City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2857 | 107 | 2964 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
खट्टे फल हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक माने जाते हैं, क्यों कि इनमें ऐसे पोषक
तत्व होते हैं, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं।संतरे भी उन खट्टे फलों में से एक हैं, जिन्हें
प्रत्येक व्यक्ति अपने पौष्टिक आहार में शामिल करता है।संतरा,सिट्रस (Citrus) प्रजाति के
अंतर्गत आने वाला एक फल है, जो रूटेसी (Rutaceae) परिवार से सम्बंधित है।मीठे संतरे को
सिट्रस × साइनेंसिस (Sinensis) के रूप में जबकि कड़वे या खट्टे संतरे को सिट्रस × ऑरेंटियम
(Aurantium) के रूप में जाना जाता है।संतरे की किस्में उत्परिवर्तन के माध्यम से उत्पन्न होती
हैं।संतरे के इतिहास की बात करें, तो इसका इतिहास काफी लंबा और जटिल रहा है, क्योंकि यह
प्राकृतिक रूप से जंगलों में नहीं उगा है। संतरे को इसकी मैंडरिन (Mandarin) और पोमेलो
(Pomelo) किस्मों के बीच संकरण के माध्यम से सावधानीपूर्वक उत्पन्न किया गया है।संतरे की
खेती करने वाले देशों में मुख्य रूप से उत्तरपूर्वी भारत, दक्षिणी चीन (Southern China) और
संभवतः इंडोचीन (Indochina) शामिल हैं।इसकी पोमेलो किस्म, जहां भारत में उत्पन्न हुयी है,
वहीं मैंडरिन किस्म को चीन में उत्पादित किया गया है।कई प्राचीन सभ्यताएं जैसे चीन,
भारतीय, यहूदी (Jews), फारसी (Persians), अरब (Arabs), यूनानी (Greeks), रोमन
(Romans) आदि सिट्रस फलों की खेती में संलग्न थे।ये सभी सभ्यताएं किसी न किसी समारोह
में सिट्रस फलों का उपयोग अवश्य करतेहैं।उदाहरण के लिए यहूदी लोग सुक्कोट (Sukkot), जो
कि एक यहूदी उत्सव है, में एट्रोग (Etrogs – सिट्रस की एक प्रजाति) खरीदते हैं।वहीं ईसाई लोग
क्रिसमस के दौरान क्रिसमस ट्री को संतरे से सजाते हैं।चीन के लोग नए साल के दौरान सिट्रस
फल को एक दूसरे को प्रदान करते हैं।माना जाता है कि संतरे की उत्पत्ति दक्षिणी चीन, पूर्वोत्तर
भारत और म्यांमार (Myanmar) के क्षेत्र में हुई थी।314 ईसा पूर्व के एक चीनी साहित्य में मीठे
संतरे का प्रारंभिक विवरण प्राप्त होता है।यूरोप में, मूर्स (moors) ने संतरे को इबेरियन
(Iberian) प्रायद्वीप में पेश किया, जहां इसकी बड़े पैमाने पर खेती10 वीं शताब्दी में शुरू
हुई।खट्टे फल सिसिली (Sicily) के अमीरात की अवधि के दौरान,सिसिली में 9वीं शताब्दी में
लाए गए थे, लेकिन मीठा संतरा 15 शताब्दी के अंत तक या 16 वीं शताब्दी की शुरुआत तक
अज्ञात था। इसके बाद इतालवी और पुर्तगाली व्यापारी संतरे के पेड़ भूमध्यसागरीय क्षेत्र में
लाए।कुछ ही समय बाद, मीठे संतरे को जल्दी से एक खाद्य फल के रूप में अपनाया
गया।1646तक,मीठा संतरा पूरे यूरोप में प्रसिद्ध हो गया था।
संतरे भारत के लिए एक प्रमुख
फसल हैं।संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा प्रकाशित 2010 के आंकड़ों के अनुसार
ब्राजील (Brazil) और संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) के बाद भारत संतरे के उत्पादन
लिए पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर था। भारत, श्रीलंका (Sri Lanka), फ्रांस (France), ब्रिटेन
(Britain), बेल्जियम (Belgium), बांग्लादेश (Bangladesh) सहित अनेकों देशों को मीठे संतरे
निर्यात करता है।भारत में संतरे का उत्पादन करने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र,
कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं। हमारे देश में संतरे का सीजन क्षेत्र के
अनुसार बदलता रहता है।उत्तर में, संतरे का मौसम दिसंबर से फरवरी तक होता है,दक्षिण में,
संतरे का मौसम विशेष रूप से अक्टूबर से मार्च तक होता है।मध्य और पश्चिमी भारत में संतरे
का मौसम नवंबर से जनवरी के साथ-साथ मार्च से मई तक है।भारत में संतरे का उत्पादन करने
वाले विभिन्न क्षेत्र हैं, लेकिन जो क्षेत्र पूरे भारत यहां तक कि विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में संतरे के
उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है,वह है नागपुर। माना जाता है कि, यहां उगने वाली संतरे की किस्म
को 19वीं शताब्दी में पूर्वोत्तर से भोंसला शासकों द्वारा लाया गया था।नागपुर का संतरा, संतरे
की मैंडरिन किस्म है।नागपुर के इस विशिष्ट संतरे के लिए भौगोलिक संकेत का टैग भी दिया
गया है।नागपुर में उत्पादित संतरे अन्य स्थानों पर उगने वाले संतरों से इसलिए भिन्न हैं, क्यों
कि इन्हें उगाने में ग्राफ्टिंग (Grafting) और बडिंग (Budding) जैसी विशेष प्रणालियों को
अपनाया जाता है।यह तकनीक यहां के स्थानीय किसानों द्वारा पहले से ही उपयोग की जा रही
है। नागपुर का संतरा अन्य क्षेत्रों के संतरों से स्वाद में भी भिन्न है। इसका स्वाद थोड़ा खट्टा
है,क्यों कि इसके बीज और रेशे में लिमोनीन (Limonin) पाया जाता है। इस तत्व के कारण
संतरा खट्टा हो जाता है। संतरे में मौजूद यह तत्व गुर्दे की पथरी जैसे रोगों को ठीक करने में
भी सहायक है। वर्तमान समय में कोरोना महामारी ने लगभग हर क्षेत्र और उद्योग को प्रभावित
किया है, तथा इनमें नागपुर का संतरा उत्पादन भी शामिल है। इस क्षेत्र के संतरा उत्पादकों को
उम्मीद है कि आगामी सीजन में कोविड के कारण हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी,लेकिन वे
बड़े पैमाने पर समय से पहले ही फलों के गिरने से चिंतित हैं। पेडों से समय से पहले ही फल
गिर जाते हैं, जिससे अनेकों फलों की बर्बादी होती है।
प्रमुख देशों में संतरे का उत्पादन (मिलियन टन)
इसका असर किसानों के उत्पादन के साथ-
साथ उनकी आय पर भी पड़ताहै।किसानों का कहना है कि ऐसा सालों से हो रहा है लेकिन
सरकारी शोध एजेंसियां कोई समाधान नहीं दे पाई हैं। जब पेडों पर फलों का भार अत्यधिक
हो जाता है, तब वे प्राकृतिक रूप से झडकर नीचे गिरने लगते हैं।अन्य मामलों में, पेडों से फल
समय से पहले इसलिए गिरते हैं, क्यों कि वे कीटों और बीमारियों से संक्रमित हो जाते
हैं।प्रतिकूल मौसम और उन्हें उगाने के गलत तरीके भी फलों के गिरने में योगदान देते हैं। फलों
को समय से पहले ही गिरने से बचाने के लिए फ्रूट थिनिंग (Fruit thinning) प्रक्रिया प्रयोग में
लानी चाहिए। इस प्रक्रिया में फलों के आकार और गुणवत्ता में सुधार के लिए अतिरिक्त फलों को
हटाया जाता है। यह प्रक्रिया किस सीमा तक उपयोग में लायी जानी चाहिए यह पेड़ की
प्रजातियों पर निर्भर करता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3BYDyhr
https://bit.ly/3AVGpXb
https://bit.ly/30z7S4q
https://bit.ly/3vxlmJE
https://bit.ly/3aTMo4b
https://bit.ly/3vs0J1c
https://bit.ly/3aVsjKQ
चित्र संदर्भ
1. नागपुर के संतरों का एक चित्रण (wikimedia)
2. फ़िलीपीन्स के बाज़ार में विभिन्न प्रकार के संतरे बेचे जा रहे हैं का एक चित्रण (wikimedia )
3. संतरे के बगीचे का एक चित्रण (flickr)
4. प्रमुख देशों में संतरे का उत्पादन (मिलियन टन) का एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.