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हमारा देश तेजी से प्रगति कर रहा है, तथा यह प्रगति डिजिटल क्षेत्र में भी स्पष्ट रूप से दिखाई
दी है। दिन-प्रतिदिन डिजिटल क्षेत्र का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है,
तथा देश उन देशों में शामिल होने की ओर निरंतर अग्रसर है, जो डिजिटल क्षेत्र में एक
महाशक्ति के रूप में उभर रहे हैं।भारत एक "सूचना समाज" बनने के लिए अत्यधिक प्रयास कर
रहा है, तथा इस क्षेत्र में काफी प्रगति भी कर रहा है, लेकिन इस प्रगति के सामने जो मुख्य
चुनौती भारत के सामने आ रही है, वह साइबर स्पेस(Cyber space) से होने वाले खतरों और
हमलों से सम्बंधित है।
वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है तथा इस समय हुई तालाबंदी ने
लोगों को अपने घरों पर रहने को मजबूर किया है।लोगों ने अपने विभिन्न कार्यों के संचालन के
लिए डिजिटल तकनीक को अपनाया। कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल तकनीक ने न केवल
लोगों को बिना रूके अपना कार्य करने की ऑनलाइन सुविधा प्रदान की, बल्कि अर्थव्यवस्था के
स्तर को भी सुधारने में मदद की।
लेकिन डिजिटलीकरण की तीव्रता ने साइबर सुरक्षा और इसके
नियमन की आवश्यकता को और भी तेज कर दिया है।कोविड-19 महामारी की शुरुआत और घर
से डिजिटल रूप से काम करने वाले लोगों की संख्या में भारी वृद्धि के परिणामस्वरूप साइबर
हमलों और साइबर स्पेस में आपराधिक गतिविधियों में भी तीव्र वृद्धि देखने को मिली है।आज
की दुनिया में साइबर सुरक्षा रणनीतियों को समझने और उन्हें लागू करने की अत्यधिक
आवश्यकता है, क्यों कि प्रौद्योगिकी और इसके प्रसार में तेजी से प्रगति ने "महत्वपूर्ण सूचना
अवसंरचना" की सुरक्षा को असुरक्षित बना दिया है।
साइबर सुरक्षा इंटरनेट से जुड़े सिस्टम जैसे हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और साइबर खतरों से डेटा की
सुरक्षा है। इसका उपयोग डेटा केंद्रों और अन्य कम्प्यूटरीकृत प्रणालियों तक अनधिकृत पहुंच से
बचाव के लिए विभिन्न लोगों या उद्यमों द्वारा किया जाता है।एक मजबूत साइबर सुरक्षा
रणनीति एक अच्छी सुरक्षा प्रदान कर सकती है, ताकि किसी संगठन या उपयोगकर्ता के सिस्टम
में मौजूद संवेदनशील डेटा तक पहुंच, उसे बदलने,हटाने, नष्ट करने या निकालने के लिए
डिज़ाइन किए गए हमलों को रोका जा सके।साइबर सुरक्षा उन हमलों को रोकने में भी सहायक
है जिनका उद्देश्य किसी सिस्टम या डिवाइस के संचालन को अक्षम या बाधित करना है।
महामारी के इस कठिन समय में जब सारे कार्य डिजिटल तकनीक की सहायता से पूरे किए जा
रहे हैं, यह आवश्यक है कि साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए।साइबर सुरक्षा की मदद
से साइबर हमले से व्यावसायिक सुरक्षा,डेटा और नेटवर्क की सुरक्षा,अनधिकृत उपयोगकर्ता पहुंच
की रोकथाम आदि लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके अलावा किसी कंपनी या संगठन की
प्रतिष्ठा और विश्वास में भी बढ़ोत्तरी होती है।
साइबर खतरों के प्रकारों में मैलवेयर (Malware),रैंसमवेयर (Ransomware),फ़िशिंग
(Phishing),डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल ऑफ़ सर्विस (Distributed denial-of-service) आदि शामिल
हैं, तथा इन्हें रोकना अत्यंत आवश्यक है।हमला करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकें
विविध हैं और बुनियादी कंप्यूटर वायरस से लेकर परिष्कृत साइबर हमले जैसे खुफिया-
एकत्रीकरण, औद्योगिक जासूसी, अपराध और युद्ध जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए किए गए
हैं।जबकि भारत में एक समर्पित साइबर सुरक्षा कानून नहीं है, लेकिन ऐसे कई विधान और क्षेत्र-
विशिष्ट विनियम हैं, जो अन्य बातों के साथ-साथ साइबर सुरक्षा मानकों के रखरखाव को बढ़ावा
देते हैं।साइबर सुरक्षा, डेटा संरक्षण और साइबर अपराधों से निपटने वाले प्राथमिक कानूनों में से
एक सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (आईटी अधिनियम) है,आईटी अधिनियम न केवल
इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज (Electronic data interchange) और इलेक्ट्रॉनिक संचार के अन्य
माध्यमों के जरिए किए गए लेनदेन के लिए कानूनी मान्यता और सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि
इसमें ऐसे प्रावधान भी शामिल हैं, जिनका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक डेटा,सूचना या रिकॉर्ड की सुरक्षा
करना और कंप्यूटर सिस्टम के अनधिकृत या गैरकानूनी उपयोग को रोकना है।
कुछ साइबर
अपराध जो विशेष रूप से आईटी अधिनियम के तहत परिकल्पित और दंडनीय हैं, उनमें हैकिंग
(Hacking), डिनायल-ऑफ-सर्विस अटैक (Denial of Service Attack), फ़िशिंग (Phishing),
मालवेयर अटैक(Malware Attack), आइडेंटिटी फ्रॉड (Identity fraud) और इलेक्ट्रॉनिक चोरी
शामिल हैं।सूचना प्रौद्योगिकी (भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल और कार्य और
कर्तव्यों को करने का तरीका) नियम 2013 के अनुसार,कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम
(Computer emergency response team) को नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया
है, जो साइबर घटनाओं पर जानकारी के संग्रह, विश्लेषण और प्रसार के लिए उत्तरदायी होगी
तथा ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आपातकालीन उपाय करेगी।साइबर सुरक्षा के संदर्भ में
आईटी अधिनियम के तहत बनाए गए अन्य प्रासंगिक नियमों में सूचना प्रौद्योगिकी (उचित
सुरक्षा प्रथाओं और प्रक्रियाओं और संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा या सूचना) नियम 2011,सूचना
प्रौद्योगिकी (संरक्षित प्रणाली के लिए सूचना सुरक्षा अभ्यास और प्रक्रियाएं) नियम 2018,सूचना
प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियम, 2011 शामिल हैं। साइबर सुरक्षा से संबंधित प्रावधानों
वाले अन्य कानूनों में भारतीय दंड संहिता 1860 और कंपनी अधिनियम 2013 के तहत बनाए
गए कंपनी (प्रबंधन और प्रशासन) नियम 2014 शामिल हैं।
डिजिटलीकरण की तीव्र गति के साथ,साइबर सुरक्षा समय की मांग बन गई है। हम एक
उज्ज्वल डिजिटल भविष्य प्राप्त कर रहे हैं जिसके लिए डिजिटलीकरण के प्रतिकूल प्रभावों को
जानने और प्रबंधित करने की भी आवश्यकता है।
डिजिटलीकरण के प्रतिकूल प्रभावों से बचने के
लिए सबसे प्रमुख चीज क्रिटिकल सिक्योरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर (Critical security infrastructure)
है,जिसमें स्वास्थ्य देखभाल, संचार, ऊर्जा, परिवहन, रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा शामिल हैं। ये सभी
ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर भारत जैसे देश को विशेष ध्यान देना चाहिए।एक जटिल साइबर
अवसंरचना इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के मामले में भारत जिन महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर
रहा है, उन्हें जीरो ट्रस्ट आर्किटेक्चर (Zero trust architecture) को अपनाकर हल किया जा
सकता है।ज़ीरो ट्रस्ट एक सुरक्षा मॉडल है जो नेटवर्क संसाधनों तक पहुँचने का प्रयास करने वाले
प्रत्येक व्यक्ति या संस्था के लिए सख्त पहचान सत्यापन का उपयोग करता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3lOiQtX
https://bit.ly/3nWzIS1
https://bit.ly/2XQ2N6V
https://bit.ly/3zKK2Pn
चित्र संदर्भ
1. साइबर हमलों से निपटने के लिए एमआईटी और आईबीएम वाटसन एआई रिसर्च लैब का एक चित्रण (flickr)
2. घर से काम करते कर्मचारी को दर्शाता एक चित्रण (cdn.aarp)
3. कंप्यूटर सुरक्षा के अधिकांश पहलुओं में इलेक्ट्रॉनिक पासवर्ड और एन्क्रिप्शन जैसे डिजिटल उपाय शामिल हैं, भौतिक सुरक्षा उपायों जैसे धातु के ताले अभी भी अनधिकृत छेड़छाड़ को रोकने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिसको संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. साइबर सुरक्षा के विभिन्न चरणों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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