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जब भी हम अपने मोबाइल अथवा कम्प्यूटर को अपडेट करते हैं,तो वह पहले की तुलना में अधिक
तीव्र, आकर्षक और चलाने में अधिक सुलभ हो जाता है। इसी तर्ज पर इंसान भी अपने हजारों वर्षों
की विकास यात्रा में अधिक समझदार, भावनात्मक रूप से अधिक परिपक्व और आकर्षक होता जा
रहा है। इंसानों की भाषा में इस प्रक्रिया के लिए विकासवादी सौंदर्यशास्त्र (Evolutionary
aesthetics) का प्रयोग किया जाता है।
परिभाषा के अनुसार विकासवादी सौंदर्यशास्त्र, मनोविज्ञानिक सिद्धांतों को संदर्भित करता है,
जिसमें होमो सेपियन्स (Homo sapiens) की बुनियादी सौंदर्य वरीयताओं जैसे अस्तित्व और
प्रजनन सफलता को विकसित होने का तर्क दिया जाता है। इस सिद्धांत के आधार पर सौंदर्य
अनुभव के कई पहलुओं जैसे रंग वरीयता, पसंदीदा साथी शरीर अनुपात, आकार, वस्तुओं के साथ
भावनात्मक संबंध, आदि को धरती पर जीवन के विकास से जोड़ा जा सकता हैं, अथवा इन्हें किसी
भी प्राणी के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए ज़रूरी माना गया है। अपने अस्तित्व को बनाए रखने
के लिए मानव सहित सभी जीव जंतुओं ने समय के साथ अपनी क्षमताओं को विकसित किया और
अपनी कलाओं और कौशलों का भी विकास किया।
जीवन के विकास क्रम में बेहतर स्थान अथवा
सुलभ आवास में रहने की तरफ विशेष ध्यान दिया गया। जहां जानवरों ने जंगलों और बीहड़ों में
रहने का विकल्प चुना, वहीँ इंसानों द्वारा ऐसे वातावरण का चुनाव किया गया, जहां भोजन और
पानी सुलभता से मिल जाए। साथ में मनुष्य ने सुंदर परिदृश्यों खुले मैदानों लेकिन जंगलों के
निकट वाले स्थानों का चुनाव किया।
शुरू से ही रंगों और कला के प्रति इंसानों में विशेष रूचि देखी गई आज आधुनिक समय में भी
प्रकृति इंसानों के जहन में गहराई से जुडी हुई है, उदारहण के तौर पर कई देशों में किये गए सर्वेक्षणों
में यह पाया गया इन इंसानों ने ऐसी चित्रकारी को वरीयता दी जिसमें पानी, पेड़ , पौधे, मनुष्य
(विशेष रूप से सुंदर महिलाएं, बच्चे और प्रसिद्ध ऐतिहासिक आंकड़े), और जानवर (विशेष रूप से
जंगली और घरेलू बड़े जानवर दोनों) आदि शामिल किये गए थे। नीला, उसके बाद हरा, अधिकाशं
लोगों का पसंदीदा रंग था।
आश्चर्यजनक रूप से संस्कृतियों की विविधताओं के बावजूद कला के लिए एक मजबूत समानता
दिखाई। सौंदर्य संबंधी विकासवादी प्राथमिकताएं हमेशा से अनिवार्य रूप से स्थिर नहीं रही हैं, यह
पर्यावरणीय संकेतों के आधार पर भिन्न हो सकती हैं। उदारहण के तौर पर कई क्षेत्रों में भोजन की
उपलब्धता निर्धारित करती है कि महिला के शरीर का आकार आकर्षक है, अथवा नहीं। अर्थात
भोजन की कमी वाले समाज बड़े आकार की महिला के शरीर को पसंद करते हैं। किन्तु अधिक
भोजन वाले समाजों में यह प्रथा नहीं है अथवा विपरीत हैं।
न केवल इंसानों बल्कि जानवरों की सभी प्रजातियों ने भी शिकारियों और साथियों के प्रति अधिक
भेदभावपूर्ण संवेदनशीलता विकसित की है, यह जरूरी भी है क्यों की यदि वे ऐसा नहीं करेंगे, तो वे
विलुप्त हो जाएंगे। जानवरों में मादाएं विभिन्न प्रजातियों के विकास का आधार बनती हैं। वे अपने
उपयुक्त नर का चुनाव करती हैं। हालांकि जानवरों में नर महिलाओं को आकर्षित करने के
विभिन्न उपाय अपनाते हैं, उदारहण के तौर पर साटन बोवरबर्ड, तीतर और मोर जैसे पक्षी मादा
मोर को आकर्षित करने के लिए अनुग्रह, गीत या शरीर विन्यास के साथ-साथ पुरुष नृत्य, सजावट,
नृत्य और कलाबाजी का सहारा लेते हैं और मादा मोर इस निपुणता की सराहना करती हैं,तथा
सबसे उत्कृष्ट मोर को ही चुनती है।
दरसल वह इस आधार पर यह सुनिश्चित करती हैं, की नर
उनकी संतान की सुरक्षा और पोषण करने के लिए सक्षम है अथवा नहीं। प्रकृति ने पक्षियों, कुछ
मछलियों, सरीसृपों और स्तनधारियों, रंगीन तितलियों को शानदार इसलिए भी बनाया हैं, क्यों की
वे अपनी प्रजाति के नर अथवा मांदा को आकर्षित करके नई पीढी को जन्म दे सकें, ताकि धरती पर
उनका अस्तित्व भी बना रहे।
जानवर विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय पहलुओं और उनकी प्रजातियों के साथ-साथ अन्य
प्रजातियों में व्यक्तिगत व्यवहार के प्रति संवेदनशील प्राणी हैं। उदाहरण के तौर पर जहरीले कोबरा
एक-दूसरे के लिए स्नेह दिखाते हैं, और मकड़ियों को अपने अंडों से बहुत लगाव होता है। कुछ
पक्षियों को अन्य प्रजातियों के अनाथ या परित्यक्त चूजों को गोद लेते हुए और अंधे हुए वयस्कों
की देखभाल करते हुए देखा गया है। यह सभी इस बात के प्रमाण हैं कि कुछ जानवर और पक्षी
विपरीत लिंग के प्रति सहानुभूति रख सकते हैं। विकासवादी सौंदर्यशास्त्र बेहद जरूरी अवधारणा हैं,
जिसके अंतर्गत प्रकृति में संतुलन स्थापित करने के लिए हम इंसानों सहित जानवर भी विभिन्न
कौशलों और कला का विकास करते हैं, जससे उनकी प्रजाति का अस्तित्व बना रहे हैं प्रकृति में
संतुलन स्थपित किया जा सके।
संदर्भ
https://nyti.ms/3mjG0d0
https://bit.ly/3BrgeaZ
https://bit.ly/3bgpzIj
https://bit.ly/30ZmTNa
चित्र संदर्भ
1. मादा को रिझाने के लिए पंख फैलाए नर मोर का एक चित्रण (flickr)
2. नियोलिथिक झोपड़ी पुनर्निर्माण को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. पंख फैलाकर नृत्य करते मोर का एक चित्रण (youtube)