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18वीं सदी में फ़्रांस (France) में काम कर रहे नव-शास्त्रीय वास्तुकार एटिने-लुई बौली (Etienne-Louis Boullee) आइजैक न्यूटन (Isaac Newton) से अत्यधिक प्रभावित थे।उन्होंने सोचा कि एक अभूतपूर्व गणितज्ञ समान रूप से महत्वपूर्ण स्मारक के हकदार हैं।इसलिए वह बैठ गए तथा पृथ्वी पर मौजूद सबसे बड़े और अनोखे गोला क्षेत्र डिजाइन किए।इस डिजाइन में एक 1,500-मीटर (500 फीट) का गोला एक बेलनाकार आधार से संलग्न है। इस डिजाइन में जो स्मारक बनाया गया, वह गीज़ा (Giza) के महान पिरामिडों से भी बड़ा है।एक विशाल सीढ़ी पर चढ़ने के बाद,आगंतुक एक छोटी सुरंग के माध्यम से कक्षा के अंदर प्रवेश करेंगे।वहाँ उनका सामना एक विशाल, अप्रत्यक्ष शून्य से होगा।इस विचलित करने वाले रिक्त स्थान के केंद्र में न्यूटन के शरीर से युक्त एक ताबूत होगा।गोले की सतह पर छोटे-छोटे छिद्र भी डिजाइन किए गए थे, जिससे प्रकाश अंदर प्रवेश करता तथा नक्षत्रों जैसी अनुभूति होती।यहां तक कि गोले के अंदर किसी तरह से कोहरे का प्रभाव पैदा करने की भी योजना बनाई गयी थी,जिससे एक अजीब प्रेतवाधित हवा को आकार मिलता। दुख की बात यह है कि व्यावहारिक कारणों की वजह से इसका कभी निर्माण नहीं किया जा सका।आइए उनके इस महत्वपूर्ण डिजाइन पर एक नजर डालें।
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