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शास्त्रीय नृत्य कुचिपुड़ी में प्रसिद्द रामपुर की फैशन डिजाइनर पर्निया कुरैशी

मेरठ

 15-12-2021 11:04 AM
द्रिश्य 2- अभिनय कला

कुचिपुड़ी आंध्र प्रदेश की प्रसिद्ध नृत्य शैली है। यह पूरे दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है। इस नृत्य का नाम कृष्णा जिले के दिवि तालुक में स्थित कुचिपुड़ी गाँव के ऊपर पड़ा, जहाँ के रहने वाले ब्राह्मण इस पारंपरिक नृत्य का अभ्यास करते थे। परम्‍परा के अनुसार कुचिपुड़ी नृत्‍य मूलत: केवल पुरुषों द्वारा किया जाता था और वह भी केवल ब्राह्मण समुदाय के पुरुषों द्वारा।कुचिपुड़ी एक जीवंत नृत्य रूप है,यह भारत के आठ शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक है। यह नृत्य रूप अपनी तेज चाल, जीवंत आंखों के भाव, हाथ के हावभाव आदि के कारण जाना जाता है। यह तांडव नृत्य रूप की लय और नृत्य गति में लास्य या धीमी गति का मिश्रण है। इस नृत्य शैली की अनूठी अवधारणा यह है कि पीतल की प्लेट (brass plate) कर्नाटक संगीत के अनुसार चलती है। कुचिपुड़ी नर्तक के पास तेलगु और संस्कृत भाषा जानने का अतिरिक्त गुण भी होना चाहिए ताकि वे इस नृत्य के ग्रंथों को समझ सकें।कुचिपुड़ी अपनी शैलियों में अद्वितीय है। इसमें बहुत सारे प्रकार और शैलियाँ शामिल हैं जिन्हें उचित मार्गदर्शन और नियमित अभ्यास के साथ सीखने की आवश्यकता है। यह नृत्य रूप उत्तम और जीवंत है और भारत में किए जाने वाले सबसे महान शास्त्रीय नृत्य रूपों में शामिल होता है। अन्य शास्त्रीय नृत्य रूपों की तरह, इस नृत्य रूप को भी नाट्य शास्त्र से लिया गया है। यह भी नृत्य, नृत्त और नाट्य के तीन घटकों का गठन करता है। इस ग्रन्थ में लगभग 6000 श्लोक हैं। कहा जाता है कि यह नृत्य रूप उन चारणों से विकसित हुआ है जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर कविताओं, आध्यात्मिक ग्रंथों और हिंदू मंदिरों का अध्‍ययन एवं भ्रमण करते थे। इसका निशान 10 वीं और 15 वीं शताब्दी से मचुपल्ली कैफत के तांबे के शिलालेखों में देखा जा सकता है। कुचिपुड़ी के विकास के आधुनिक स्वरूप का श्रेय 17वीं शताब्दी के ऋषि तीर्थ नारायण यति और उनके पुत्र को दिया जा सकता है। यह नृत्य रूप वैष्णववाद और उन गीतों और नृत्यों से जुड़ा है जो कृष्ण के जीवन पर आधारित थे। कुचिपुड़ी का उद्देश्य नृत्य को अभिव्यंजक और जीवंत तरीके से करना है। इसमें न केवल नृत्य शामिल है बल्कि कुचिपुड़ी नृत्य के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक वाचिकाविनयम है और इसमें नाटक भी शामिल हैं। यह नृत्य मुख्य रूप से भगवान कृष्ण के जीवन की कहानियों को चित्रित करने के लिए किया जाता है। यह संयुक्त और असंयुक्त हस्त, करण, चारी, अंगहारा, मंडला आदि के माध्यम से नृत्य को व्यक्त करता है। इस नृत्य का मुख्य उद्देश्य विभिन्न हाव-भावों के माध्यम से कथा का चित्रण है।इस नृत्य शैली के प्रणेता सिद्धेंद्र योगी को माना जाता है। लोकप्रिय कुचिपुड़ी नर्तकियों में वेदांतम नारायण नारायण शास्त्री, चिंता कृष्णमूर्ति, तडेपल्ली पेरैया शामिल हैं। ये पारंपरिक कुचिपुड़ी के प्रसिद्ध नर्तक थे। आधुनिक भारत में, महिला एवं पुरूष दोनों इस नृत्य को करते हैं। सर्वश्रेष्ठ समकालीन कुचिपुड़ी नर्तकियों में राजा और राधा रेड्डी, भावना रेड्डी, यामिनी रेड्डी आदि शामिल हैं। आज, पाकिस्तान में जन्मी पर्निया कुरैशी जो कि एक एक सफल फैशन डिजाइनर (fashion designer) भी हैं, ने अपनी प्रतिभाशाली कुचिपुड़ी और अन्‍य शास्त्रीय प्रदर्शन कलाओं के प्रदर्शन के माध्‍यम से विशेष उपलब्धि हासिल कर ली है।पर्निया कुरैशी एक भारतीय स्टाइलिस्ट (stylist), फैशन एंटरप्रेन्योर (fashion entrepreneur) और क्लासिकल डांसर (classical dancer) हैं। इन्‍होंने औपचारिक रूप से कुचिपुड़ी और कथक दोनों शैलियों में गुरु राजा रेड्डी और कुमुदिनी लाखिया के अधीन प्रशिक्षण लिया। कुरैशी का जन्म लाहौर, पाकिस्तान में हुआ था इनके पिता (मोइन अख्तर कुरैशी) रामपुर से और माता पाकिस्‍तान से थी।उन्होंने नृत्य युगल राजा-राधा रेड्डी के तहत कुचिपुड़ी नर्तकी के रूप में प्रशिक्षण लिया। उन्होंने आबिदा परवीन द्वारा सूफी संगीत के प्रदर्शन और मीनू बख्शी की उर्दू कविताओं के नृत्य लिप्यंतरण के साथ पूरे भारत में प्रदर्शन किया है। इन्होंने 2012 में एक ई-कॉमर्स वेबसाइट (e-commerce website), पर्नियास् पॉप-अप शॉप (Pernia's Pop-Up Shop) लॉन्च (launch) की। यह साइट वैश्विक ग्राहकों को भारत के प्रमुख डिजाइनरों की पेशकश करती है। उनका ई-कॉमर्स (e-commerce) उद्यम दिल्ली धारणा एनसीआर (NCR), भारत में स्थित डिजिटल इंप्रेशन (Digital Impressions) द्वारा बनाया गया था। पर्नियास् पॉप-अप शॉप को 2019 में पर्पल स्टाइल लैब्स (Purple Style Labs) द्वारा अधिग्रहित किया गया था। वर्तमान में, उनके पास चार कपड़ों की और तीन ज्वैलरी की लाइनें हैं, जो सभी उनकी नई वेबसाइट पर्निया कुरैशी ब्रांड्स (Pernia Qureshi Brands) पर प्रदर्शित की गयी हैं।अब उनके पास एक लोकप्रिय कपड़े के ब्रांड हैं जो रामपुर की वंचित लड़कियों को जरदोजी रोजगार खोजने में भी मदद करते हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/31UCtKo
https://bit.ly/3IFVpxr
https://bit.ly/3s6Lhb4
https://bit.ly/3dZyUFT
https://bit.ly/33p9C1J
https://bit.ly/3pSei7F

चित्र संदर्भ   
1. शास्त्रीय नृत्य कुचिपुड़ी के कलाकारों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. पुरुष कुचिपुड़ी वेशभूषा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कोलकाता, भारत की संचारी बनर्जी कुचिपुड़ी नृत्यांगना को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. सिद्धेंद्र योगी का एक चित्र, जिसे पारंपरिक रूप से आधुनिक कुचिपुड़ी का श्रेय दिया जाता है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. पर्निया कुरैशी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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