिंग मशीन 60 लीटर
2. टॉप लोड वाशिंग मशीन 140 लीटर
3. सेमी आटोमेटिक वाशिंग मशीन 120 लीटर
हालांकि तापमान, चयनित प्रोग्राम चक्र, कपड़े का आकार और पानी का दबाव, इसकी कठोरता आदि भी औसत वाशिंग मशीन द्वारा प्रति लोड पानी की मात्रा को प्रभावित करते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/32FTyrQ
https://bit.ly/3qsc0g1
https://bit.ly/3JnmLJ9
https://bit.ly/3JrqNjU
https://bit.ly/3FEFSft
https://bit.ly/3quXCDF

चित्र संदर्भ   

1.वॉशिंग मशीन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. पुरानी वॉशिंग मशीन के साथ महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. शेफ़र की वॉशिंग मशीन का 1766 का चित्रण (youtube)
4. एक 1923 इलेक्ट्रिक Miele वॉशिंग मशीन जिसमें बिल्ट-इन मैंगल है,को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. बर्लिन में IFA 2010 में एक सी-थ्रू बॉश मशीन अपने आंतरिक घटकों को दिखाती है।, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देखें, अपने अस्तित्व को बचाए रखने की अनूठी कहानी, 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     24-11-2024 09:17 AM


  • आर्थिक व ऐतिहासिक तौर पर, खास है, पुणे की खड़की छावनी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id