भारतीय वायु सेना के चार अधिकारियों ने इस साल मार्च में भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष
उड़ान कार्यक्रम के हिस्से के रूप में रूसी अंतरिक्ष अकादमी में एक साल का प्रशिक्षण पूरा किया।
लेकिन वे जल्द ही रूस वापस लौटने वाले हैं,क्यों कि रूस मेंअलग-अलग विशिष्टताओं के
अनुसारउनके स्पेस सूट तैयार किए गए हैं।भारत ने हाल ही में मानवयुक्त अंतरिक्ष यात्रा के
लिए अपनी योजनाओं का अनावरण किया है तथा साथ ही अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जो
अंतरिक्षसूट डिजाइन किए हैं, उन्हें भीप्रदर्शित किया है।रूसी राज्य अंतरिक्ष निगमरोस्कोस्मोस
(Russian State Space Corporation Roscosmos)की एकसहायक कंपनी ग्लेवकोस्मोस
(Glavkosmos) के अनुसार एक रूसी शोध उद्यम ने गगनयान मिशन में शामिल होने वाले
भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष सूट का उत्पादन शुरू कर दिया है।भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान संगठन या इसरो के ह्यूमन स्पेसफ्लाइट सेंटर (Human Spaceflight Centre) के
साथ ग्लेवकोस्मोसके अनुबंध के तहतअनुसंधान, विकास और उत्पादन उद्यम जवेदा (Zvezda)
ने रूस में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिएव्यक्तिगत उड़ान उपकरण का
निर्माण शुरू कर दिया है।तो चलिए आज जानते हैं, कि स्पेस सूट बनाने के लिए किस प्रकार की
सामग्री प्रयोग की जाती है, तथा उनके क्या उपयोग हैं।
आपने अक्सर देखा होगा, कि अंतरिक्ष यात्रियों ने एक विशेष प्रकार का पोशाक अपनी यात्रा के
दौरान पहना होता है, जिसे स्पेस सूट कहा जाता है।स्पेस सूट को इस प्रकार से डिजाइन किया
जाता है, कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में सुरक्षित रहकर अपनी यात्रा पूरी कर सके।स्पेस सूट आज
दुनिया की कुछ सबसे जटिल और अनोखी तकनीक बन गया है।
अंतरिक्ष में जीवित रहने की
जटिलता के कारण अंतरिक्ष सूट के डिजाइन में कई घटक और सामग्रियों को शामिल किया
जाता है।आधुनिक अंतरिक्ष सूट सामग्री की 14 विभिन्न परतों से बना होता है, तथा प्रत्येक
परत अंतरिक्ष यात्री के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए विशिष्ट प्रकार से कार्य करती है।अंदर
की तीन परतें तरल शीतलन वेंटिलेशन (Liquid cooling ventilation) परिधान बनाती हैं।इस
परिधान को एक पतली स्पैन्डेक्स (Spandex) परत से बनाया जाता है, जो शरीर पर चिपटा
रहता है।यह अंतरिक्ष यात्रियों को ठंडा करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इसमें लगभग 300 फीट ट्यूब होती हैं, जो स्पैन्डेक्स की सतह पर ठंडा पानी ले जाती हैं,जिससे
अंतरिक्ष यात्री को ठंडक महसूस होती है।इस परत के ऊपर ब्लेडर (Bladder) की परत होती है,
जो अंतरिक्ष यात्री के जीवित रहने के लिए सबसे आवश्यक है।ब्लेडर की परत अंतरिक्ष यात्री की
सुरक्षा के लिए उचित दबाव गतिशीलता को बनाए रखने का कार्य करती है।यह परत सुनिश्चित
करती है कि अंतरिक्ष यात्री का आकार उचित रूप से बना रहे।इसके ऊपर की परत रिपस्टॉप
(Ripstop) परत कहलाती है। यह परत स्पेस सूट को फटने से रोकने के लिए डिज़ाइन की गयी
है, क्योंकि अंतरिक्ष के साथ सीधा संपर्क अविश्वसनीय रूप से खतरनाक होता है।रिपस्टॉप परत
के बाद मायलर इंसुलेशन (Mylar insulation) की सात परतें होती हैं।यह एक ऐसी सामग्री है,
जिसकाउपयोग खाद्य भंडारण में भी किया जाता है। जैसे एक थर्मस या कूलर आपके भोजन के
तापमान को स्थिर करने में मदद करता है, ठीक वैसे ही यह परत अंतरिक्ष यात्री के तापमान को
स्थिर करने में मदद करती है।अंतरिक्ष सूट की अंतिम परतें तीन प्रकार के फैब्रिक से बनी होती
हैं, जिनका अपना एक विशिष्ट उद्देश्य होता है। इन परत में से एक परत केवलर (Kevlar) की
होती है, जिसका प्रयोग बुलेट प्रूफ बनियान या वास्कट बनाने के लिए किया जाता है।यह
सुरक्षात्मक परत के रूप में कार्य करती है। अन्य दो परतें विपरीत उद्देश्यों की पूर्ति करती हैं,
क्योंकि एक परत जलरोधक है,तो दूसरी आग प्रतिरोधी।स्पेस सूट केनिर्माण के लिए बीटा क्लॉथ
(Beta cloth) का भी उपयोग किया जाता है। यह एक प्रकार का अग्निरोधक सिलिकाफाइबर
क्लॉथ है, जिसका उपयोग अपोलो/स्काईलैब A7L (Apollo/Skylab A7L) स्पेस सूट, अपोलो
थर्मल माइक्रोमेटोरॉइड (Apollo Thermal Micrometeoroid) गारमेंट, मैकडिविट पर्स (McDivitt
Purse) और अन्य विशिष्ट अनुप्रयोगों में किया गया है।
बीटा क्लॉथ में फाइबरग्लास के समान
महीन बुने हुए सिलिका फाइबर होते हैं। इससे जो फैब्रिक तैयार होता है, वह जलता नहीं हैऔर
केवल 650 डिग्री सेल्सियस (1,200 डिग्री फारेनहाइट) से अधिक के तापमान पर पिघलता है।
फाइबर को टेफ्लॉन (Teflon) के साथ लेपित किया जाता है, ताकिकिसी प्रकार की कोई समस्या
होने पर यह फटे नहीं तथा साथ ही इसके स्थायित्व को भी बढ़ाया जा सके।बीटा क्लॉथ की घनी
बुनाई इसे परमाणु ऑक्सीजन जोखिम के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाती है।इसे आमतौर पर
अंतरिक्ष के लिए बहु-परत इन्सुलेशन की सबसे बाहरी परत के रूप में उपयोग किया जाता है।
इसका इस्तेमाल स्पेस शटल और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर किया गया था।
1967 के अपोलो
1 लॉन्च पैड में घातक आग लगने के बाद (जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों के नायलॉन सूट जल गए
थे), इसे नासा के स्पेस सूट में शामिल किया गया।आग के बाद, नासा ने अंतरिक्ष यान और
अंतरिक्ष सूट दोनों से संभावित ज्वलनशील पदार्थों को हटाने की मांग की। स्काईलैब शावर
एनक्लोजर (Skylab shower enclosure) के लिए भी सामग्री के रूप में बीटा क्लॉथ का
उपयोग किया गया था।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नेभी एजेंसी द्वारा विकसित एक
अंतरिक्ष सूट प्रदर्शित किया है।नारंगी रंग का प्रोटोटाइप स्पेस सूट पिछले दो वर्षों में
तिरुवनंतपुरम के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में विकसित किया गया।सूट एक ऑक्सीजन
सिलेंडर को वहन कर सकता है, जिससे अंतरिक्ष यात्री 60 मिनट तक अंतरिक्ष में सांस ले सकते
हैं। यह स्पेस सूट चार परतों से बना है और इसका वजन 11 पाउंड (5 किलोग्राम)से कम है।
संदर्भ:
https://bit.ly/303BpmJ
https://bit.ly/3Bk1f3A
https://bit.ly/3FpoXxB
https://bit.ly/2WOEWUJ
https://bit.ly/3FzkFEj
https://bit.ly/3FmH8Ed
https://bit.ly/3Dk8rNC
चित्र संदर्भ
1. स्पेस सूट पहनकर अंतरिक्ष में तैरते अंतरिक्ष यात्री का एक चित्रण (istock)
2. स्पेस सूट का प्रोटोटाइप चित्रण (istock)
3. अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का एक चित्रण (wikimedia)
4. (Apollo/Skylab A7L) स्पेस सूट, का एक चित्रण (flickr)
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