हिंडन नदी की हत्या

मेरठ

 21-12-2017 03:27 PM
नदियाँ
मेरठ में बहने वाली हिंडन नदी का पुराना नाम हरनदी या हरनंदी है। इसका उद्गम सहारनपुर जिले में हिमालय क्षेत्र के ऊपरी शिवालिक पहाड़ियों में पुर का टंका गांव से होता है। यह बारिश पर आधारित नदी है और इसका जल विस्तार क्षेत्र सात हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है। यह गंगा और यमुना के बीच के देाआब क्षेत्र में मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और ग्रेटर नोएडा का 280 किलोमीटर का सफर करते हुए दिल्ली से कुछ दूर तिलवाड़ा यमुना में समाहित हो जाती है। रास्ते में इसमें कृष्ण, धमोला, नागदेवी, चेचही और काली नदीयाँ मिलती हैं। हिंडन नदी को कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जीवन रेखा के नाम से जाना जाता था परन्तु कलकारखानों के कारण इस नदी में बड़ी संख्या में जहर फैल गया है जिसके कारण हिंडन का पानी इंसान तो क्या जानवरों के लायक भी नहीं बचा है। हिंडन अपनी मछलियों के लिये जानी जाती थी परन्तु प्रदूषण नें इसकी मछलियों को काल कवलित कर दिया। मेरठ में ब्रितानी बसाव इस नदी के सौन्दर्य के कारण भी हुआ था। यह नदी विभिन्न प्रकार के पंछियों के प्रवास के लिये जानी जाती थी। यहाँ पर विभिन्न पंछी अपना निवास स्थान बना कर रखे थे जिनमें से सारस, बत्तख, बगुला, आदि थे। परन्तु आज यह पंछी इस नदी को छोड़ यहाँ से चले गए हैं। मेरठ से निकलने वाली कारखानों की विषैली रसायनों नें इस नदी को मृतावस्था में पहुँचाने का जो काम किया है शायद ही वह किसी प्रकार से बयाँ किया जा सकता है। इस नदी में उगने वाली कई वनस्पतियाँ भी ऑक्सीजन की कमी के कारण खत्म हो चुकी हैं। 10 वर्ष पहले इस नदी पर किये गये सर्वे में कशेरुकी प्राणी, मछलियाँ, मेंढक व कछुये आदि पाए गए थे परन्तु विगत 10 वर्षों में जिस प्रकार से इस नदी को प्रदूषित किया गया कि आज इस नदी में मैक्रो ओर्गानिस्म, काइरोनॉमस लार्वा, नेपिडी, ब्लास्टोनेटिडी, फाइसीडी, प्लैनेरोबिडी फैमिली के प्राणी ही पाए जाते हैं। महाभारत में हिंडन नदी का ज़िक्र किया गया है जो इस नदी के अध्यात्मिक महत्ता को प्रदर्शित करता है। 1857 की क्रान्ति में भी हिंडन नदी का योगदान देखने मिलता है। परन्तु आज यह नदी अपना अस्तित्व, स्मिता, पराकाष्ठा, महत्ता, परंपरा को खो कर एक प्रदूषित नाले के रूप में सिकुड़ गयी है। इस नदी का पानी अब कृषी के लिये भी प्रयोग नही किया जा रहा। 1. इंडिया वाटर पोर्टल-हिंडन जो कभी नदी थी: पंकज चतुर्वेदी 2. हाइड्रोलॉजी एण्ड वाटर रिसोर्सेस ऑफ़ इंडिया: शरद के. जैन, पुष्पेन्द्र के. अग्रवाल 3. हिंडन रिवर गैस्पिंग फॉर ब्रेथ: हीथर लुई

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