Post Viewership from Post Date to 30-Oct-2021 (5th Day)
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2010 111 2121

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टीकाकरण का डिजिटलीकरण जहां शहरों के लिए है सुविधा वहीं ग्रामीणों के लिए बना अजाब

मेरठ

 25-09-2021 10:02 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

हाल ही में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड टीकाकरण हेतु पंजीकरण के लिए एक वेबसाईट शुरू की गयी जो कुछ मिनट बाद ही बैठ गई! एक बार इस गड़बड़ी के बाद, कई उपयोगकर्ताओं को निजी सुविधाओं, सरकारी स्कूलों और औषधालयों के आस-पास प्रासंगिक स्लॉट (slots) खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ा। लेकिन रातोंरात, ऑनलाइन (Online) संसाधनों और टेलीग्राम (telegram) अपडेट (update) ने नए स्लॉटों (slots) के जोड़े जाने पर नियमित जानकारी प्रदान की। जो लोग स्लॉट बुक करने में सक्षम थे वे ज्यादातर मोबाइल, तकनीक की समझ रखने वाले उच्च मध्यम वर्ग के थे। चूंकि शहरों में स्लॉट बुक हो गए थे, उनमें से अधिकांश ने ग्रामीण क्षेत्रों तक के स्वास्थ्य केंद्र तक जाने में संकोच नहीं किया।
सरकार द्वारा लॉन्‍च की गयी को-विन (Co-Win) वेबसाइट अब 12 भाषाओं में उपलब्ध है। को-विन प्लेटफॉर्म (Co-Win platform) एक समावेशी आईटी (IT) प्रणाली है जो देश के सबसे दूर के हिस्सों में कवरेज की सुविधा के साथ-साथ सबसे कमजोर लोगों के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ एक लचीला ढांचा प्रदान करता है।
भारत सरकार ने नौ पहचान पत्रों का निर्धारण किया इनमें से कोई एक भी किसी के पास उपलब्‍ध होगा वह टीकाकरण की सुविधा ले सकता है।सरकार ने आगे इस बात पर भी जोर दिया कि जिन लोगों के पास इंटरनेट (internet) या स्मार्ट फोन (smart phone) या यहां तक ​​कि मोबाइल फोन तक पहुंच नहीं है, उनके लिए साइट पर पंजीकरण (जिसे लोकप्रिय रूप से वॉक-इन (Walk-in) भी कहा जाता है) और टीकाकरण सभी सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर उपलब्ध है। भारत की टीकाकरण नीति में कहा गया है कि 18 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के सभी लोग को-विनवेबसाइट, आरोग्य सेतु ऐप या उमंग ऐप का उपयोग करके अग्रिम रूप से अपना पंजीकरण कराएं ताकि कोविड -19 का टीका लग सके। इस आयु वर्ग के लिए वॉक-इन (walk-in) टीकाकरण की अनुमति नहीं थी।भारत के शहरी क्षेत्रों में, अधिकांश लोगों तक स्‍मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा आसानी से उपलब्‍ध है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बहुत अलग है। भारत में कई गांव ऐसे हैं जहां लोग स्‍मार्टफोन से अपरिचित हैं, पूरे-पूरे गांव में कोई स्‍मार्टफोन चलाना नहीं जानता है। उनके लिए फोन का उपयोग करके वैक्सीन के लिए पंजीकरण करना आसान काम नहीं है। गांव में कोई नहीं जानता और न ही कोई सरकारी टीम उन्‍हें शिक्षित करने गयी। जिन गांवों में, हाल ही में विद्युतीकरण किया गया है, इंटरनेट की उचित पहुंच नहीं है और केवल खराब फोन सिग्नल (phone signal) हैं। स्मार्टफोन को भूल जाइए, यहां के ज्यादातर निवासियों के पास बेसिक मोबाइल फोन हैं। टीकाकरण को प्रभावित करने वाली डिजिटल (digital) पहुंच से असम राज्य में अनुमानित 10 लाख निर्माण श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसरों का अस्थायी नुकसान हुआ।
भारत सरकार द्वारा युवाओं के लिए अपने राष्ट्रव्यापी डिजिटल टीकाकरण अभियान की घोषणा करने के कुछ दिनों के भीतर ही डिजिटल विभाजन प्रारंभ हो गया था। केवल 21% सक्रिय स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के साथ, असम में भारत के सभी राज्यों में स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की संख्या सबसे कम है; राज्य का प्रतिशत, 33% के राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है । इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि असम में 3.1 करोड़ लोगों में से केवल इसके 30%युवाओं के पास स्मार्टफोन है। डिजिटल एक्सेस (digital access) वाले उन 30% युवाओं में से केवल एक छोटा हिस्सा ही पहले कुछ प्रयासों में वैक्सीन स्लॉट को डिजिटल रूप से बुक करने में सक्षम हो सका। शेष इस प्रयास में असफल रहे ।बहुत से स्थानीय लोगों को खुद की वैक्सीन स्लॉट बुक करने के लिए साइबर कैफे जाना पड़ा क्योंकि उनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं थी।
खराब वैक्सीन वितरण और डिजिटल निरक्षरता देश के इस हिस्से में टीकाकरण अभियान को प्रभावित करने वाले दो महत्वपूर्ण कारक हैं। ग्रामीण भारत, भारत की 70% आबादी का घर है और फिर भी शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए जाने वाले टीकों के मामले में विभाजन अंतर है। कमी कछार जिले के अधिकांश हिस्सों में सच है, जहां को-विन डैशबोर्ड के अनुसार , केवल 53% आबादी को COVID-19 वैक्सीन की पहली खुराक मिली है – जो राष्ट्रीय औसत 58% से कम है। को-विन डैशबोर्ड के अनुसार, असम राज्य के लिए, राज्य में अब तक कुल टीकाकरण खुराक का 65% प्रशासित किया गया है ।ऑनलाइन पंजीकरण और स्लॉट की बुकिंग न केवल टीकाकरण अभियान में वंचितों को पीछे छोड़ देती है बल्कि इंटरनेट एक्सेस, आधुनिक गैजेट्स, साक्षरता और समग्र रूप से बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाले लोगों को भी असमान रूप से लाभान्वित करती है।संसाधनों तक आसान पहुंच वाले अधिकांश शहरी निवासियों को टीकाकरण आसानी से मिल गया, किंतु ग्रामीण आबादी के साथ ऐसा नहीं है। कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की असमान योजना जमीनी स्तर पर कार्यक्रम के कार्यान्वयन में एक कमी को प्रदर्शित करती है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3AFrDVe
https://bit.ly/3kzfrQ9
https://bit.ly/3lTxoIG
https://bit.ly/3CC814W

चित्र संदर्भ

1. टीकाकरण के डिजिटलीकरण को दर्शाता एक चित्रण (travelinc)
2. भारत में टीकाकरण के आंकड़ों को दर्शाता एक चित्रण (cowin.gov.in)
3. मोबाइल में टीकाकरण के सन्देश को संदर्भित करता एक चित्रण (Onmanorama)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

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