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भगवान विष्णु की दिव्य प्राचीन मूर्ति संग्रह है ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड एशमोलियन संग्रहालय में

मेरठ

 10-12-2021 10:32 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

हिंदू प्रथा में प्रयुक्त मूर्तियां और छवियां दिव्य होती हैं‚ जो देवी-देवताओं के मूर्त अवतार के रूप में सहायता करती हैं। भगवान विष्णु‚ हिंदू देवताओं में तीन सबसे महत्वपूर्ण देवों में से एक है। उन्हें पुरुषों के रक्षक और आंतरिक शक्ति के रूप में माना जाता है। वे उच्च चेतना के भी प्रतीक हैं‚ जो सभी भ्रमों को नष्ट कर देता है। पश्चिमी दुनिया में प्रदर्शित होने वाली भारतीय मूर्तिकला का पहला उदाहरण विष्णु की मूर्ति थी‚ जिसे कभी-कभी ‘द हेजेज विष्णु’ (‘The Hedges Vishnu’) भी कहा जाता है‚ ये 1690 में बंगाल की खाड़ी में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के पहले गवर्नर सर विलियम हेजेज (Sir William Hedges) द्वारा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University) को दिया गया था‚ और दुनिया के पहले सार्वजनिक संग्रहालय‚ एशमोलियन संग्रहालय (Ashmolean Museum) में प्रदर्शित किया गया था। इस पत्थर की मूर्ति में चार भुजाओं के साथ भगवान विष्णु को गदा‚ चक्र और शंख के गुणों को धारण करते हुए दर्शाया गया है‚ जिसमें उनका चौथा हाथ उपकार का इशारा करता है। विष्णु के विभिन्न अवतार उनके दो परिचारिकाओं के ऊपर छोटे दृश्यों में दिखाई देते हैं। पॉलिश किए गए काले शिस्ट की शैली और उपयोग से पता चलता है कि यह आकृति संभवतः मूर्तिकला के अत्यंत उर्वर‚ पाल शैली की कृति है‚ जो लगभग 800 और 1100 ईस्वी के बीच पाल साम्राज्य (Pala Empire) के शासन में फली-फूली। विष्णु की यह आकृति‚ 1690 में सर विलियम हेजेस को मिले उपहार के रूप में‚ संग्रहालय में‚ लाभार्थियों की पुस्तक (The Book of Benefactors) में सूचीबद्ध है। जिसमें नोट की प्रविष्टि बताती है‚ कि इसे मूल रूप से बंगाल की खाड़ी में स्थित‚ सागर द्वीप पर एक मंदिर से प्राप्त किया गया था।
संग्रहालय ऐसे स्थान होते हैं जहां सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत की कलाकृतियों को संग्रहीत किया जाता है और कहानी-कथाओं में प्रस्तुत किया जाता है‚ जो आगंतुकों को सीखने और आनंद के लिए आकर्षित करते हैं। ब्यूमोंट स्ट्रीट‚ ऑक्सफ़ोर्ड‚ इंग्लैंड (Beaumont Street‚ Oxford‚ England) पर कला और पुरातत्व का एशमोलियन संग्रहालय (Ashmolean Museum)‚ दुनिया का दूसरा विश्वविद्यालय संग्रहालय तथा ब्रिटेन का पहला सार्वजनिक संग्रहालय है। जिसकी स्थापना इलियास एशमोल (Elias Ashmole) ने अपने निजी संग्रह से की थी। इसकी पहली इमारत 1678-1683 में बनाई गई थी‚ जिसमें एलियास ने 1677 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (University of Oxford) को दी गई जिज्ञासाओं की कैबिनेट (cabinet of curiosities) को रखा था। वर्तमान भवन 1841 और 1845 के बीच बनाया गया था। एक बड़े पुनर्विकास के बाद 2009 में संग्रहालय फिर से खोला गया। नवंबर 2011 में‚ मिस्र (Egypt) और नूबिया (Nubia) पर ध्यान केंद्रित करने वाली नई दीर्घाओं का अनावरण किया गया‚ तथा मई 2016 में‚ संग्रहालय ने 19वीं सदी की कला की नई गैलरी खोली।
भारतीय मूर्तियों को पश्चिमी संग्रहालयों में कला वस्तुओं के रूप में वर्गीकृत और प्रदर्शित किया जाता है‚ लेकिन वे भारतीय लोगों के लिए जीवित देवता हैं‚ जो पवित्र हैं और आज भी लोग उनकी पूजा करते हैं। लेकिन अपने मूल स्थान‚ सागर द्वीप में एक मंदिर से ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड एशमोलियन संग्रहालय पहुंची‚ विष्णु की यह प्रतिमा अब मंदिर में नहीं है‚ वही मूर्ति हिंदुओं के लिए एक पवित्र वस्तु से गैर-हिंदुओं के प्रदर्शन पर एक प्राचीन कला में बदल गई है।
सर विलियम हेजेज को 1681 में बंगाल की खाड़ी में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के एजेंट और गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था। ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले गवर्नर के रूप में उनका मिशन‚ मुगल साम्राज्य के सबसे धनी प्रांत‚ बंगाल क्षेत्र पर अपना नियंत्रण हासिल करना था। उन्होंने भारत में अपने अशांत वर्षों के दौरान एक डायरी रखी‚ जिसमें उन्होंने काफी सारी बातों का वर्णन भी किया है। ‘लालची‚ ढीठ और कंपनी के बेईमान एजेंटों’ के बीच उनकी अलोकप्रियता‚ जैसा कि उन्होंने उन्हें अपनी डायरी में वर्णित किया‚ दो साल बाद उनकी बर्खास्तगी का कारण बनी। इस डायरी में उन्होंने 13 मार्च 1683 को सागर द्वीप की यात्रा का वर्णन भी किया है। इस यात्रा के दौरान एक मंदिर से चुराई गई विष्णु की मूर्ति को लेकर वह इंग्लैंड वापस लौट आया। सागर द्वीप‚ गंगा नदी के संगम पर बंगाल की खाड़ी में स्थित‚ भारत में सबसे महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थलों में से एक है‚ जो कोलकाता से लगभग 100 किमी दक्षिण में स्थित है। यह द्वीप भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल में‚ दक्षिण 24 परगना (South 24 Parganas) जिले के काकद्वीप उपखंड (Kakdwip subdivision) में सागर सीडी ब्लॉक (Sagar CD Block) बनाता है। सागर द्वीप सुंदरबन का एक हिस्सा है‚ लेकिन इसमें कोई बाघ निवास‚ सदाबहार वन‚ छोटी नदी या सहायक नदियां नहीं हैं जैसा कि समग्र सुंदरबन डेल्टा (Sundarban delta) की विशेषता है। हर साल मकर संक्रांति के दिन‚ सैकड़ों हजारों हिंदू‚ गंगा नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर पवित्र डुबकी लगाने के लिए इकट्ठा होते हैं और संगम के पास स्थित कपिल मुनि मंदिर (Kapil Muni Temple) में पूजा करते हैं।
माना जाता है कि कर्दम मुनि (Kardam Muni) ने भगवान विष्णु के साथ एक समझौता किया‚ कि वे वैवाहिक जीवन की कठोरता से इस शर्त पर गुजरेंगे‚ कि विष्णु उनके पुत्र के रूप में अवतार लेंगे। नियत समय में कपिल मुनि‚ विष्णु के अवतार के रूप में पैदा हुए और एक महान संत बने। इस द्वीप पर कपिल मुनि का आश्रम भी था। इसके दक्षिणी सिरे पर प्रतिवर्ष गंगासागर मेला और तीर्थयात्रा आयोजित की जाती है‚ जहाँ गंगा बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करती है‚ इसलिए इस संगम को गंगासागर भी कहा जाता है। गंगासागर तीर्थ और मेला‚ कुंभ मेले के त्रिवार्षिक अनुष्ठान स्नान के बाद‚ मानव जाति का दूसरा सबसे बड़ा जनसमूह है।

संदर्भ:

https://bit.ly/3DxKsdK
https://bit.ly/3pAAGCC
https://bit.ly/3GpYq2Y
https://bit.ly/31Bt5f2
https://bit.ly/3GlqnZV
https://bit.ly/3EzeChS\

चित्र संदर्भ
1. भगवान विष्णु की दिव्य प्राचीन मूर्ति संग्रह है ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड एशमोलियन संग्रहालय में, जिसको दर्शाता एक चित्रण (collections.vam.ac.uk)
2. ब्यूमोंट स्ट्रीट‚ ऑक्सफ़ोर्ड‚ इंग्लैंड (Beaumont Street‚ Oxford‚ England) पर कला और पुरातत्व का एशमोलियन संग्रहालय (Ashmolean Museum)‚ दुनिया का दूसरा विश्वविद्यालय संग्रहालय तथा ब्रिटेन का पहला सार्वजनिक संग्रहालय है। जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कपिल मुनि के आश्रम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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